मानव और पर्यावरण एक दूसरे पर पूरी तरह से निर्भर करते है. जैसे अगर हमारी जलवायु मे थोड़ा सा भी बदलाव आता है, तो इसका असर तुरंत हमारे शरीर मे देखने को मिलता है. अगर ठंड ज्यादा पड़ती है, तो हमे सर्दी हो जाती है, अगर गर्मी ज्यादा होती है तो वह भी हम सहन नहीं कर पाते. यह तो हुई सिर्फ एक इंसान की बात. यदि हम यही चीज पूरी मानव जाती से जोडकर देखे तो नुकसान भी बड़ा होगा. पर्यावरण मानव जीवन के लिए उतना ही जरूरी है जितना सांस लेना. क्योकि यदि पर्यावरण ही नहीं होगा तो प्राणी सांस कैसे लेगा. आज हर मनुष्य को अपने स्तर पर पर्यावरण को संतुलित रखने के प्रयास करना चाहिए. क्योकि पर्यावरण प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या से मुक्त होना, किसी एक समूह के बस की बात नहीं है. इस समस्या पर काबू किसी नियम या कनून को लागू करके नहीं पाया जा सकता. अगर हर कोई इसके दुषपरिणाम के बारे मे सोचे और अपनी आगे वाली पीढ़ी के बारे मे सोचे तो ही इससे निजात संभव है. इस वजह से पर्वयारण को बढ़ावा देने के लिए और लोगों को प्रेरित करने के लिए इस दिन को मनाया जाता है।
हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है. इस दिन को मनाने के कई कारण है जिसमें एक खास कारण इंसानों को पर्यावरण के प्रति जागरुक करना है। यह बात तो सभी जानते हैं कि इंसान और पर्यावरण का बहुत ही गहरा नाता है. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य हमारी प्रकृति की रक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाना और दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों को देखना है। इस वर्ष 05 जून (सोमवार) को 50 वां विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है, इस साल 2024 में मेजबान देश के तौर पर सऊदी अरब को चुना गया है, जो 2 से 13 दिसंबर 2024 तक यूएनसीसीडी में पार्टियों के सम्मेलन (सीओपी 16) के सोलहवें सत्र की मेजबानी करेगा। और इस वर्ष का विषय ‘प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान‘ पर केन्द्रित है जिसे ‘#BeatPlasticPollution‘ अभियान के साथ मनाया जा जाएगा, यह नारा प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने पर ध्यान केंद्रित करता है। वर्ष 2022 मानव पर्यावरण पर पहले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के 50 साल पूरे होने का प्रतीक है, जब 1972 में स्टॉकहोम सम्मेलन हुआ, जिसमें यूएनईपी की स्थापना और 5 जून को वर्ल्ड एनवायरनमेंट डेके रूप नामित किया गया। प्रत्येक वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर एक प्रभावशाली स्लोगन को शामिल किया जाता है, जो थीम के अनुरूप होता है। (विश्व पर्यावरण दिवस 2024 के लिए स्लोगन: “हमारी धरती। हमारा भविष्य। हम #पुनर्स्थापना पीढ़ी हैं (Our land, Our future. We are #GenerationRestoration”)।
विश्व पर्यावरण दिवस के बारे में जानकारी
नाम : विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day)
तिथि : 5 जून
शुरुआत : 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा
पहली बार : 5 जून 1974
उद्देश्य : दुनियाभर में पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को सचेत करने और इसके महत्व को समझाना।
थीम (2024) : “भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखा सहनशीलता (Land Restoration, Desertification and Drought Resilience)”)
स्लोगन (नारा) : “हमारी धरती। हमारा भविष्य। हम #पुनर्स्थापना पीढ़ी हैं (Our land, Our future. We are #GenerationRestoration”)।
मेजबान देश (2024) : सऊदी अरब
विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास
विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है, यह पर्यावरण के बारे में जागरूकता फैलाने पर समर्पित सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय दिवस है। इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1972 में की गई थी, इसे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के नेतृत्व में वर्ष 1974 से ही आयोजित किया जा रहा है। बात है 1972 की, यानी आज से करीब 49 साल पूर्व, स्टॉकहोम स्वीडन में एक सम्मेलन होता है, “स्टॉकहोम कांफ्रेंस ऑन ह्यूमन एनवायरमेंट” उस में जो विचार विमर्श किया जाता है उसका विषय था “मानव संपर्क और पर्यावरण का एकीकरण” मतलब “integration of human interactions and the environment”, अब उस चर्चा में यह निकल कर आता है कि हमें एक दिन पर्यावरण के लिए देना चाहिए, जिससे हम पर्यावरण के सरंक्षण के लिए जागरूकता और कार्रवाई को प्रोत्साहित कर सकें| अब 2 साल बाद 1974 में अमेरिका के स्पोकेन में आयोजित किया जाता है EXPO’74, यह विश्व का पहला “environmentally themed” विश्व मेला था, जो पुरे 6 महीने तक चला, और इसी मेले में पहली बार मनाया गया World Environment Day, (विश्व पर्यावरण दिवस)| इसका विषय रखा गया (Only One Earth) “केवल एक पृथ्वी”| उसके बाद हर वर्ष यह पर्व की तरह मनाया जाने लगा | फिर 13 साल बाद, 1987 में यह फैसला किया गया कि हर साल अलग-अलग देशों का चयन करके इस पर्व की मेजबानी दी जाएगी, जिससे इसके व्यापक परिणाम देखने को मिल सकें |
पर्यावरण की परिभाषा / पर्यावरण क्या है?
