तंबाकू सेवन से हर साल 80 लाख से ज्यादा लोगों की अकाल मौत होती है। इनमें से 7 मिलियन से अधिक प्रत्यक्ष तंबाकू के उपयोग करने के कारण मृत्यु को प्राप्त होते हैं, जबकि लगभग एक लाख से अधिक अप्रत्यक्ष धूम्रपान करने से मारे जाते हैं। विश्व में करीब 2.5 करोड़ कैंसर के मरीज हैं और 2025 तक 3.0 करोड़ होने की सम्भावना है। भारत तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है तथा हर साल 17 लाख लोगों की तंबाकू सेवन से मृत्यु होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तंबाकू निषेध दिवस प्रतिवर्ष 31 मई को मनाया जाता है, जिससे कि पूरे विश्व का तंबाकू द्वारा फैलाई गई महामारियों की ओर ध्यान आकर्षित कर सके। इसकी शुरुआत सन् 1987 से हुई थी। इस वर्ष तंबाकू निषेध दिवस का ध्येय वाक्य Protecting Children From Tobacco Industry Interference मतलब बच्चों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना है। मानव लागत के अलावा तंबाकू के सेवन से पर्यावरण भी खराब होता है. आंकड़े बताते हैं कि प्रतिवर्ष साठ करोड़ वृक्षों को काटकर सिगरेट बनाया जाता है और तंबाकू जनित उत्पादों से आठ करोड़ चालीस लाख टन कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जित होती है जिससे वायुमंडल का तापमान बढ़ता है। इतना ही नहीं सिगरेट बनाने में लगभग बाईस अरब लीटर पानी का उपयोग किया जाता है। दुनिया के लगभग डेढ़ अरब व्यक्ति तंबाकू का सेवन करते हैं जिनमें से लगभग 80% से अधिक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। 2020 के आंकड़ों के अनुसार तंबाकू सेवन कर्ताओं में लगभग 20 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। तंबाकू सेवन से उपजी महामारी से दुनिया को आगाह करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल की शुरुआत 2003 से की है। हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day) मनाया जाता है. यह तंबाकू के सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है. तंबाकू की खपत उन कारकों में से एक है, जो माना जाता है कि 2030 तक संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए सस्टेनेबल डेवलपमेंट एजेंडा को पाने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, जिसका उद्देश्य उस समय तक तंबाकू से संबंधित मौतों को एक तिहाई कम करना है. यहां वर्ल्ड टोबैको डे का इतिहास (World No Tobacco Day History), इसके साथ ही वर्ल्ड टोबैको डे का महत्व (World No Tobacco Day Significance) और थीम के बारे में जानें।
वर्ल्ड नो टोबैको डे की थीम
डब्ल्यूएचओ के सदस्य देश 1987 में 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने के लिए सहमत हुए. तब से इस दिन को हर साल एक रेलिवेंट थीम के साथ मनाया जाता है. साल तंबाकू निषेध दिवस 2024 की थीम है Protecting Children From Tobacco Industry Interference मतलब बच्चों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना है। 2024 की यह थीम हानिकारक तंबाकू उत्पादों के साथ युवाओं को लक्षित करने की समाप्ति की वकालत करने पर केंद्रित है। यह चर्चा वैश्विक स्तर पर युवा लोगों, नीति-निर्माताओं और तंबाकू नियंत्रण समर्थकों को इस मुद्दे पर चर्चा करने और सरकारों से उन नीतियों को अपनाने का आग्रह करने के लिए एक मंच प्रदान करती है जो युवाओं को तंबाकू और संबंधित उद्योगों की चालाकी भरी प्रथाओं से बचाती हैं। हालाँकि तंबाकू नियंत्रण समुदाय के अभूतपूर्व प्रयासों के कारण पिछले कुछ वर्षों में सिगरेट पीने में कमी आई है, फिर भी इन कमजोर समूहों की सुरक्षा के लिए और अधिक प्रयास किए जाने चाहिए। 