विश्व खाद्य दिवस हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा, भुखमरी और कुपोषण के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना है। इस दिन को मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा 1945 में की गई थी, और तब से यह एक प्रमुख वैश्विक आयोजन बन गया है। विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर, यह जरूरी हो जाता है कि हम खाद्य सुरक्षा के महत्व और इस क्षेत्र में हो रही प्रगति को समझें।
विश्व खाद्य दिवस हर वर्ष ‘विश्व खाद्य दिवस’ 16 अक्टूबर, 1945 को ‘संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन’ (FAO) की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन, ‘संयुक्त राष्ट्र’ (UN) की एक विशेष एजेंसी है जो दुनियाभर में भुखमरी की समाप्ति के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्त्व करती है। FAO का मुख्यालय इटली के रोम में है। पहली बार वर्ष 1979 में विश्व खाद्य दिवस मनाया गया था। तब से हर वर्ष 16 अक्टूबर को दुनियाभर में वर्ल्ड फूड डे मनाया जाने लगा। FAO का मुख्य उद्देश्य सभी के लिए आवश्यक खाद्य सुरक्षा हासिल करना है। इस वर्ष विश्व खाद्य दिवस 2024 की थीम ‘Right to foods for a better life and a better future’ है। आइए अब विश्व खाद्य दिवस के इतिहास और इसके उद्देश्य के बारे में विस्तार से जानते हैं।
विश्व खाद्य दिवस के बारे में –
हर वर्ष 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस 16 अक्टूबर 1945 को ‘संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन’ की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य वैश्विक भुखमरी से निपटना और उसे पूरी दुनिया से समाप्त करना है। ताकि कोई भी व्यक्ति भूखा और कुपोषित न रहे। विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर लोगों को खाद्य सुरक्षा और पौष्टिक आहार की जरूरत के बारे में जागरूक किया जाता है। भारत सरकार भी भोजन तक पहुँच में सुधार के लिए और विशेष रूप से कमज़ोर वर्ग के लिए ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ (PMGKAY) व अंत्योदय अन्न योजना (AAY) जैसे कार्यक्रम चलाती है।
विश्व खाद्य दिवस का इतिहास
बता दें कि 16 अक्टूबर, 1945 को ‘संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन’ (Food and Agriculture Organization-FAO) की स्थापना की गई थी। FAO ‘संयुक्त राष्ट्र’ (United Nations) की एक विशेष एजेंसी है जो दुनियाभर में भुखमरी की समाप्ति के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्त्व करती है। वहीं FAO के व्यापक प्रयासों के चलते वर्ष 1979 में पहली बार विश्व खाद्य दिवस (World Food Day) मनाने का फैसला लिया गया। तब से हर वर्ष 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन दुनियाभर में जगह-जगह लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से कई प्रकार के प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं ताकि दुनिया से भुखमरी और कुपोषण को खत्म किया जा सके।
विश्व खाद्य दिवस का उद्देश्य और महत्व
विश्व खाद्य दिवस, वैश्विक स्तर पर भूख और कुपोषण की समस्या का समाधान करने के लिए प्रतिवर्ष मनाया जाता है। यह सतत् विकास लक्ष्य 2 (SDG 2) यानी ज़ीरो हंगर पर ज़ोर देता है। इस दिन विश्वभर के लोग खाद्य सुरक्षा को सशक्त करने और भूखमरी को खत्म करने के उद्देश्य से एकजुट होते हैं। यहाँ विश्व खाद्य दिवस का उद्देश्य और महत्व के बारे में नीचे दिए गए बिंदुओं में बताया गया हैं:-
* भूखमरी के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना।
* खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता देना।
* खाद्य संकट के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना।
* भूखमरी के खिलाफ कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करना।
* सही पोषण का प्रचार करना।
विश्व खाद्य दिवस 2024 की थीम
हर साल विश्व खाद्य दिवस एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व खाद्य दिवस 2024 की थीम ‘बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य के लिए भोजन का अधिकार’ (Right to foods for a better life and a better future) है। आप नीचे दिए गए टेबल के माध्यम से पिछले कुछ वर्षों की थीम देख सकते हैं।
विश्व खाद्य दिवस पिछले वर्षों की थीम
* 2023 जल ही जीवन है, जल ही भोजन है
* 2022 किसी को पीछे न छोड़ें
* 2021 स्वस्थ कल के लिए अब सुरक्षित भोजन
* 2020 बढ़ो, पोषण करो, कायम रहो। एक साथ। ‘हमारे कार्य ही हमारा भविष्य हैं
* 2019 शून्य भूख
ग्लोबल हंगर इंडेक्स क्या होता है?
