विश्व टेलीविजन दिवस हर साल 21 नवंबर को मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यह दिन लोगों को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों को प्रस्तुत करके दैनिक जीवन में टेलीविजन द्वारा निभाई जाने वाली प्रमुख भूमिका पर प्रकाश डालता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 1996 को 21 नवंबर को विश्व टेलीविजन दिवस के रूप में घोषित किया। वर्ल्ड टेलीविजन डे के मौके पर आज हम आपको टीवी के लाने के आइडिया, ब्लैक एंड व्हाइट, कलर टीवी से लेकर स्मार्ट टीवी तक के सफर की बात करेंगे। साथ ही टीवी के डिस्प्ले में हुए बदलाव के बारे में भी बताएंगे। तो चलिए शुरू करते हैं……
प्रत्येक वर्ष 21 नवम्बर को विश्व के विभिन्न देशों में ‘विश्व दूरदर्शन दिवस’ अथवा अंतर्राष्ट्रीय टेलीविजन दिवस मनाया जाता है। दूरदर्शन विभिन्न प्रमुख आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए पूरे विश्व के ज्ञान में वृद्धि करने में मदद करता है। वर्तमान में यह मीडिया की सबसे प्रमुख ताकत के रूप में उभरा है। यूनेस्को ने टेलीविज़न को संचार और सूचना के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में पहचाना है। टेलीविज़न एक ऐसा जन माध्यम है जो समाचार, शिक्षा, राजनीति, खेल, गपशप आदि खबरें हम तक पहुंचाता है| ‘इडियट बॉक्स’ कहे जाने वाला टेलीविजन अपने आविष्कार के बाद से ही आम लोगों के जीवन में मनोरंजन का महत्वपूर्ण साधन रहा है। टेलीविजन के माध्यम से लोग कई सालो से शिक्षा, समाचार, राजनीति, मनोरंजन और गपशप का आनंद लेते आ रहे हैं। विश्व टेलीविजन दिवस मनाने का उद्देश्य दुनियाभर में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से परे टेलीविजन के महत्व पर जोर देना है। ‘विश्व टेलीविजन दिवस’, सिर्फ उपकरणों का उत्सव नहीं, बल्कि टेलीविजन के पीछे का दर्शन भी है। जिसने लोगों के दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। यह दिन टेलीविज़न की महत्वता को दर्शाने के लिए है जो लोगों से जुड़े मुद्दों को रखने में विशेष भूमिका निभाता है।आज हम आपको विश्व टेलीविज़न डे के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे, कैसे टेलीविजन की शुरुआत हुई, इसका इतिहास और विश्व दूरदर्शन दिवस के महत्व आदि के बारे में…
टेलीविज़न डे का इतिहास
टेलीविजन (TV) का जुड़ाव हमारे जीवन में शुरु से ही रहा है ‘ब्लैक एंड वाइट‘ जमाने से लेकर आज रंगीन टीवी के जमाने तक टेलीविजन लोगों के मनोरंजन का पहला और सबसे प्रिय साधन रहा है। आज भी लोगों को टेलीविजन देखना उतना ही पसंद है जितना 20 या 30 साल पहले था। टीवी के इसी महत्व को समझते हुए विश्व स्तर पर वर्ल्ड टेलीविज़न डे मनाने की घोषणा की गई। टेलीविज़न को हिंदी में दूरदर्शन कहा जाता है। 21 नवंबर को विश्व टेलीविजन दिवस (World Television Day) उस दिन का स्मरण करता है जिस दिन संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1996 में 21 और 22 नवंबर को पहला विश्व टेलीविजन फोरम आयोजित किया था। इस दिन पूरे विश्व के मीडिया हस्तियों नें संयुक्त राष्ट्र के संरक्षण में मुलाकात की। इस मुलाक़ात के दौरान टेलीविजन के विश्व पर पड़ने वाले प्रभाव के सन्दर्भ में काफी चर्चा की गयी थी. साथ ही उन्होंने इस तथ्य पर भी चर्चा की कि विश्व को परिवर्तित करने में टेलीविजन का क्या योगदान है। उन्होनें आपसी सहयोग से इसके महत्व के बारे में चर्चा की। यही कारण था की संयुक्त राष्ट्र महासभा नें 21 नवंबर की तिथि को विश्व टेलीविजन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। और पहला विश्व टेलीविजन दिवस 21 नवंबर 1997 को मनाया गया था।
