भारत में रेडियो का चलन बरसों पुराना है. प्राचीन समय में रेडियो एक ऐसा यंत्र था, जिसे लोग बहुत सी चाव से सुना करते थे. क्योकि इसके माध्यम से लोगों तक देश और दुनिया की खबरें पहुंचाई जाती थी. साथ ही यह उस समय के लोगों के लिए मनोरंजन का साधन भी था. आज के समय में भी यह रेडियो लोगों के जीवन का एक हिस्सा बना हुआ है. इसके चलते मन की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संचालित रेडियो शो भी सन 2014 से शुरू हुआ है, जिसमें लोग मोदी जी के वचनों को सुनने है. समय के साथ-साथ रेडियो द्वारा दी जाने वाली सेवाओं में भी कई परिवर्तन आए है, जैसे अब रेडियो ब्रॉडबैंड, मोबाइल और टेबलेट के जरिये भी आसानी से उपलब्ध है. रेडियो की इन विशिष्टताओं के चलते पूरे विश्व में 13 फरवरी के दिन वर्ल्ड रेडियो दिवस का ऐलान किया गया है. पूरे विश्व में मनाए जाने वाले इस दिन के बारे में विस्तृत जानकारी जैसे यह कब शुरू हुआ, विभिन्न वर्षो में इसकी क्या विषय थी, यह कैसे मनाया जाता है, आदि के संबंध में नीचे बताया गया है।
कम्युनिकेशन यानि संवाद का हमारे समाज और देश के विकास के लिए उतना ही महत्त्व है जितना पेड़ पौधों के लिए खाद और पानी का| संवाद के बिना हम व्यक्ति, समाज और देश के आगे बढ़ने की कल्पना भी नहीं कर सकते| संवाद का ही एक ऐसा सशक्त माध्यम है रेडियो, जिसकी देश और दुनिया को एक दूसरे से जोड़ने में अहम् भूमिका रही है| संवाद के दूसरे साधन जहाँ नहीं पहुँच पाते, वहां भी अपने शुरूआती समय से ही रेडियो दुनिया को सन्देश पहुंचाने का काम करता रहा है| रेडियो के योगदान और इसकी भूमिका को याद करने के लिए एक दिन विश्व रेडियो दिवस के रूप में मनाया जाता है| आइये जानते हैं विश्व रेडियो दिवस कब मनाया जाता है और क्या है इस साल की थीम:
विश्व रेडियो दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
रेडियो दिवस प्रति वर्ष 13 फरवरी को मनाया जाता है| रोजमर्रा की जिंदगी में संचार के इस शक्तिशाली माध्यम रेडियो के योगदान को याद करने के लिए विश्व रेडियो दिवस मनाते हैं|
विश्व रेडियो दिवस का इतिहास
वर्ष 2010 में स्पैनिश रेडियो अकादमी की पहल के बाद विश्व रेडियो दिवस मनाने की चर्चा शुरू हुई| सयुंक्त राष्ट्र ने सदस्य देशों को रेडियो को समर्पित इस दिन पर विचार करने को कहा| इसके बाद यूनेस्को ने पेरिस में आयोजित 36वें सम्मेलन के दौरान 03 नवंबर 2011 को इस दिन को स्वीकार कर लिया और विश्व रेडियो दिवस मनाने के लिए 13 फरवरी का दिन तय किया गया| 13 फरवरी को ही वर्ष 1946 में सयुंक्त राष्ट्र का यूएनओ रेडियो स्टेशन स्थापित हुआ था| 13 फरवरी 2012 को पुरे विश्व में उत्साह, उमंग और जोश के साथ पहला विश्व रेडियो दिवस मनाया गया|
रेडियो का अविष्कार
रेडियो तरंगों को पहली बार 1886 में जर्मन भौतिक विज्ञानी हेनरिक हर्ट्ज द्वारा पहचाना और अध्ययन किया गया था| पहला व्यावहारिक रेडियो ट्रांसमीटर और रिसीवर 1895-1896 के आसपास इटली के गुग्लिल्मो मार्कोनी द्वारा विकसित किए गए थे, और रेडियो का उपयोग 1900 के आसपास व्यावसायिक रूप से किया जाने लगा| उपयोगकर्ताओं के बीच हस्तक्षेप को रोकने के लिए, रेडियो तरंगों के उत्सर्जन को कानून द्वारा विनियमित किया जाता है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) नामक एक अंतरराष्ट्रीय बॉडी द्वारा कोआर्डिनेट किया जाता है, जो विभिन्न उपयोगों के लिए रेडियो स्पेक्ट्रम में फ्रीक्वेंसी बैंड आवंटित करता है|
