आज महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती है। पूरा देश दोनों महापुरुषों को श्रद्धांजलि दे रहा है। दिल्ली में राजघाट और विजय घाट पर दोनों महापुरुषों को श्रद्धांजलि देने नामी हस्तियां पहुंच रही हैं। आज कई सरकारी व निजी कार्यक्रम होंगे। 02 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था। दक्षिण अफ्रीका से 1915 में भारत लौटे गांधी ने स्वाधीनता संग्राम का नेतृत्व किया। गांधी के जन्मदिन को देश अब राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाता है। उनकी जयंती को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। वहीं, सादगी और ईमानदारी की मिसाल कहे जाने वाले शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को बिहार के मुगलसराय में हुआ। वह जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने राजघाट में श्रद्धांजलि दी। गांधी परिवार सहित अन्य नेता भी आज राजघाट पहुंचेंगे।
भारत के साथ ही पूरे विश्व में 02 अक्टूबर को महात्मा गांधी जी के जन्मदिन को अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस (International Day Of Non Violence) के रूप में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 15 जून 2007 में की गयी थी, जिसके बाद 02 अक्टूबर 2007 को इसे पहली बार मनाया गया। इंटरनेशनल डे ऑफ़ नॉन-वॉयलेंस को दुनिया के 193 देशो में से 140 देशों में सेलिब्रेट किया जाता है जिसमें अमेरिका, अफ्रीका, भारत, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश जैसे देश शामिल हैं। गांधीजी हमेशा अहिंसा को ही अपना परम धर्म मानते थे और वे सभी को ‘अहिंसा परमो धर्म:’ की सीख़ दिया करते थे।
इंटरनेशनल डे ऑफ़ नॉन-वॉयलेंस के बारे में जानकारी।
नाम : अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस (International Non-Violence Day)
शुरूआत :15 जून, 2007
सम्बन्धित व्यक्ति : महात्मा गाँधीतिथि : 02 अक्टूबर (वार्षिक)
उद्देश्य : अहिंसा के संदेश का प्रसार करना तथा शांति, सहिष्णुता, समझ व अहिंसा की संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास करना।
महात्मा गाँधी जी की बायोग्राफी/जीवनी
नाम : मोहनदास करमचंद गांधी
उपाधि : महात्मा/राष्ट्रपिता
जन्म : 2 अक्टूबर 1869, पोरबन्दर (गुजरात)
पत्नी : कस्तूरबा गांधी
पिता का नाम : करमचंद गाँधी
माता का नाम : पुतलीबाई
शिक्षा : बैरिस्टर
मृत्यु : 30 जनवरी 1948, नई दिल्ली (भारत)
* गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में स्थित पोरबंदर में हुआ था, महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था उनकी माता का नाम पुतलीबाई तथा पिता का नाम करमचंद गांधी था।
* उनका विवाह 13 साल की कम उम्र में ही 14 साल की कस्तूरबा के साथ कर दिया गया था और उनकी चार पुत्र संताने थी।
* अपने स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे लॉ (कानून) की पढ़ाई करने और Barrister बनने लन्दन चले गए। और वहाँ उन्होंने Law (कानून) की पढ़ाई Complete करके बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की।
विश्व अहिंसा दिवस की शुरुआत कब और कैसें हुई? (इतिहास)
अहिंसा दिवस की शुरुआत 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत द्वारा रखे गए प्रस्ताव को पूर्ण समर्थन मिलने के बाद विश्व भर में शांति संदेश को बढ़ावा देने एवं गांधीजी के योगदानों की सराहना करने के मकसद से शुरू किया गया था। जनवरी 2004 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले ईरान के शिरीन इबादी ने ही सबसे पहले “अंहिसा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस” मनाने का सुझाव दिया था। जिसे वर्ष 2007 में भारतीय कांग्रेस पार्टी की सोनिया गांधी तथा देस्मोंड टूटू ने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष रखा। इसके बाद 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वोटिंग कराए जाने के बाद 02 अक्टूबर को “अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस” मनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया। तभी से 02 अक्तूबर को इंटरनेशनल डे ऑफ़ नॉन-वॉयलेंस मनाया जाता है और लोगों को अहिंसा का संदेश देने के लिए प्रेरित किया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस क्यों मनाया जाता है?
