विश्व संगीत दिवस हर वर्ष 21 जून को मनाया जाता है, जो उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का ग्रीष्म संक्रांति (summer solstice) होता है। इसे फ़्रांंस की शुरूआत से ‘Fête de la Musique’ या ‘Make Music Day’ के नाम से भी जाना जाता है। यह सबसे पहले फ्रांस में मनाया गया था, और आज यह दुनिया के 120 से अधिक देशों में मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य है कि लोग मुफ्त में संगीत सुनें, संगीतकार बिना किसी मंच या फीस के सड़कों पर, पार्कों में या सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शन करें।
विश्व संगीत दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में संगीत की सुंदरता और उसकी ताकत को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य है कि लोग बिना किसी भेदभाव के संगीत के ज़रिए एक-दूसरे से जुड़ें और शांति, आनंद और प्रेम फैलाएं। इस मौके पर कई जगहों पर संगीत कार्यक्रम, लाइव कॉन्सर्ट और गली-चौराहों पर खुले मंचों पर परफॉर्मेंस होते हैं, जहां आम लोग और कलाकार मिलकर संगीत का जश्न मनाते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि संगीत न सिर्फ मनोरंजन का जरिया है, बल्कि यह तनाव कम करने, मन को शांत करने और लोगों को जोड़ने का भी एक सुंदर माध्यम है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि विश्व संगीत दिवस की शुरुआत कब और कैसे हुई, इसका उद्देश्य क्या है और यह हमारे जीवन में क्यों खास है।
विश्व संगीत दिवस का इतिहास
इसकी रूपरेखा 1981 में फ्रांस के संस्कृति मंत्री जैक लैंग एवं संगीत विशेषज्ञ मौरिस फ्लेरेट ने तैयार की। उन्होंने महसूस किया कि फ्रांस की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा किसी न किसी रूप में संगीत से जुड़ा है। इसलिए उन्होंने एक ऐसा दिन तय किया जब हर कोई संगीत का आनंद ले सके, बिना किसी सीमा या बाधा के। पहली बार 21 जून 1982 को फ्रांस में यह दिन मनाया गया, और जल्द ही यह बाकी देशों में भी फैल गया। पहला आयोजन 21 जून 1982 को पेरिस में हुआ, जिसमें “Is not music everywhere and concerts nowhere?” के आदर्श वाक्य के साथ स्वतंत्र, सड़कों पर संगीत समारोह शुरू हुआ। इस पहल ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया और दूतों के रूप में यह 700 से अधिक शहरों और 120 देशों में फैल गया ।
विश्व संगीत दिवस का उद्देश्य
इस दिन को मनाने के कई उद्देश्य हैं:
संगीत का सार्वभौमिक आदान‑प्रदान: इसे शौकिया या पेशेवर किसी भी स्तर पर सभी के लिए खुला आयोजन बनाकर संगीत को सुलभ बनाना ।
समुदाय जीवन और शांति: शहरी/ग्रामीण समुदायों में संगीत के माध्यम से आपसी जुड़ाव व समरसता को बढ़ावा देना ।
नई प्रतिभाओं को मंच प्रदान करना: संगीत प्रेमियों, उभरते कलाकारों, वादक‑गायकों को बिना कोई शुल्क दिए अपनी कला प्रस्तुत करने का अवसर देना ।
सांस्कृतिक विविधता का उत्सव: शास्त्रीय, पॉप, जैज़, रैप, लोक आदि संगीत शैलियों को एक साथ लाकर सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देना।
संगीत को सभी के लिए सुलभ बनाना
नए और उभरते हुए कलाकारों को मंच देना
संगीत के ज़रिए समाज में शांति और एकता फैलाना
मुफ्त में लाइव म्यूज़िक का आनंद देना
संगीत के प्रति रुचि को बढ़ावा देना
विश्व संगीत दिवस का महत्व
