हर वर्ष 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस (World Post Day) और 10 अक्टूबर को भारतीय राष्ट्रीय डाक दिवस (National Postal Day) मनाया जाता है। यह अवसर डाक सेवाओं की ऐतिहासिक भूमिका, उनके विकास और आज की डिजिटल दुनिया में उनकी बदलती भूमिका को रेखांकित करता है। हर साल ‘विश्व डाक दिवस’ यानी ‘वर्ल्ड पोस्ट डे’ (World Post Day ) आज पूरा देश विश्व डाक दिवस मना रहा है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच पोस्टल सेवा के बारे में प्रचार प्रसार करना है, डाक सेवा एक मात्र ऐसी सेवा है, जिसके जरिये व्यक्ति, व्यक्ति से जुड़ा रहता हैं. यह महत्वपूर्ण सेवाओं में से एक मानी जाती थी. चिट्ठियों के जरिये नाते रिश्तेदार एक दुसरे के सुख दुःख में शामिल होते थे. इतनी दुरी होने के बावजूद भी सबमे अपना पन होता और आज के समय में हर एक पल की खबर होने पर भी वो चिट्ठियों के समय का प्यार और अपनापन कही खो गया हैं. ऐसे में राष्ट्रिय डाक दिवस हमें उन पुराने दिनों की याद दिलाता हैं। लोगों और व्यवसायों के रोजमर्रा के जीवन में डाक क्षेत्र की भूमिका और देशों के समाजिक और आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में जागरूकता पैदा करना है. विश्व डाक दिवस के दिन लोगों को डाक विभाग के कार्यों से अवगत कराया जाता है।
आज के आधुनिक समय में डाक और डाकिया के महत्व को कौन जानता हैं. आज देश हो या विदेश संपर्क करने में मात्र कुछ क्षण लगते हैं. वही कुछ सालो अथवा दशको समय पूर्व यह संपर्क कई दिनों की मश्कत के बाद होता था. चिट्ठी लिखी जाती थी. उस पर टिकिट लगाया जाता था, फिर कही लाल पोस्ट का डिब्बा देख उसमे चिट्ठी डाली जाती थी. वहीँ दूसरी तरफ जब भी डाकिया आता, सभी आशा भरी निगाहों से उसे देखने लगते और सोचते कि काश आज मेरे किसी अपने ने मुझे ख़त लिखा हो, आज इस डाकिया के पास मेरे लिए कोई सन्देश हो। उन दिनों डाकिया किसी फ़रिश्ते से कम नहीं था. ससुराल से बिदा हुई लड़की केवल एक अंतर्देशी के जरिये अपने माँ बाप भाई बहन से जुड़ी रहती थी. बरसो से घर से दूर हुए फौजी भाई भी इस एक पोस्ट कार्ड के इंतजार में टकटकी लगाये, उस रास्ते को निहारते रहते थे, जहाँ से पोस्टमेन अपनी साइकिल पर सवार होकर पोटली बाबा की तरह चिट्ठियों से भरी एक पोटली लाता था और एक एक का नाम लेकर उसे उसका ख़त देता था. आज के मोबाइल के दौर में उस वक्त की ख़ुशी का अंदाजा भी लगाना मुश्किल हैं. ख़त एक ऐसा जरिया होते थे, जिनके सहारे व्यक्ति बरसो अपनों की याद में गुजारता था. यह दिवस पोस्टऑफिस केन्द्रों पर मनाई जाती हैं इस दिन कार्यालय को सजाया जाता हैं. मिष्ठान वितरित किया जाता हैं. आमतौर पर इस दिन से नयी योजनाओ का आनावरण किया जाता हैं. पोस्ट ऑफिस में कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। समय के साथ डाक विभाग का महत्व धुंधला होता लगता हो, लेकिन ऐसा नहीं है. जब हमें पार्सल और सामान किसी पते पर भेजने की जरूरत होती है तो डाकविभाग ही हमारे काम आता है. दुनिया में पार्सल पहुंचाने के अलावा भुगतान, पैसे का हस्तांतरण और बचत आदि में डाक विभाग अपनी उपगयोगिता आज भी बनाए रखे हुए हैं. बदलते परिवेश में हर साल 9 अक्टूबर को यूनिवर्सिल पोस्टल यूनियन की ओर से मनाए जाने वाले विश्व डाक दिवस पर डाक विभाग और उसके तंत्र के महत्व और आज उसकी भूमिका को समझने की अधिक जरूरत है।
अन्तराष्ट्रीय एवम राष्ट्रीय डाक दिवस कब मनाया जाता हैं?