हर साल 02 अक्टूबर को महात्मा गांधी जी की जयंती के अवसर पर विश्व स्तर पर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है, यह दिवस मनाए जाने का उद्देश्य शिक्षा एवं जन जागरूकता सहित अहिंसा के संदेश को प्रसारित करना तथा शांति एवं सहिष्णुता, की संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास करना है। इसके साथ ही विश्व में हो रहे अपराधों, युद्धों, बढ़ते आतंकवाद और लूटमार को देखते हुए सम्पूर्ण विश्व में शांति स्थापित करना और अहिंसा के मार्ग पर चलने का सन्देश देना भी इसका मक़सद है। विश्व को शांति और अहिंसा का मार्ग दिखाने और हिंसा ना करने का मैसेज देने वाला यह एक ऐसा दिन है जिसके सही अर्थ को समझने के बाद आप हिंसा का मार्ग छोड़कर अहिंसा के मार्ग पर चल पडने पर मजबूर हो जाएंगे।
गाँधी जयंती कब, क्यों और कैसें मनाई जाती है?
हर साल 2 अक्टूबर को देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती बड़े धूमधाम के साथ मनाई जाती है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर (गुजरात) में हुआ था वे देश के महान स्वतंत्रता सेनानी थे। महात्मा गांधी ने अहिंसा के दम पर भारत को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी तथा वे भारत के जाने-माने स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं। इस साल 2023 में 02 अक्टूबर को सोमवार के दिन पूरा देश महात्मा गांधी जी की 154वीं जयंती मना रहा है, 2019 में उनकी 150वीं जयंती मनायी गयी थी। यह एक राष्ट्रीय पर्व और अवकाश है। राष्ट्र पिता की उपाधि मिलने के कारण गांधी जी को ‘बापू’ भी कहा जाता है तथा उनके जन्मदिन (Birthday) को देश के स्कूलों और दफ्तरों में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है और कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। महात्मा गाँधी अहिंसा के पुजारी थे तथा वे अहिंसा को ही अपना परम धर्म मनाते थे।
02 अक्टूबर को और किसकी जयंती मनाई जाती है?
2 अक्टूबर को गांधी जयंती के साथ ही लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती भी मनाई जाती है। तथा 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की घोषणा के बाद से ही गांधी जी की जयंती को विश्व स्तर पर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। तो वहीं भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अनुरोध पर यह दिन राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।
गांधी जयंती का महत्व
गांधी जी हमेशा अहिंसा और सत्य के रास्ते पर चला करते थे और अहिंसा परमो धर्म: का ही अनुसरण किया करते थे। क्योंकि उन्होंने हिंसा के परिणाम को काफी नजदीक से देखा और इसका अनुभव किया था। ऐसे में हमें उनसे सदैव सत्य बोलना एवं अहिंसा के मार्ग पर चलना सीखना चाहिए, साथ ही वह यह भी कहा करते थे कि बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, और बुरा मत कहो। इसके अलावा वे मन में बदले की भावना लेकर चलने वाले लोगों के लिए कहा करते थे कियदि आंख के बदले आंख मांगी जाएगी तो…एक दिन पूरी दुनिया ही अंधी हो जाएगी। ऐसे में हमें गांधी जयंती के महत्व को समझना चाहिए और सदैव दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए अहिंसा का सहारा लेना चाहिए और सभी छोटी-बड़ी समस्याओं के समाधान को शांति और अहिंसा से निकालने का प्रयास करना चाहिए ताकि एक बेहतर कल का निर्माण किया जा सके।
इंटरनेशनल डे ऑफ़ नॉन-वॉयलेंस का महत्व।
