दुनियाभर में आत्महत्या के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में कई लोग स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी बीमारियों का शिकार हो जाते हैं. ऐसे में ज्यादातर लोग जिंदगी से हार मानकर मौत को गले लगा लेते हैं. हालांकि सुसाइड के बढ़ते केसेस को रोकने के लिए हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World suicide prevention day) के रूप में मनाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार हर साल लगभग 8 लाख लोग सुसाइड के जरिए अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. वहीं सुसाइड करने वाले लोगों की फेहरिस्त में ज्यादातर युवा शामिल हैं. जिनकी उम्र 15 से 29 साल के बीच होती है. ऐसे में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की प्रासांगिकता और बढ़ जाती है. तो आइए जानते हैं वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे के बारे में विस्तार से….
दुनिया भर में आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या को रोकने और इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम संघ (IASP) द्वारा 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। इस साल रविवार, 10 सितम्बर 2023 को 21वां आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जा रहा है। डब्ल्यूएचओ की मानें तो भारत में हर साल तकरीबन 1 लाख़ लोग खुदकुशी कर लेते हैं, बेरोजगारी, गरीबी, कर्ज तथा देश में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी होना इसका मुख्य कारण हो सकता है। यहाँ हम आपको आत्महत्या निषेध दिवस कब मनाया जाता है? इसका महत्व और इसके बचाव के लिए कुछ प्रेरक बातें साझा करने जा रहे है।
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के बारे में जानकारी
नाम : विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day)
पहली बार : वर्ष 2003 में
तिथि :10 सितंबर (वार्षिक)
उद्देश्य : आत्महत्या की बढ़ती संख्या को रोकने तथा इसके प्रति लोगों को जागरूक करना।
थीम : क्रिएटिंग होप थ्रू एक्शन
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की शुरूआत कब हुई? (इतिहास)
हर साल 10 सितंबर को दुनिया भर में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) मनाया जाता है, इसकी शुरूआत वर्ष 2003 में इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रीवेंशन (IASP) ने वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (WHO) और वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ (WFMH) के साथ मिलकर की थी। इसका पहला साल सफल होने के बाद 2004 में WHO औपचारिक तौर पर इसका सह-प्रायोजक बना और इसे एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में पहचान मिली। वर्ष 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक ख़ुदकुशी करने वाले ज्यादातर लोगों की उम्र 15 से 29 वर्ष के बीच बताई गई है, और इसके साथ ही इनमें से ज्यादातर लोग निम्न और मध्यमवर्गीय देशों से है जिनकी प्रति व्यक्ति आय बहुत ज्यादा कम हैं।
वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे क्यों मनाया जाता है?
वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे मनाने का मुख्य उद्देश्य आत्महत्या के बारे में जागरूकता बढ़ाना और वैश्विक स्तर पर सुसाइड और इसके प्रयासों की संख्या को कम करना है। इसके साथ ही इसे रोकने के लिए निवारक उपायों को बढ़ावा देना भी इसका मकसद है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार हर सेकंड कोई ना कोई व्यक्ति ख़ुदकुशी करने की कोशिश करता है, और हर 40 सेकंड में कोई ना कोई व्यक्ति अपनी जान का स्वयं दुश्मन बन बैठता है। इस तरह दुनियाभर में हर साल 7 लाख़ से ज्यादा लोग सुसाइड कर लेते है।ऐसे में यह दिवस आत्मघाती विचारों से मुकाबला कर अपनी और दूसरों की सहायता कर उन्हें इससे बाहर निकालकर इन आंकड़ो को कम या खत्म करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हैं।
वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे का उद्देश्य
वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे के माध्यम से निम्नलिखित मुख्य उद्देश्य होते हैं:
आत्महत्या की रोकथाम: इस दिन का मुख्य उद्देश्य यह है कि लोगों को आत्महत्या की रोकथाम में सहयोग करने और इसे रोकने के तरीकों के बारे में जागरूक किया जाए।
मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता: इस दिन के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को बढ़ावा दिया जाता है और यह बताया जाता है कि मानसिक स्वास्थ्य की सही देखभाल और समर्थन कितना महत्वपूर्ण है।
सामाजिक समर्थन: इस दिन का माध्यम से लोगों को सामाजिक समर्थन और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता के बारे में जागरूक किया जाता है, ताकि वे आत्महत्या से पीड़ित व्यक्तिओं को सही समय पर सहायता प्रदान कर सकें।
आत्महत्या के प्रभाव: इस दिन के माध्यम से आत्महत्या के प्रभाव को समझाया जाता है, जैसे कि इसके परिवार और समुदाय पर क्या प्रभाव पड़ता है।
सामाजिक संवाद: यह एक मानवाधिकार और सामाजिक संवाद का माध्यम भी होता है, जिसमें लोग आत्महत्या और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करते हैं और समाज में जागरूकता फैलाते हैं।
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 2023 की थीम
हर साल वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे एक ख़ास विषय पर आधारित होता है, संगठन ने 2021-2023 के कार्यक्रम की Theme “क्रिएटिंग होप थ्रू एक्शन” घोषित की है। इसलिए इस साल विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 2023 की थीम ‘कार्रवाई के माध्यम से आशा पैदा करना’ (Creating Hope Through Action) है। इससे पहले World Suicide Prevention Day 2018, 2019 और 2020 की Theme “Working Together to Prevent Suicide” (आत्महत्या को रोकने के लिए एक साथ काम करना) थी।
कैसे मनाते है आत्महत्या रोकथाम दिवस?
