World Population Day यानी विश्व जनसंख्या दिवस हर साल पूरी दुनियाभर में 11 जुलाई को मनाया जाता है। लगातार बढ़ती जनसंख्या कुछ मायनों में फायदेमंद है, तो कुछ में नुकसानदायक। लोगों को इन्हीं खतरों और फायदों के बारे में जागरूक करने के मकसद से यह दिन मनाया जाता है। इस वर्ष 2024 में 34वां विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) मनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1989 में की गई थी, जिसके बाद 1990 में इसे पहली बार वैश्विक स्तर पर 90 से अधिक देशों में जनसंख्या नियंत्रण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए इसे मनाया गया। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2011 में दुनिया की आबादी 7 अरब थी, जो इस साल 2024 तक 8 अरब तक पहुंच गयी है। दुनियाभर में जनसंख्या की वृद्धि इतनी तेजी से हो रही है कि 2030 तक यह संख्या 8.5 अरब तक पहुंचने का अनुमान है और अगले 20 सालों में (2050 तक) यह 9.7 अरब तक बढ़ने की संभावना है। इसलिए इस दिन कई तरह के कार्यक्रमों, संदेशों के जरिए लोगों का ध्यान बढ़ती जनसंख्या की ओर आकर्षित किया जाता है। आइए जानते हैं कैसे हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत और इस साल की थीम।
भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जिसने जनसंख्या के मामले में 1.4 बिलियन से अधिक लोगों के साथ चीन को पीछे छोड़ दिया है. भारत सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन और कल्याण कार्यक्रम जैसी कई पहल की हैं. लेकिन, यदि प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए तो बढ़ी हुई जनसंख्या में कुछ सकारात्मकताएं हो सकती हैं. अत्यधिक जनसंख्या हमें मस्तिष्क की बढ़ी हुई संख्या भी प्रदान करती है, जो किसी राष्ट्र के विकास में योगदान करने में मदद करेगी. विश्व जनसंख्या दिवस हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिवस विश्व स्तर पर जनसंख्या वृद्धि के मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है। यह दिवस जनसंख्या के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने, जनसंख्या संबंधी समस्याओं पर विचार-विमर्श करने, एवं जनसंख्या नियंत्रण के महत्व को समझाने के लिए मनाया जाता है। विश्व जनसंख्या दिवस का मुख्य उद्देश्य हमें जनसंख्या की महत्ता पर ध्यान दिलाना है और उसके बढ़ते हुए प्रभावों को जागृत करना है। इस दिवस के अवसर पर विभिन्न गतिविधियों द्वारा लोगों को जनसंख्या बढ़ती समस्याओं के बारे में जागरूक किया जाता है जैसे कि विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम, सेमिनार, संगोष्ठी, विशेष व्याख्यान आदि। इस दिन विशेष अभियांत्रिकी और औषधीय उत्पादों के माध्यम से जनसंख्या नियंत्रण के लिए संगठनों की ओर से विभिन्न योजनाएं और अभियान भी आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा जनसंख्या सम्बंधित जानकारी और आंकड़ों का प्रसारण माध्यमों के द्वारा भी किया जाता है। इस दिन के माध्यम से सामान्य जनता को जनसंख्या नियंत्रण की अहमियत के बारे में जागरूक करने का प्रयास किया जाता है। जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करके जनसंख्या नियंत्रण के माध्यमों और उपायों की प्रभावी तकनीकों को प्रस्तुत किया जाता है। इस प्रकार, विश्व जनसंख्या दिवस हमें जनसंख्या संबंधी मुद्दों के प्रति जागरूक करता है और हमें समाज के स्तर पर उच्चतर ज्ञान और जागरूकता बढ़ाने का संकेत देता है।
विश्व जनसंख्या दिवस के बारे में जानकारी
नाम : विश्व जनसंख्या दिवस (वर्ल्ड पापुलेशन डे)
तिथि : 11 जुलाई (वार्षिक)
पहली बार : 11 जुलाई 1990
शुरुआत : 1989 में UNDP की पहल पर संयुक्त राष्ट्र (UNGA) द्वारा
