कैंसर जैसी खतरनाक बिमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) मनाया जाता है। जिसकी स्थापना वर्ष 2000 में की गई थी। इस साल 2023 में 4 फरवरी को शनिवार के दिन वर्ल्ड कैंसर डे की 23वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। जिसकी थीम ‘क्लोज द केयर गैप‘ है।
कैंसर को हिंदी में ‘कर्क रोग‘ कहा जाता है, यह काफ़ी ख़तरनाक और जानलेवा बीमारी है जो किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को हो सकती है। सही समय पर इसकी पहचान न होने पर इसका उपचार मुश्किल और अधिक देरी मृत्यु का कारण भी बन सकती है। कैंसर जैसी खतरनाक और जानलेवा बिमारी को डिटेक्ट करने, रोकने और इसकी रोकथाम करने और जागरूकता फैलाने हेतु हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे के रूप में मनाया जाता हैं. वर्ल्ड कैंसर डे की स्थापना यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल [UICC] के द्वारा की गयी, जिसका उद्देश्य सन 2008 में लिखे गये वर्ल्ड कैंसर डिक्लेरेशन को सपोर्ट करना हैं. वर्ल्ड कैंसर डे मनाने का प्राथमिक उद्देश्य सन 2020 तक कैंसर पीड़ित व्यक्तियों की संख्या में कमी करना और इसके कारण होने वाली मृत्यु दर में कमी लाना हैं।
कैंसर या ‘कर्क रोग‘ के बारे में जानकारी
नाम : विश्व कैंसर दिवस
तिथि : 04 फरवरी (वार्षिक)
स्थापना : 04 फरवरी 2000
उद्देश्य : कर्क रोग के बारे में लोगों को सतर्क और जागरूक करना
थीम : क्लोज द केयर गैप
विश्व कैंसर दिवस का इतिहास? कैसे हुई शुरूआत
प्रत्येक वर्ष 4 फरवरी को यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (यूआईसीसी) के नेतृत्व में मनाया जाने वाला विश्व कैंसर दिवस कार्यक्रम एक वैश्विक पहल है। इसकी स्थापना 4 फरवरी 2000 को पेरिस में हुए एक विश्व कैंसर सम्मेलन (वर्ल्ड मिलेनियम अगेंस्ट कैंसर फॉर द न्यू मिलेनियम) के दौरान हुई। जिसका उद्देश्य कर्क रोग के बारे में जागरूक करना, इसकी रोकथाम और इलाज के लिए लोगों को प्रेरित करना है। इसे पहली बार वर्ष 1993 में स्विट्जरलैंड के जिनोवा में ‘यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल‘ (यूआईसीसी) के द्वारा मनाया गया था। अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ(UICC) एक गैर सरकारी संगठन है जो वैश्विक स्वास्थ्य समुदायों को कैंसर के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाने में मदद करने के लिए बनाया गया है। यूआईसीसी 2008 में लिखे गए ‘विश्व कैंसर घोषणा‘ का समर्थन और नेतृत्व करता है।
वर्ल्ड कैंसर डे क्यों मानते है? जानिए उद्देश्य
वर्ल्ड कैंसर डे मनाने का मुख्य कारण यह हैं कि हम कैंसर के संबंध में फैली गलत धारणाओं को कम कर सकें और इसके संबंध में सही जानकारी को अधिक से अधिक मात्रा में लोगों तक पहुँचा सकें. हर 04 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) या अंतरराष्ट्रीय कैंसर दिवस मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को इस घातक बीमारी के खिलाफ जागरूक करना और इसके पीड़ितों तथा इससे होने वाली मृत्यु की संख्या में कमी लाना है। साथ ही इस दिन जानलेवा बीमारी के बारे में फैली मिथ्या (गलत धारणाओं) को लोगों के भीतर से हटाना और उन्हें सही जानकारी देना भी इसके मुख्य मकसद में शामिल है। इसके आलावा यह सभी देशों में कैंसर के लक्षणों को पहचानने, इसके प्रति लोगों को शिक्षित करने और सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों को विश्व स्तर पर इस बीमारी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने व कैंसर पीड़ितों को उत्साहित करने के लिए मनाया जाता है।
अन्तर्राष्ट्रीय कैंसर दिवस का महत्व और फैक्ट्स
* एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व कैंसर दिवस की शुरुआत के समय लगभग 1 करोड़ 27 लाख लोग कैंसर से पीड़ित थे। तो वहीँ 70 लाख़ लोग हर साल इससे मर रहे थे।
* वैश्विक स्तर पर मौत के कारणों की टॉप 10 लिस्ट में कैंसर भी शामिल है।
