हर साल ‘विश्व डाक दिवस’ यानी ‘वर्ल्ड पोस्ट डे’ (World Post Day 2023 ) 9 अक्टूबर को मनाया जाता है. आज पूरा देश विश्व डाक दिवस मना रहा है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच पोस्टल सेवा के बारे में प्रचार प्रसार करना है, डाक सेवा एक मात्र ऐसी सेवा है, जिसके जरिये व्यक्ति, व्यक्ति से जुड़ा रहता हैं. यह महत्वपूर्ण सेवाओं में से एक मानी जाती थी. चिट्ठियों के जरिये नाते रिश्तेदार एक दुसरे के सुख दुःख में शामिल होते थे. इतनी दुरी होने के बावजूद भी सबमे अपना पन होता और आज के समय में हर एक पल की खबर होने पर भी वो चिट्ठियों के समय का प्यार और अपनापन कही खो गया हैं. ऐसे में राष्ट्रिय डाक दिवस हमें उन पुराने दिनों की याद दिलाता हैं। लोगों और व्यवसायों के रोजमर्रा के जीवन में डाक क्षेत्र की भूमिका और देशों के समाजिक और आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में जागरूकता पैदा करना है. विश्व डाक दिवस के दिन लोगों को डाक विभाग के कार्यों से अवगत कराया जाता है।
आज के आधुनिक समय में डाक और डाकिया के महत्व को कौन जानता हैं. आज देश हो या विदेश संपर्क करने में मात्र कुछ क्षण लगते हैं. वही कुछ सालो अथवा दशको समय पूर्व यह संपर्क कई दिनों की मश्कत के बाद होता हैं. चिट्ठी लिखी जाती थी. उस पर टिकिट लगाया जाता था, फिर कही लाल पोस्ट का डिब्बा देख उसमे चिट्ठी डाली जाती थी. वहीँ दूसरी तरफ जब भी डाकिया आता, सभी आशा भरी निगाहों से उसे देखने लगते और सोचते कि काश आज मेरे किसी अपने ने मुझे ख़त लिखा हो, आज इस डाकिया के पास मेरे लिए कोई सन्देश हो। उन दिनों डाकिया किसी फ़रिश्ते से कम नहीं था. ससुराल से बिदा हुई लड़की केवल एक अंतर्देशी के जरिये अपने माँ बाप भाई बहन से जुड़ी रहती थी. बरसो से घर से दूर हुए फौजी भाई भी इस एक पोस्ट कार्ड के इंतजार में टकटकी लगाये, उस रास्ते को निहारते रहते थे, जहाँ से पोस्टमेन अपनी साइकिल पर सवार होकर पोटली बाबा की तरह चिट्ठियों से भरी एक पोटली लाता था और एक एक का नाम लेकर उसे उसका ख़त देता था. आज के मोबाइल के दौर में उस वक्त की ख़ुशी का अंदाजा भी लगाना मुश्किल हैं. ख़त एक ऐसा जरिया होते थे, जिनके सहारे व्यक्ति बरसो अपनों की याद में गुजारता था. यह दिवस पोस्टऑफिस केन्द्रों पर मनाई जाती हैं इस दिन कार्यालय को सजाया जाता हैं. मिष्ठान वितरित किया जाता हैं. आमतौर पर इस दिन से नयी योजनाओ का आनावरण किया जाता हैं. पोस्ट ऑफिस में कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। समय के साथ डाक विभाग का महत्व धुंधला होता लगता हो, लेकिन ऐसा नहीं है. जब हमें पार्सल और सामान किसी पते पर भेजने की जरूरत होती है तो डाकविभाग ही हमारे काम आता है. दुनिया में पार्सल पहुंचाने के अलावा भुगतान, पैसे का हस्तांतरण और बचत आदि में डाक विभाग अपनी उपगयोगिता आज भी बनाए रखे हुए हैं. बदलते परिवेश में हर साल 9 अक्टूबर को यूनिवर्सिल पोस्टल यूनियन की ओर से मनाए जाने वाले विश्व डाक दिवस पर डाक विभाग और उसके तंत्र के महत्व और आज उसकी भूमिका को समझने की अधिक जरूरत है।
अन्तराष्ट्रीय एवम राष्ट्रीय डाक दिवस कब मनाया जाता हैं?