उद्देश्य : बढती आबादी से होने वाली समस्याओं और इसके नियंत्रण के लिए जागरूकता फैलाना।
थीम (2023) : “किसी को पीछे न छोड़ें, सभी की गिनती करें”
विश्व जनसंख्या दिवस की शुरूआत कब और कैसे हुई? (इतिहास)
हर साल 11 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की सिफारिश पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा तेजी से बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के उद्देश्य से की गई थी। दरअसल इस दिवस की स्थापना यूएनडीपी द्वारा 11 जुलाई 1989 को की गई थी जो 1987 के उस दिन (Five Billion Day) को रेखांकित करता है जब दुनिया की आबादी 5 अरब के आंकड़े तक पहुंच गई थी। ऐसे में तेजी से बढ़ती जनसंख्या चिंता का विषय बन गया जिसके फलस्वरुप जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन के प्रति वैश्विक स्तर पर जागरूकता बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा यह महत्वपूर्ण दिवस मनाए जाने फैसला लिया गया। आपको बता दें कि दुनिया की आबादी 1 अरब तक पहुंचने में हजारों वर्षों का समय लग गया लेकिन इसके बाद इसे दुगना होने में कुछ ही सालों का वक्त लगा।
अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या दिवस क्यों मनाते है? (उद्देश्य)
किसी भी विकसित या विकासशील देश के लिए बढ़ती आबादी चिंता का विषय है इसलिए यह दिन राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर जनसंख्या को नियंत्रित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। 11 जुलाई को मनाया जाने वाला विश्व जनसंख्या दिवस बढ़ती आबादी से उत्पन्न होने वाली समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करने का दिन है।यह लोगों को यह समझाने का भी दिन है कि बढ़ती जनसंख्या भयंकर विपदाएं लेकर आएंगी और आने वाली पीढ़ी पर इसका बुरा असर होगा। इसके अलावा बढ़ती जनसंख्या से निपटने के लिए दुनिया भर में परिवार नियोजन जैसे समाधान के बारे में लोगों को जागरूक करना भी इस दिन का मुख्य मक़सद है।
विश्व जनसंख्या दिवस का महत्त्व
विश्व जनसंख्या दिवस का महत्व विभिन्न पहलुओं के माध्यम से व्यक्त होता है:
1) जनसंख्या नियंत्रण की महत्ता: विश्व जनसंख्या दिवस जनसंख्या नियंत्रण की महत्ता को प्रमोट करता है। विश्वभर में बढ़ती जनसंख्या की समस्या बहुत संग्राम और चुनौतियों का कारण बन सकती है, जैसे खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच, और पर्यावरणीय प्रभाव। इस दिवस के माध्यम से लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के लाभ और उपायों की जागरूकता होती है।
2) महिला सशक्तिकरण: विश्व जनसंख्या दिवस महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है। जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन महिलाओं को अधिक नियंत्रण, स्वास्थ्य सुरक्षा और आर्थिक स्वावलंबन की सुविधा प्रदान करता है। विश्व जनसंख्या दिवस के दौरान इस परिप्रेक्ष्य में उद्देश्यों को प्रोत्साहित किया जाता है और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जाती है।
3) शिक्षा और स्वास्थ्य: विश्व जनसंख्या दिवस के माध्यम से शिक्षा और स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण मुद्दों को संदर्भित किया जाता है। बढ़ती जनसंख्या के साथ, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की उपयोगिता और पहुंच महत्त्वपूर्ण होती है। विश्व जनसंख्या दिवस इस दिशा में जागरूकता फैलाने का महत्वपूर्ण माध्यम होता है।
4) पर्यावरणीय सुरक्षा: विश्व जनसंख्या दिवस जनसंख्या की बढ़ती समस्या के पर्यावरणीय प्रभाव को भी उजागर करता है। अधिकांश पर्यावरणीय मुद्दे, जैसे जल, वनस्पति और जीवनरहित क्षेत्रों की खतरा, जनसंख्या दर के कारण हो सकते हैं। विश्व जनसंख्या दिवस में पर्यावरणीय सुरक्षा और संतुलन की जागरूकता को बढ़ावा मिलता है।
