एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज अभी तक खोजा नहीं जा सका है| यह मानव तंत्र की कोशिकाओं को नुक्सान पहुंचाती है, इसलिए इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने, शिक्षित करने और वैश्विक सार्वजानिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में एचआईवी के बारे में समझ विकसित करने के लिए हर वर्ष वर्ल्ड एड्स दिवस मनाया जाता है| एड्स ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी (HIV) वायरस के संक्रमण की वजह से होता है। साल 1995 में अमेरिका के राष्ट्रपति ने विश्व एड्स दिवस के लिए एक आधिकारिक घोषणा की थी, जिसके बाद से दुनिया भर में यह दिन जागरुकता पैदा करने के लिए मनाया जाने लगा। आइये जानते हैं एचआईवी क्या होता है और विश्व एड्स दिवस कब और क्यों मनाया जाता है।
हर साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 01 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है, इसकी शुरूआत 1988 में हुई। जिसका मुख्य मकसद लोगों को एचआईवी (HIV) संक्रमण से होने वाली बीमारी एड्स के बारे में जागरूक करना है। इस अवसर पर सभी देशों में एड्स जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं, साथ ही भाषण, चर्चा और टेस्टिंग कैंप भी लगाए जाते हैं। एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज अभी तक खोजा नहीं जा सका है| यह मानव तंत्र की कोशिकाओं को नुक्सान पहुंचाती है, इसलिए इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने, शिक्षित करने और वैश्विक सार्वजानिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में एचआईवी के बारे में समझ विकसित करने के लिए हर वर्ष वर्ल्ड एड्स दिवस मनाया जाता है| इस साल 2024 का AIDS Day रविवार, 01 दिसम्बर को मनाया जा रहा है, जिसकी थीम ‘टेक द राइट पाथ: माय हेल्थ, माय राइट यानि सही मार्ग अपनाएं: मेरी सेहत मेरा अधिकार’ पर आधारित है। आइये जानते हैं एच आई वी क्या होता है और एड्स दिवस कब मनाया जाता है|
वर्ल्ड एड्स डे के बारे में जानकारी:
नाम : विश्व एड्स दिवस
शुरूआत : वर्ष 1988 में
पहली बार : 01 दिसंबर 1988
तिथि : 01 दिसम्बर (वार्षिक)
उद्देश्य : एचआईवी से पीड़ित लोगों के लिए समर्थन दिखाना और एड्स संबंधित बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाना
थीम (2023) : ‘टेक द राइट पाथ: माय हेल्थ, माय राइट यानि सही मार्ग अपनाएं: मेरी सेहत मेरा अधिकार।
AIDS का फुल फॉर्म : Acquired Immuno-Deficiency Syndrome
HIV का फुल फॉर्म : Human Immuno-Deficiency Virus
AIDS यानि यह सिंड्रोम HIV (Human Immuno-Deficiency Virus) से होता है, जिसके कारण मानव की प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है यानी एचआईवी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को ख़त्म कर देता है और मनुष्य बीमारियों से लड़ने की ताकत खो देता है| इसलिए एड्स एक बीमारी ना होकर एक सिंड्रोम है|
क्या है एचआईवी और एड्स में अंतर
एचआईवी एक वायरस है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में सफेद रक्त कोशिका के एक प्रकार पर हमला करता है। एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने के बाद रोगी के लिए मामूली चोट या बीमारी से उबरना भी मुश्किल हो जाता है। हमारा शरीर कई वायरस से लड़ने में सक्षम है, लेकिन एचआईवी संक्रमण किसी भी बीमारी से लड़ने की शरीर की क्षमता को कम कर देता है। एचआईवी एक ऐसा वायरस है जिससे कभी भी शरीर को मुक्त नहीं किया जा सकता है। दूसरी ओर, एड्स एक बीमारी है जो कई लक्षणों का कारण बनती है। एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति में तब एड्स के लक्षण विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है, जब वे एचआईवी का सही समय और सही तरीके से इलाज नहीं करते। एक व्यक्ति को एड्स विकसित किए बिना एचआईवी हो सकता है, हालांकि एचआईवी के बिना एड्स से पीड़ित होना संभव नहीं है।
एचआईवी क्या है?
हमारे शरीर में सीडी 4 कोशिकाएं या टी कोशिकाएं हैं, जो हमें तंदरुस्त रखती हैं। एचआईवी इन कोशिकाओं पर हमला करता है और उनकी संख्या को कम करता है। इससे व्यक्ति बैक्टीरिया और वायरस का शिकार बन जाता है। एंटीरेट्रोवायरल ड्रग थेरेपी की मदद से सीडी 4 कोशिकाओं के विनाश को नियंत्रित किया जा सकता है।
एड्स क्या है?