भारतीय डाक सेवा दिवस हर साल 10 अक्टूबर को मनाया जाता है, एवम अन्तराष्ट्रीय डाक सेवा दिवस उसके एक दिन पहले 9 अक्टूबर को मनाया जाता हैं।
भारतीय डाक सेवा दिवस : 10 अक्टूबर
अन्तराष्ट्रीय डाक सेवा दिवस : 9 अक्टूबर (1969 में शुरू हुआ)
भारत में पहला पोस्ट ऑफिस : 1774 (कोलकत्ता)
भारतीय सीमा के बाहर पहला डाकघर : दक्षिण गंगोत्री, अंटार्कटिका (1983)
स्पीड पोस्ट कब शुरू हुआ : 1986
मनी आर्डर सिस्टम कब शुरू हुआ : 1880
विश्व डाक विभाग का इतिहास
विश्व डाक दिवस हर साल 9 अक्टूबर को 1874 में स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापनी की सालगिरह पर मनाया जाता है. लेकिन इस दिन को विश्व डाक दिवस के तौर पर घोषित होने में बहुत समय लगा था. 1969 में जापान के टोक्यों में हुए पोस्टल यूनियन कांग्रेस ने इस दिन को विश्व डाक दिवस मनाने का ऐलान किया था, जिसके बाद से दुनिया भरे के देश इसे मनाते हैं।
भारतीय डाक सेवा का इतिहास
भारत में इस सुविधा को भारतीय डाक सेवा कहा जाता है, इस सेवा के जरिये ख़त, कार्ड एवम अन्य जरुरी दस्तावेज भेजे जाते हैं. इस कार्यालय को आमतौर पर पोस्ट ऑफिस कहा जाता हैं. इसे चिट्ठी एवम दस्तावेज के आवंटन के अलावा बैंक के कुछ कार्यों की भी मान्यता प्राप्त है, जैसे पोस्ट ऑफिस में भी पैसे जमा किये जाते है, कई तरह की योजनायें पोस्ट ऑफिस में चलाई जाती हैं. भारतीय डाक सेवा की स्थापना 1766 में लार्ड क्लाइव ने की थी. भारत में पहला पोस्ट ऑफिस कोलकाता में 1774 में वॉरेन हेस्टिंग्स ने शुरू किया था. 1852 में स्टाम्प टिकिट शुरू किये गए. इस प्रकार भारत में डाक सेवा को 166 वर्ष से अधिक हो गया हैं. भारतीय डाक सेवा बड़ी डाक सेवाओं में से एक मानी जाती हैं।
विश्व डाक दिवस का उद्देश्य
विश्व डाक दिवस का उद्देश्य लोगों और व्यवसायों के रोजमर्रा के जीवन में डाक क्षेत्र की भूमिका और देशों के सामाजिक और आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में जागरूकता पैदा करना है। यह उत्सव सदस्य देशों को राष्ट्रीय स्तर पर जनता और मीडिया के बीच उनके पद की भूमिका और गतिविधियों के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से कार्यक्रम गतिविधियाँ शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करता है। हर साल, 150 से अधिक देश विभिन्न तरीकों से विश्व डाक दिवस मनाते हैं। कुछ देशों में, विश्व डाक दिवस को कामकाजी अवकाश के रूप में मनाया जाता है। कई पोस्ट नए डाक उत्पादों और सेवाओं को पेश करने या बढ़ावा देने के लिए इवेंट का उपयोग करते हैं। कुछ पोस्ट अपने कर्मचारियों को अच्छी सेवा के लिए पुरस्कृत करने के लिए भी विश्व डाक दिवस का उपयोग करते हैं। कई देशों में, डाक टिकट प्रदर्शनियाँ आयोजित की जाती हैं, और नए टिकट और दिनांक रद्दीकरण चिह्न जारी किए जाते हैं। अन्य गतिविधियों में डाकघरों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर विश्व डाक दिवस के पोस्टरों का प्रदर्शन, डाकघरों, मेल केंद्रों और डाक संग्रहालयों में खुले दिन, सम्मेलनों, सेमिनारों और कार्यशालाओं के आयोजन के साथ-साथ सांस्कृतिक, खेल और अन्य मनोरंजक गतिविधियाँ शामिल हैं। कई डाक प्रशासन टी-शर्ट और बैज जैसे विशेष स्मृति चिन्ह जारी करते हैं।
विश्व डाक दिवस 2025 का विषय (Theme)
“Empowering Communities through Innovation and Inclusion” ( “नवाचार और समावेशन के माध्यम से समुदायों को सशक्त बनाना”) इस विषय के अंतर्गत डाक सेवाओं द्वारा ग्रामीण, पिछड़े और दूरदराज़ के क्षेत्रों तक बैंकिंग, डिजिटल पहचान, सरकारी सेवाएं और संचार की सुविधा पहुँचाने के कार्य को रेखांकित किया गया है।
डाक सेवा में नवाचार और तकनीकी विकास
1. डिजिटल इंडिया अभियान के अंतर्गत डाकघरों को डिजिटाइज किया गया है।
2. इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) के माध्यम से लाखों लोगों को बैंकिंग सेवाएं उनके घर तक पहुंचाई जा रही हैं।