अहिंसा का महत्व हमारे या किसी भी व्यक्ति के जीवन में काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है, आज से पहले के इतिहास में झांके तो हम पाएंगे कि कई बड़े-बड़े देश हिंसा तथा युद्ध की बलि चढ़ गए और जिन्होंने हिंसा का वह मंजर देखा है वह अब युद्ध की बातें नहीं करते। गांधी जी ने भी युद्ध और हिंसा का अंजाम खुद अपनी आंखों से देखा था इसीलिए वह अहिंसा के पुजारी बन गए और हिंसा का विरोध करने की ठान ली। इसलिए हमें भी अपने किसी भी विवाद या मसले को शांति पूर्वक और अहिंसा से ही समझाने का प्रयास करना चाहिए।
महात्मा गांधी और अहिंसा
गांधी जी को हमेशा से ही अहिंसा का प्रतीक माना गया है और उन्हें अहिंसा के पुजारी की संज्ञा भी दी जाती है, ऐसे में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता गांधीजी के भारत की आजादी में अहिंसा के जरिए दिए गए महत्वपूर्ण योगदानों और सहयोगों के लिए उनके जन्मदिन के अवसर पर अहिंसा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस चिन्हित किया जाता है। महात्मा गांधी जी हिंसा के कट्टर विरोधी थे और अहिंसा को ही अपना सबसे बड़ा हथियार मानते थे। उनकी ख्याति भारत में ही नही अपितु विश्वभर में फैली हुई है। देश की आजादी में उनका योगदान अविस्मरणीय है, उन्होंने अपने साथियों को हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलकर देश को आजाद करवाने की बात कही और खुद भी उसी रस्ते पर चलते हुए देश को आजादी की ओर अग्रसर किया। बापू ने अनेकों आदोलनों की शुरूआत की लेकिन उन्होने किसी भी आन्दोलन में हिंसा का सहारा नही लिया।
गांधी जयंती कैसे मनाई जाती है/कार्यक्रम?
* 2 अक्टूबर के दिन गांधी जयंती के अवसर पर लोग नई दिल्ली में स्थित उनकी समाधि राजघाट पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
* इस दिन दिल्ली समेत भारत के कई राज्यों में राष्ट्रीय अवकाश रहता है, तथा उनकी समाधि ‘राजघाट’ पर भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की उपस्थिति में श्रद्धांजलि का आयोजन होता है। तथा स्कूलों और दफ्तरों में भी गांधी जयंती का उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
* इस मौके पर देश के विभिन्न नेताओं एवं देशवासियों द्वारा ट्विटर एवं अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए भी गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
* उन्हें श्रद्धांजलि एवं उनके समृति के लिए उनके सबसे पसंदीदा और भक्ति गीत ‘रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम’ गाया जाता है। एवं प्रार्थना सभाओं में प्रार्थनाएं की जाती है और स्मारक समारोहों के जरिए भी श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
* हमें गांधी जी की जयंती को ‘स्वच्छता ही सेवा’ नारे (Slogan) के साथ मनाना चाहिए।
कैसें बने अहिंसा के पुजारी:
जब उन्हें दक्षिण अफ्रीका में कानून का अभ्यास करने का अवसर मिला और वे दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर गए तो वहां उन्हें नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा। साउथ अफ्रीका में जब वह प्रथम श्रेणी की टिकट लेकर ट्रेन में यात्रा कर रहे थे तो कुछ अंग्रेजों ने उन्हें रेल के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से बाहर निकाल दिया। जिसके बाद उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के लिए भी संघर्ष किया और इसी दौरान उन्होंने 1899 में हुए एंग्लो बोएर युद्ध में एक स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर कार्य किया तथा इस युद्ध की भयानक तस्वीर देखी जिसके बाद उन्होंने हिंसा के खिलाफ खड़े होने का प्रण लिया और अहिंसा के रास्ते को अपनाया और ‘अहिंसा के पुजारी’ बन गए।