भारतीय डाक सेवा दिवस हर साल 10 अक्टूबर को मनाया जाता है, एवम अन्तराष्ट्रीय डाक सेवा दिवस उसके एक दिन पहले 9 अक्टूबर को मनाया जाता हैं।
भारतीय डाक सेवा दिवस : 10 अक्टूबर
अन्तराष्ट्रीय डाक सेवा दिवस : 9 अक्टूबर (1969 में शुरू हुआ)
भारत में पहला पोस्ट ऑफिस : 1774 (कोलकत्ता)
भारतीय सीमा के बाहर पहला डाकघर : दक्षिण गंगोत्री, अंटार्कटिका (1983)
स्पीड पोस्ट कब शुरू हुआ : 1986
मनी आर्डर सिस्टम कब शुरू हुआ : 1880
विश्व डाक विभाग का इतिहास
विश्व डाक दिवस हर साल 9 अक्टूबर को 1874 में स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापनी की सालगिरह पर मनाया जाता है. लेकिन इस दिन को विश्व डाक दिवस के तौर पर घोषित होने में बहुत समय लगा था. 1969 में जापान के टोक्यों में हुए पोस्टल यूनियन कांग्रेस ने इस दिन को विश्व डाक दिवस मनाने का ऐलान किया था, जिसके बाद से दुनिया भरे के देश इसे मनाते हैं।
भारतीय डाक सेवा का इतिहास
भारत में इस सुविधा को भारतीय डाक सेवा कहा जाता है, इस सेवा के जरिये ख़त, कार्ड एवम अन्य जरुरी दस्तावेज भेजे जाते हैं. इस कार्यालय को आमतौर पर पोस्ट ऑफिस कहा जाता हैं. इसे चिट्ठी एवम दस्तावेज के आवंटन के अलावा बैंक के कुछ कार्यों की भी मान्यता प्राप्त है, जैसे पोस्ट ऑफिस में भी पैसे जमा किये जाते है, कई तरह की योजनायें पोस्ट ऑफिस में चलाई जाती हैं. भारतीय डाक सेवा की स्थापना 1766 में लार्ड क्लाइव ने की थी. भारत में पहला पोस्ट ऑफिस कोलकाता में 1774 में वॉरेन हेस्टिंग्स ने शुरू किया था. 1852 में स्टाम्प टिकिट शुरू किये गए. इस प्रकार भारत में डाक सेवा को 166 वर्ष से अधिक हो गया हैं. भारतीय डाक सेवा बड़ी डाक सेवाओं में से एक मानी जाती हैं।
क्या है इस साल की थीम
पोस्ट ऑफिस भले ही शहरों में बहुत ज्यादा प्रमुखता से सक्रिय ना दिखें लेकिन वे शहरों और गांवों हर जगह बहुत ही प्रमुखता से खड़े हैं. वे अब पैसे और संदेशों के अलावा तोहफे, दवाइयां और अन्य जरूरी सामान पहुंचाने में रीढ़ की तरह योगदान दे रहे हैं. इस साल संयुक्त राष्ट्र ने एक साथ विश्वास के लिए: एक सुरक्षित और जुड़े हुए भविष्य के लिए सहयोग की थीम रखी है।
क्यों रखी गई है ये थीम
इस थीम के जरिए संयुक्त राष्ट्र ने सरकारों और उनकी डाक सेवाओं से आग्रह किया है कि वे डिजिटल सिंगल पोस्टल इलाके के विकास में सहयोग करें जो कि दुनिया के तमाम देशों में विकसित हो चुके विस्तृत भौतिक नेटवर्क को सहयोग देने का काम करेगा. इसके अलावा सभी को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन को सहयोग देने के मकसद से डिजिटल अर्थव्यस्था के लिए स्थानीय पोस्ट ऑफिस का अधिक से अधिक उपयोग करने की भी अपील की है।
