नन्दी नाड़ी ज्योतिष मूल रूप से दक्षिण भारत में अधिक लोकप्रिय और प्रचलित है। ज्योतिष की यह एक अनूठी शैली है जिसमें ताल पत्र पर लिखे भविष्य के द्वारा ज्योतिषशास्त्री फल कथन करते हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भगवान शंकर के गण नन्दी द्वारा जिस ज्योतिष विधा को जन्म दिया गया उसे नंदी नाड़ी ज्योतिष के नाम से जाना जाता है।
भारतीय ज्योतिष की अनेक शाखाएं हैं। उन शाखाओं में से नाड़ी ज्योतिष भी एक अत्यंत प्राचीन विद्या है। ऐसी मान्यता है कि इससे व्यक्ति के भूत, वर्तमान व भविष्यकाल की गणना व भविष्यकथन सटीकता से किया जा सकता है। जी हाँ नाड़ी ज्योतिष प्राचीन ज्योतिष का एक ऐसा अंग है, जिसके माध्यम से आप अपने जीवन की परेशानियों को चमत्कारिक रूप से हल कर सकते हैं। यह अद्भुत व उत्तम विज्ञान आपकी आत्मा की यात्रा पर प्रकाश डालने का काम करता है। इस शास्त्र के द्वारा आप अपने भूत, वर्तमान व भविष्यकाल को सरलता से जान पाएंगे। साथ ही इस विज्ञान की मदद से आप अपनी समस्याओं को आसानी से सुलझा सकते हैं। नाड़ी एस्ट्रोलॉजी, जिसे नाड़ी ज्योतिष भी कहा जाता है, प्रकाश विज्ञान के माध्यम से आपके जीवन के रहस्यों की ख़ोज करता है। इससे भी ज्यादा आश्चर्यजनक बात यह है कि नाड़ी अँगूठे की छाप व ध्वनि विज्ञान पर आधारित शास्त्र है। इस विधा के द्वारा जो दिव्य भविष्यकथन किया जाता है, उसका आधार प्राचीन व पवित्र ताड़पत्रों पर लिखे गए अभिलेख हैं, जिनके सामूहिक रूप को “नाड़ी” कहा जाता है। नाड़ी ज्योतिष भारत के महान ऋषियों के चिंतन से उत्पन्न हुई विद्या है। प्राचीन काल में ऋषियों ने यह ज्ञान मानव जाति के लिए प्रकट किया। वे भविष्यद्रष्टा थे और तपोबल से भविष्य को देखने की क्षमता रखते थे। हमारे इन महान मनोवैज्ञानिक ऋषियों ने ध्यान, ध्वनि-तरंग व अन्य गूढ़ साधनाओं द्वारा अपनी अंतर्प्रज्ञा व चेतना को अत्यंत विकसित कर लिए था। इन्ही ध्यान साधनाओं व दिव्य ज्ञान के फलस्वरूप वे सभी आत्माओं का भूत, वर्तमान व भविष्यकाल देखने में सक्षम हो गए थे। अपनी दिव्यदृष्टि से उन्हें पता चल गया था कि आधुनिक काल में कठिनाइयाँ प्रबल रहेंगी। प्राणिमात्र के प्रति दया भाव से भरे इन उन्नत व श्रेष्ठ ऋषि-मुनियों ने मनुष्यों को अपना भविष्य बदलने व आत्मा को विकसित करने का मार्ग दिखाया। हमारे ऋषि-मुनियों ने मनुष्य आत्माओं से जुड़ी सभी जानकारियों को पहले से ही लिखकर रख दिया था।
आख़िर क्या हैं नाड़ी पत्र?
प्राचीन समय में ज्ञान व सूचनाएं केवल मुख द्वारा प्रदान की जाती थी। लिखित शब्दों द्वारा ज्ञान बाँटने का सिलसिला उसके 3000 वर्ष बाद प्रारंभ हुआ। अर्थात जब प्राचीन लेखकों ने भारतीय साहित्य, वैज्ञानिकता व अध्यात्म से भरी कई हज़ार वर्ष पुरानी ज्योतिषीय विरासत आदि का लिखित ब्यौरा रखना शुरू किया। सूचनाओं को लिखने व एकत्रित करने के लिए ग्रेनाइट के कड़े पत्थर, पतली ताम्र पट्टीयां व वृक्षों की छाल आदि कुछ माध्यमों का प्रयोग किया जाता था। परंतु नाड़ी ज्योतिष की सूचनाओं को एकत्रित करने के लिए ताड़पत्रों का प्रयोग होता था। ऋषियों ने ख़ास औजारों व लेखनी की मदद से हमारे जीवन से जुड़ी प्रत्येक कहानी को इन ताड़पत्रों में सावधानी पूर्वक लिपिबद्ध कर दिया था। यह सब कुछ हाथ द्वारा ताड़पत्रों को बिना नुकसान पहुँचाए किया जाता था। यह लेखन शब्दों के बीच बिना अंतर दिए हुए लगातार चलता था। यही कारण है कि क्यों ताड़पत्रों के पठन के लिए ख़ास अभ्यास के साथ-साथ प्राचीन तमिल व संस्कृत भाषा के ज्ञान की ज़रूरत भी पड़ती है। जब ताड़पत्रों पर शब्दों की नक्काशी का काम पूर्ण हो जाता था, तो उसके बाद इन ताड़पत्रों पर दीपक की कालिख़ या हल्दी का लेपन किया जाता था। ताकि ख़ुदा हुआ लेखन अधिक स्पष्ट और पढ़ने योग्य हो जाए। इसके साथ ही इन ताड़पत्रों पर तेल का लेपन भी किया जाता था ताकि इन्हें अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सके। इसके उपरांत एक ही अँगुष्ठ छाप वाले ताड़पत्रों के समूहों को लकड़ी की दो पट्टियों के बीच रखकर रस्सी से बाँधकर रख दिया जाता था।
नाड़ी ज्योतिष कैसे काम करता है?