विश्व रेडियो दिवस 2023 थीम
हर साल को एक अलग ख़ास थीम पर विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है| विश्व के सभी देशों के रेडियो प्रसार को और श्रोताओं को एक मंच पर लाने के मकसद से शुरू की गई यह पहल अपने उद्देश्यों में सफल होती दिख रही है| पिछले साल विश्व रेडियो दिवस 2022 का विषय था “रेडियो एन्ड ट्रस्ट” इस साल 2023 में विश्व रेडियो दिवस की थीम है “Radio and Peace (रेडियो और शांति)” विभिन्न अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों के अनुसार, रेडियो दुनिया में सबसे विश्वसनीय और उपयोग किए जाने वाले मीडिया में से एक बना हुआ है| विश्व रेडियो दिवस 2023 पर, यूनेस्को ने स्वतंत्र रेडियो को युद्ध/संघर्ष की रोकथाम और शांति निर्माण के लिए एक स्तंभ के रूप में उजागर किया है|
विश्व रेडियो दिवस का उद्देश्य
इस दिन को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य लोगों और मीडिया के मध्य रेडियो के महत्व को स्पष्ट करना है. इसके अलावा इसका एक अन्य उद्देश्य विभिन्न निर्माता और निर्णय लेने वाली कंपनीयों को रेडियो की पहुँच के बारे में बताकर उन्हे इसके उपयोग के लिए प्रोत्साहित करना भी है ताकि उनकी बात अधिक जनसमान्य तक पहुँच सके।
भारत में रेडियो का इतिहास
भारत में रेडियो को सबसे पहले मद्रस प्रेसीडेंसी क्लब 1924 में लेकर आया था. क्लब ने 3 साल रेडियो प्रसारण पर काम किया था, लेकिन आर्थिक मुश्किल के चलते 1927 में क्लब ने इसे बंद कर दिया था. इसी साल 1927 में कुछ बोम्बे के व्यापारियों ने भारतीय प्रसारण कंपनी को बोम्बे और कलकत्ता में शुरू किया. ये कंपनी भी 1930 में फ़ैल हो गई और फिर 1932 में भारत सरकार ने इसकी बागडोर अपने हाथों में ले ली और एक अलग से भारतीय प्रसारण सेवा नाम का विभाग आरम्भ कर दिया. 1936 में इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो (AIR) रख दिया गया, जिसे संचार विभाग देखा करता था. AIR को नियंत्रित निर्देशक जनरल करता था, जिसे उप निर्देशक और मुख्य अभियंता मिल कर सहायता करते थे. भारत में रेडियो प्रसारण एक राष्ट्रीय सेवा थी, जिसे भारत सरकार द्वारा बनाया गया था और इसे संचालित किया जाता था. AIR ने इस सेवा को आगे बढाया और पुरे देश में रेडियो प्रसारण के लिए स्टेशन बनवाए. एक बड़े देश के लिए इतनी बड़ी राष्ट्रीय सेवा को देश के हर कोने तक पहूँचाना मुश्किल था, तो इस मुश्किल को दूर करने के लिए स्वतंत्रता के बाद AIR ने अपने अलग – 2 विभाग बना लिए. 1957 में ऑल इंडिया रेडियो का नाम बदलकर ‘आकाशवाणी’ रख दिया गया, जिसे प्रसारण और सूचना मंत्रालय देखने लगा. स्वतंत्रता के समय देश में सिर्फ 6 रेडियो स्टेशन हुआ करते थे, लेकिन 90 के दशक तक रेडियो का नेटवर्क पुरे देश में फ़ैल चूका था और 146 AM स्टेशन बन गए थे. रेडियो के कार्यक्रम अंग्रेजी, हिंदी, क्षेत्रीय और स्थानीय भाषा में आया करते थे. 1967 में देश में व्यावसायिक रेडियो सेवा आरम्भ हुई. इसकी शुरुआत विविध भारतीय और व्यावसायिक सेवा ने मुंबई मुख्यालय से की. 1990 के मध्य तक देश में प्रसारण के 31 AM और FM स्टेशन बन चुके थे. 1994 में देश को जोड़ने के लिए 85 FM और 73 वेव स्टेशन बनाये गए।