विश्व जनसंख्या दिवस 2024 थीम
विश्व जनसंख्या दिवस 2024 का थीम “किसी को पीछे न छोड़ें, सभी की गिनती करें” जनसंख्या जनगणना की एक महत्वपूर्ण लेकिन कभी-कभी उपेक्षित विशेषता की ओर ध्यान आकर्षित करता है: समावेशी और संपूर्ण डेटा संग्रह प्रक्रिया। यह थीम सुनिश्चित करती है कि सभी को संख्याओं में उचित प्रतिनिधित्व मिले – चाहे उनकी पृष्ठभूमि, राष्ट्रीयता, भूगोल या सामाजिक-आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। ” समस्याओं को समझने, समाधान तैयार करने और प्रगति को गति देने के लिए डेटा संग्रह में निवेश करना महत्वपूर्ण है। “ पिछले तीस वर्षों में, दुनिया भर के देशों ने जनसांख्यिकीय डेटा संग्रह, विश्लेषण और उपयोग में जबरदस्त प्रगति की है। आयु, जातीयता, लिंग और अन्य मानदंडों के आधार पर अलग-अलग किए गए नए जनसंख्या अनुमान हमारे समाज की विविधता को अधिक सटीक रूप से दर्शाते हैं। इन नवाचारों ने वैश्विक स्वास्थ्य सेवा वितरण में काफी सुधार किया है, जिसके परिणामस्वरूप यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों का प्रयोग करने और विकल्प चुनने की क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। नई तकनीकें लोगों के अनुभवों का अधिक विस्तृत और समय पर मापन करने की अनुमति देती हैं।
विश्व जनसंख्या दिवस के लिए वर्ष दर वर्ष थीम
विश्व जनसंख्या दिवस 2023 का थीम: लैंगिक समानता की शक्ति को उजागर करना: हमारी दुनिया की अनंत संभावनाओं को खोलने के लिए महिलाओं और लड़कियों की आवाज़ को बुलंद करना
विश्व जनसंख्या दिवस 2022 का थीम: 8 बिलियन का विश्व: सभी के लिए एक लचीले भविष्य की ओर – अवसरों का दोहन और सभी के लिए अधिकार और विकल्प सुनिश्चित करना
विश्व जनसंख्या दिवस 2021 की थीम: कोविड-19 महामारी का प्रजनन क्षमता पर प्रभाव
विश्व जनसंख्या दिवस 2020 की थीम: कोविड-19 महामारी के बीच महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य और अधिकारों की सुरक्षा कैसे करें।
विश्व जनसंख्या दिवस 2019 की थीम: आईसीपीडी के 25 वर्ष: वादे को पूरा करना ।
विश्व जनसंख्या दिवस 2018 का थीम: परिवार नियोजन एक मानव अधिकार है।
2023 में भारत बना दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश
संयुक्त राष्ट्र (UN) के आंकड़ों के अनुसार चीन सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है और दूसरे नंबर पर भारत है। भारत की अनुमानित जनसंख्या वर्ष 2020 के मध्य में लगभग एक अरब 38 करोड़ लोगों की थी तो वही चाइना की जनसंख्या लगभग एक अरब 43 करोड़ लोगों की थी। अप्रैल 2023 में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से जारी किए गए ताज़ा आंकड़ों के अनुसार अब भारत चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बना गया है, जहाँ चीन की कुल आबादी 142.57 करोड़ है, तो वहीं भारत की जनसंख्या 142.86 करोड़ पर पहुंच गई है।चीन में पिछले कई सालों से जनसंख्या पर नियंत्रण किया है, ऐसे में यूनाइटेड नेशन और अन्य संबंधी संस्थाओं ने पहले ही आगाह किया था, कि जिस दर से भारत में आबादी बढ़ रही है, उस हिसाब से यह जल्द ही जनसंख्या के मामले में नंबर-1 देश बन जाएगा। हालंकि यूनाइटेड नेशंस ने यह अनुमान लगाया था कि ऐसा होने में वर्ष 2027 तक का समय लग सकता है। इसके अलावा दुनिया भर की पॉपुलेशन पर नजर रखने वाली संस्था वर्ल्डोमीटर के अनुसार 2030 तक भारत की जनसंख्या 150 करोड़ होगी जो उस समय चीन की आबादी से लगभग चार करोड़ ज्यादाहैहै।
कैसे मनाया जाता है वर्ल्ड पापुलेशन डे?