* वैश्विक स्तर पर वर्ष 2018 में करीबन 96 लाख़ लोग कैंसर के कारण मर गए यानी कि 6 मौतों में से एक कैंसर जनित मृत्यु।
* 30-50% कैंसर को स्वस्थ जीवन शैली अपना कर रोका जा सकता है।
* लगभग 16% लोग कैंसर से मरते हैं।
* मुंह का कैंसर, सर्वाइकल (ग्रीवा) कैंसर, फेफड़े, यकृत कैंसर, अमाशय और कोलोरेक्टल कैंसर (पेट या बड़ी आंत का कैंसर) भारत में सबसे अधिक होने वाले कैंसरों में शामिल हैं।
* इसके आलावा महिलाओं में ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर, गर्भाशय, ग्रीवा और थायरॉयड कैंसर तथा पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर मौत का सबसे बड़ा कारण है।
विश्व कैंसर दिवस का लक्ष्य
विश्व कैंसर दिवस का मुख्य उद्देश्य पुरे विश्व में कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाना है. बीमारी के प्रति लोगों तक सही शिक्षा पहुँचाना इसका मुख्य उद्देश्य है. इस महाविनाशकारी बीमारी के खिलाफ, इस पहल के द्वारा पूरा विश्व एक साथ एकजुट होकर खड़ा रहता है. कैंसर की बीमारी से कोई देश अछुता नहीं है, पुरे विश्व को इसने जकड़ा हुआ है. इस भयानक बीमारी से जीत पाने के लिए सभी को पूरी ताकत के साथ एक साथ खड़े होकर इसका सामना करना होगा।
विश्व कैंसर दिवस की थीम 2023
इस साल कैंसर दिवस 2023 की थीम ‘क्लोज द केयर गैप‘ (देखभाल के अंतर को बंद करें) रखी गई है। जिसे ‘हमारी आवाज को एकजुट करना और एक्शन लेना‘ अभियान के तहत मनाया जाएगा। यह थीम कैंसर मरीजों की देखभाल में किए जाने वाले उस अंतर को दर्शाती है जो किसी के नाम, आय, शिक्षा, स्थान, जाति, लिंग, आयु और विकलांगता या जीवन शैली के आधार पर किया जाता है। विश्व कैंसर दिवस को विश्व स्तर पर सफल बनाने तथा अधिक प्रभाव और जुड़ाव उत्पन्न करने के मकसद से बहु-वर्षीय अभियान के तौर पर 2022 से 2024 तक के लिए एक खास Theme ‘Close the Care Gap‘ के साथ मनाया जाएगा। इन तीनों साल में अलग-अलग कैंपेन के जरिए लोगों को जागरूक किया जाएगा।
2022 का अभियान: समस्या को समझना
क्लोज द केयर गैप विषय के तहत पहला वर्ष ‘Realising the problem’ अभियान के तहत दुनिया भर में कैंसर पीड़ितों की देखभाल और बाधाओं को समझने और उनकी परेशानियों को पहचानने पर जोर देता है। कैंसर की देखभाल में असमानता के कारण लोग हर मोड़ पर बाधाओं से टकराते हैं, और लोगों की जान तक चली जाती है।
2023 का अभियान: हमारी आवाज को एकजुट करना और एक्शन लेना
कैंसर दिवस 2023 का अभियान समान विचारधारा वाले लोगों को साथ जोड़ने और एकजुट करने के साथ ही अपने पड़ोसी, सहकर्मी, दोस्त, परिवार के लिए कैंसर पर इलाज हेतु परिवहन प्रदान करने के लिए प्रेरित करने तथा नजदीकी स्कूल में स्वास्थ और किफायती भोजन के विकल्प पेश किए जाने के मकसद से मनाया जाएगा।
2024 का अभियान: हम सब मिलकर सत्ता में बैठे लोगों को चुनौती देते हैं
इस अभियान का अंतिम वर्ष सभी का ध्यान उच्च स्तर पर ले जाने पर जोर देगा और हम अपने नेताओं को इसमें शामिल करने के लिए आवाज उठाएंगे। पिछले दो अभियानों में हमने ज्ञान और एकजुटता हासिल की है और अब हम अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए तैयार होंगे। हम सब साथ मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारे नेताओं तक यह बात पहुंच सके कि हम कैंसर को प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्धता और स्वास्थ्य असमानताओं को खत्म करने का आह्वान करेंगे। इसके साथ ही हम एक अन्याय पूर्ण और कैंसर मुक्त विश्वपाने के लिए अपने संसाधनों का निवेश करेंगे।
World Cancer Day 2021 की थीम ‘I Am and I Will‘ (मैं हूं और मैं करूंगा।) थी। जो अपने और अपने प्रिय जनों एवं विश्व भर में कैंसर के प्रभाव को कम करने की आपकी शक्ति को दर्शाता है।
पिछले कुछ सालों की कैंसर दिवस की थीमें
साल विषय Theme
2022 – 2024 ‘देखभाल के अंतर को बंद करें। ’‘Close the Care Gap’
2019 – 2021 ‘मैं हूं और मैं करूंगा।’‘I Am and I Will.’