टेलीविजन नाम कैसे पड़ा
टेलीविजन ग्रीक प्रीफिक्स ‘टेले’ और लैटिन वर्ड ‘विजीओ’ से मिलकर बना शब्द है। टेलीविजन यानि टीवी एक वैज्ञानिक उपकरण है, जो जन-संचार का दृश्य-श्रव्य माध्यम है। 1907 में, टेलीविजन को अंग्रेजी में एक शब्द के रूप में पहचाना दी गई और 1948 में पहली बार टेलीविजन का शॉर्ट फॉर्म टीवी इस्तेमाल किया गया तथा Television शब्द को 1960 में डिक्शनरी में जोड़ा गया। और टीवी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला रिमोट, यूजीन पोली द्वारा 1955 में बनाया गया।
भारत में दूरदर्शन का पहला प्रसारण
दूरदर्शन का पहला प्रसारण 15 सितंबर, 1959 को प्रयोगात्मक आधार पर आधे घण्टे के लिए शैक्षिक और विकास कार्यक्रमों के रूप में शुरू किया गया। उस समय दूरदर्शन का प्रसारण सप्ताह में सिर्फ तीन दिन आधा-आधा घंटे होता था। तब इसको ‘टेलीविजन इंडिया’ नाम दिया गया था बाद में 1975 में इसका हिन्दी नामकरण ‘दूरदर्शन’ नाम से किया गया। यह दूरदर्शन नाम इतना लोकप्रिय हुआ कि टीवी का हिंदी पर्याय बन गया।
टेलीविज़न डे पर विरोधाभास
सयुंक्त राष्ट्र में जब वर्ल्ड टेलीविज़न डे के प्रस्ताव पर वोटिंग हो रही थी तो कुछ देश इसके पक्ष में नहीं थे| इस दिन का विरोध करने वाली जर्मनी ने कहा की पहले से ही जब ‘विश्व प्रेस फ्रीडम डे’, ‘वर्ल्ड टेलीकम्यूनिकेशन एंड इनफार्मेशन सोसाइटी डे’ और ‘वर्ल्ड डेवलपमेंट इनफार्मेशन डे’ जैसे दिन सयुंक्त राष्ट्र में मनाये जा रहे हों तो इसी छेत्र से जुड़ा एक और दिन मनाए जाने का कोई तर्क नहीं| उन्होनें टेलीविज़न को केवल एक और सुचना माध्यम बताया जिससे दुनिया के बहुत से लोग अभी भी वंचित हैं| ऐसे में यह विशेष दिन अमीरों का दिन लगेगा| टेलीविज़न से ज्यादा असरदार सुचना के कई माध्यम हैं जैसे की रेडियो, जिन्हे टेलीविज़न की बजाये अधिक बढ़ावा देने की जरुरत है|
वर्ल्ड टेलीविज़न डे का महत्व
वर्ल्ड टेलीविज़न डे के दिन पूरा विश्व प्रसारण मीडिया की भूमिका को स्वीकारता है| लेखक, पत्रकार, ब्लॉगर और मीडिया से जुड़े सभी लोग इस दिन को बढ़ावा देते हैं| प्रसारण के उभरते और पारम्परिक तरीकों के बीच बातचीत से विश्व के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने का अवसर मिलता है| जब सोशल मीडिया पर किसी खबर की सत्यता संदिग्ध हो तो यह दिन एक निष्पक्ष जानकारी देने के लिए उन सभी सरकारों, मीडिया चैनलों और व्यक्तिओं की प्रतिबद्धता को भी चिन्हित करता है|
टेलीविज़न का आविष्कार किसने किया