* वर्ल्ड पापुलेशन डे के खास मौके पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती आबादी से उत्पन्न होने वाली समस्याओं के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है।
* तथा जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए परिवार नियोजन जैसे उपायों के बारे में लोगों को शिक्षित करने का काम किया जाता है।
* इसके अलावा छोटा परिवार होने के फायदे गर्भनिरोधक दवाओ का इस्तेमाल, लिंग समानता, मातृ व शिशु स्वास्थ्य तथा परिवार नियोजन से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर कैंप लगाकर जागरूकता अभियान चलाया जाता है।
विश्व के सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश कौन से हैं?
विश्वमापी के अनुसार जुलाई 2023 की शुरूआत में सबसे अधिक जनसंख्या वाले टॉप 10 देश इस प्रकार है:
चीन – 145 करोड़+
भारत – 142 करोड़+
अमेरिका – 33 करोड़+
इंडोनेशिया – 28 करोड़+
पाकिस्तान – 23 करोड़+
नाइजीरिया – 22 करोड़+
ब्राज़ील – 21 करोड़+
बांग्लादेश – 16 करोड़+
रूस – 14 करोड़+
मक्सिको – 13 करोड़+
जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण क्या है?
हमारे देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण आज देशवासियों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। और जरूरत से ज्यादा जनसंख्या भी देश के विकास में अवरोध उत्पन्न करती है। संख्या वृद्धि के मुख्य कारण है साक्षरता में कमी एवं अंधविश्वास। इसके साथ ही रूढ़िवादी सोच के चलते देश में जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। जैसे कि-
* जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण मृत्यु दर का कम होना और जन्म दर का तेजी से बढ़ना है।
* बेटे की चाह में बच्चे को जन्म देते रहना।
* यह सोच रखना कि जितने अधिक बच्चे होंगे , उतना ज्यादा रोजगार होगा।
* परिवार नियोजन के विषय में ज्ञान ना होना।
* कम उम्र में बेटियों की शादी करवा देना।
* इसके अलावा गर्भनिरोधक दवाओं का कम उपयोग महिलाओं में साक्षरता की कमी, लिंग असमानता और गरीबी भी आबादी बढ़ने के मुख्य कारणों में से हैं।
जनसंख्या विस्फोट क्या है?
जनसंख्या से अर्थ है किसी भी सीमित क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों या लोगों की संख्या। जब भी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की संख्या आवश्यकता से अधिक हो जाती है तो उसे जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है।किसी भी क्षेत्र या किसी भी राष्ट्र में जनसंख्या विस्फोट होने के कारण बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जनसंख्या के बढ़ने से मूलभूत वस्तुओं की आवश्यकता ओं में भी वृद्धि होती है जिससे जरूरत से अधिक मांग होने पर वस्तुओं का मूल्य बढ़ जाता है। रोजगार की दृष्टि में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है बेरोजगारी दर बढ़ने लगती है। इसके अतिरिक्त जनसंख्या विस्फोट के कारण किसी भी राष्ट को इसके दुष्परिणाम जैसे बेरोजगारी, भुखमरी, अशिक्षा जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं। देश की आर्थिक विकास पर भी प्रभाव पड़ता है। अपने देश भारत की ही बात करें तो जनसंख्या वृद्धि के चलते देश में बेरोजगारी और भुखमरी जैसी समस्याएं दिन पर दिन बढ़ती जा रही है।
जनसंख्या वृद्धि से होने वाले नुकसान
किसी भी विकास शील देश के लिए जरूरत से ज्यादा जनसंख्या वृद्धि एक गंभीर समस्या बन सकती है, जिसका समाधान ढूंढना अत्यंत आवश्यक है। जनसंख्या वृद्धि के चलते किसी भी देश के नागरिकों को निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
* मूलभूत अवश्यक्ताओ वाले संसाधनों में कमी आना।
* देश में बेरोजगारी के स्तर का बढ़ना।
* संसाधनों में कमी आने से महंगाई का बढ़ना।
* जनसंख्या बढ़ने से पर्यावरण पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जैसे पर्यावरण प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग , प्राकृतिक आपदाएं आदि।
जनसंख्या पर नियंत्रण कैसे किया जा सकता है?