3. QR कोड आधारित डाक टिकट, डिजिटल पत्र लेखन पोर्टल, और AI आधारित ट्रैकिंग सिस्टम जैसे नवाचार लागू किए गए हैं।
4. अब पोस्टमैन केवल चिट्ठियाँ नहीं, बल्कि आधार सेवाएं, बैंकिंग लेन-देन और सरकारी योजनाएं भी घर-घर पहुंचा रहे हैं।
मुख्य विशेषताएँ
डाक टिकटों की विशेष श्रृंखला जारी की गई जो भारत की विरासत, संस्कृति और प्रौद्योगिकी को दर्शाती है।
पत्र लेखन प्रतियोगिताएं स्कूलों और कॉलेजों में आयोजित की जा रही हैं।
डाकघरों में डिजिटल सेवाओं के नए माड्यूल लॉन्च किए गए हैं।
कई डाकघरों का आधुनिकीकरण किया गया है और उन्हें डिजिटल इंडिया मिशन से जोड़ा गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) के माध्यम से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
यूपीयू की अंतर्राष्ट्रीय पत्र-लेखन प्रतियोगिता
1971 में शुरू की गई वार्षिक प्रतियोगिता का उद्देश्य पत्र लेखन की कला के माध्यम से बच्चों में साक्षरता को बढ़ावा देना है। प्रत्येक वर्ष 1.2 मिलियन से अधिक वैश्विक प्रतिभागियों को आकर्षित करने वाली यह प्रतियोगिता 9-15 वर्ष की आयु के युवाओं को किसी दिए गए विषय पर पत्र लिखने के लिए प्रोत्साहित करती है। इस वर्ष की “कल्पना करें कि आप एक सुपर हीरो हैं और आपका मिशन दुनिया भर की सभी सड़कों को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाना है। किसी को यह बताते हुए एक पत्र लिखें कि आपको अपने मिशन को प्राप्त करने के लिए किन महाशक्तियों की आवश्यकता होगी।”
सेवाएं देने में 1.5 अरब लोगों की भूमिका
दुनिया के कई देश इस अवसर पर नए पोस्टल उत्पाद और सेवाएं लॉन्च करते हैं. लेकिन यह दिन यह याद दिलाता है कि दुनिया में पोस्टल सेवाओं का महत्व पहले से अधिक हो गया है. आज पोस्टल ऑपरेटर दुनिया भर में 1.5 अरब लोगों के जरिए सेवा प्रदान करते हैं जिनमें मूल वित्तीय सेवाएं प्रमुख हैं।
विशाल नेटवर्क का फायदा
दुनिया भर में 53 लाख कर्मचारी डाक विभाग के 6.5 लाख दफ्तरों से जुड़े हुए हैं जो एक बहुत ही बड़ा सक्षम नेटवर्क है. इनके जरिए दुनिया के की देश अपनी कई योजनाओं को सफलता पूर्वक लागू कर पाते हैं तो वहीं 2015 में तय किए संधारणीय विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए डाक विभाग के तंत्र का उपयोग करने का योजना बनाई जा रही है।
बढ़ रहा है ग्लोबल मार्केट
जहां साल ग्लोबल पार्सल मार्केट का 2025 में 466.87 अरब अमेरिकी डॉलर या उससे अधिक रहने का अनुमान है तो वहीं यह साल 2029 तक बढ़ कर 6.56 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है. इसकी वजह से पोस्टल विभागों के दुनिया में कहीं भी किसी को भी सेवाएं प्रदान करने की अद्वितीय क्षमता है।
क्या आप जानते हैं?
* डाक ऑपरेटर दुनिया भर में लगभग 1.5 बिलियन लोगों को बुनियादी वित्तीय सेवाओं (भुगतान, धन हस्तांतरण और बचत) तक पहुंच प्रदान करते हैं।
* वैश्विक पार्सल बाजार 2018 में 450 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2020 में 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है।
* वैश्विक स्तर पर 650,000 से अधिक कार्यालयों और 5.3 मिलियन कर्मचारियों वाले नेटवर्क और कई सरकारों से सार्वजनिक सेवा जनादेश के साथ, पोस्ट किसी को भी, कहीं भी सेवाएं प्रदान करने की अपनी क्षमता में अद्वितीय है।
* दुनिया में डेढ़ अरब लोग पोस्टल सेवाएं देने के तंत्र से जुड़े हुए हैं।
* वैश्विक पार्सल का बाजार पहले की तुलना में कहीं ज्यादा बढ़ता जा रहा है।
* आने वाले समय में दुनिया को और ज्यादा सेवाओं से जोड़ने पर काम चल रहा है।
* दुनिया में जितना बड़ा नेटवर्क सरकारी डाक विभागों का है उतना कहीं नहीं है।
* दुनिया इस पर विचार कर रही है कि डाक विभाग के इतने बड़े नेटवर्क का सदुपयोग कैसे किया जा सकता है।
डाक विभाग की क्यों बढ़ गई है आज के समय में अहमियत?