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के मौके पर लोगों को ख़ुदकुशी करने से रोकने और आत्मघाती विचारों से मुकाबला करने के लिए विभिन्न अभियान और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते है। इसकी शुरूआत के बाद से ही इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रीवेंशन (IASP) हर साल इस ख़ास दिन पर 60 से अधिक देशों में आत्महत्या को रोकने के लिए सैकड़ों कार्यक्रम आयोजित करता है। यह दिवस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खास थीम के साथ मनाया जाता है ताकि दुनिया भर के लोगों को इसके बारे में जागरूक किया जा सके और उन्हें इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा सके।
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस को मनाने के लिए निम्नलिखित कुछ तरीके हैं:
सेमिनार: स्थानीय समुदायों और संगठनों को मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या के विषय में जागरूक करने के लिए सेमिनार और समागम आयोजित करने का विचार रखा जा सकता है। यहाँ पर मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों और अन्य विशेषज्ञों की सलाह और मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सकता है।
एजुकेशनल प्रोग्राम: स्कूल, कॉलेज, और अन्य शैक्षिक संस्थानों में आत्महत्या पर जागरूकता फैलाने के लिए शिक्षात्मक कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं। छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में शिक्षा दी जा सकती है।
सामाजिक मीडिया कैंपेन: आत्महत्या पर जागरूकता फैलाने के लिए वीडियो, पोस्टर, और सामाजिक मीडिया कैंपेन चलाए जा सकते हैं। इसके माध्यम से लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूक किया जा सकता है।
साझा कहानियां: आत्महत्या के बारे में सफल उदाहरण और प्रेरणादायक कहानियों को साझा करना भी लोगों को सहायता प्रदान कर सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ: आत्महत्या के विचारों से प्रभावित लोगों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना भी एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
स्वयंसेवा: आप अपने समुदाय में आत्महत्या पर जागरूकता फैलाने के लिए स्वयंसेवा कर सकते हैं, अपने साथी लोगों के साथ बात कर सकते हैं, और उन्हें सहायता प्रदान कर सकते हैं।
आत्महत्या से जुड़े कुछ आंकड़ें
विश्व और भारत में आत्महत्या से जुड़े कुछ आंकड़ें कुछ इस प्रकार हैं –
* दक्षिण कोरिया में वर्तमान में दुनिया भर के किसी भी देश की तुलना में आत्महत्या की दर सबसे अधिक है। दक्षिण कोरिया में महिलाओं में आत्महत्या की दर किसी भी अन्य देश की महिलाओं की तुलना में काफी अधिक है। फिर भी, आत्महत्या आमतौर पर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक प्रचलित है।
* किशोर आत्महत्या हमेशा एक गंभीर और कठिन विषय है। एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 30 प्रतिशत महिला हाई स्कूल छात्रों ने पिछले वर्ष 14 प्रतिशत पुरुष छात्रों की तुलना में आत्महत्या का प्रयास करने पर गंभीरता से विचार किया था। संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रति 100,000 जनसंख्या पर किशोरों में औसतन लगभग 11 आत्महत्याएँ होती हैं। किशोर आत्महत्या की उच्चतम दर वाले राज्यों में इडाहो, कोलोराडो और यूटा शामिल हैं।
* राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े देखें तो जहां 2020 में देशभर में कुल 12,526 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की, वहीं 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 13,089 हो गया।
* आत्महत्या करने वाले विद्यार्थियों में 56.54 फीसद लड़के और 43.49 फीसदी लड़कियां थीं।
* अठारह साल से कम आयु के 10,732 किशोरों में से 864 ने तो परीक्षा में विफलता के कारण मौत को गले लगा लिया।
आत्महत्या से जुड़े कुछ तथ्य
आइये जानते हैं आत्महत्या से जुड़े कुछ तथ्य –
* आत्महत्या रोकी जा सकती है. अधिकांश आत्मघाती व्यक्ति सख्त तौर पर जीना चाहते हैं; वे अपनी समस्याओं का विकल्प देखने में ही असमर्थ हैं।
* अधिकांश आत्मघाती व्यक्ति अपने आत्मघाती इरादों के बारे में निश्चित चेतावनियाँ देते हैं, लेकिन अन्य लोग या तो इन चेतावनियों के महत्व से अनजान होते हैं या नहीं जानते कि उन पर कैसे प्रतिक्रिया दी जाए।
* आत्महत्या के बारे में बात करने से कोई व्यक्ति आत्महत्या के लिए प्रेरित नहीं होता।
* आत्महत्या सभी उम्र, आर्थिक, सामाजिक, नस्लीय और जातीय सीमाओं के पार होती है।
* आत्मघाती व्यवहार जटिल है और किसी व्यक्ति द्वारा अनुभव की जा रही किसी एक समस्या की प्रतिक्रिया नहीं है। कुछ जोखिम कारक उम्र, लिंग या जातीय समूह के साथ भिन्न होते हैं और समय के साथ संयोजन या परिवर्तन में हो सकते हैं।
* जीवित परिवार के सदस्यों को न केवल आत्महत्या के कारण किसी प्रियजन को खोने का सदमा झेलना पड़ता है, बल्कि वे स्वयं भी आत्महत्या और भावनात्मक समस्याओं के लिए अधिक जोखिम में हो सकते हैं।
आत्महत्या करने के लक्षण और बचाव क्या है?
रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 81% सुसाइड करने वाले लोग कुछ ऐसे संकेत जरूर देते हैं जिन्हें हमें समझ जाना चाहिए।
ये है कुछ ऐसे ही सवाल: कोई व्यक्ति इस दौर से गुजर रहा है तो लोग इस तरह की बातें करते हैं।
* मेरे जाने के बाद आपको दुख होगा?
* क्या आप मेरे बिना जी लेंगे?
* मुझे जीने की कोई इच्छा नहीं है!
* मुझे कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा।
लक्षण: यदि कोई व्यक्ति इस दौर से गुजर रहा है तो उसमें निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं।
* वह अचानक नशे की मात्रा बढ़ा देते हैं।
* मरने की बातें बार-बार करते हैं।
* आत्मग्लानि की बातें करते हैं।
* वे अक्सर उदास या गुमसुम रहने लगते हैं।
* लापरवाही बरतते हैं और खुद की जान हमेशा जोखिम में डालने लगते हैं।
ऐसे में हमें समझ जाना चाहिए और उनसे खुलकर बात करनी चाहिए। जब वह आपको अपनी फिलिंग्स के बारे में बताना शुरू करे तो यह जरूरी है कि आप उसे ध्यान से सुने।
इस दौरान कोई भी नकारात्मक बात ना करें और सकारात्मकता से उसे समझाने और उसकी समस्या का समाधान करने का प्रयास करें। ऐसे व्यक्ति को कभी भी अकेला ना छोड़ें।
आत्महत्या का मुख्य कारण क्या है?
वैसे तो आत्महत्या मनोवैज्ञानिक, संस्कृतिक, अनुवांशिक, सामाजिक और कई अन्य जोखिमों के अभिसरण का परिणाम होता है। परंतु हर साल खुदकुशी करने वाले लाखों लोग अलग-अलग कारणों से मौत को अपने गले लगाते हैं। इसके कुछ सामाजिक कारकों में घरेलू झगड़े, कर्ज, गरीबी, बेरोजगारी, दहेज, प्रेम संबंध, तलाक, अनुचित गर्भधारण, विवाहेतर संबंध, वैवाहिक अड़चन या शैक्षिक समस्या हो सकती है। वैसे तो खुदकुशी करने वाले लोगों इसके लिए कई अलग-अलग तरीके तलाशते हैं परंतु अधिकतर मामलों में यह देखा गया है कि लोग अपनी जीवन लीला समाप्त करने के लिए ज्यादातर फांसी, जहरीला पदार्थ और धारदार चीज या बंदूक का इस्तेमाल करते हैं।
जीवन एक अनमोल दीपक की तरह है, इसे बुझाने का हक किसी को नहीं होता। हर मुसीबत का समाधान मिलता है, सिर्फ सही दिशा में देखने की आवश्यकता होती है।आत्महत्या से कभी कोई समाधान नहीं होता, बल्कि समस्याओं का समाधान हो सकता है। आत्महत्या करने से पहले एक बार अपने आप को और मौका दीजिए, शायद आपको नई दिशा मिल जाए। हर चुनौती का सामना करना जीवन है, सुसाइड नहीं। जीवन का हर दिन एक नया संघर्ष लिए होता है, और हर संघर्ष की एक नयी सफलता हो सकती है। हमारे जीवन में सुख-दुख के पल होते हैं, परिस्थितियों का बदलाव हो सकता है। समस्याओं से भागने की बजाय, उनका सामना करने का साहस दिखाइए। जब जीवन भारी लगे, सहायता के लिए हाथ बढ़ाइए। किसी से की हुई एक बातचीत भी बड़े फर्क ला सकती है। आत्महत्या एक गंभीर विषय है, इसमें संवाद की आवश्यकता हो सकती है। ये आत्महत्या को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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