टेलीविज़न का अविष्कारक कौन है, इस सवाल का जवाब असल मायने में इतना सीधा नहीं है| टेलीविज़न के आविष्कार से कई सालों पहले ही, हिलती हुई तस्वीरों को प्रसारण करने का विचार मौजूद था| उन्नीसवीं सदी के आखिर में कुछ वैज्ञानिकों ने ऐसी महत्वपूर्ण खोजें की थी जिसके बिना टेलीविज़न का अविष्कार संभव नहीं था| बीसवीं सदी के तीसरे दशक तक विश्वभर के 50 से अधिक रिसर्च का काम चल रहा था| अगर कोई टेलीविज़न की परिभाषा को टन में लगातार बदलाव के साथ छवियों का सीधा प्रसारण मानता है तो टेलीविज़न के अविष्कार का श्रेय स्कॉटलैंड के इंजीनियर ‘जॉन लोगी बेरड’ को जाता है| इन्होने ही दुनिया की पहली मैकेनिकल टेलीविज़न बनाई और प्रदर्शित करी| बेरड ने ही दुनिया की पहली कलर टेलीविज़न का आविष्कार कर दुनिया के सामने ले कर आये| यहाँ तक की टेलीविज़न की पहली इलेक्ट्रॉनिक कलर पिक्चर ट्यूब भी बेरड ने ही बनाई| जहाँ तक टेलीविज़न के इलेक्ट्रॉनिक मॉडल के अविष्कार का सवाल है जिसे हम आज की टेलीविज़न कहेंगे तो इसमें थोड़ा विरोधाभास था| रूस के ‘व्लादिमीर के.ज़्वरयकिन’ ने 1923 में ही एक इलेक्ट्रान स्कैनिंग ट्यूब जिसे टेलीविज़न का हार्ट कह सकते हैं, के पेटेंट के लिए अर्ज़ी दे दी थी। जबकि 1934 तक वो अपनी टेलीविज़न को चला नहीं पाए| 7 सितम्बर 1927 को अमेरिका के फिलो टेलर फ़्रांस्वार्थ ने अपनी खुद से बनाई स्कैनिंग ट्यूब के द्वारा पहली बार टेलीविज़न सिग्नल ट्रांसमिशन सफलता पूर्वक प्रदर्शित करा| फिर 1930 के दशक में एक कानूनी लड़ाई शुरू हुई, जिसमें ‘RCA’ कंपनी ने जिसमें Zworykin काम करता था, पेटेंट और रॉयल्टी के अधिकार का दावा किया| लेकिन कोर्ट ने फैसला फ़्रांस्वार्थ के हक़ में सुनकर उन्हें पहली पूरी तरह से काम करने वाली इलेक्ट्रॉनिक टेलीविज़न का आधिकारिक अविष्कारक बना दिया| अमेरिका के चार्ल्स फ्रांसिस जेंकिन्स ने भी टेलीविज़न टेक्नोलॉजी के उत्थान में अपना योगदान दिया| 1925 में उन्होनें ध्वनि और छवियों का सिंक्रोनाइज प्रसारण कर, 30 जून 1925 को “ट्रांसमिशन पिक्चर्स ओवर वायरलेस” शीर्षक पर अपना पेटेंट हासिल किया|
टेलीग्राफ केबल की रिपेयरिंग करने वाले वर्कर ने लाया टेलीविजन का आइडिया
* 1872 में ब्रिटिश टेलीग्राफ वर्कर जोसेफ ट्रांस अटलांटिक टेलीग्राफ केबल पर काम कर रहे थे। उन्होंने देखा कि सेलेनियम वायर की इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी में कुछ बदलाव दिख रहे हैं। जब उन्होंने इसकी वजह खोजने की कोशिश की तो पता चला कि ऐसा खिड़की से आ रही सनलाइट का सेलेनियम की वायर पर गिरने से हो रहा है। इस घटना से ही लाइट को एक इलेक्ट्रिक सिग्नल में बदलने का आधार तैयार हुआ।
* 1880 में मॉरिस ला ब्लां नाम के एक फ्रेंच इंजीनियर का ‘ला लुमिएर इलेक्ट्रिक’ जर्नल में एक लेख पब्लिश हुआ, जिसने आगे आने वाले सभी टेलीविजन के लिए एक आधार तैयार किया। ला ब्लां ने एक स्कैनिंग मैकेनिज्म को प्रस्तावित किया। हालांकि, वे कोई वर्किंग मशीन तैयार नहीं कर पाए थे।
* इसके बाद टेलीविजन को अगले मुकाम तक पहुंचाने वाले में पॉल निपकोव थे, जो एक जर्मन इंजीनियर थे और उन्होंने स्कैनिंग डिस्क खोजी। निपकोव ने जो डिवाइस तैयार किया था, वह एक घूमने वाली धातु की डिस्क से तार के जरिए तस्वीरें भेजने में मदद करती थी। निपकोव ने इसका नाम ‘इलेक्ट्रिक टेलिस्कोप’ रखा था।