2022 के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में 13-15 वर्ष की आयु के कम से कम 37 मिलियन युवा किसी न किसी रूप में तंबाकू का उपयोग करते हैं। डब्ल्यूएचओ यूरोपीय क्षेत्र में, 13-15 वर्ष की आयु के 11.5% लड़के और 10.1% लड़कियाँ तम्बाकू उपयोगकर्ता (4 मिलियन) हैं। अरबों डॉलर का राजस्व अर्जित करने के लिए, तम्बाकू उद्योग को हर साल मरने वाले लाखों ग्राहकों और तम्बाकू का सेवन छोड़ने वालों को प्रतिस्थापित करने की आवश्यकता है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, यह एक ऐसा वातावरण बनाने के लिए काम करता है जो अगली पीढ़ी के बीच अपने उत्पादों को बढ़ावा देता है, जिसमें यह सुनिश्चित करने के लिए ढीला विनियमन भी शामिल है कि इसके उत्पाद उपलब्ध और किफायती हैं। उद्योग ऐसे उत्पाद और विज्ञापन रणनीति भी विकसित करता है जो बच्चों और किशोरों को आकर्षित करते हैं, सोशल मीडिया और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से उन तक पहुंचते हैं। तंबाकू उद्योग जानबूझकर युवाओं को घातक निर्भरता बेचता है, इसलिए WNTD 2024 सरकारों और तंबाकू नियंत्रण समुदाय से वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों की रक्षा करने और इससे होने वाले नुकसान के लिए तंबाकू उद्योग को जिम्मेदार ठहराने का आह्वान किया है।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस का इतिहास
वर्ल्ड हेल्थ असेंबली ने 1987 में वर्ल्ड नो टोबैको डे मनाने का प्रस्ताव WHA40.38 पारित किया. सभा ने 7 अप्रैल, 1988 को ‘विश्व धूम्रपान निषेध दिवस’ घोषित करने का आह्वान किया. सभा ने अंततः 1988 में इसे पारित किया और 31 मई को हर साल विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने का आह्वान किया गया था।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस का महत्व
हर वर्ष 31 मई को विश्व भर में विश्व तंबाकू निषेध दिवस के नाम से मनाया जाने वाले इस दिन का एक विशेष महत्व है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य तंबाकू सेवन से होने वाले नुक्सान एवं स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों की ओर इशारा करना है। एवं तंबाकू या इसके उत्पादों के उपभोग पर रोक लगाना या इस्तेमाल को कम करने के लिए लोगों को जागरुक बनाना है। साथ ही इसका उद्देश्य लोगों को तंबाकू के कारण स्वास्थ्य पर होने वाले खतरे और साइड इफेक्ट को लेकर जागरुक करना और उन्हें इस चीज के इस्तेमाल से दूर करना है। विश्व भर में हर वर्ष करीब 70 लाख मौते तंबाकू के सेवन के कारण होती हैं। सर्वप्रथम 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया गया था। आज भी यह दिवस प्रतिवर्ष तंबाकू की महामारी पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करने के लिए मनाया जा रहा है।
तंबाकू में मौजूद रसायनिक यौगिक
तंबाकू में कई प्रकार के रासायनिक यौगिक मौजूद होते है, जो कई बीमारियों का कारण बनते है जो निम्न हैं –
* निकोटीन (एक रासायनिक यौगिक)
* हाइड्रोजन साइनाइड (Hydrogen cyanide)
* फॉर्मलडेहाइड (formaldehyde)
* लीड/सीसा की उपस्थिति।
* आर्सेनिक की अधिकता।
* बेंजीन का होना।
* कार्बन मोनोऑक्साइड आदि विषेले रासायनिक यौगिक शामिल होते हैं।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने का उद्देश्य
वार्षिक रूप से आयोजित होने वाला यह अभियान तंबाकू के हानिकारक उपयोग और घटक प्रभाव के विषय में जागरूकता फैलाने तथा किसी भी रूप में तंबाकू के उपयोग को हतोत्साहित करने का एक अवसर है। अकाल मृत्यु होने के कारणों में से तंबाकू सेवन भी एक है, यह फेफड़ों को नुकसान पहुँचता है और गंभीर और अक्सर घातक स्थितियों जैसे कि हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर को बढ़ावा देने का कार्य करता है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार प्रति वर्ष करीब 8 मिलियन लोग इसके कहर से मर रहे हैं। इसके अत्यधिक सेवन से मुंह और फेफड़ों का कैंसर होने के चांसेस कई गुना बढ़ जाते हैं। इनमें फेफड़े के कैंसर से लेकर अस्थमा और हृदय से जुड़ी बीमारियां तक शामिल हैं।