2016 – 2018 ‘हम कर सकते हैं। हाँ मैं।’‘We can. I can.’
2015 हमसे परे नहीं Not Beyond Us
2014 मिथकों को तोड़ना Debunk the Myths
2013 कैंसर के मिथक – तथ्य प्राप्त करें Cancer Myths – Get the Facts
2012 एक साथ चलो कुछ करते हैं Together let’s do something
2010-2011 कैंसर को रोका जा सकता है Cancer can be prevented
वर्ल्ड कैंसर डे कैसे मनाया जाता है?
वर्ल्ड कैंसर डे, Cancer (कर्क रोग) जैसी भयावह बीमारी को फैलने से रोकने के लिए विश्व स्तर पर सरकारी और गैर सरकारी संगठनों द्वारा कैंप, सेमिनार, लेक्चर, भाषण और कई जागरूकता अभियान करके मनाया जाता है। जिनमें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी और इसके लक्षणों तथा रोकथाम के उपायों को विस्तृत रूप से सरल भाषा में समझाया जाता है, इस दिन कई अस्पतालों में मुफ्त कैंसर जांच जैसे कार्यक्रम और महिलाओं के लिए स्पेशल जांच कैंप लगाए जाते हैं।
कैंसर क्या है? क्यों और कैसे होता है?
कैंसर किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को होने वाली ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की कोशिकाओं का समूह अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगता है जो कैंसर का कारण बन जाता है। स्तन, ब्लड, स्किन, सर्वाइकल, फेफड़ों और प्रोस्टेट तथा मुंह के कैंसर समेत 100 से अधिक प्रकार के कैंसर हो सकते हैं। कैंसर होने का कारण कैंसर के प्रकारों पर निर्भर करता है, जिस तरह से कैंसर अलग-अलग तरह के होते हैं वैसे ही कैंसर होने के अलग-अलग कारण होते हैं जिनमें में कुछ सामान्य कारण निम्नलिखित हैं:
* तंबाकू चबाने से,
* धूम्रपान करने से,
* पौष्टिक आहार ना लेने से,
* व्यायाम और योगा ना करने के कारण,
* शरीर का वजन बढ़ने के कारण,
* मदिरा का सेवन करना आदि
* सब्जियों और फलों का सेवन कम करना,
* शारीरिक क्षमता वाले काम न करना अथवा कम करना,
* शहरों में प्रदुषण होने के कारण,
* आनुवंशिक संक्रमण,
* सूर्य की अल्ट्रा वोइलेट किरणों [UV rays] के कारण, आदि.
इसके अलावा लोगों में फैली विभिन्न गलत धारणाओं को दूर करना, इनमें से कुछ भ्रांतियां निम्नानुसार हैं -:
* कैंसर पीड़ित व्यक्ति को छूने से कैंसर फैलता हैं,
* कैंसर पीड़ित व्यक्तियों को सामान्य व्यक्तियों की तरह समान अधिकार प्राप्त नहीं होते, आदि।
कैंसर होने के लक्षण और इससे बचने के उपाय?