जनसंख्या वृद्धि को देखते हुए उस पर नियंत्रण करना बहुत ही आवश्यक हो गया है लेकिन यह कार्य इतना आसान नहीं। सरकार द्वारा जनसंख्या वृद्धि दर को कम करने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इन कार्यक्रमों पर ध्यान देकर एवं लोगों को बढ़ती जनसंख्या के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करके जनसंख्या वृद्धि दर को कुछ हद तक कम किया जा सकता।
* छोटा परिवार सुखी परिवार , हम सभी जानते हैं कि बढ़ती महंगाई के समय परिवार के जितने अधिक सदस्य होंगे उतना ही अधिक खर्चा होगा। इसलिए अपने परिवार को छोटा रखकर हम अपने बच्चों को एक बेहतर जिंदगी दे सकते हैं।
* अपने बच्चों को उचित शिक्षा देकर इन सभी बातों के प्रति जागरूक किया जा सकता है।
* सरकार द्वारा छोटे परिवारों के लिए उचित योजनाओं एवं बेहतर स्कीमों के द्वारा लोगों को जगरूख किया जा सकता है।
* परिवार नियोजन जैसे विषयों पर खुलकर बात करना।
* जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणामों के प्रति लोगों को जागरूक करना।
* भारत जैसे विविधताओं में एकता वाले देश में नागरिकों को जनसंख्या वृद्धि के प्रति जागरूक करना किसी चुनौती से कम नहीं है। भारत एक ऐसा देश है जहां आर्थिक रूप से बहुत असमानता है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव का संदेश
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने विश्व जनसंख्या दिवस पर अपने संदेश में कहा, “जैसा कि इस वर्ष के विश्व जनसंख्या दिवस का विषय हमें याद दिलाता है, समस्याओं को समझने, समाधान तैयार करने और प्रगति को गति देने के लिए डेटा संग्रह में निवेश करना महत्वपूर्ण है। वित्त भी उतना ही महत्वपूर्ण है। मैं देशों से आग्रह करता हूं कि वे इस वर्ष भविष्य के शिखर सम्मेलन का अधिकतम लाभ उठाएं, ताकि सतत विकास के लिए सस्ती पूंजी जुटाई जा सके।”
तेजी से बढ़ रही जनसंख्या दुनियाभर में पर्यावरण समेत कई बड़े खतरे पैदा कर रही है। तेजी से बढ़ रही जनसंख्या के कारण लोगों की आय में गिरावट, भुखमरी के हालात और पर्यावरण से जुड़े बदलाव हो रहे हैं। इसकी वजह से कृषि योग्य जमीनों की कमी हो रही है, जिससे अनाज उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। जनसंख्या वृद्धि के कारण चीजों की कीमतें भी तेजी से बढ़ रही हैं और आपूर्ति के अनुसार चीजों की सप्लाई नहीं हो पा रही है। आने वाले दिनों में इसकी वजह से कई गंभीर चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश भारत बन चुका है। यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड की द स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट, 2023 के मुताबिक भारत की जनसंख्या कुल मिलाकर 1,42.86 करोड़ (1.428 अरब ) तक हो गयी है। इसकी वजह से आने वाले दिनों में भारत में भी कई संकट खड़े हो सकते हैं।