विश्व डाक दिवस का उद्देश्य
विश्व डाक दिवस का उद्देश्य लोगों और व्यवसायों के रोजमर्रा के जीवन में डाक क्षेत्र की भूमिका और देशों के सामाजिक और आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में जागरूकता पैदा करना है। यह उत्सव सदस्य देशों को राष्ट्रीय स्तर पर जनता और मीडिया के बीच उनके पद की भूमिका और गतिविधियों के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से कार्यक्रम गतिविधियाँ शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करता है। हर साल, 150 से अधिक देश विभिन्न तरीकों से विश्व डाक दिवस मनाते हैं। कुछ देशों में, विश्व डाक दिवस को कामकाजी अवकाश के रूप में मनाया जाता है। कई पोस्ट नए डाक उत्पादों और सेवाओं को पेश करने या बढ़ावा देने के लिए इवेंट का उपयोग करते हैं। कुछ पोस्ट अपने कर्मचारियों को अच्छी सेवा के लिए पुरस्कृत करने के लिए भी विश्व डाक दिवस का उपयोग करते हैं। कई देशों में, डाक टिकट प्रदर्शनियाँ आयोजित की जाती हैं, और नए टिकट और दिनांक रद्दीकरण चिह्न जारी किए जाते हैं। अन्य गतिविधियों में डाकघरों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर विश्व डाक दिवस के पोस्टरों का प्रदर्शन, डाकघरों, मेल केंद्रों और डाक संग्रहालयों में खुले दिन, सम्मेलनों, सेमिनारों और कार्यशालाओं के आयोजन के साथ-साथ सांस्कृतिक, खेल और अन्य मनोरंजक गतिविधियाँ शामिल हैं। कई डाक प्रशासन टी-शर्ट और बैज जैसे विशेष स्मृति चिन्ह जारी करते हैं।
यूपीयू की अंतर्राष्ट्रीय पत्र-लेखन प्रतियोगिता
1971 में शुरू की गई वार्षिक प्रतियोगिता का उद्देश्य पत्र लेखन की कला के माध्यम से बच्चों में साक्षरता को बढ़ावा देना है। प्रत्येक वर्ष 1.2 मिलियन से अधिक वैश्विक प्रतिभागियों को आकर्षित करने वाली यह प्रतियोगिता 9-15 वर्ष की आयु के युवाओं को किसी दिए गए विषय पर पत्र लिखने के लिए प्रोत्साहित करती है। इस वर्ष की “कल्पना करें कि आप एक सुपर हीरो हैं और आपका मिशन दुनिया भर की सभी सड़कों को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाना है। किसी को यह बताते हुए एक पत्र लिखें कि आपको अपने मिशन को प्राप्त करने के लिए किन महाशक्तियों की आवश्यकता होगी।”
सेवाएं देने में 1.5 अरब लोगों की भूमिका
दुनिया के कई देश इस अवसर पर नए पोस्टल उत्पाद और सेवाएं लॉन्च करते हैं. लेकिन यह दिन यह याद दिलाता है कि दुनिया में पोस्टल सेवाओं का महत्व पहले से अधिक हो गया है. आज पोस्टल ऑपरेटर दुनिया भर में 1.5 अरब लोगों के जरिए सेवा प्रदान करते हैं जिनमें मूल वित्तीय सेवाएं प्रमुख हैं।