* टेलीविजन शब्द का पहली बार इस्तेमाल रूसी वैज्ञानिक कॉन्स्तेन्ताइन परस्की द्वारा साल 1900 की पेरिस प्रदर्शनी में इस्तेमाल किया गया। स्कॉटिश आविष्कारक जॉन लॉगी बेयर्ड और अमेरिकन आविष्कारक चार्ल्स फ्रांसिस जेनकिंस ने मैकेनिकल टीवी को लाकर बड़ी उपलब्धि हासिल की थी। इन दोनों ने अपने-अपने जो डिवाइस बनाए थे, उन्हें ही पहले सफल टेलीविजन माना जाता है।
* 1922 में जेनकिंस ने रेडियो वेव के जरिए एक स्टैटिक इमेज को स्क्रीन पर भेजा था,1925 में बेयर्ड ने मनुष्य के चेहरे का लाइव ट्रांसमिशन भेजा था।
* 1925 में आविष्कारक व्लादिमीर ज्वोरीयकिन ने कलर टीवी सिस्टम के बारे में बताया था। हालांकि यह सिस्टम सफल नहीं हुआ। विश्व का पहला इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन फिलो टेलर फार्न्सवर्थ नाम के आविष्कारक द्वारा बनाया गया। फिलो द्वारा बनाया गया डिवाइस मूविंग इमेज को इलेक्ट्रॉन्स बीम की सहायता से पकड़ने में सफल हो गया था।
* स्कॉटिश आविष्कारक बेयर्ड पहले शख्स थे, जिन्होंने 3 जुलाई 1928 को पहली बार कलर ट्रांसमिशन कर दिखाया था।
* 1930 में पहला कॉमर्शियल चार्ल्स जेनकिंस के टेलीविजन प्रोग्राम पर आया और BBC ने नियमित टीवी ट्रांसमिशन शुरू किया।
* 1934 तक सारे मैकेनिकल टीवी इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर आ चुके थे और इस बात में भी कोई संदेह नहीं है कि प्राथमिक टेलीविजन फुटेज ट्रांसमिशन ब्लैक एंड व्हाइट कलर में ही कर पाते थे।
* कलर टीवी की बात करें तो इसका पेटेंट 1904 में एक जर्मन आविष्कारक ने करवाया था। हालांकि आविष्कारक के पास कोई कलर टेलीविजन नहीं था।
* 1939- 40में टेलीविजन पूरे अमेरिका के कई मेलों में दिखाया गया। कुछ मॉडल्स के साथ में रेडियो भी था, ताकि स्क्रीन पर आने वाली तस्वीरों के साथ ऑडियो भी सुना जा सके।
* 1950 में दो बड़ी कम्पनियों CBS (कोलंबिया ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम) और RCA (रेडियो कॉर्पोरेशन ऑफ अमेरिका) के बीच पहला कलर टेलीविजन बनाने की होड़ लगी थी। इस जंग में CBS ने बाजी मार ली और पहला कलर टेलीविजन सेट बनाया। यह डिवाइस जॉन बेयर्ड के सिस्टम पर आधारित मैकेनिकल टेलीविजन था।
* 1950 में ही जेनिथ रेडियो कॉर्पोरेशन द्वारा पहला रिमोट बनाया गया, जो कि टीवी से एक तार द्वारा जोड़ा गया था। 1955 में युजीन पॉली द्वारा वायरलेस रिमोट तैयार किया गया।
* 1951 में CBS नाम के एक अमेरिकन ब्रॉडकास्टिंग कम्पनी ने पहला कॉमर्शियल कलर टीवी प्रोग्राम चलाया। उस वक्त ब्लैक एंड व्हाइट टीवी होने की वजह से पूरे अमेरिका में इसे सिर्फ 12 ग्राहक ही देख पाए थे।
* सितम्बर 1961 में वॉल्ट डिज्नी के वंडरफुल ‘वर्ल्ड ऑफ कलर’ का प्रीमियर एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ और इसने लोगों को कलर टीवी लेने के लिए प्रेरित किया।
* देश में साल 1965 में न्यूज बुलेटिन के साथ रोजाना 1 घंटे की सर्विस की शुरुआत हुई।
* 1960 और 1970 के दशक में विश्व के ज्यादा क्षेत्रों में टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन और नेटवर्क ब्लैक एंड व्हाइट टीवी से अपग्रेड होकर कलर ट्रांसमिशन पर आ गए।
* 1968 में जापानी टेलीविजन नेटवर्क NHK ने एक नया टेलीविजन स्टैंडर्ड बनाना शुरू किया, जो कि बाद में हाई डेफिनिशन टेलीविजन या HDTV के नाम से जाना गया।