साधारण तौर पर सोचे तो पर्यावरण से तात्पर्य हमारे चारो ओर के वातावरण और उसमे निहित तत्वो और उसमे रहने वाले प्राणियों से है. हम अपने चारो ओर उपस्थित वायु, भूमि, जल, पशु पक्षी, पेड़ पौधे आदि को अपने पर्यावरण मे शामिल करते है. ध्यान रखने योग्य बात यह है कि पर्यावरण (Environment) से तात्पर्य केवल हमारे आस पास के भौतिक पर्यावरण से नहीं है, बल्कि हमारा सामाजिक (social) और व्यवहारिक (cultural) वातावरण भी इसमे शामिल है. मानव के आस पास उपस्थित सोशल, कल्चरल, एकोनोमिकल, बायोलॉजिकल, और फ़िज़िकल आदि सभी तत्व जो मानव को प्रभावित करते है, उसके पर्यावरण मे शामिल होते है।
क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड एंवायरमेंट डे? उद्देश्य/कारण
अगर आप भारत के किसी बड़े शहर में रहते हैं, तो आप जानते होंगे कि यहां रह रहे लोग हर साल बढ़ते तापमान और प्रदूषण के बीच किस तरह जी रहे हैं। ये हाल सिर्फ दिल्ली या मुंबई जैसे शहरों का नहीं है बल्कि पूरी दुनिया का है। आज तेज़ी से बढ़ता तापमान और प्रदूषण इंसानों के साथ-साथ पृथ्वी पर रह रहे सभी जीवों के लिए बड़ा ख़तरा बन गया है। यही वजह है कि कई जीव-जन्तू विलुप्त हो रहे हैं। साथ ही लोग भी सांस से जुड़े कई तरह के रोगों से लेकर कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। दुनिया भर में मनुष्य कार्यकलापों के कारण बढ़ते प्रदूषण और पर्यावरण की क्षति को रोकने के उद्देश्य से ही 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है और इसे मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना भी है।
* पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोकना,
* जैव विविधता को बनाए रखना और विलुप्त होने वाले जीव जंतुओं का संरक्षण करना,
* लोगों को प्रकृति और पर्यावरण के प्रति सचेत करना
* पर्यावरण के ज्वलंत मुद्दों और सतत पद्धतियों के महत्त्व के बारे में जनता को शिक्षित करना।
* पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों में भाग लेने के लिए व्यक्तियों, समुदायों और संगठनों को जुटाना।
*.दैनिक जीवन और उद्योगों में पर्यावरण के अनुकूल दिनचर्या और प्रौद्योगिकियों को अपनाने की वकालत करना।
* जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, प्रदूषण और जैव विविधता हानि जैसी वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित करना।
* पर्यावरण के मुद्दों को सामूहिक रूप से संबोधित करने के लिए देशों, संगठनों और समुदायों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना।
* पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के उद्देश्य से बनाई गई नीतियों और पहलों को बढ़ावा देना।
* पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास में व्यक्तियों, संगठनों और देशों के प्रयासों एवं सफलताओं को मान्यता देना।
* ग्रह के लिए उत्तरदायित्व और संरक्षण की भावना को बढ़ावा देने के लिए युवाओं और स्थानीय समुदायों को पर्यावरणीय पहल में शामिल करना।
विश्व पर्यावरण दिवस का महत्व
यूनाइटेड नेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल करीब 70 लाख लोग प्रदूषण से मारे जाते हैं, हवा में मौजूद प्रदूषण के महीन कण सांस लेने के दौरान फेफड़ों में जाकर इसे बुरी तरह प्रभावित करते हैं और इससे दमा और सांस लेने में दिक्कत जैसी बीमारियां उत्पन्न होती है। विश्व पर्यावरण दिवस मनाने से हम पर्यांवरणीय मुद्दों से लेकर, समुंद्री प्रदुषण, मानवी ग्लोबल वार्मिंग, वन्य जीव अपराध के प्रति जागरूकता पैदा करते हैं| हम इंसान ही इस पृथ्वी के सबसे ताकतवर जीव हैं, हमें ही इसमें संतुलन बनाकर आगे चलना है, अन्यथा प्रकृति के विनाश से बचना हमारे लिए मुमकिन नहीं रहेगा|