भारत में रेडियो की घरेलू सेवाएं
ऑल इंडिया रेडियो की कई भाषाओँ में सेवाएं थी, प्रत्येक देशभर में विभिन्न क्षेत्रों में सेवारत थी।
विविध भारती : विविध भारती, ऑल इंडिया रेडियो की सबसे अच्छी सेवाओं में से एक है. इसका नाम मोटे तौर पर ‘विविध भारतीय’ के रूप में अनुवादित है, और इसे व्यावसायिक प्रसारण सेवा भी कहा जाता है. यह ऑल इंडिया नेटवर्क से व्यावसायिक रूप से सबसे अधिक पहुँच योग्य है, भारत के कई बड़े शहरों में लोकप्रिय है. विविध भारती समाचर, फिल्म संगीत और कॉमेडी कार्यक्रमों सहित कई कार्यक्रमों की पेशकश करते हैं. यह प्रत्येक शहर के लिए विभिन्न मध्यम तरंग बैंड आवृत्तियों पर चल रहा है. विविध भारती में प्रसारित होने वाले कुछ कार्यक्रम इस प्रकार हैं।
हवा महल – रेडियो उपन्यास और नाटकों पर आधारित है।
संतोगें की महफ़िल – कॉमेडी।
ऑल इंडिया रेडियो पर बलूची कार्यक्रम : सूत्रों का दावा है कि ऑल इंडिया रेडियो बलूची भाषा में कार्यक्रम तैयार करने के लिए योजना बना रहा है।
अन्य सेवाएं : इसमें दो सेवाएं और हैं पहली प्राइमरी चैनल और राष्ट्रीय चैनल आदि।
क्षेत्रीय सेवाएं : ऑल इंडिया रेडियो ने 5 क्षेत्रीय मुख्यालय बनाए उत्तर ज़ोन का दिल्ली में, पूर्व ज़ोन का कलकत्ता में, उत्तर-पूर्व ज़ोन का गुवाहाटी में, पश्चिम ज़ोन का मुंबई में और दक्षिण ज़ोन का चेन्नई में. इसके अलावा और भी कई स्थानों पर इसके मुख्यालय हैं और प्रत्येक मुख्यालय में अलग-अलग आवृत्ति का प्रसारण होता था, जोकि इस प्रकार हैं-
उत्तरीय क्षेत्रीय सेवाएं : इसमें शामिल हैं आगरा, अलमोरा, चैरहरा (बडगम, बडगम ए), दिल्ली (सी, डी और राष्ट्रीय चैनल), डिस्कित, जयपुर ए, जम्मू ए, कारगिल (ए, बी), कोटा, लखनऊ (ए, सी), नजीबाबाद, पदम, रामपुर, तिएसुरु, वाराणसी ए, अजमेर, बर्मेर, श्रीनगर (सी), द्रास, जालंधर (ए, बी), जोधपुर ए, कुपवाड़ा, नौशेरा, पुरी, रोहतक, उदयपुर, सवाई माधोपुर, अल्लाहाबाद, बीकानेर, गोरखपुर, कल्पा (किन्नौर), खालसी, लेह, मथुरा, न्योमा, पिथोरागढ़, शिमला, उत्तरकाशी और रायबरेली आदि।
उत्तरपूर्वी क्षेत्रीय सेवाएं : इसमें शामिल हैं अगरतला, शिल्लोंग, गुवाहाटी ए, इम्फाल आदि।
पूर्वी क्षेत्रीय सेवाएं : इसमें शामिल हैं भागलपुर, कट्टैक ए, जमशेदपुर, कोलकाता (ए, बी, सी), पटना ए, मुज्जफरपुर (ए बी), चिन्सुराह, दरभंगा, और रांची ए आदि।
पश्चिमी क्षेत्रीय सेवाएं : अहमदाबाद, भोपाल ए, छतरपुर, इंदौर ए, मुंबई (ए, बी, सी), नागपुर (ए, बी), पणजी (ए, बी), राजकोट ए, सोलापुर, औरंगाबाद, छिन्द्वारा, ग्वालियर, जलगाँव, पुणे ए, रत्नागिरी, संगिल आदि।
दक्षिण क्षेत्रीय सेवायें : आदिलाबाद, चेन्नई (ए, बी, सी), कोइम्बटोर, हैदराबाद (ए, बी), कोज्हिकोड़े ए, नागेर्कोइल, पोर्ट ब्लेयर, थिरुवानान्थापुरम ए, तिरुचिरापल्ली ए, विजयावारा ए, गौतम, बंगलौर, गुलबर्गा, मदुरई, उधागामंदालम, थ्रीस्सुर, तिरुनेलवेली, विशाखापत्तनम और पांडिचेरी आदि।
