चाहें आप किसी भी जाति, धर्म, लिंग, गरीब हो या अमिर हो न्याय सभी के लिए एक बराबर होना चाहिए, ये एक अधिकार है जो अपने प्रति सभी को एक भी नजर से देखता है। सामाजिक न्याय के प्रति दुनिया के सभी लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष सामाजिक न्याय दिवस मनाया जाता है। इस दिवस सबसे पहले वर्ष 2009 में मनाया गया था और तब से आज तक लागातार मनाया जाता है। उस हिसाब से देखा जाए तो इस वर्ष यानी 2023 में 15वां विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाया जा रहा है। जिसे प्रतिवर्ष के नई थीम यानी विषय के साथ मनाया जाता है। इस साल इस दिवस को मनाने के लिए “सामाजिक न्याय के लिए बाधाओं पर काबू पाना और अवसरों को उजागर करना” थीम को तय किया गया है। विश्व सामाजिक न्याय दिवस को मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य किसी भी प्रकार के भेदभाव को खत्म करके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सभी को साथ लाकर एक एकिकृत समाज का निर्माण करना है। इस दिवस के माध्मय से स्कूलों, कॉलेजों के साथ-साथ कार्यालयों और अन्य स्थानों के लोगों सामाजिक न्याय को लेकर जागरूकता पैदा करना है, जिसके लिए कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। आइए आपको बताएं इस दिवस के 20 फरवरी को क्यों मनाया जाता है, इसका इतिहास और महत्व और क्या है?
दुनिया में लोगों के बीच कई तरह के भेदभाव पैदा हो रहे हैं, जो कि लोगों के बीच एक दूरी का कारण बन गया हैं. इन भेदभाव के कारण कई लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वहीं दुनिया में इस तरह की बुराइयों को खत्म करने के लिए हर साल ‘विश्व सामाजिक न्याय दिवस’ मनाया जाता है. इस दिवस को कई उद्देश्यों को प्राप्त करने के मकसद के लिए बनाया गया है. इस दिवस के दिन कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करके लोगों को जागरूक किया जाता है. ये दिवस मुख्य तौर से नस्ल, वर्ग, लिंग, धर्म, संस्कृति, भेदभाव, बेरोजगारी से जुड़ी हुई कई समस्याओं को हल करने के उद्द्श्ये से हर साल मनाया जाता है. दुनिया से बुराइयों को ख़त्म करने के लिए विश्व सामाजिक न्याय दिवस की शुरुआत की गई है. इसकी शुरुआत कब हुई और कब ये दिन मनाया जाता है. इसकी पूरी जानकारी आपको हम यहां दे रहे हैं. आइये जानते हैं इसके बारे में पूरी जानकरी।
विश्व सामाजिक न्याय दिवस के बारे में जानकारी
नाम – विश्व समाजिक न्याय दिवस
कब मनाया जाता है – 20 फरवरी
शुरुआत कब हुई – 2009 में
घोषणा की गई – 2007 में
विषय 2023 – “सामाजिक न्याय के लिए बाधाओं पर काबू पाना और अवसरों को उजागर करना”
विश्व सामाजिक न्याय दिवस कब मनाया जाता है
हर साल 20 फरवरी के दिन ये दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा साल 2007 में इस दिन को मनाने की घोषणा की गई थी।
विश्व सामाजिक न्याय दिवस का इतिहास