* 1975-76 में देश के बेहद अविकसित और दूरस्थ 2400 गांवों के लोगों के लिए सेटेलाईट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन ऐक्सपैरिमैंट के तहत 1 साल के लिए टेलीविजन प्रोग्राम की शुरुआत की गई।
* 1983 में NHK नेटवर्क ने स्विटजरलैंड में हुई कॉन्फ्रेंस में HDTV को दर्शाया।
* 1982 में भारत में सेटेलाईट के जरिए नेशनल प्रोग्राम, कलर ट्रांसमिशन और नेटवर्किंग शुरू हुई।
*62008 में विश्व का पहला स्मार्ट टीवी बनाया गया
टेलीविजन में अब LCD से लेकर QLED डिस्प्ले का इस्तेमाल हो रहा
1. LCD डिस्प्ले
LCD का फुल फॉर्म लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले होता है। 1982 में सेईको एप्सन (Seiko Epson) ने कलाई पर पहले वाला पहला LCD टेलीविजन डिस्प्ले तैयार किया था। उसी वर्ष सिटीजन वॉच ने सिटीजन पॉकेट टीवी 2.7 इंच का रंगीन LCD टीवी पेश किया, जो पहला कॉमर्शियल TFT LCD डिस्प्ले था। LCD में कलर को आंखों तक पहुंचाने के लिए लिए डिस्प्ले के पीछे नॉर्मल फ्लोरोसेंट लाइटिंग का इस्तेमाल किया जाता है। जिसे हम CCFL कहते हैं जो कि पूरे पैनल में पीछे की तरफ लगी होती हैं। टीवी ऑन करते ही यह CCFL चमकने लगता है जिसके बाद हमें टीवी पर वीडियो दिखने लगता है।
2. LED डिस्प्ले
LED TV लो बजट की होती हैं और हर साइज में मिल जाती हैं। इसी बेस लेवल की TV है, जो हर घर में पाई जाती है। LED TV में कलर भी अच्छे होते हैं और व्यूइंग ऐंगल भी बढ़िया होते हैं। मतलब कि अगर आप ठीक TV के सामने न भी बैठें और साइड में बैठकर TV देखें तब भी पिक्चर और कलर वैसे के वैसे ही नजर आते हैं। ब्राइटनेस लेवल और साउन्ड आउटपुट तो अलग-अलग TV मॉडल के लिए अलग-अलग होते हैं। मगर LED TV का कॉन्ट्रास्ट इतना बढ़िया नहीं होता, क्योंकि इसमें हमेशा एक बैकलाइट जलती रहती है, जिसकी वजह से ब्लैक कलर में भी थोड़ी व्हाइटनेस रहती है।
3. OLED डिस्प्ले
TV में इस समय की सबसे बढ़िया डिस्प्ले टेक्नॉलॉजी OLED है। OLED का मतलब है ऑर्गैनिक लाइट इमिटिंग डायोड (Organic Light-Emitting Diode)। LED-LCD डिस्प्ले के उलट इस डिस्प्ले में हर एक पिक्सल के पास अपनी खुद की लाइट होती है। साथ ही हर एक पिक्सल जरूरत के हिसाब से बंद भी हो सकता है। इसलिए OLED स्क्रीन में डीप ब्लैक मिलता है और बहुत ही शानदार कॉनट्रास्ट मिलता है।
OLED पैनल के ऊपर अंदर से लाइट मारने की जरूरत नहीं होती, इसलिए इनके कलर भी जीवंत होते हैं और इसी वजह से OLED TV बहुत पतली स्क्रीन के साथ आती हैं।
4. QLED डिस्प्ले
OLED बहुत महंगी होती हैं। तो ऐसे में QLED मिडल रेंज वाली है। ये LED से बेहतर है और दाम में OLED से सस्ती है। QLED TV छोटे साइज में नहीं आती। इनका साइज 43-इंच से शुरू होता है और दाम 50,000 रुपए के आस-पास होता है। अलग-अलग ब्रांड के TV मॉडल अलग-अलग फीचर के साथ आते हैं, जिनकी वजह से इनकी कीमत के साथ-साथ इनकी पिक्चर क्वॉलिटी में भी फर्क होता है। QLED का मतलब है Quantum dot (क्वांटम डॉट) LED। ये LED स्क्रीन की ही तरह हैं बस इनमें एक चीज एक्स्ट्रा है। पीछे लगी हुई LED बैकलाइट और आगे लगे हुए LCD पैनल के बीच में नैनो पार्टिकल की एक लेयर लगाई जाती है, जिसे क्वांटम डॉट फिल्टर कहते हैं। इसकी वजह से स्क्रीन में ज्यादा अच्छे कलर और ज्यादा अच्छा कॉनट्रास्ट मिलता है।