वैश्विक जागरूकता : विश्व पर्यावरण दिवस जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, वनों की कटाई, जैव विविधता हानि और जल की कमी जैसे पर्यावरण के ज्वलंत मुद्दों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ावा देते हैं।
कार्रवाई और वकालत : यह व्यक्तियों, समुदायों, सरकारों और संगठनों को पर्यावरण संरक्षण एवं सतत विकास की दिशा में कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
नीति प्रभाव : विश्व पर्यावरण दिवस समान्यत: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने और सतत प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत चर्चाओं एवं प्रतिबद्धताओं को उत्प्रेरित करता है।
शिक्षा और सहभागिता : यह लोगों को पर्यावरणीय संरक्षण के महत्त्व के बारे में शिक्षित करने और उन्हें उन गतिविधियों एवं पहलों में शामिल करने का अवसर प्रदान करता है जो सकारात्मक पर्यावरणीय परिणामों में योगदान करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग : विश्व पर्यावरण दिवस वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दों से सामूहिक रूप से निपटने के लिए देशों, संगठनों और व्यक्तियों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है।
प्रेरणा और नवाचार : यह पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता के लिए अभिनव समाधानों एवं पहलों को प्रेरित करता है। यह दुनिया भर से सफल उदाहरणों और सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रदर्शित करता है।
सामुदायिक सशक्तिकरण : विश्व पर्यावरण दिवस के लिए स्थानीय वातावरण में बदलाव के लिए समुदायों को सशक्त बनाता है , जो जमीनी स्तर की कार्रवाई और भागीदारी को बढ़ावा प्रदान करते हैं।
संक्षेप में कहें तो, विश्व पर्यावरण दिवस हमारे प्राकृतिक पर्यावरण के महत्त्व और उसकी रक्षा करने की तत्काल आवश्यकता का एक शक्तिशाली अनुस्मारक है। जागरूकता एवं कार्रवाई को प्रोत्साहित करके वैश्विक सहयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है जोकि एक टिकाऊ और लचीले भविष्य को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है।
भारत में पर्यावरण दिवस
भारत में पर्यावरण दिवस की शुरुआत से ही इसे मनाया जाता रहा है। 1972 में जब स्टॉकहोम में पर्यावरण को लेकर सम्मेलन हुआ तो भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मती इंदिरा गांधी ही एकमात्र ऐसी विदेशी प्रधानमंत्री थी जिन्होंने इस सम्मेलन में भाग लिया, और पर्यावरण के कई गंभीर मुद्दों पर अपनी राय रखी। पर्यावरण संरक्षण के लिए उन्होंने प्रिवेंशन एंड कंट्रोल पॉल्यूशन एक्ट 1974 भी पास किया। वे प्रदूषण के मुद्दे पर इतनी कठोर थी कि उन्होंने 1980 में पर्यावरण विभाग की स्थापना कर डाली। इसके आलावा उन्होंनें पर्यावरण संरक्षण के सबसे बड़े आंदोलन चिपको को भी अपना पूरा सहयोग दिया। इसके बाद भारत में 19 नवंबर 1986 को पर्यावरण संरक्षण को लेकर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कानून भी लागू किया गया।