बहुत विशाल नेटवर्क का फायदा
दुनिया भर में 53 लाख कर्मचारी डाक विभाग के 6.5 लाख दफ्तरों से जुड़े हुए हैं जो एक बहुत ही बड़ा सक्षम नेटवर्क है. इनके जरिए दुनिया के की देश अपनी कई योजनाओं को सफलता पूर्वक लागू कर पाते हैं तो वहीं 2015 में तय किए संधारणीय विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए डाक विभाग के तंत्र का उपयोग करने का योजना बनाई जा रही है।
बढ़ रहा है ग्लोबल मार्केट
जहां साल ग्लोबल पार्सल मार्केट का 2023 में 466.87 अरब अमेरिकी डॉलर या उससे अधिक रहने का अनुमान है तो वहीं यह साल 2029 तक बढ़ कर 6.56 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है. इसकी वजह से पोस्टल विभागों के दुनिया में कहीं भी किसी को भी सेवाएं प्रदान करने की अद्वितीय क्षमता है।
वैश्विक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मजबूत महत्वाकांक्षा की जरूरत है
साल 2022 की इंटीग्रेटेड इंडेक्स फॉर पोस्टल डिवेलपमेंट रिपोर्ट के मुताबिक 172 के विशाल पोस्ट आंकड़े और सांख्यिकीय का संयोजन दुनिया भर में डाक विभाग की असमान स्थिति की तस्वीर पेश करता है. 172 में से अधिकांस देश निम्न या कम-मध्यम पोस्टल डेवलपमेंट समूह में आते रहैं जिससे जाहिर होता है कि अब भी डाक सेवाओं के विकास में कितना बड़ा अंतर है।
क्या आप जानते हैं?
* डाक ऑपरेटर दुनिया भर में लगभग 1.5 बिलियन लोगों को बुनियादी वित्तीय सेवाओं (भुगतान, धन हस्तांतरण और बचत) तक पहुंच प्रदान करते हैं।
* वैश्विक पार्सल बाजार 2018 में 450 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2020 में 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है।
* वैश्विक स्तर पर 650,000 से अधिक कार्यालयों और 5.3 मिलियन कर्मचारियों वाले नेटवर्क और कई सरकारों से सार्वजनिक सेवा जनादेश के साथ, पोस्ट किसी को भी, कहीं भी सेवाएं प्रदान करने की अपनी क्षमता में अद्वितीय है।
* दुनिया में डेढ़ अरब लोग पोस्टल सेवाएं देने के तंत्र से जुड़े हुए हैं।
* वैश्विक पार्सल का बाजार पहले की तुलना में कहीं ज्यादा बढ़ता जा रहा है।
* आने वाले समय में दुनिया को और ज्यादा सेवाओं से जोड़ने पर काम चल रहा है।
* दुनिया में जितना बड़ा नेटवर्क सरकारी डाक विभागों का है उतना कहीं नहीं है।
* दुनिया इस पर विचार कर रही है कि डाक विभाग के इतने बड़े नेटवर्क का सदुपयोग कैसे किया जा सकता है।
डाक विभाग की क्यों बढ़ गई है आज के समय में अहमियत?