ग्लोबल हंगर इंडेक्स एक अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग है जो भूखमरी और पोषण संकट को मापने और मूल्यांकित करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह इंडेक्स सबसे अच्छा है क्यूंकि यह दुनिया भर के देशों के भूखमरी स्तर को मूल्यांकित करता है और सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करता है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स की गणना कई महत्वपूर्ण पैरामीटर्स के माध्यम से की जाती है, जैसे कि शिशु मृत्यु दर, बच्चों का स्वास्थ्य स्तर, और कमजोरी की दर. इन पैरामीटर्स का मूल्यांकन किया जाता है और फिर उनके आधार पर प्रत्येक देश को ग्लोबल हंगर इंडेक्स में एक रैंक दी जाती है। इस इंडेक्स का मुख्य उद्देश्य भूखमरी के स्तर को कम करने और खाद्य सुरक्षा को सुधारने में सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को मार्गदर्शन करना है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग
आपको बता दें कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स, 2023 में भारत को 125 देशों में से 111वां स्थान मिला है। यह भारत में भुखमरी और कुपोषण के गंभीर स्तर को दर्शाता है। भारत की रैंकिग में लगातार तीसरे साल गिरावट दर्ज की गई है। इससे पहले वर्ष 2022 में 121 देशों की लिस्ट में भारत 107 नंबर पर था। जबकि वर्ष 2021 में भारत को 101वां रैंक मिला था। हालांकि भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान की रैंकिंग भारत से कहीं बेहतर है।
खाद्य सुरक्षा की चुनौतियाँ
भुखमरी और कुपोषण : दुनिया की बढ़ती आबादी के साथ, खाद्य सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा बन गई है। 2023 में, FAO की रिपोर्ट के अनुसार, करीब 820 मिलियन लोग अभी भी भूखे रहते हैं। इसका एक बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन, आर्थिक असमानता और खाद्य आपूर्ति तंत्र में व्यवधान हैं। खाद्य पदार्थों की उपलब्धता तो है, लेकिन इनकी उचित वितरण व्यवस्था की कमी के कारण लोग भूख से जूझ रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव : जलवायु परिवर्तन का खाद्य उत्पादन पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। असामान्य मौसम की घटनाएँ, जैसे सूखा, बाढ़, और गर्मी की लहरें, कृषि उत्पादन को प्रभावित कर रही हैं। 2023 में FAO की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर स्थिति को नियंत्रित नहीं किया गया, तो 2050 तक खाद्य उत्पादन में 30% की कमी आ सकती है।
कुपोषण और अनियमित आहार : कुपोषण, विशेष रूप से बच्चों में, एक बड़ी चुनौती है। विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के अनुसार, दुनिया भर में करीब 144 मिलियन बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। यह संख्या इस बात की गवाही देती है कि खाद्य सुरक्षा केवल भोजन की उपलब्धता से नहीं बल्कि पोषक आहार से भी जुड़ी है।
भारत में खाद्य सुरक्षा और पोषण
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कृषि उत्पादक देश है, फिर भी भुखमरी और कुपोषण यहाँ एक बड़ी समस्या है। 2023 में प्रकाशित ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) के अनुसार, भारत का स्कोर 29.1 था, जो इसे ‘गंभीर’ श्रेणी में रखता है।
भारत सरकार की योजनाएँ
भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएँ चलाई हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA): यह अधिनियम 2013 में लागू किया गया, जिसके तहत 67% भारतीय जनसंख्या को सब्सिडी वाले अनाज मिलते हैं।
मध्याह्न भोजन योजना (Mid-Day Meal Scheme): इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों में बच्चों को पोषक आहार प्रदान किया जाता है।
आंगनवाड़ी सेवाएँ: गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के पोषण स्तर को सुधारने के लिए आंगनवाड़ी सेवाओं के तहत पोषक आहार दिया जाता है।
2023-2024 की खाद्य आपूर्ति स्थिति
FAO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2023-2024 के दौरान कुल खाद्य उत्पादन में 3.5% की वृद्धि दर्ज की है। भारत अब चावल, गेहूँ, और चीनी उत्पादन में अग्रणी देशों में शामिल हो गया है। लेकिन इन सबके बावजूद, देश में पर्याप्त मात्रा में भोजन की उपलब्धता के बावजूद वितरण तंत्र में असमानता के कारण कई लोग भोजन से वंचित रह जाते हैं।
खाद्य सुरक्षा को कैसे बढ़ावा दिया जाए?
जैविक खेती को बढ़ावा देना : जैविक खेती न केवल खाद्य उत्पादन में सुधार करती है, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखती है। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम होता है।
खाद्य अपशिष्ट को कम करना : FAO की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में उत्पादित खाद्य पदार्थों का 1/3 हिस्सा बर्बाद हो जाता है। इसे कम करने के लिए सरकारें और संगठनों को मिलकर काम करना होगा। इससे न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी, बल्कि संसाधनों का भी सही उपयोग होगा।
स्मार्ट कृषि तकनीक : ड्रोन, सटीक खेती, और जल संरक्षण तकनीक का उपयोग करके किसान अपनी उत्पादकता बढ़ा सकते हैं। स्मार्ट कृषि उपकरणों का उपयोग करके उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है और खाद्य आपूर्ति तंत्र को बेहतर बनाया जा सकता है।
वर्ल्ड फूड डे को मनाए जाने का उद्देश्य लोगों को भुखमरी के प्रकोप के प्रति जागरूक करना है. एक तरफ जहां लोग भूखे सोते हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग खाने की बर्बादी करते हैं. विश्व खाद्य दिवस के जरिए लोगों को समझाने की कोशिश की जाती है कि खाने की बर्बादी नहीं होनी चाहिए. खाने को बचाना और लोगों में बांटना बहुत जरूरी है. वैश्विक स्तर पर ऐसे दिवस को मनाए जाने से लोगों में जागरूकता आती है।