भारत की विश्व पर्यावरण दिवस की मेजबानी
समय चलता रहता है, और अलग-अलग देश इसकी मेज़बानी करते हैं, फिर 2011 में भारत को पहली बार मेजबान बनने का अवसर मिला. नई दिल्ली में विषय “Forests: Nature at your service” पर भारत में इसको बड़े हर्षौल्लास से मनाया गया | इसके बाद भारत को दूसरा मौका भी जल्द मिला, और वर्ष 2018 में नई दिल्ली में ही वह इसकी मेजबानी फिर किया गया | इसकी theme थी “Beat Plastic Pollution”| इसमें भारतीय सरकार ने यह संकल्प लिया कि वर्ष 2022 तक वह सभी single use plastic को ख़त्म करेगी |
साल 2019 में China ने विश्व पर्यावरण दिवस की मेज़बानी की |
Lसाल 2020 में कोलंबिया को यह अवसर प्रदान किया गया था|
वर्ष 2021 में पाकिस्तान को वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे की मेजबानी दी गई है।
विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की थीम
इसकी शुरुआत से ही यह दिवस एक खास थीम पर आधारित होता है, 1974 में पहला World Environment Day “Only One Earth” Theme के साथ मनाया गया था। प्रत्येक वर्ष, वायु प्रदूषण, प्लास्टिक कचरे से लेकर ऊर्जा संरक्षण और टिकाऊ खपत तक किसी विशेष पर्यावरणीय चिंता पर प्रकाश डालने के लिए एक विशिष्ट विषय होता है। विश्व पर्यावरण दिवस 2024 का विषय ‘भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और सूखा लचीलापन‘ है। इस आयोजन का नारा होगा “हमारी भूमि, हमारा भविष्य।” हम जनरेशन रिस्टोरेशन हैं। भूमि बहाली विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की थीम का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है और आयोजक पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करने के लिए दुनिया भर के लोगों को एकजुट करना चाहते हैं। वहीं विश्व पर्यावरण दिवस 2023 की थीम ‘प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान‘ (Solutions to plastic pollution) पर केंद्रित है, जिसे ‘Beat Plastic Pollution‘ अभियान के तहत मनाया गया। जिसका उद्देश्य हर साल होने वाले 400 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक उत्पादन (जिसमें लगभग आधा सिंगल यूज़ प्लास्टिक होता है), को खत्म करने की दिशा में काम करने हेतु लोगों को जागरूक करना था। तो वहीं पिछली साल 2022 की थीम ‘केवल एक पृथ्वी‘ (Only One Earth) है। यह विषय हमारे ग्रह को संरक्षित करने और पुनर्स्थापित करने के लिए वैश्विक स्तर पर सामूहिक, परिवर्तनकारी कार्रवाई का आह्वान करता है। इससे पहले 2021 की थीम ‘पारिस्थितिकी तंत्र बहाली’ (ecosystem restoration) थी, तो वहीं साल 2020 का विषय जैव विविधता (Biodiversity) पर केन्द्रित था।
विश्व पर्यावरण दिवस 2024 का मेजबान देश?
प्रत्येक वर्ष, विश्व पर्यावरण दिवस की मेजबानी एक अलग देश द्वारा की जाती है जिसमें आधिकारिक समारोह होते हैं। 2024 का मेजबान देश सऊदी अरब है, जो 2 से 13 दिसंबर 2024 तक यूएनसीसीडी में पार्टियों के सम्मेलन (सीओपी 16) के सोलहवें सत्र की मेजबानी करेगा। साल विश्व पर्यावरण 2023 की वैश्विक मेजबानी ‘आइवरी कोस्ट‘, (Côte d’Ivoire) द्वारा नीदरलैंड के साथ साझेदारी में आयोजित किया जा रहा है। जिसे पिछली साल 2022 में स्वीडन (Sweden) और 2021 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के साथ साझेदारी में पाकिस्तान ने होस्ट किया था। जहाँ वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे 2020 की मेजबानी जर्मनी के साथ साझेदारी में कोलंबिया ने की थी, तो वहीं 2019 का मेजबान ‘चीन‘ था और 2018 में 45वें पर्यावरण दिवस को होस्ट करने वाला देश भारत (India) था।