समय के साथ डाक विभाग की भूमिका बदली हैं. लेकिन लोगों में जो डाक विभाग की चिट्ठियां पहुंचाने की जो छवि है वह बहुत ही सीमित रही थी. यही वजह है कि लोग चिट्ठियों के उपयोग लगभग खत्म होने पर डाक विभाग को खत्म होने का संकेत मानने लगते हैं. लेकिन कम लोग जानते हैं कि वास्तव में डाक विभाग का महत्व पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है।
डाकिए के थैले में से निकलने वाली चिट्ठी किसी को खुशी का तो किसी को गम का समाचार देती थी। मगर आज नजारा पूरी तरह से बदल चुका है। इंटरनेट के बढ़ते प्रभाव ने डाक विभाग के महत्व को बहुत कम कर दिया है। आज लोगों ने हाथों से चिट्ठियां लिखना छोड़ दिया है। अब ई-मेल, वाट्सएप के माध्यमों से मिनटो में लोगो में संदेशों का आदान प्रदान होने लगा है। पहले डाक विभाग हमारे जनजीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता था। गांव में जब डाकिया डाक का थैला लेकर आता था तो बच्चे-बूढ़े सभी उसके साथ डाक घर की तरफ इस उत्सुकता से चल पड़ते थे कि उनके भी किसी परिजन की चिट्ठी आयेगी।डाकिया जब नाम लेकर एक-एक चिट्ठी बांटना शुरू करता तो सभी लोग अपनी या अपने पड़ौसी की चिट्ठी ले लेते व उसके घर जाकर उस चिट्ठी को बड़े चाव से देते थे। उस वक्त शिक्षा का प्रसार ना होने से अक्सर महिलाएं अनपढ़ होती थी। इसलिए चिट्ठी लाने वालो से ही चिट्ठियां पढ़वाती भी थी और लिखवाती भी थी। कई बार चिट्ठी पढने-लिखने वाले बच्चों को इनाम स्वरूप कुछ पैसा या खाने को गुड़, पताशे भी मिल जाया करते थे। इसी लालच में बच्चे ज्यादा से ज्यादा घरों में चिट्ठियां पहुंचाने का प्रयास करते थे। उस वक्त गांवो में बैंक शाखा भी नहीं होती थी। इस कारण बाहर कमाने गए लोग अपने घर पैसा भी डाक में मनीआर्डर के द्वारा ही भेजते थे। मनी ऑर्डर लेकर डाकिया स्वयं प्राप्तकर्ता के घर जाता था, व भुगतान के वक्त एक गवाह के भी हस्ताक्षर करवाता था। इसी तरह रजिस्टर्ड पत्र देते वक्त भी प्राप्तकर्ता के हस्ताक्षर करवाए जाते थे। डाक विभाग अति आवश्यक संदेश को तार के माध्यम से भेजता था। तार की दर अधिक होने से उसमें संक्षिप्त व जरूरी बातें ही लिखी जाती थी। तार भी साधारण जरूरी होते थे। जरूरी तार की दर सामान्य से दुगुनी होती थी। पहले पत्रकारिता में भी जरूरी खबरे तार द्वारा भेजी जाती थी, जिनका भुगतान समाचार प्राप्तकर्ता समाचार पत्रों द्वारा किया जाता था। इस बाबत समाचार पत्र का सम्पादक जिलोंं में कार्यरत अपने संवाददाताओं को डाक विभाग से जारी एक अधिकार पत्र देता था। जिनके माध्यम से संवाददाता अपने समाचार पत्र को बिना भुगतान किए डाकघर से तार भेजने के लिए अधिकृत होता था। 15 जुलाई 2013 से सरकार ने तार सेवा को बंद कर दिया। आज डाक में लोगों की चिट्ठियां तो गिनती की ही आती हैं। मनी ऑर्डर भी बंद से ही हो गए हैं। मगर डाक से अन्य सरकारी विभागों से संबंधित कागजात, बैंको व अन्य संस्थानो के प्रपत्र काफी संख्या में आने से डाक विभाग का महत्व फिर से एक बार बढ़ गया है। डाक विभाग कई दशकों तक देश के अंदर ही नहीं बल्कि एक देश से दूसरे देश तक सूचना पहुंचाने का सर्वाधिक विश्वसनीय, सुगम और सस्ता साधन रहा है। लेकिन इस क्षेत्र में निजी कंपनियों के बढ़ते दबदबे और फिर सूचना तकनीक के नए माध्यमों के प्रसार के कारण डाक विभाग की