साल 1995 में कोपेनहेगन, डेनमार्क में सोशल डेवलपमेंट के लिए विश्व शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था. इस शिखर सम्मेलन में 100 से अधिक राजनीतिक नेताओं ने गरीबी, पूर्ण रोजगार के साथ-साथ लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का लक्ष्य रखा था. इसके अलावा समाज के लिए कार्य करने के लक्ष्य को हासिल करने का उद्देश्य भी इस आयोजन में रखा गया था. जिसके बाद साल 26 नवंबर, 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने कोपेनहेगन में हुए इस शिखर सम्मेलन के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस के रूप में नामित किया था. वहीं साल 2009 में सबसे पहले इस दिन को पूरे विश्व में मनाया गया था।
20 फरवरी को क्यों मनाया जाता है विश्व सामाजिक न्याय दिवस
अमेरिका में श्वेत अश्वेत का भेदभाव खत्म करने के लिए सबसे पहले आंदोलन कि शुरुआत वर्ष 1950 से 60 के बीच की गई थी। यहां से आप समझ पाएंगे कि विश्व के हर देश में रहने वाले लोगों ने एक समय पर किसी न किसी प्रकार से भेदभाव सहा है, जिसे खत्म करने के लिए और लोगों में सामाजिक न्याय को लेकर जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए ये दिवस महत्वपूर्ण है। लेकिन इस दिवस की शुरुआत कैसे हुई और किस प्रकार ये अस्तित्व में आया ये सभी के लिए जानना आवश्यक है। तो आपको बता दें कि वर्ष 1995 में डेनमार्क में स्थित कोपेनहेगन में सर्वप्रथम समाजिक विकास के लिए एक सम्मेलन का आयोजन किया गया था। जो बाद में कोपेनहेगन घोषणा और कार्य योजना के रूप में सामने लाया गया। इस सम्मेलन में 100 से अधिक राजनीतिक नेता शामिल हुए थे, जिन्होंने गरीबी उन्मूलन, रोजगार प्रदान करने और सुरक्षित और न्यायपूर्ण समाज को बनाने का एक संकल्प लिया। 2005 में कोपेनहेगन घोषणा और कार्य योजना की समीक्षा की गई। इसके दो साल बाद ही यानी की वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सामाजिक न्याय की भावना और आवश्यकता को समझा और 26 नवंबर 2007 को आधिकारिक घोषणा की और कहा कि महासभा के 60वें सत्र से शुरू होकर 20 फरवरी को विश्व समाजिक न्याय दिवस मनाया जाएगा। 10 जून 2008 को अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा निष्पक्ष वैश्वीकरण के लिए सामाजिक न्याय पर आईएलओ की घोषणा को अपनाया और उसके बाद 20 फरवरी 2009 को पहला विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाया गया और आज तक लागातार मनाया जा रहा है।
विश्व समाजिक न्याय दिवस का उद्देश्य
विश्व समाजिक न्याय दिवस को मानाने का उद्देश्य सतत विकास की प्राप्ती करना है, रोजगार के अच्छे अवसरों को बढ़ावा देना है, रोजगार में लिंग भेदभाव की स्थिति को कम करना है, गरीबी उन्मूलन, सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा, लैंगिक समानता प्रदान करना और सामाजिक भलाई के लिए कार्य कर सभी को न्याय दिलवाना है। न्याय सभी के लिए समान होना चाहिए और इसमें किसी भी प्रकार की भेदभाव की स्थिति न हो इस बात की भी खास ख्याल रखा जाता है। भारत में कई हर रंग, धर्म और जाति के व्यक्ति रहते हैं, लेकिन भारतीय संविधान के माध्यम से सभी को समान अधिकार प्राप्त है और संविधान की प्रस्तावना के अनुसार भारत के सभी नागरिकों के लिये राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक न्याय के साथ स्वतंत्रता के सभी रूप शामिल हैं। ताकि भारत को एक आदर्श समाज के रूप में व्यक्त किया जा सकें और सभी लोगों यहां शांतिपूर्ण ढंग से रह सकें।
विश्व सामाजिक न्याय दिवस का लक्ष्य