विश्व पर्यावरण दिवस की थीम और मेजबान देश
वर्ष थीम मेजबान देश
2023 प्लास्टिक प्रदूषण (मारोकोटे डी आइवर नीदरलैंड द्वारा समर्थित)
2022 केवल एक पृथ्वी (स्वीडन)
2021 पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली (पाकिस्तान)
2020 जैव विविधता (कोलंबिया) 2019 वायु प्रदूषण को हराएँ (चीन)
2018 प्लास्टिक प्रदूषण को हराएँ (भारत)
2017 प्रकृति से लोगों को जोड़ना (कनाडा)
2016 अवैध वन्यजीव व्यापार के लिए जीरो टॉलरेंस (अंगोल
2015 सात अरब लोग, एक ग्रह, देखभाल के साथ उपभोग करें (इटली)
2014 समुद्र स्तर नहीं अपनी आवाज उठाएँ (बारबाडोस)
2013 सोचो, खाओ, बचाओ – अपना फ़ूडप्रिंट कम करें (मंगोलिया)
2012 हरित अर्थव्यवस्था: क्यो इसने आपको शामिल किया है (ब्राजील)
2011 जंगल: प्रकृति आपकी सेवा में (भारत)
2010 बहुत सारी प्रजाति। एक ग्रह। एक भविष्य (बांग्लादेश)
2009 आपके ग्रह को आपकी जरुरत है- जलवायु परिवर्तन का विरोध करने के लिये एक होना (मेक्सिको)
2008 आदत को लात मारो- एक निम्न कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर (न्यूजीलैंड)
2007 पिघलता बर्फ? – एक गंभीर विषय (इंग्लैंड)
2006 मरुस्थल और मरुस्थलीकरण – शुष्क भूमि न छोड़ें (अल्जीरिया)
2005 हरित शहर: ग्रह के लिए योजना (अमेरिका)
2004 वांछित! समुद्र और महासागर – मृत या जीवित (स्पेन)
2003 पानी – दो बिलियन लोग इसके लिए मर रहे हैं (लेबनान)
2002 पृथ्वी को एक मौका दें (चाइना)
2001 जीवन की वर्ल्ड वाइड वेब से जुड़ें (इटली और क्यूबा)
2000 पर्यावरण मिलेनियम – कार्य करने के लिए समय (ऑस्ट्रेलिया)
पर्यावरण प्रदुषण के प्रकार
* जल प्रदुषण
* थल प्रदुषण
* वायु प्रदुषण
* ध्वनी प्रदुषण
मानव गतिविधियां है जिम्मेदार
प्रकृति ने समस्त जीवों की उत्पत्ति एक ही सिद्धांत के तहत की है. वह समस्त चर-अचर जीवों के अस्तित्व को एक दूसरे से जुड़ा हुआ है. लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब मनुष्य ने स्वयं को पर्यावरण का हिस्सा ना मानकर उसको अपनी आवश्यकताओं के अनुसार विकृति करने लगा. इन गतिविधियों ने प्रकृति के रूप को पूरी तरह बिगाड़ दिया. नदियां, पहाड़, जंगल और जीव पृथ्वी पर चारों तरफ जो नजर आते थे इनकी संख्या घटती गई. इनमें से ढेरों विलुप्त के कगार पर हैं. ऐसा लगता है कि इंसान समाज ने प्रकृति के विरुद्ध एक अघोषित युद्ध छेड़ रखा है और स्वयं को प्रकृति से अधिक ताकतवर साबित करने में जुटा हुआ है. यह जानते हुए भी कि प्रकृति के विरुद्ध युद्ध में वह जीत कर भी अपना वजूद सुरक्षित नहीं रख पाएंगे।
पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय
* जनसँख्या नियंत्रण
* कारखानों का शहर से दूर होना व चिमनी की ऊंचाई बढ़ाना
* दो पहिया वाहनों में अच्छा आयल डालें, जिससे वे काला धुँआ न छोड़े
* वृक्षारोपण अधिक करें
* कचरा को उसके डब्बे में ही डालें
पर्यावरण प्रदूषण के कारण
देखा जाए तो पर्यावरण प्रदूषण के कई कारण है. हमारे द्वारा की गयी छोटी छोटी बिना सोचे समझे की जाने वाली हरकते पर्यावरण प्रदूषण का कारण हो सकती है. हम यहाँ कुछ मुख्य गतिविधियो पर प्रकाश डाल रहे है।