कैसे मनाया जाता है विश्व तंबाकू निषेध दिवस
विश्व स्वास्थ्य संगठन हर साल सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों को तंबाकू के उपयोग को रोकने के लिए उनके प्रयासों और योगदान के लिए सम्मानित करता है. इस साल, WHO ने झारखंड को विश्व तंबाकू निषेध दिवस (WNTD) पुरस्कार-2022 के लिए चुना है. भारत तंबाकू सेवन के स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए एक राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम चलाता है. यह नीतियों और पहलों को तैयार करने में भी मदद करता है जो देश को अपने लक्ष्य तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं. इस कार्यक्रम को 2012 में झारखंड तक फैलाया गया था।
तंबाकू का स्वास्थ्य पर प्रभाव
तंबाकू के सेवन से फेफड़ों का कैंसर हो सकता है, जो ज्यादातर सिगरेट पीने के इतिहास वाले लोगों को प्रभावित करता है. फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित लगभग 80 से 90 प्रतिशत लोगों का तंबाकू धूम्रपान का इतिहास रहा है. तम्बाकू पुरुषों के लिए मृत्यु का प्रमुख कारण है और महिला और पुरुषों के लिए दूसरा प्रमुख कारण है।
तंबाकू के उपयोग से होने वाली बीमारी
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पूरी दुनिया में हर साल तंबाकू का सेवन करने के कारण लाखों लोगों की जान चली जाती है। हम आपको बता दें कि तंबाकू का अत्याधिक सेवन कई प्रकार की बीमारियों को न्योता देता है जो निम्न है-
लंग्स कैंसर और मुंह का कैंसर : तंबाकू का सेवन करने से शरीर कई बीमारियों की चपेट में आ जाता है। इन बीमारियों में से एक बीमारी लंग्स कैंसर यानी कि फेफड़ों का कैंसर है। लंग्स कैंसर होने का खतरा उन लोगों को सबसे ज्यादा होता है जो स्मोकिंग करते हैं। सिगरेट का सेवन ज्यादा करने से लंग्स की कार्य करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है, और धीरे-धीरे व्यक्ति कैंसर की गिरफ्त में आ जाता है। इसी तरह से तंबाकू का सेवन करने से मुंह का कैंसर भी हो सकता है। यहां तक कि लोगों के बोलने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।
हो सकते हैं डायबिटीज का शिकार : आजकल युवा हों या फिर बुजुर्ग ज्यादातर लोग जिस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं वो है डायबिटीज। क्या आपको पता है तंबाकू का सेवन और स्मोकिंग करना मधुमेह के प्रमुख कारणों में से एक है। इसलिए अगर आप अपने आप को डायबिटीज की चपेट में आने से बचाना चाहते हैं तो तंबाकू का सेवन आज से ही बंद कर दें।
दिल पर डालता है खराब असर : एक रिसर्च की मानें तो भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में दिल से संबंधित रोग से मरने वाले लोगों की संख्या अधिक है। तंबाकू का सेवन करने से हर 5वां व्यक्ति दिल की बीमारी की चपेट में आ रहा है। ऐसे में तंबाकू का सेवन बंद करना ही एकमात्र उपाय है।
महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा
आजकल पुरुष हो या फिर महिलाएं स्मोकिंग करना आम बात हो गई है। लेकिन क्या आपको पता है महिलाओं की स्मोकिंग करने की ये आदत उन्हें ब्रेस्ट कैंसर का शिकार बना रही है। स्मोकिंग के जरिए शरीर में तंबाकू पहुंच रहा है। यही वजह है कि स्मोकिंग करने की वजह से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा है। अगर कोई महिला गर्भवती और तंबाकू का सेवन कर रही है तो उसके बच्चे पर भी उसका नकारात्मक असर पड़ता है। इसके अलावा:-