भारत में रेडियो की बाहरी सेवाएं
भारत के रेडियो को विदेशी भी सुनना पसंद करते थे, जिसके चलते ऑल इंडिया रेडियो के बाहरी सेवा प्रभाग द्वारा वहां भी प्रसारण शुरू कर दिया गया. सन 1994 में लगभग 70 घंटे की खबरें और मनोरंजन कार्यक्रम 32 सॉफ्टवेयर ट्रांसमीटर की मदद से प्रसारित किये जाते थे. अखिल भारतीय रेडियो को बाहरी सेवाएं 27 भाषाओँ में भारत के बाहर प्रसारित होती हैं – मुख्य रूप से हाई पावर शॉर्टवेव बैंड प्रसारण के माध्यम से. हालाँकि मध्यम तरंग भी पड़ोसी देशों के लिए उपयोग की जाती है. भाषा के अनुसार विशिष्ट देशों में लक्षित प्रसारण के अतिरिक्त, सामान्य अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों के लिए प्रत्येक दिन 8¼ घंटे अंग्रेजी में एक सामान्य प्रवासी सेवा प्रसारण होता है. 1 अक्टूबर 1939 को ब्रिटिश सरकार ने अफ़गान लोगों पर निर्देशित नाजियों के प्रचार का मुकाबला करने के लिए बाहरी प्रसारण शुरू किया था. बाहरी सेवाओं को 16 विदेशी और 11 भारतीय भाषाओँ में प्रसारित किया गया, जिसमे मध्यम और शॉर्टवेव आवृत्तियों पर प्रतिदिन 70¼ घंटे का कार्यक्रम था.।इसके अलावा आधुनिक समय में और भी कई सेवाएं चालू हुई हैं. जिनके नाम हैं डिजिटल रेडियो मोंडायल (DRM), फ़ोन पर न्यूज़ सेवा, प्रत्यक्ष टू होम सेवा, डाक्यूमेंट्री, सेंट्रल ड्रामा यूनिट, सोशल मीडिया सेल आदि।
भारत में रेडियो से होने वाले फ़ायदे
* रेडियो प्रसारण भारत में स्वदेशी था, यह देश के कोने-कोने में कोई सन्देश पहूँचाने का एक बहुत बड़ा माध्यम था।
* इसके द्वारा देश के किसान विस्तृत रूप से खेती की जानकारी प्राप्त कर सकते थे, मौसम, देश – विदेश से जुड़ी बातें आसानी से देश के लोगों तक पहुंचा सकते थे।
* ऑल इंडिया रेडियो का मुख्य केंद्र देश की चेतना और एकता को बढ़ाना था. रेडियो के कार्यक्रम को बनाते समय राष्ट्रीय राजनैतिक एकता बनाये रखना, इस बात पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता था।
* स्वतंत्रता के बाद जब देश की राजनीती में घमासान मचा हुआ था, तब ऐसे कार्यक्रम देश के लोगों को सही राह दिखाते थे।
* ऑल इंडिया रेडियो ने देश की आर्थिक स्थिती सुधारने में एक मुख्य भूमिका निभाई थी. भारतीय रेडियो में मुख्य रूप से ऐसे कार्यक्रम प्रसारित किये जाते थे, जो सामाजिक एकता को बढ़ाने के लिए अग्रसर होते थे।
* रेडियो के द्वारा देश के लोगों को आधुनिकता और नए तरीके के बारे में भी बताया जाता था।
* कुछ समय बाद इस देश के इस आधुनिकरण ने टेलेविज़न की जगह ले ली और प्रसारण के नए मायने हो गए, लेकिन इसके बावजूद रेडियो देश का एक अनुभवी माध्यम हुआ करता था।
* ज्ञान, मनोरंजन से जुड़े कार्यक्रम और गानों को रेडियो में सुनना तब भी लोग पसंद किया करते थे. आकाशवाणी और ऑल इंडिया रेडियो आज भी एक बड़े नेटवर्क के रूप में पूरी पृथ्वी पर छाए हुए है।
विभिन्न वर्ल्ड रेडियो दिवस की विषय