विश्व सामाजिक न्याय दिवस के उद्देश्यों को पूरा करने के मकसद से संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय श्रम कार्यालय एक साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय श्रम कार्यालय द्वारा लोगों के बीच इस दिन के महत्व को फैलाने के लिए कई कार्य किए जा रहे हैं. वहीं हर साल दुनिया के लगभग हर देश में विश्व सामाजिक न्याय दिवस को मनाया जाता है और इसके प्रति अपने देश के लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने का कार्य किया जाता है।
विश्व सामाजिक न्याय दिवस विषय 2023
प्रतिवर्ष 20 फरवरी को विश्व सामाजिक दिवस को एक थीम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व सामाजिक दिवस 2023 की थीम “सामाजिक न्याय के लिए बाधाओं पर काबू पाना और अवसरों को उजागर करना” तय कि गई है। इस थीम तय किए जाने के पीछे का उद्देश्य समानता और गैर-भेदभावपूर्ण औपचारिक रोजगार के अवसरो को पैदा करना है। इस समय के सभी संकटों को ध्यान में रखते हुए समाजिक न्याय के लिए के एक गठबंधन बनाने के साथ हरित, डिजिटल और देखभाल अर्थव्यवस्था और युवा लोगों पर विशेष ध्यान देने के साथ अच्छी नौकरियों में अधिक निवेश करने के कई अवसरों को शामिल किया गया है। सन 2022 में विश्व सामाजिक न्याय दिवस का विषय ‘अचीविंग सोशल जस्टिस थ्रू फॉर्मल एम्प्लॉयमेंट’ है जिसका मतलब है औपचारिक रोजगार के माध्यम से सामाजिक न्याय प्राप्त करना. साल 2018 के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व सामाजिक न्याय दिवस के लिए जो विषय चुना गया है, वो है ‘वर्कर ऑन द मूव: द क्वेस्ट फॉर सोशल जस्टिस’. इस विषय के जरिए दूसरे देशों से अन्य देशों में कार्य करने आए लोगों के साथ सामाजिक न्याय करने की पहल संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई है. अंतर्राष्ट्रीय श्रम कार्यालय के अनुसार इस वक्त करीब 25 करोड़ लोग दूसरे देशों में जाकर बसे हुए हैं, जिनमें से लगभग 15 करोड़ प्रवासी लोग कार्य कर रहे हैं. दूसरे देश में कार्य कर रहे इन 15 करोड़ लोगों के ऊपर ही इस साल का विश्व सामाजिक न्याय का विषय रखा गया है।
पीछले कुछ सालों की विश्व सामाजिक दिवस की थीम
2022 – औपचारिक रोजगार के माध्यम से सामाजिक न्याय प्राप्त करना
2021 – डिजिटल अर्थव्यवस्था में सामाजिक न्याय के लिए आह्वान
2020 – सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिए असमानता की खाई को पाटना
2019 – यदि आप शांति और विकास चाहते हैं, तो सामाजिक न्याय के लिए कार्य करें।
2018 – वर्कर्स ऑन द मूव: द सर्च फॉर सोशल जस्टिस
2017 – सभ्य कार्य के माध्यम से संघर्ष को रोकना और शांति बनाए रखना
2016 – एक न्यायोचित संक्रमण – पर्यावरण की दृष्टि से स्थायी अर्थव्यवस्थाएं और समाज।
विश्व सामाजिक न्याय दिवस भारत में
भारत सरकार ने कई ऐसे आयोगों का गठन किया है जो कि सामाजिक न्याय के हितों के लिए कार्य करते हैं. भारत के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा कई योजनाओं की मदद से भी लोगों की सहायता की जाती है. वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से लकेर राष्ट्रीय महिला एवं बाल विकास आयोग जैसे सराकरी संगठन दिन रात हमारे समाज से भेदभाव,बेरोजगारी और बच्चों की सुरक्षा के लिए कार्य कर रहे हैं. वहीं 20 फरवरी के दिन इन संगठनों द्वारा कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है. इसके अलावा स्कूल में भी इस दिन को लेकर कई तरह की प्रतियोगिता बच्चों के बीच रखी जाती है. जैसी की निंबध लिखना, इस दिन को चित्र के जरिए समझाना और इत्यादि।