* महिलाओं में प्रजनन संबंधी समस्या का होना।
* मुंह से बदबू आना।
* दमा जैसे बीमारी का होना।
* हृदय की बीमारी का होना।
* दांत खराब होना।
* आंखें कमजोर होना।
* मधुमेह जैसी बीमारी।
* आघात (स्ट्रोक) का होना।
* Premature होना (समय से पहले जन्म)।
* अंधापन और मोतियाबिंद की शिकायत होना।
इसके अलावा फेफड़ों का कैंसर, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, लिवर कैंसर, मुंह का कैंसर, डायबिटीज का खतरा, कोलन कैंसर और महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर जैसी कई प्रकार की गंभीर बीमारियां हो जाती हैं। तंबाकू से उत्पन्न होने वाली इन बीमारियों के बारे में जानते हुए भी जो लोग तंबाकू या फिर उससे बनने वाले पान मसाले और सिगरेट का सेवन कर रहे हैं, उन्हें तंबाकू का सेवन करना छोड़ देना चाहिए। यह ना केवल उनके स्वास्थ्य के लिए बल्कि उनके आस-पास रहने वाले लोगों के लिए एक वरदान साबित होगा।
भारत में तंबाकू की खेती
भारत में लगभग चालीस हजार हेक्टेयर भूमि पर तंबाकू की खेती की जाती है जो कुल उपजाऊ भूमि का 0.27 प्रतिशत है। देश में लगभग 80 प्रतिशत तंबाकू गुजरात, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में उगाया जाता है। मध्यप्रदेश तंबाकू का प्रमुख उत्पादक राज्य न होते हुए भी भारतीय बीड़ी उद्योग में बड़ी हिस्सेदारी रखता है। गौरतलब है कि तंबाकू के उत्पाद की प्रक्रिया में खासतौर पर बीड़ी उद्योग में ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी सर्वाधिक है। जिसका दुष्परिणाम उनके स्वास्थ्य और शारीरिक विकास पर पड़ता है। अप्रत्यक्ष रूप से वे तंबाकू से होने वाली बीमारियों से ग्रसित हो जाती हैं। महिलाओं के साथ-साथ यह दुष्प्रभाव बच्चों पर भी पड़ता है।
ई-सिगरेट का चलन
तंबाकू हर प्रकार से शरीर को नुकसान पहुंचाता है। तंबाकू सेवन का सबसे प्रचलित रूप सिगरेट है, लेकिन इसके अलावा बीड़ी, सिगार, घुलनशील तंबाकू, धुआं विहीन तंबाकू, हुक्का, खैनी और हाल ही में ई-सिगरेट का भी चलन है। अमेरिका और मिस्र जैसे देशों में हुक्का सेवन के लिए विशेष रेस्टोरेंट भी बनाये जाते हैं, जहाँ पर लोग प्रति घंटे के हिसाब से इसका सेवन करते हैं। प्रतिवर्ष 31 मई को तंबाकू निषेध दिवस मनाने का उद्देश्य यही है कि तंबाकू के दुष्प्रभावों से लोगों को जागरूक किया जा सके और तंबाकू के व्यवसाय पर निगरानी रखने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाएं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस दिशा में कार्य किये जाते हैं और पूरी दुनिया में तंबाकू के दुष्प्रभाव से बचने के तौर-तरीकों का प्रचार-प्रसार किया जाता है। संगठन लोगों के स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए अनेकों एडवाइजरी भी जारी करता है जिससे आने वाली पीढ़ियों को भी बचाया जा सके।
भारत में सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट
भारत में सिगरेट और तंबाकू जनित उत्पादों पर रोकथाम के लिए 2003 में सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट बना। 2008 में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर नियंत्रण क़ानून लाया गया जिसमें जुर्माने का भी प्रावधान किया गया। सभी शिक्षण संस्थानों की परिधि से सौ मीटर तक तंबाकू के बिक्री पर भी प्रतिबंध है, लेकिन ये सभी नियम-कानून तंबाकू के सेवन पर रोकथाम के लिए पार्याप्त नहीं है। धूम्रपान करने से शरीर पर अनेक प्रकार के दुष्प्रभाव पड़ते हैं। इसके सेवन से जहाँ फेफड़े, बड़ी आंत, लिवर और मुंह के कैंसर होने की संभावना है, वहीं यह डाइबिटीज, हृदय रोग और रक्तचाप को भी बढ़ाता है। इसके सेवन से दाँत भी पीले अथवा भूरे होकर खराब होने लगते हैं और बालों से भी दुर्गंध आने लगती हैं। तंबाकू के धुएँ में पाई जाने वाली कार्बन डाई-ऑक्साइड गैस, रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा को घटाती है। तंबाकू में पाये जाने वाला निकोटिन मस्तिष्क और माँसपेशियों को प्रभावित कर रक्तचाप को बढ़ाता है। यह दिमाग को भी प्रभावित करती है और फेफड़ों में इसका धुआं म्यूकस कोशिकाओं को बढ़ाता है।