इंडस्ट्रियल एक्टिविटी : इंडस्ट्रियल एक्टिविटी मतलब मानव द्वारा निर्मित इंडस्ट्रीज़ (फैक्ट्री) से निकलने वाले अवशेष हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करते है. परंतु यह भी संभव नहीं है कि इस विकास की दौड़ मे हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए अपने विकास को नजर अंदाज कर दे. पर हम कुछ बातो का ध्यान रखकर अपने पर्यावरण को ज्यादा हानी से बचा सकते है. कारखानो की चिमनिया ऊची लगवाकर हम वायु प्रदूषण से भी बच कर सकते है और भी कई मानक है जो की कारखानो के लिए तय किए गए है, उन्हे फॉलो करके पर्यावरण प्रदूषण को काफी हद तक काबू किया जा सकता है. परंतु अगर कोई भी लापरवाही यदि किसी कारखाने द्वारा की जाती है तो इसके भयावह परिणाम सामने आते है, भोपाल गैस त्रासदी इसका ही उदाहरण है।
वाहनो के धुए से होने वाला प्रदूषण : आज कल घर मे जितने सदस्य होते है, उससे ज्यादा वाहन घर मे उपस्थित रहते है. घर का छोटा बच्चा भी साइकल के अलावा गाड़ी चलाना पसंद करता है. आज कल के जमाने मे अगर कोई पैदल चलता हुआ सड़क पर दिख जाए तो लोग आश्चर्य की दृष्टि से उसे देखते है. सेहत को सही रखने के डर से मॉर्निंग वॉक पर तो लोग जाते है परंतु अगर उन्ही लोगो को यदि पैदल ऑफिस जाने को कहे, तो वे कभी तैयार नहीं होंगे. ऐसे लोगो को मैं कहना चहुंगी कि अपनी सेहत के साथ साथ पर्यावरण की सेहत का ध्यान रखना भी आपका ही कर्तव्य है. अगर आप पैदल नहीं चल सकते तो कम से कम इस बात का तो ध्यान रखे, कि अपने वाहनो मे क्लीन ईंधन का इस्तेमाल करे ताकि कम धुआ निकले और पर्यावरण कम प्रदूषित हो।
शहरी कारण और आधुनिकरण : शहरीकरण और आधुनिकरण पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण है. मनुष्य का अपनी सुख सुविधाओ की होड मे पर्यावरण को नजर अंदाज करना आम हो गया है. मनुष्य बिना सोचे समझे ही पेड़ो की कटाई कर रहा है. इसका एक उदाहरण मेरे ही शहर मे देखने को मिला, जब यहा उपस्थित अधिकारियों ने शहर को सुंदर बनाने के लिए हरे भरे बगीचे उजाड़ दिये थे और शहर की पहचान बन चुके पेड़ो को बिना सोचे समझे काट दिया. परंतु वे शायद ये भूल जाते है कि हमारा जीवन जीने के लिए आवश्यक वायु इन्ही पेड़ो से मिलती है. छोटे छोटे पेड़ो के साथ साथ बड़े बड़े जंगलो का कटना भी आज कल आम बात है, परंतु जंगलो को काटने वाले भूल जाते ही की जंगलो की कटाई के साथ साथ वे कई जीवो का आवास झीन लेते है।
जनसंख्या घनत्व : बढती हुई आबादी भी पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण है. जिस देश मे जनसंख्या लगातार बढ रही है, वह रहने खाने की की समस्या भी लगातार बढ़ रही है. और अपनी सुख सुविधाओ के लिए मानव पर्यावरण को कोई महत्त्व नहीं देता, परंतु वह यह भूल जाता है कि बिना पर्यावरण के उसकी सुख सुविधाए कुछ समय के लिए ही है।
पर्यावरण संरक्षण उपाय
वैसे तो ऐसी कोई तेज़ तकनीक नहीं है, जिससे कि पर्यावरण प्रदूषण पर तुरंत काबू पाया जा सके. परंतु मनुष्य अपने छोटे छोटे प्रयासो से इस समस्या को कम जरूर कर सकता है. यहा हम कुछ बाते बताना चाहेंगे जिनका खयाल रखकर शायद पर्यावरण प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है. आज तक जो कारखाने स्थापित हो चुके है, उन्हे उठाकर कही और शिफ्ट करना तो संभव नहीं है, परंतु अब सरकार को यह ध्यान रखना जरूरी है कि जो नये कारखाने खुले वो शहर से दूर हो. उनके द्वारा किया गया प्रदूषण शहर की जनता को प्रभावित न