भूमिका लगातार कम होती गई है। वैसे इसकी प्रासंगिकता पूरी दुनिया में आज भी बरकरार है। बदलते हुए तकनीकी दौर में दुनिया भर की डाक व्यवस्थाओं ने मौजूदा सेवाओं में सुधार करते हुए खुद को नई तकनीकी सेवाओं के साथ जोड़ा है। डाक, पार्सल, पत्रों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए एक्सप्रेस सेवाएं शुरू की हैं। डाकघरों द्वारा मुहैया कराई जानेवाली वित्तीय सेवाओं को भी आधुनिक तकनीक से जोड़ा गया है। दुनियाभर में इस समय 55 से भी ज्यादा विभिन्न प्रकार की पोस्टल ई-सेवाएं उपलब्ध हैं। भविष्य में पोस्टल ई-सेवाओं की संख्या और अधिक बढ़ाई जाएगी। डाक विभाग से 82 फीसदी वैश्विक आबादी को होम डिलीवरी का फायदा मिलता है। भारतीय डाक विभाग पिनकोड नंबर (पोस्टल इंडेक्स नंबर) के आधार पर देश में डाक वितरण का कार्य करता है। पिनकोड नंबर का प्रारम्भ 15 अगस्त 1972 को किया गया था। इसके अंतर्गत डाक विभाग द्वारा देश को नो भौगोलिक क्षेत्रो में बांटा गया है।संख्या 1 से 8 तक भौगोलिक क्षेत्र हैं व संख्या 9 सेना की डाक सेवा को आवंटित किया गया है। पिन कोड की पहली संख्या क्षेत्र दूसरी संख्या उपक्षेत्र, तीसरी संख्या जिले को दर्शाती है। अंतिम तीन संख्या उस जिले के विशिष्ट डाकघर को दर्शाती है। डाक विभाग के अंतर्गत केंद्र सरकार ने इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (आईपीपीबी) शुरू किया है। देश के हर व्यक्ति के पास बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने के क्रम में यह एक बड़ा विकल्प होगा। इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक ने देश भर में बैंकिंग सेवाएं शुरू कर दी है। आने वाले दिनों में इस के माध्यम से देश का सबसे बड़ा बैंकिंग नेटवर्क अस्तित्व में आएगा। जिसकी हर गांव तक मौजूदगी होगी। इन सेवाओं के लिए पोस्ट विभाग के 11000 कर्मचारी घर-घर जाकर लोगों को बैंकिंग सेवाएं देंगे। इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक भारतीय डाक विभाग के अंतर्गत आने वाला एक विशेष किस्म का बैंक है जो 100 फीसद सरकारी है। आईपीपीबी को पूरे देश में पहुंचाने के लिए पोस्ट विभाग के डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाएगा। देशभर में 40 हजार डाकिए हैं और 2.6 लाख डाक सेवक हैं। आने वाले वक्त में सरकार इन सभी का इस्तेमाल बैंकिंग सेवाओं को घर-घर पहुंचाने के लिए करेगी।भारत की आजादी के बाद हमारी डाक प्रणाली को आम आदमी की जरूरतों को केंद्र में रख कर विकसित करने का नया दौर शुरू हुआ था। नियोजित विकास प्रक्रिया ने ही भारतीय डाक को दुनिया की सबसे बड़ी और बेहतरीन डाक प्रणाली बनाया है। राष्ट्र निर्माण में भी डाक विभाग ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। जिससे इसकी उपयोगिता लगातार बनी हुई है। आज भी आम आदमी डाकघरों और डाकिए पर भरोसा करता है। तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद देश में आम जनता का इतना जन विश्वास कोई और संस्था नहीं अर्जित कर सकी है। यह स्थिति कुछ सालों में नहीं बनी है। इसके पीछे डाक विभाग के कार्मिको का बरसों का श्रम और लगातार प्रदान की जा रही सेवा छिपी है। बदलते हुए तकनीकी दौर में दुनिया भर की डाक व्यवस्थाओं ने मौजूदा सेवाओं में सुधार करते हुए खुद को नई तकनीकी सेवाओं के साथ जोड़ा है…