जब एचआईवी का इलाज नहीं किया जाता है, तो इससे एड्स हो सकता है। एड्स एचआईवी का तीसरा और सबसे उन्नत चरण है। एक व्यक्ति जिसका एचआईवी का इलाज नहीं किया गया है, उसमें एड्स विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। एड्स होने से पहले एक व्यक्ति लगभग 10 से 15 साल तक एचआईवी वायरस के साथ रह सकता है।
विश्व एड्स दिवस की शुरूआत कैसे हुई? (इतिहास)
विश्व एड्स दिवस प्रत्येक वर्ष 01 दिसंबर को मनाया जाता है, 1988 में स्थापित यह दिवस वैश्विक स्वास्थ्य के लिए पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस था। इसकी शुरूआत का पहला कदम अगस्त 1987 में ‘जेम्स डब्ल्यू वन‘ और ‘थॉमस मैटर‘ नाम के दो व्यक्तियों ने सबसे पहले आगे बढ़ाया। जेम्स और थॉमस दोनों ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के अधिकारी के रूप में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में नियुक्त किए गए थे। और उन्हीं के द्वारा WHO के ग्लोबल ऑन एड्स के डायरेक्टरेट जॉनाथन मान के सामने यह सुझाव रखने पर और जोनाथन को यह सुझाव उचित लगने पर 01 दिसंबर 1988को वर्ल्ड एड्स डे मनाने के के लिए इस दिन को चुना गया। वर्ष 1998 से ही हर साल 18 मई को विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाया जाता है। जिसका मकसद HIV एड्स संक्रमण की रोकथाम में वैक्सीन के महत्व और इसके प्रति जागरूकता फैलाना है।
वर्ल्ड एड्स दिवस क्यों मनाया जाता है? (उद्देश्य)
विश्व एड्स दिवस मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के लोगों के लिए एचआईवी के खिलाफ लड़ाई में एकजुट होकर खड़े होने, एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने के लिए समर्थन दिखाने, और एड्स से संबंधित बीमारी से मरने वाले लोगों के लिए शोक मनाने का दिन है।इसका मुख्य मकसद एड्स जैसे रोगों के बारे में जागरूकता फैलाना और एचआईवी संक्रमण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यानी कि एड्स होने के कारणों और इसके लक्षणों को समझाना है और इससे बचने के उपायों को लोगों तक पहुंचाना होता है।
क्यों जरूरी है यह दिवस
* UNAIDS के आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर लगभग 3 करोड़ 84 लाख़ लोग 2021 में एचआईवी वायरस के साथ जी रहे थे।
* इस वायरस की पहचान 1984 में ही की जा चुकी है लेकिन इसके बावजूद भी अब तक 4 करोड़ 1 लाख़ से अधिक लोग एचआईवी एड्स से मर चुके हैं।
* अकेले 2021 में ही लगभग 1.5 करोड़ लोग संक्रमित हुए और तकरीबन 650,000 लोग एड्स संबंधित बीमारियों से मारे गए।
* एड्स से अब तक तकरीबन 8 करोड़ 42 लाख़ लोग संक्रमित हो चुके है।
* लगभग 2 करोड़ 87 लाख़ लोग 2021 में एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी का उपयोग कर रहे थे।
ये आंकड़े देखकर समझा जा सकता है कि यह कितना विनाशकारी संक्रामक रोग है।
विश्व एड्स दिवस 2024 की थीम-
हर साल विश्व एड्स दिवस की थीम अलग-अलग होती है। इस साल यानी 36वें विश्व एड्स दिवस की थीम ‘टेक द राइट पाथ: माय हेल्थ, माय राइट यानि सही मार्ग अपनाएं: मेरी सेहत मेरा अधिकार. है। इस साल एड्स और एचआईवी के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए कई कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। विश्व एड्स दिवस 2023 की थीम ,याद रखें और प्रतिबद्ध रहें’ थी तथा वर्ष 2022 की थीम ‘बराबर‘ (Equalize) है। “बराबर” नारा हम सभी के लिए असमानताओं को दूर करने और एड्स को समाप्त करने में मदद करने का आग्रह किया। वहीं साल World AIDS Day 2021 की Theme ‘End inequalities, end AIDS, end Pandemics’(असमानताओं को समाप्त करें, एड्स को समाप्त करें)थी।आपको बता दें की वर्ष 1988 में पहले वर्ल्ड एड्स डे की थीम ‘Communication‘ रखी गई थी। यह थीम हमें वैश्विक स्तर पर एड्स के खिलाफ एकजुट होने और अपनी जिम्मेदारियों को एक समूह में बांटने पर केंद्रित है। क्योंकि हम इस बीमारी से एकजुट होकर और अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभाते हुए ही हरा सकते हैं।
विश्व एड्स दिवस कैसे मनाया जाता है?