साल 2012 और 2013 में इस दिवस को मनाने के लिए कोई विषय निश्चित नहीं की गई थी, अपितु विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करके इस दिन को मनाया गया था. साल 2013 में तो इस दिवस को बहुत बड़े पैमाने पर मीडिया का कवरेज भी मिला, जिसे विश्व में लगभग 150 मिलियन से अधिक श्रोताओं ने एक साथ सुना। इसके बाद साल 2014 में आयोजित महिला दिवस का विषय रेडियो में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण रखा गया था. इसके अलावा इसके कई अन्य उद्देश्य जैसे रेडियो स्टेशन के मालिकों, पत्रकारों, अधिकारी और सरकार को लिंग संबंधित नीति और रेडियो के लिए रणनीति विकसित करने के लिए जागरूक करना, रूढ़ियों को खत्म कर नई सोच को बढ़ावा देने के साथ, रेडियो में विभिन्न पदो पर महिलाओ को स्थान देने का निर्णय लिया गया था. इसके अलावा इस वर्ष महिला रेडियो पत्रकारों की सुरक्षा की तरफ भी ध्यान केंद्रित किया गया था।
* साल 2015 में इस दिवस का विषय युवा और रेडियो था, इस विषय का उद्देश्य रेडियो में युवा वर्ग की सहभागिता बढ़ाना था।
* साल 2016 में वर्ल्ड रेडियो दिवस का विषय संघर्ष और आपातकाल के समय में रेडियो रखा गया था. इसके अलावा इस वर्ष अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता और पत्रकारों की सुरक्षा जैसे विषयों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया था।
* साल 2017 में इस दिवस का विषय “रेडियो इस यू” था. इस विषय का उद्देश्य यह था, कि रेडियो के यूजर्स को यह बताया जाए, कि रेडियो के साथ कैसे बात करनी है।
* साल 2018 में विश्व रेडियो दिवस का विषय “रेडियो और खेल” था. इस वर्ष भी इस विषय के अलावा अन्य कई सब विषय जैसे समुदाय का निर्माण और उन्हे एकजुट करना और रेडियो हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करता है आदि पर भी ध्यान केंद्रित किया गया था।
* सन 2019 में विश्व रेडियो दिवस का विषय ‘संवाद, सहिष्णुता और शांति’ था।
* सन 2020 में विश्व रेडियो दिवस का विषय ‘रेडियो में बहुलवादी की वकालत’ था।
* सन 2021 में विश्व रेडियो दिवस का विषय ‘नई दुनिया नया रेडियो – विकास, नवाचार, कनेक्शन’ था।
* सन 2022 में विश्व रेडियो दिवस का विषय ‘रेडियो एवं विश्वास’ था।
* सन 2023 में विश्व रेडियो दिवस का विषय ‘रेडियो और शांति’ है।
विश्व रेडियो दिवस पर होने वाले कार्यक्रम
यूएन के अनुसार दुनियाभर में लगभग 44000 रेडियो स्टेशन संचालित है. और अब तक प्राप्त आकड़ों के अनुसार विकसित देशों में लगभग 75 प्रतिशत घरों में रेडियो की पहुँच है. इन आकड़ों से आप अनुमान लगा सकते है, कि रेडियो को सुनने वाले लोगों कि तादात कितनी बड़ी है. 13 फरवरी के दिन रेडियो दिवस पर कई कार्यक्रम आयोजित होते है, इस बार रेडियो दिवस पर आयोजित कार्यक्रम निम्न होंगे।
* लाइव वर्ड 2019 ब्रॉडकास्ट एंड इवैंट फ्राम पेरिस।
* टार्गेट ज़ीरो हंगर।
* हिंसक उग्रवाद कम करने जैसे मुद्दे पर डेनियल आल्डरिच से रेडियो पर बातचीत।
इस प्रकार 2012 से लेकर अब तक लगभग हर वर्ष विश्व रेडियो दिवस पर कई तरह के आयोजन किए जाते है और लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जाती है.
रेडियो एक मनोरंजन का साधन है, जो लाखो लोगों को एक ही समय में एक ही चीज एक साथ सुनने की सुविधा प्रदान करता है।