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: शांति, आनंद और तनावमुक्ति हेतु संगीत का सकारात्मक अंश, जो मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाता है।
सामाजिक समावेशिता: किसी भी उम्र, कौशल या पृष्ठभूमि का व्यक्ति इसमें भाग ले सकता है, जिससे सामूहिक सहभागिता को बल मिलता है।
स्थानीय कलाकारों का स्वीकृति‑योग्य मंच: स्थानीय एवं नए कलाकारों को इस दिन अपने हुनर दिखाने का अवसर मिलना समर्थक बनता है।
विश्व शांति और भाईचारे की भावना: यह दिन देशांतरों की सांस्कृतिक सीमाओं को पार करते हुए भाइचारे एवं वैश्विक एकता की भावना को पोषित करता है।
विश्व संगीत दिवस 2025 की थीम
2025 की आधिकारिक थीम अब तक घोषित नहीं हुई है, पर आयोजनों का केंद्र अक्सर स्थानीय व वैश्विक संगीत योगदानों पर होता है।
पिछली वर्ष 2024 की थीम थी “Equity in Music” अर्थात संगीत में समानता होना।
2023 में थीम थी “Music to Sustain Music” यानी संगीत के लिए संगीत की स्थिरता।
2022 की थीम थी “Music at the intersections” यानी संगीत के सम्मिलित बिंदुओं पर—मिश्रण, विविधता की अभिव्यक्ति।
विश्वभर में आयोजन के तरीके
सडकों और सार्वजनिक स्थानों पर मुफ्त कंसर्ट: पार्क, चौक और गलियों में स्थानीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगीतकारों द्वारा प्रस्तुतियाँ ।
कामशाला एवं कार्यशालाएँ: नए वाद्ययंत्र से परिचय, गायन कक्षाएँ, मुक्त जाम सेशन आदि का आयोजन।
ऑनलाइन वर्चुअल कॉन्सर्ट: COVID-19 के बाद डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर प्रदर्शनों का आयोजन भी होने लगा।
समृद्ध कलाकार समर्थन: संगीत प्रेमी स्थानीय कलाकारों को सोशल मीडिया, कार्यक्रम भागीदारी व खरीद द्वारा प्रोत्साहित करते हैं।
विश्व संगीत दिवस का भारत में प्रभाव
भारत में भी विश्व संगीत दिवस बड़े जोश और उत्साह से मनाया जाता है। कई स्कूल, कॉलेज, संगीत संस्थान और आर्ट गैलरी इस दिन खास कार्यक्रम रखते हैं। संगीतकार, बैंड और सिंगर्स इस दिन लाइव परफॉर्मेंस देते हैं और सोशल मीडिया पर अपने संगीत को लोगों तक पहुंचाते हैं। भारत में यह आयोजन कई बड़े शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, पुणे आदि में धूमधाम से होता है। इसके अंतर्गत शास्त्रीय, बॉलीवुड, लोक, पॉप जैसे विविध शैली-संगीत प्रस्तुत होते हैं। सार्वजनिक स्थल जैसे पार्क, चौक, कैफे, रेस्टोरेंट आदि में मुफ्त संगीत सेशन आकर्षक डे हो जाता है।
विश्व संगीत दिवस के कुछ संक्षिप्त उद्धरण
“संगीत न सिर्फ शारीरिक, बल्कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।”
“यह दिन सभी उम्र और पृष्ठभूमि के लोगों को संगीत के प्रति अपने प्रेम का जश्न मनाने के लिए एक साथ लाता है।”
विश्व संगीत दिवस सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि यह सांस्कृतिक समरसता, मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य और सामाजिक एकजुटता का पर्याय है। 2025 में 44वाँ संस्करण इस दिन को और भी अर्थपूर्ण बनाएगा कि जब विश्वभर के संगीत प्रेमी, युवा‑वृद्ध, और कलाकार वाद्ययंत्रों के संग निकलेंगे चौखटों और चौराहों पर, तो संगीत की उस सार्वभौमिक भाषा की मिठास सम्पूर्ण मानवता में गूंजेगी।।आइए, 21 जून 2025 को अपने सिरों में संगीत लेकर, उसके आनंद को अपने समुदायों में फैलाएँ—क्योंकि संगीत से संगीत ही बनता है, और संगीत से ही शांति!