दूरदर्शन का अंतर्राष्ट्रीय प्रसारण
डीडी इंडिया उपग्रह चैनल का प्रसारण 146 देशों में किया गया है। यूके में, यह स्काई सिस्टम के चैनल 833 पर यूरोबर्ड उपग्रह के माध्यम से उपलब्ध था, इसका लोगो Rayat TV था। स्काई डिजिटल के माध्यम से ट्रांसमिशन जून 2008 में समाप्त हो गया, परंतु जुलाई 2008 में संयुक्त राज्य में DirecTV के माध्यम से इसे पुनः शुरू किया गया।
दूरदर्शन की वर्तमान स्थिति
प्रसार भारती दूरदर्शन का मूल निकाय है, और इसके बोर्ड के सदस्यों को भारत सरकार द्वारा सूचना और प्रसारण मंत्रालय के माध्यम से नियुक्त किया जाता है। सरकार के प्रचार प्रसार के लिए, विशेष रूप से आपातकाल के दौरान, दूरदर्शन का उपयोग किया गया है। 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान, कहानी को रिपोर्ट करने के लिए केवल सरकारी स्रोतों का उपयोग किया गया था।
हमारे दैनिक जीवन पर टेलीविजन का प्रभाव
वर्तमान समाज में, सूचना प्रौद्योगिकी और संचार के इस्तेमाल नें हमारी निर्भरता को मनोरंजन, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, व्यक्तिगत संबंधों, यात्रा आदि के सन्दर्भ में इस पर निर्भर बना दिया है जिसकी वजह से आज हम इसके गुलाम जैसे हो गए हैं. हम पूरी तरह से कह सकते हैं की वर्तमान में सूचन तकनीकी नें पूरे विश्व को अपने हाथों में नियंत्रित कर लिया है.
दूरदर्शन का महत्त्व
टेलीविज़न के आविष्कार ने सूचना के क्षेत्र में एक क्रांति का आगाज़ किया था। दूसरी क्रांति का आगमन उस समय हुआ, जब वैश्विक स्तर पर टेलीविज़न के महत्व के बारे में लोगों को पता चला और लोगों ने इसे स्वीकार कर लिया। चूँकि मिडिया ने वर्तमान में हमारे जीवन में इतना अधिक हस्तक्षेप कर दिया है कि हमें इसके महत्व के बारे में काफ़ी जानकारी नहीं मिल पाती। वर्तमान में हम इसके महत्व को नकार नहीं सकते। हमें इसके महत्व को समझते हुए इसका व्यापक इश्तेमाल करना चाहिए ताकि मीडिया के सूचना से सम्बंधित दुरुपयोग को रोका जा सके। साथ ही इसके प्रभाव को कम किया जा सके।
दूरदर्शन के बारे में महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान तथ्य
* दूरदर्शन की देश में महानगरों में शुरुआत: दिल्ली (09 अगस्त 1984), मुम्बई (01 मई 1985), चेन्नई (19 नवम्बर 1987), कोलकाता (01 जुलाई 1988)
* 26 जनवरी 1993: मेट्रो चैनल शुरू करने के लिए एक दूसरे चैनल की नेटवर्किंग हुई।
* 14 मार्च 1995: अंतर्राष्ट्रीय चैनल डीडी इंडिया की शुरूआत हुई।
* 23 नवम्बर 1997: प्रसार भारती का गठन (भारतीय प्रसारण निगम) हुआ।
* 18 मार्च 1999: खेल चैनल डीडी स्पोर्ट्स की शुरूआत हुई।
* 26 जनवरी 2002: संवर्धन/सांस्कृतिक चैनल की शुरूआत हुई।
* 03 नवम्बर 2002: 24 घण्टे के समाचार चैनल डीडी न्यूज की शुरूआत हुई।
* 16 दिसम्बर 2004: निशुल्क डीटीएच सेवा डीडी डाइरेक्ट की शुरूआत हुई।
जब लोगों के हाथ में मोबाइल नहीं था, उसके पहले यदि किसी के घर में टीवी आता था तो आस-पड़ोस तो क्या, सारा मोहल्ला उस टीवी देखने पहुंच जाता था। आज हाल ये है कि हम जहां चाहें, जब चाहें टीवी देख सकते हैं। यही वह टीवी थी जिसके सामने लोग रामायण देखने से पहले अगरबत्ती भी लगाते थे।