सरकार द्वारा उठयें गये कदम
तंबाकू के सेवन को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा अभी तक कई क़दम उठायें गये है जो निम्न है –
* 1992 में सरकार द्वारा तंबाकू की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
* 2003 में पारित अन्य अधिनियम के तहत तंबाकू उत्पादों पर सचित्र चेतावनी का प्रदर्शन अनिवार्य हो गया है।
* 2008 में WHO द्वारा सभी तंबाकू विज्ञापन, प्रचार और प्रायोजन पर विश्व भर में प्रतिबंध लगाने का आह्वान।
* WHO द्वारा 2015 में तंबाकू के उपयोग से होने वाले स्वास्थ्य सम्बन्धी जोखिमों के बारें में जागरूक किया और इसके उत्पादों के अवैध व्यापार को समाप्त करने के लिए प्रभावी नीतियों को बनाया।
* ।WHO द्वारा 2017 में, “विश्व तंबाकू निषेध दिवस” के बैनर के तहत तंबाकू का सेवन “विकास के लिए खतरा” के रूप में तम्बाकू पर ध्यान केंद्रित किया।
आयुर्वेद और योग की मदद से तम्बाकू से पाएं छुटकारा
अजवाइन : तम्बाकू के नशे से मुक्ति पाने में अजवाइन बेहद कारगर आयुर्वेदिक नुस्खा है। भुनी हुई अजवाइन खाने से तम्बाकू सेवन की बेचैनी धीरे-धीरे ख़त्म होती जाती है। इससे पाचन तंत्र को फायदा होता है और गैस, अपच आदि की समस्याओं में भी राहत मिलती है।
अदरक : तम्बाकू खाने की जब भी इच्छा बलवती हो जाए तब अदरक को मुंह में रखें और धीरे-धीरे उसे चूसते रहें। तम्बाकू खाने या धूम्रपान करने की इच्छा पर विराम लगेगा। इसके लिए अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े करके उसमें नींबू का रस और नमक मिलाकर धूप में सुखा लें। अदरक में सल्फर होता है जो इस लत को कम करने में मदद करते है।
शहद और नींबू : नींबू के रस में शहद मिलाकर पीने से तम्बाकू के नशे की तलब दूर होती है। नींबू-पानी से शरीर से नशीले पदार्थ भी बाहर निकलते हैं।
आंवला, सौंफ और इलायची : आंवला, सौंफ और इलायची के चूर्ण का मिश्रण भी नशे की लत से छुटकारा पाने में बेहद उपयोगी है। सिगरेट या तम्बाकू खाने की जब भी इच्छा हो तब इन तीनों के चूर्ण की एक पुड़िया मुंह में रखें और धीरे-धीरे इसे चबाते रहें। कुछ दिन तक ऐसा करने से नशे की तलब ख़त्म हो जायेगी। साथ ही पेट के लिए भी यह फायदेमंद है। खट्टी डकार ,भूख ना लगना, पेट फूलने में आराम मिलता है।
तुलसी : आयुर्वेद में तुलसी का विशेष महत्व है। तम्बाकू से छुटकारा पाने में भी यह विशेष उपयोगी है। सिगरेट पीने या तंबाकू खाने का जब भी मन करे तो तुलसी का पत्ता चबाएं। सुबह और शाम तुलसी के 2-3 पत्ते चबाने से नशे की लत से छुटकारा मिल सकता है।
योग और व्यायाम : तम्बाकू की लत पड़ने पर, उसे छोड़ना आसान नहीं होता। इसके लिए जबरदस्त इच्छाशक्ति और मानसिक दृढ़ता की जरुरत होती है। इसके लिए शरीर, मन और आत्मा का एक होना जरुरी होता है। इसके लिए योग से बेहतर कुछ भी नहीं है। शवासन से विशेष फायदा होता है। अनुलोम-विलोम भी उपयोगी है। योगासन के साथ-साथ शारीरिक व्यायाम भी करते हैं तो सोने पर सुहागा। यह तनाव को कम करता है।
शराब, चीनी और कॉफी से दूरी : तम्बाकू छोड़ने का आपने निश्चय कर लिया है तो कुछ वक़्त तक शराब, चीनी और कॉफी से भी दूरी बनानी होगी। ये तीनों सिगरेट पीने की इच्छा को जागृत करते हैं।
शाकाहारी खाना : मांसाहरी और वसायुक्त खाना तम्बाकू से छुटकारा पाने की राह में बाधक है। इसमें मन का सात्विक होना जरुरी है और उसके लिए शाकाहारी भोजन जरूरी है। साथ ही पानी भी खूब पीना चाहिए। ताजा खाद्य पदार्थ खाएं और इसलिए आहार को लेकर बेहद अनुशासित होने की जरुरत है।