विश्व सामाजिक न्याय दिवस भारत द्वारा उठाये गये कदम
भारत के सविधान को बनाते समय देश में सामाजिक न्याय का खासा ध्यान रखा गया था. वहीं इस वक्त हमारे देश के सविधान में कई ऐसा प्रावधान मौजूद हैं, जो कि सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं. वहीं सुंयक्त राष्ट्र के साथ कदम से कदम मिलाकर भारत सरकार सामाजिक न्याय के लिए कई कार्य कर रही है. भारत देश में कई तरह की जाति के लोग मौजूद हैं, इसके अलावा हमारे देश में कई ऐसी प्रथाएं हैं जो की सामाजिक न्याय के लिए खतरा हैं और इन्हीं चीजों से लड़ने के लिए भारत ने कई महत्वपूर्ण कार्य भी किए हैं।
भारत में सामाजिक न्याय की आवश्यकता
भारत सरकार द्वारा हमारे देश से गरीबी, बेरोजगारी, लोगों के बीच असमानता जैसी चीजों को खत्म करने की काफी जरूरत है. वहीं हमारी सरकार द्वारा इन चीजों को खत्म करने के लिए कई कोशिशें की जा रही हैं. लेकिन अभी भी हमारे देश में इन समस्याओं से पूरी तरह से निपटा नहीं गया है. वहीं इस दिवस के मकसद से भारत सरकार लोगों को शिक्षा का महत्व, भेदभाव नहीं करने जैसी चीजों के बारे में जागरूक करने में लगी हुई है और उम्मीद है कि आनेवाले सालों में भारत सरकार अपने इन लक्ष्यों में कामयाब हो जाएगी।
राष्ट्रीय सामाजिक न्याय दिवस
जिस तरह से पूरे विश्व में 20 फरवरी को सामाजिक न्याय मनाया जाता है. ठीक उसी तरह भारत सरकार 25 सिंतबर को भी ये दिवस मनाती है. हर साल इस दिन हमारे देश में राष्ट्रीय सामाजिक न्याय दिवस मनाया जाता है. जिसके उद्देश्य विश्व सामाजिक न्याय से मिलते जुलते ही हैं।
विश्व सामाजिक न्याय दिवस : टाइमलाइन
* 1950 से 60 के दशक के बीच नागरिक अधिकारों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में एक आंदोलन शुरू किया गया था। ये आंदोलन अश्वेत अमेरिकियों को समान अधिकार प्रदान किए जाने को लेकर किया गया था।
* वर्ष 1961 में राष्ट्रपति जॉन एफ फैनेडी ने सामाजिक न्याय के लिए एक सकारात्मक कार्यवाई करने के लिए हस्ताक्षर किए।
* वर्ष 1990 में अमेरिका में विकलांग अधिनियम लागू किया गया। जिस पर राष्ट्रपति जॉन एच डब्ल्यू बुश द्वारा हस्ताक्षर किए गए थें।
* 1995 में डेनमार्क में स्थित कोपेनहेगन में समाजिक विकास को लेकर एक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
* 2007 में संयुक्त महासभा ने अपने 60वें सत्र की शुरुआत से 20 फरवरी तक के सामाजिक न्याय दिवस को मनाने की घोषणा की।
* वर्ष 2009 में पहला विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाया गया था और तब से इस दिवस को प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
विश्व सामाजिक न्याय दिवस का महत्त्व इसीलिए भी है की, इस दिन लोगों को विश्व में जन्म ले रही मानवीय भेदभाव को लोगों के सामने लाया जाता है। जिसकी वजह से हमारा समाज गर्त में जा रहा है। इसीलिए इस भेदभाव के बारे में लोगो को जागरूक करना बहुत जरूरी है। जिससे यह भेदभाव जैसी सामाजिक बुराई को खत्म किया जा सके।