वजन कम होना, बुखार आना, भूख कम लगना, खासी, खाँसने पर मुंह से खून आना, हड्डियों में दर्द रहना, शरीर में गांठ का बढ़ना, घाव का देर से ठीक होना, आदि कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। कैंसर के प्रति जागरूकता और सही समय पर इसकी पहचान ही आपको इस गंभीर बिमारी से बचा सकती है। इसके साथ ही एक स्वस्थ दिनचर्या भी जरूरी है, इसलिए इससे बचने के लिए एक्सरसाइज और नियमित योगा करें, सूर्य के प्रकाश में ज्यादा देर तक रहने से बचें, तंबाकू एवं नशीली पदार्थों का सेवन ना करें, वजन को ज्यादा न बढ़ने दें।
राष्ट्रीय कैंसर दिवस कब मनाया जाता है?
भारत में भी राष्ट्रीय स्तर पर इस घातक बीमारी के प्रति लोगों को सतर्क और जागरूक करने के लिए प्रति वर्ष 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस (National Cancer Awareness Day) मनाया जाता है। इसकी शुरुआत तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने की थी, जिसके बाद वर्ष 2014 में इसे पहली बार मनाया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस कब होता है?
बच्चों में होने वाले कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने हेतु हर साल 15 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस (International Childhood Cancer Day) मनाया जाता है। इसकी शुरूआत वर्ष 2002 में चाइल्डहुड कैंसर इंटरनेशनल (CCI) द्वारा की गयी थी, आंकड़ो के अनुसार हर साल वैश्विक स्तर पर 3 लाख बच्चे कैंसर का शिकार होते हैं।
नई डिटेक्शन किट बताइएगी ब्रेस्ट कैंसर उपचार में कीमोथेरेपी की जरूरत है या नहीं, जानिए क्या है यह नया टूल
अब तक किसी भी तरह के कैंसर के उपचार में कीमोथेरेपी सर्वाधिक प्रभावशाली तकनीक है। पर यह इतनी दर्दनाक है कि इससे कैंसर रोगियों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है। नई तकनीक इसकी आवश्यकता का सही-सही आकलन कर पाएगी।
इन दिनों कैंसर के इलाज के लिए कुछ ऐसे स्क्रीनिंग टेस्ट (early cancer detection) इजाद किए गए हैं, जिसके बाद अब कीमोथेरेपी के खर्च से आसानी से बचा जा सकता है। दरअसल, भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ हेममेल अमरानिया और उनकी टीम ने एक रेपिड स्क्रीनिंग सिस्टम(rapid screening test) खोज निकाला है। इसके इस्तेमाल से अब स्तन कैंसर को समय रहते डिटेक्ट कर लिया जाएगा। इससे रोगियों को कीमोथेरेपी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
जानिए क्या है ब्रेस्ट कैंसर के लिए बनाई गई डिटेक्शन किट
आमतौर पर खतरा बढ़ने के बाद मरीज़ को कीमो की प्रक्रिया से होकर गुज़रना ही पड़ता है। मगर इस टेस्ट से रोग को शुरूआती स्टेज में ही पकड़ा जा सकता है। इससे इलाज करने में भी बेहद आसानी रहती है। लंदन बेस्ड इम्पीरियल कॉलेज एंड कैंसर रिसर्च सेंटर में डिजीस्टेन मेडिकल फर्म ने एक डिटेक्शन किट तैयार की है। इस किट को पैथोलॉजिस्ट समेत करीबन 1,500 ऑन्कोलॉजिस्ट के इनपुट के साथ बनाया गया है। जहां नॉटिंघम यूनिवर्सिटी अस्पताल और लंदन के चेरिंग क्रॉस अस्पताल में इसका ट्रायल सफल रहा। वहीं भारत में अपोलो ग्रुप भी उच्च स्तर पर इसकी टेस्टिंग प्रक्रिया में जुटा हुआ है। लंदन के शोधकर्ता और वाई कॉम्बिनेटर के संस्थापक डॉ हेममेल अमरानिया ने इस तकनीक को सस्ती और तेज़ बताया है। उनका कहना है कि इस तकनीक में 95 प्रतिशत से अधिक सटीकता के चांस हैं। जो कम समय में रिजल्ट उपलब्ध करवाने में कारगर है। न केवल समस्या को इवेल्यूएट करने की स्पीड घंटों और दिनों में होगी। वहीं अगर खर्च की बात करें, तो इस टेस्ट का खर्चा भी कीमोथेरेपी से 30 फीसदी कम होगा।