नाड़ी’ शब्द के यूं तो कई अर्थ हैं, किन्तु ज्योतिष शास्त्र में नाड़ी का अर्थ ‘आधा मुहूर्त’ अर्थात 24 मिनट का समय माना जाता है। एक महूर्त का काल 48 मिनट के बराबर माना जाता है। नाड़ी शब्द समय वाचक होने के बाद भी ज्योतिष में एक विधा या पद्धति के रूप में जाना जाता है। उत्तर भारत में जिस प्रकार भृगु संहिता, रावण संहिता या अरुण संहिता आदि ग्रन्थ हैं जो किसी जातक के भूत-भविष्य-वर्तमान तीनों काल के विषय में फलकथन करते हैं, उसी प्रकार दक्षिण भारत में नाड़ी ग्रंथों का प्रचार है। नाड़ी ग्रन्थ ऋषियों या देवताओ के नाम से लिखे गए हैं जैसे अगस्त्य नाड़ी, शिव नाड़ी, वशिष्ठ नाड़ी, ध्रुव नाड़ी, भृगु-नंदी नाड़ी, शुक्र नाड़ी, सप्तऋषि नाड़ी, भुजंदर नाड़ी, चंद्र-कला नाड़ी इत्यादि। इन नाड़ी ग्रंथों में चमत्कारिक रूप से मनुष्य के भूत और भविष्य का वृतांत लिखा रहता है।किन्तु नाड़ी ग्रन्थ भी भृगु संहिता की भांति मुख्यतया फलादेश प्रधान है, हेतु प्रधान नहीं। अर्थात इन नाड़ी ग्रंथों में अमुक घटना क्यों और ज्योतिष के किस नियम के आधार पर हुई इसका उल्लेख नहीं मिलता। नाड़ी ग्रंथों के आधार पर फलादेश करने वाले आपके अंगूठे के निशान के आधार पर भोज-पत्र खोजकर आपके नाम, माता-पिता का नाम, माता-पिता जीवित हैं या नहीं, भाई-बहन की संख्या, विवाह और संतान, नौकरी या व्यसाय आदि के विषय में सामान्य फल कहते हैं। इस सामान्य फल के ठीक निकलने के बाद विस्तृत भविष्यवाणियां की जाती हैं। ज्योतिष के विद्वानों के अनुसार एक राशि के 30 अंशों में 150 नाड़ियां होती हैं। एक राशि 30 (अंश) x 60 (मिनट्स) = 1800 (सेकंड्स ) या कलाओं की होती है। अत: एक नाड़ी अंश 1800 सेकंड्स का 150 वां भाग यानि 12 सेकंड्स या 12 कला का होता है। प्रत्येक नाड़ी का फलादेश पूर्व और उत्तर भाग के आधार पर होता है, इसलिए नाड़ीशास्त्र के अनुसार जन्मसमय को 12 /2 यानि 6 सेकंड्स तक शुद्ध होना चाहिए। व्यवहारिक रूप से ऐसा असम्भव है क्योंकि किसी जातक का जन्म समय इतना त्रुटि रहित नोट किया जाए कि उसमे 6 सेकंड्स की भी अशुद्धि ना हो, किन्तु नाड़ी ज्योतिष में मात्र अंगूठे के निशान के चिह्न से जातक का फलित निकालकर उसका जन्म समय भी शुद्ध किया जा सकता है। कुछ नाड़ी ग्रंथों में जातक की कुंडली से उसके सगे-सम्बन्धियों के विषय में भविष्यवाणी करने सम्बन्धी सूत्र दिए रहते हैं। जैसे तृतीय भाव जो सप्तम (पत्नी या पति ) के भाव से नवम है उससे जातक से ससुर के विषय में बताया जाता है। पंचम भाव जो एकादश से सप्तम है उससे जातक के बड़े भाई या बहन के जीवनसाथी के विषय में जाना जाता है। अष्टम भाव जो सप्तम (जीवनसाथी) के भाव से दूसरा है उससे जातक को ससुराल पक्ष से मिलने वाले धन के विषय में जाना जाता है। नाड़ी ग्रंथों में किसी जातक के जीवनसाथी की जन्मराशि या जन्म लग्न क्या होगी इसके जानने के भी योग बताए गए हैं। नाड़ी ग्रंथों के अनुसार सप्तम भाव की राशि, सप्तमेश की राशि या सप्तमेश का नवांश अथवा उससे त्रिकोण की राशि जातक की पत्नी का जन्म लग्न और उसकी चंद्र राशि हो सकती है। इसी प्रकार पंचम भाव की राशि, पंचमेश की राशि या पंचमेश की सप्तांश राशि जातक के बच्चों की चंद्र राशि और लग्न की राशि हो सकती है।
जानिए नाड़ी ज्योतिष आपको कैसे फ़ायदा पहुँचाएगी?