हर्बल चाय : हर्बल चाय पीने से भी तम्बाकू सेवन की इच्छा में कमी आती है। कैमोमाइल और ब्राह्मी मिश्रित हर्बल टी से काफी लाभ होता है।
अनानास, हरड़ और लौंग : तम्बाकू खाने या धूम्रपान करने की जब भी इच्छा हो तो सूखे अनानास के एक या दो टुकड़े को शहद के साथ चबाएं। इससे फायदा होगा। भिगोकर रखी गई काली हरड़ को चूसने से भी फायदा होता है। लौंग चूसने से भी फायदा होगा।
चुनें अन्य मौखिक विकल्प : बिना नशे वाली तंबाकू के लिए अन्य भी कई प्रभावी विकल्प हैं, जो आपके कर्ब को चबाने की आदत में मदद देंगे. इसकी शुरुआत आप कर सकते हैं बिना तंबाकू वाले उत्पादों के साथ. इसके बाद इस आदत को आप आगे बढ़ा सकते हैं कैंडी, बिना शुगर वाले सूरजमुखी के बीज और बियर जर्की के साथ. इन चीजों को आप बिना तंबाकू मिलाए ले सकते हैं, जो आपको स्वाद कुछ वैसा ही देगी, लेकिन काम बिना तंबाकू वाला ही करेगी. अब तैयार हो जाइए इन नुस्खों को इस्तेमाल करके तम्बाकू के सेवन से मुक्ति पाने के लिए।
खुद को व्यस्त रखें : खाली बैठे रहने से आपको मुंह में तंबाकू को चबाने की याद जरूर आएगी. ऐसे में एक साधन तो ये है कि आप बिना नशे वाली तंबाकू ले लें, या फिर ज्यादा बेहतर होगा कि आप खुद को खाली रखने के बजाए किसी काम में व्यस्त रखें. अपने दिमाग और शरीर को किसी काम में इतना मशगूल कर दें कि आपको तंबाकू की याद ही नहीं आए. इस बीच में जब कभी ऐसा हो कि व्यस्तता के बाद भी बीच में आपको तंबाकू की बहुत ज्यादा तलब लगे, तो उस समय को किसी कॉपी में नोट कर लें. ताकि जब आप अगले समय ऐसा करें तो आपको अंदाजा हो जाए कि कितने समय के दौरान आपको तंबाकू की लत लगेगी. अगली बार से उस समय पर खुद को आप और भी ज्यादा व्यस्त करने की कोशिश करें. इसके लिए जरूरी नहीं कि आप बहुत मेहनत वाला काम करें. आप जॉगिंग, वॉकिंग, स्वीमिंग जैसे ऐसे काम भी कर सकते हैं, जो आपके दिमाग और शरीर दोनों को सुकून दे।
विटामिन ए, सी व ई के सेवन को बढ़ाएं : तंबाकू आपके शरीर में स्किन सेल्स और ऊतकों (tissues) को डैमेज कर देती हैं. अब बिटामिन ए, सी और ई युक्त भोजन शरीर की इन क्षतियों को सही कर सकता है और इस तरह से हमारा शरीर पहले की तरह ठीक से काम करने लगता है. उदाहरण के तौर पर विटामिन ए शरीर में बलगम झिल्ली के उपचार के लिए आवश्यक है. यह तंबाकू के सेवन से सबसे ज्यादा और पहले प्रभावित होती है. विटामिन ई की जरूरत शरीर में उचित ऑक्सीकरण और मुक्त कणों को शरीर से बाहर निकालने के लिए होती है. अब ऐसे में इन विटामिन्स से भरपूर खाने का सेवन करके आप तंबाकू से शरीर के अंदर हुई खराबी को सही कर सकते हैं।
लेकिन यह नुस्खे तभी काम आयेंगे जब तम्बाकू से छुटकारा पाने के लिए आप दृढ़ संकल्पित हो। यदि आपने एक बार पक्का इरादा कर लिया तो तम्बाकू के खिलाफ आधी जंग आप वैसे ही जीत जाते हैं। इस आप देख सकते है कि इसके सेवन से न केवल हम अपने आपको कठिनाई में डालते है बल्कि अपने परिवार को भी हम कठिनाई में डालने का कार्य करते है। इस समस्या से जल्द से जल्द हमें उबरना चाहिए इसके लिए हमें प्रण लेना होगा यदि हम इसका उपभोग करते हैं तो धीरे धीरे इसका सेवन हमें कम करना होगा, और फिर इसका सेवन पूर्ण रूप से समाप्त करना होगा।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। अत: हम सभी को सरकार द्वारा चलाये जा रहे जागरूक कार्यक्रमों में खुद बढ़ चढ़ कर भाग लेना चाहिए और लोगो को भी अपनी ओर से जागरूक करने का कार्य करना होगा तभी हम तंबाकू मुक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकेंगे।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।