और जब वे भारत वापस लौटे तो उस समय देश की स्थिति काफी खराब थी जिससे वह बहुत प्रभावित हुए। और आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए तथा उन्होंने अहिंसा का सहारा लिया और देश की स्वतंत्रता के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। उन्होने स्वतंत्रता संग्राम में कई आन्दोलनों में हिस्सा लिया गांधी जी के प्रयासों के चलते ही आज हमारा देश स्वतंत्र है। उन्होंने अहिंसा के दम पर देश (भारत) को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई थी। बापू को देश की आजादी के लिए कई बार जेल भी जाना पड़ा था। देश की आजादी के कुछ महीनों बाद ही 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए गांधीजी की अगुवाई में कुछ महत्वपूर्ण आन्दोलन
महात्मा गाँधी जी द्वारा महत्वपूर्ण आन्दोलन
S.No. आंदोलनवर्षस्थान
1.चंपारण आंदोलन1917चंपारण (बिहार)
2.खेड़ा आंदोलन1918खेड़ा (गुजरात)
3.खिलाफत आंदोलन 1919–4. असहयोग आन्दोलन 1920–5.भारत छोड़ो आन्दोलन 1942–6. सविनय अवज्ञा आन्दोलन1930–
महात्मा गांधी से जुड़ी 10 रोचक बाते
1. महात्मा गांधी ने लंदन से कानूनी बैरिस्टर की डिग्री तो हासिल की, लेकिन उन्हे मुंबई के उच्च न्यायालय में हुई पहली बहस में असफलता हाथ लगी।
2. Apple के Founder स्टीव जॉब्स Gandhi Ji को सम्मानित करने के लिए खुद भी उनके जैसा गोल चश्मा पहनते थे।
3. भारत में 50 से भी अधिक सड़को का निर्माण गांधी जी के नाम पर किया गया है। भारत ही नही विदेशों में भी लगभग 60 सड़के गांधी जी के नाम पर बनी हुई है।
4. महात्मा गांधी को 5 बार नोबेल पुरस्कार के लिए Nominate किया गया लेकिन उन्हे 1 बार भी Nobel prize से सम्मानित नही किया गया है।
5. गाँधी जी रोज लगभग 18 किलोमीटर पैदल चला करते थे।
6. बापू के जन्मदिन को दुनिया भर में ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 15 जून 2007 को की गई थी।
7. भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जीमहात्मा गांधी को अपना आदर्श मानते हैं और उन्होंने गांधी जयंती को मात्र एक छुट्टी का दिन नहीं बल्कि इसे ‘स्वच्छता अभियान’ के रूप में मनाने का अनुरोध किया है।
8. गांधी जी को वर्ष 1930 में अमेरिका की प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन में साल का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति (Person of the Year) खिताब से सम्मानित किया जा चुका है।
9. गांधी जी को ‘महात्मा’ की उपाधि रविंद्र नाथ टैगोर ने तथा ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि सुभाष चंद्र बोस जी ने दी थी।
10. बापू की मृत्यु के बाद जब उनकी शव यात्रा निकली तो वह करीबन 8 किलोमीटर लंबी थी।
अहिंसा पर गांधीजी के विचार (कोट्स)
* गरीबी हिंसा का सबसे बुरा रूप है।
* आंख के बदले आंख मांगी जाएगी तो…
एक दिन पूरी दुनिया ही अंधी हो जाएगी।
* अहिंसा बलवान का हथियार है।
* अहिंसा परमो धर्म:
* अहिंसा और सत्य अविभाज्य हैं और एक दूसरे को मानते हैं।
* हम कभी भी इतने मजबूत नहीं हो सकते कि हम मन, वचन और कर्म से पूरी तरह से अहिंसक हो जाएं। लेकिन हमें अहिंसा को अपने लक्ष्य के रूप में रखना चाहिए और उसकी ओर मजबूत प्रगति करनी चाहिए।
महात्मा गांधी की पुण्यतिथि किस दिन होती है?