करे. मनुष्य को जितना हो सके अपने द्वारा किए गए प्रदूषण पर काबू पाना चाहिए, जैसे जहा संभव हो वाहनो का उपयोग कम करे पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करके भी इस समस्या को कम करने मे कुछ योगदान किया जा सकता है. हमारे वैज्ञानिको को भी इस हानिकारक धुए पर कैसे काबू पाया जाए, इस दिशा मे विचार करना चाहिए. जंगलो की कटाई पर कड़ी सजा दी जानी चाहिए तथा नये पेड़ो को लगाए जाने वाले व्यक्ति को रिवार्ड देना चाहिए. कारखानो के हानिकारक पदार्थ को रिफ्रेश करके उसे किया जा सकता है, तो ईएसए करना चाहिए।
संकल्प लेने होंगे
हर किसी को साल में कम से कम एक या दो बार एक पौधे जरूर लगाने चाहिए और उनकी देखरेख भी करनी चाहिए। साथ ही ये संकल्प लेना चाहिए कि वो नदी, तालाबों और पोखर को प्रदूषित नहीं करेंगे। इसके अलावा कूड़े-कचरे को कहीं भी फेंकने की जगह पर उसे कूड़ेदान में ही डालें, ताकि आप पर्यावरण की रक्षा कर पाएं।
ऐसे मना सकते हैं इस दिन को
1. इस दिन आप पेड़-पौधे लगा सकते हैं। घर के आसपास, घर की छत पर, घर की बालकनी में, गार्डन में आदि।
2. आप ऑनलाइन प्रतियोगिता आयोजित कर सकते हैं या फिर लोगों को अपने संदशों के जरिए पेड़-पौधे लगाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
3. परिवार का हर सदस्य एक-एक पौधा लगा सकता है और साथ ही ये काम दोस्त लोग भी मिलकर कर सकते हैं, ताकि आपके आसपास पेड़ों की संख्या बढ़ाई जा सके जो आज के दौर में बेहद जरूरी है।
4. ऑनलाइन/सोशल मीडिया के जरिए लोगों से इस दिन बात कर सकते हैं, उन्हें पर्यावरण के बारे में बता सकते हैं, उन्हें बता सकते हैं कि पेड़ लगाना क्यों जरूरी है आदि।
5. पौधे लगाना ही काफी नहीं है। इसलिए जो भी पौधा आप लगाएं उसकी देखरेख की जिम्मेदारी भी उठाएं।
6. घर की बालकनी, क्यारी, गमले, बगीचे में पौधों को ध्यान से देखें…उन्हें महसूस कीजिए…आपको असीम शांति मिलेगी।
7. ऑनलाइन पोस्टर मैकिंग,स्लोगन राइटिंग या फोटोग्राफी प्रतियोगिता में हिस्सा लीजिए।
8. ऑनलाइन वेबिनार ,आयोजनों का हिस्सा बनिए।
9. खास संगठनों की वेबसाइट पर जाइए और लेटेस्ट जानकारी जुटाइए।
10. आप क्या कर सकते हैं इसकी सूची बनाइए और अपने मित्रों से बात कर उसे कैसे इम्प्लीमेंट करें इसका रास्ता निकालिए।
11. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक आयोजन की जिम्मेदारी आप खुद ले सकते है और अपने किसी भी ग्रुप पर चिंतन, मनन और विमर्श कर सकते हैं।
12. आस पास के गांवों में पूरी सुरक्षा के साथ जाकर पर्यावरण और कोरोना सम्बन्धित जागरुकता प्रसारित कर सकते हैं।
13. एक नन्हा पौधा अवश्य रोपें।
14. पौधारोपण के बाद उसकी देख भाल की जिम्मेदारी भी उठाएं।
15. कौन से पौधे को कैसी खाद लगती है कितना धूप और पानी लगता है खाली वक़्त में जानकारी जुटाएं और साझा करें।
यदि आप जीवित रहना चाहते हैं तो आपको इस दिन को अवश्य मनाना चाहिए. इस दिन कम से कम आपको एक पेड़ या पौधा अवश्य लगाना चाहिए. इससे आप और आपके साथ – साथ अन्य प्राणी भी इस पृथ्वी में जीवित रह सकेंगे. इस विश्व पर्यावरण दिवस पर आइए अब समय बर्बाद करना बंद करें। आज हम पहले से कहीं बेहतर तरीके से जानते हैं कि बात करने से जान नहीं बचती है। हमें इन बातों पर अमल भी करना होगा। हरित और अधिक समावेशी कल के लिए इस लड़ाई में ऑक्सीजन हमारी वैश्विक पीड़ा है। यह हमारे अस्तित्व की लड़ाई है, इससे कम कुछ नहीं।