विश्व एड्स दिवस दुनिया भर में एचआईवी संक्रमित लोगों के साथ एकजुटता दिखाने का अवसर है, अधिकांश लोग इस दिन जागरूकता के लिए लाल रिबन (Red Ribbon) पहनते हैं, यह लाल रिबन ऑनलाइन स्टोर या किसी भी केमिस्ट स्टोर से खरीदे जा सकता है। इस साल डिजिटल रेड रिबन भी उपलब्ध है।
* हर साल संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां, सरकारें एवं नागरिक समाज में एचआईवी से संबंधित विशिष्ट विषयों पर चलाए जा रहे अभियानों में शामिल होते हैं।
* फंड जुटाने के लिए भी यह दिन काफी महत्वपूर्ण होता है लोग समुदायों एवं इससे जुड़े संगठनों को दान करते हैं।
* एचआईवी के साथ रहने वाले लोग अपने जीवन के जरूरी मुद्दों पर अपनी आवाज उठाते हैं।
* दुनिया भर में इस दिन इस संक्रमण के प्रति जागरूकता बढ़ाने वाली गतिविधियां की जाती है।
AIDS क्या है? इसकी Full Form और लक्षण?
AIDS की फुल फॉर्म ‘एक्वायर्ड इम्यून डिफिशिएंसी सिंड्रोम‘ है, यह ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) के कारण होने वाला संक्रमण है जो इससे संक्रमित व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर बना देता है। जिसके कारण शरीर बीमारियों से लड़ने की क्षमता खोने लगता है। (एड्स का अंतरराष्ट्रीय चिन्ह रेड रिबन है।)
एचआईवी के लक्षण
दोस्तों HIV कोई खांसी जुखाम जैसी बीमारी नहीं है यह धीरे धीरे आपको कवर करती है और यह संक्रमण हो जाने पर थकावट महसूस होना, स्किन प्रॉब्लम, बुखार आना, उल्टी दस्त होना, जुखाम, गले में खराश, भूख कम लगना, पसीना आना, सांस लेने में समस्या, वजन घटना आदि जैसे लक्षण सामने निकल कर आते हैं।
एड्स होने के कारण
असुरक्षित यौन संबंध : एड्स होने का सबसे मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबंध यानि बिना कंडोम के सेक्स (यौन-क्रिया) माना जाता है। इसका अर्थ यह है कि अगर आप किसी HIV Positive व्यक्ति से अनसेफ सेक्स करते हैं तो आप HIV ग्रस्त हो सकते हैं।
संक्रमित सुई : बार-बार इस्तेमाल किए जाने वाले इंजेक्शन से भी एड्स होने की संभावना होती है, हमेशा इंजेक्शन के लिए नए सुई का ही इस्तेमाल करें।
संक्रमित महिला का बच्चा : अगर कोई महिला HIV संक्रमित है, तो हो सकता है कि उसके गर्भ से पैदा होने वाला बच्चा भी इससे संक्रमित हो, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि वह इससे ग्रस्त ही होगा।
संक्रमित खून : खून चढ़ाते समय हमेशा खून की जांच की जानी चाहिए, अगर कोई भी ब्लड सैंपल HIV Positive है, तो उसे किसी भी मरीज को नहीं चढ़ाना चाहिए।
एड्स के बारे में फैलाई गई पांच गलतफहमी
चुम्बन से : एचआईवी संक्रमित पीड़ितों के सलाइवा (लार) में HIV वायरस की मात्रा काफी कम या न के बराबर होती है इसलिए यह चुम्बन से नहीं फैलता।
पानी से : एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति के स्विमिंग पूल में नहाने, उसके कपड़े धोने, उसका जूठा पानी पीने यहां तक कि बाथरूम का इस्तेमाल करने से भी यह वायरस नहीं फैलता।
साथ रहने से : यह वायरस हवा से नहीं फैलता, इसके आलावा आपके आस पास एचआईवी पीड़ित व्यक्ति के छींकने या थूकने से भी यह वायरस नहीं फैलता।
मच्छर काटने से : मच्छर से मलेरिया डेंगू जैसी बीमारी जरूर हो सकती है, लेकिन एचआईवी एड्स पीड़ित को काटे हुए मच्छर के आप के काटने से यह संक्रमण नहीं फैलता।