नाड़ी ज्योतिष की सबसे बड़ी अहमियत यह है कि ये आपके पूर्वजन्म से आपके वर्तमान जन्म के संबंधों के संपर्क को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। इसकी एक और सबसे बड़ी उपयोगिता यह है कि ये आपके पूर्वजन्म के अवशिष्ट कर्मों को बदलने का मार्ग भी प्रदान करती है। आपका भूतकाल वास्तव में आपकी परेशानी का सबब बन सकता है। ऋषियों ने आपसे संबंधित नाड़ी ताड़पत्र पर न केवल आपका आत्मिक मानचित्र लिखा, बल्कि आपको सही मार्ग पर चलने के लिए उन्होंने कई उपाय भी सुझाए। प्रायः ज्यादातर ये उपाय सरल पूजा व प्रसाद आदि चढ़ाने से जुड़े हुए हैं। हम सब ऊर्जावान प्राणी हैं। ये उपाय कर्म से जुड़ी हुई ऊर्जाओं पर काम करके उन्हें दुरुस्त करने का काम करते हैं। बताए गए इन उपायों को करके आप अपने अवशिष्ट पूर्व कर्मों को ठीक कर उन्नति के मार्ग पर अग्रसर हो सकते हैं।
आपसे जुड़ी नाड़ी आपके परिवार को भी लाभ पहुँचाती है- आपका परिवार आपके आत्मा समूह का हिस्सा है। कुछ निश्चित पारिवारिक कर्म आपको अपने पूर्वजों से विरासत में प्राप्त होते हैं। इन निश्चित पारिवारिक कर्मों की पहचान करके उपाय किए जा सकते हैं। आपके व पारिवारिक सदस्यों से जुड़े कर्मों में सुधार करके पूरे परिवार व आने वाली पीढ़ी को निश्चित तौर पर लाभान्वित किया जा सकेगा।
उद्गम व इतिहास- दसवीं व तेरहवीं शताब्दी में दक्षिण भारत में नाड़ी ताड़पत्रों को चोला राजवशों द्वारा सुरक्षित रखा गया था। तंजौर के राजा, महाराजा सरफोजी द्वितीय, जो कि कला व विज्ञान के एक सच्चे संरक्षक थे, ने इन ताड़पत्रों को अपने भवन के पुस्तकालय में सुरक्षित रखा। जब भी आवश्यक होता वे अपने लेखकों को ताज़े व नए ताड़पत्रों पर मूल व कीमती पाँडुलिपियों से प्रतिलिपि बनाने की अनुमति देते थे। यह एक ऐसी प्रक्रिया थी, जिसमे प्राचीन तमिल भाषा का प्रयोग अनुवाद में किया जाता था।
ब्रिटिश काल में नाड़ी ज्योतिष- मुग़ल व अंग्रेजों के आक्रमण के कारण अनेक नाड़ी ताड़पत्र नष्ट हो गए। कुछ ताड़पत्रों को मुगलों द्वारा जला दिया गया जबकि कई ताड़पत्रों को अंग्रेजों ने अपने पास रखकर भारत में ही कुछ परिवारों को बेच दिया।
नाड़ी ज्योतिष वापस आपकी सेवा में- आज नाड़ी ज्योतिष का प्रमुख केंद्र दक्षिण भारत का एक प्रसिद्द मंदिर है। फिर भी वहां मौजूद प्रत्येक नाड़ी पत्र न तो प्रामाणिक है और न ही प्रत्येक नाड़ी ज्योतिषी इन नाड़ी पत्रों के माध्यम से व्यापक भविष्य कथन कर पाता है। इसलिए आपके आत्मिक मार्ग जैसे महत्वपूर्ण कार्य की ख़ोज करने के लिए सही व प्रामाणिक नाड़ी ताड़पत्र व नाड़ी ज्योतिषी का चुनाव सावधानी से किया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
डिस्क्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।’