समय के साथ डाक विभाग की भूमिका बदली हैं. लेकिन लोगों में जो डाक विभाग की चिट्ठियां पहुंचाने की जो छवि है वह बहुत ही सीमित रही थी. यही वजह है कि लोग चिट्ठियों के उपयोग लगभग खत्म होने पर डाक विभाग को खत्म होने का संकेत मानने लगते हैं. लेकिन कम लोग जानते हैं कि वास्तव में डाक विभाग का महत्व पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है।
भागीदारी और योगदान
* UPU और वैश्विक संचार नेटवर्क
UPU (Universal Postal Union) दुनिया भर के 190+ देशों की डाक सेवाओं को एक साझा नेटवर्क में जोड़ता है।
* यह पारगमन समय, अंतरराष्ट्रीय डाक दरें, और डाक सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करता है।
* 2025 में, “सस्टेनेबल पोस्ट इनिशिएटिव” के तहत UPU और भागीदार देश मिलकर हरित ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक डाक सेवाएं और डिजिटल संचार को बढ़ावा दे रहे हैं।
भारत की वैश्विक भूमिका
* भारत पोस्ट अब अंतरराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ लॉजिस्टिक सहयोग कर रहा है।
* बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान जैसे देशों के साथ क्रॉस-बॉर्डर डाक सेवाओं को तेज़ और ट्रैकयोग्य बनाया गया है।
* भारत ने UPU के तहत डिजिटल डाक हस्तांतरण (Digital Postal Transfer) और इलेक्ट्रॉनिक रजिस्टर्ड डाक (e-Registered Mail) की पहल में योगदान दिया है।
भारत में राष्ट्रीय कार्यक्रम और आयोजन
* डाक टिकटों की विशेष श्रृंखला जारी की गई, जो स्वतंत्रता सेनानियों, पर्यावरण संरक्षण, और डिजिटल भारत पर आधारित हैं।
* देशभर के डाकघरों में “खुला डाकघर” कार्यक्रम का आयोजन, जहाँ लोग सेवाओं की जानकारी ले सकें।
* पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ, फोटोग्राफी स्पर्धा, और डाकघरों में विशेष प्रदर्शनियां आयोजित की जा रही हैं।
* डाक भवनों का नवीनीकरण और सौर ऊर्जा से लैस बनाना सरकार की प्राथमिकता है।
भारत पोस्ट की भविष्य की योजनाएं
1. ड्रोन के माध्यम से डाक वितरण – विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में।
2. AI और IoT आधारित ट्रैकिंग सिस्टम – हर पैकेट की वास्तविक समय निगरानी।
3. ग्रीन पोस्टल नेटवर्क – इलेक्ट्रिक वाहनों और सौर ऊर्जा से युक्त डाकघरों का विकास।
4. डिजिटल पत्र लेखन ऐप्स – जहां युवा अपनी भावनाएं डिजिटल माध्यम से भेज सकें, जो प्रिंट होकर डाक के माध्यम से भेजी जाएंगी।
5. विश्वविद्यालयों और स्कूलों के साथ MoU – डाक सेवा और करियर विकल्पों की जानकारी हेतु।
शुभकामनाएं
इस अवसर पर भारत सरकार, डाक विभाग, एवं विभिन्न नागरिक संगठन सभी नागरिकों को विश्व डाक दिवस एवं राष्ट्रीय डाक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं।
“पत्र एक भावनात्मक पुल है, जो दिलों को जोड़ता है। डाक सिर्फ एक सेवा नहीं, एक संवेदना है।”
विश्व डाक दिवस और भारतीय डाक दिवस न केवल एक सेवा के सम्मान का दिन है, बल्कि यह विश्वव्यापी एकता, भावनात्मक जुड़ाव, और डिजिटल भविष्य की नींव का प्रतीक भी है। आज जब हम डिजिटल युग में जी रहे हैं, डाक सेवा ने भी खुद को नए रूप में ढालकर यह सिद्ध कर दिया है कि – “बदलते दौर में भी डाक सेवा आज भी उतनी ही प्रासंगिक, विश्वसनीय और भावनात्मक रूप से सशक्त है।”