हर किसी से हो सकता है : आपको बता दें कि एचआईवी AIDS हर किसी से नहीं, लेकिन किसी भी ऐसे इंसान से हो सकता है जो पहले से ही एचआईवी ग्रसित है, जिसमें अनसेफ सेक्स, संक्रमित सुई, संक्रमित व्यक्ति का रक्त चढ़ाने और ऑर्गन ट्रांसप्लांट से साथ ही एचआईवी ग्रसित मां से उसके बच्चे को हो सकता है।
एड्स / एचआईवी के लक्षण
एचआईवी के लक्षण, संक्रमण के स्तर के आधार पर भिन्न होते हैं| प्रारंभिक संक्रमण के बाद पहले कुछ हफ़्तों में व्यक्ति को किसी भी प्रकार के ;लक्षणों का अनुभव नहीं होता, या बुखार, सिर दर्द, शरीर में दाने, या गले में खराश सहित इन्फ्लुएंजा जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं| संक्रमण बढ़ने पर व्यक्ति में लक्षण जैसे लिम्फ नोड में सूजन, वजन में कमी, बुखार, दस्त और खांसी हो सकती है| उपचार के बिना उनमें गंभीर रोगों जैसे की गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण और कैंसर विकसित हो सकता है|
एड्स रोग की खोज कब हुई और यह भारत में कब आया?
एड्स रोग की खोज वर्ष 1981 में हुई तथा भारत में इसका पहला मामला वर्ष 1986 में मद्रास में सामने आया था।
एड्स की उत्पत्ति कहाँ से और कैसे हुई
कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार एचआईवी वायरस सबसे पहली बार 19वीं सदी की शुरुआत में जानवरों में मिला था| इसके बाद चिंपांज़ी से यह इंसानों में आया| 1959 में कांगो के एक बीमार आदमी के खून का नमूना लिया गया| कई सालों बाद डॉक्टरों को उसमें एचआईवी का इन्फेक्शन मिला और यह माना गया कि यह व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित पहला व्यक्ति था| वैज्ञानिकों ने एचआईवी की उत्पत्ति का कारण चिंपांज़ी और एसआइवी को माना| एसआइवी, एचआईवी की तरह ही एक वायरस है जो बंदरों और चिंपांज़ी में प्रतिरोधक क्षमता प्रणाली को कमज़ोर कर देता है| साइंस जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार इस बीमारी की उत्पत्ति किंशासा शहर, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो की राजधानी से हुई है| 1960 के दशक में यह संक्रमण अफ्रीका से हैती और फिर कैरिबियन देशों में फैल गया, जहाँ से यह अमेरिका में आया| 1980 के दशक तक यह वायरस लोगों के ध्यान में नहीं आया था| कहा जाता है एड्स की पहचान 1981 में हुई थी| डॉ माइकल गोटलिएब ने लॉस एंजेलेस में पांच लोगों में एक अलग किस्म का निमोनिया पाया| डॉ ने पाया इन लोगों में रोग से लड़ने वाला तंत्र अचानक कमजोर पड़ गया था| यह पाँचों मरीज समलैंगिक थे इसलिए शुरुआत में डॉक्टरों को लगा कि यह बीमारी केवल समलैंगिकों में होती है| इसलिए एड्स को शुरुआत में GRID यानि गे-रिलेटेड इम्यूनो डेफिशियेंसी का नाम दिया गया| फ्रांस में 1983 में लुक मोन्टैग्नीर और फ्रांसोइस बार्रे-सिनोशी ने एल.ए.वी वायरस की खोज की थी और 1984 के आसपास अमेरिका के रोबर्ट सी-गैलो ने एच.टी.एल.वी-3 वायरस की खोज करी| 1985 के आसपास यह ज्ञात हुआ कि यह दोनों वायरस एक ही हैं| 1985 में ही मोन्टैग्नीर और सिनोशी को नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था| 1986 में पहली बार इस वायरस को एच आई वी यानि ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरस नाम मिला| पूरी दुनिया में इसके बाद एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने का अभियान शुरू हो गया|
डिस्क्लेमर- यह टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर द्वारा चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं है। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में योग्य चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।