प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि होती है, जिसे शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन वर्ष 1948 में नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी।
लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती कब और क्यों मनाई जाती है?
हर साल 02 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी की जयंती के साथ ही भारत के दूसरे प्रधानमंत्री ‘लाल बहादुर शास्त्री’ का भी जन्मदिन होता है। इस साल 2023 में देश उनकी 120वीं जयंती मना रहा है। स्वभाव से शांत और सादगी से अपना जीवन व्यतीत करने वाले शास्त्री जी गांधीवादी परंपरा में विश्वास रखने वाले नेता थे। 02 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में गरीब घर में पैदा होने वाले शास्त्री जी का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा। शास्त्री जी के पिता शुरूआती दिनों में एक स्कूल के अध्यापक थे, लेकिन बाद में वे आयकर विभाग में क्लर्क के लिए चुने गए। गरीब होने के बाद भी उनके पिता एक ईमानदार व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे लेकिन उनकी मृत्यु उस समय हुई जब लाल बहादुर शास्त्री केवल 1.5 वर्ष के थे। पिता के देहांत के बाद उनकी माता राम दुलारी देवी ने उनका तथा उनकी दो बहनों का पालन पोषण अपने पिता के घर (मिर्ज़ापुर) किया। लाल बहादुर अपने दादा के घर से कक्षा 6 की परीक्षा पास की उस समय वे केवल 10 वर्ष के थे, इसके बाद वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाराणसी चले गए।गरीब परिवार से होने के बावजूद उन्होंने अपने जीवन में कड़ा संघर्ष करके देश के दूसरे प्रधानमंत्री बनने का गौरव हासिल किया और सबको यह दिखा दिया कि अगर मन में आत्मविश्वास हो तो इंसान कोई भी मंजिल पा सकता है। वे देश के स्वतंत्रता सेनानी, कुशल राजनेता और भारत के दुसरे प्रधानमंत्री थे। इसके आलावा उनकी पूण्यतिथि को लालबहादुर शास्त्री स्मृति दिवस के रूप में हर वर्ष 11 जनवरी को मनाया जाता है। लाल बहादुर शास्त्री जी द्वारा आजादी से पहले और बाद में देश को दिए गए महत्वपूर्ण योगदान को याद करने के उद्देश्य से हर साल उनकी जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। शास्त्री जी को उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिए मरणोपरांत वर्ष 1966 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन परिचय
नाम : लाल बहादुर शास्त्री
उपाधि : शास्त्री, भारत के दुसरे प्रधानमंत्री
जन्म।: 2 अक्टूबर 1904, मुगलसराय (उत्तर प्रदेश)
पत्नी : ललिता देवी
पिता का नाम : शारदा प्रसाद
माता का नाम : रामदुलारी देवी
शिक्षा : दर्शनशास्त्र
मृत्यु : 11 जनवरी 1966, नई दिल्ली (भारत)
लाल बहादुर शास्त्री के बेहतरीन कोट्स (प्रेरक प्रसंग)
#1. देश की तरक्की के लिए हमे आपस में लड़ने की बजाय
गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा।
#2. हमारी ताकत और मजबूती के लिए सबसे जरूरी काम है
लोगो में एकता स्थापित करना।
#3. हम खुद के के लिए ही नही बल्कि पूरे विश्व की शांति, विकास और कल्याण में विश्वास रखते हैं।
#4. यदि कोई भी व्यक्ति हमारे देश में अछूत कहा जाता है तो भारत को अपना सिर शर्म से झुकाना पड़ेगा।
#5. जो शासन करते हैं उन्हें देखना चाहिए कि लोग प्रशासन पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं. अंतत: जनता ही मुखिया होती है।
#6. देश के प्रति निष्ठा सभी निष्ठाओं से पहले आती है,
और यह पूर्ण निष्ठा है क्योंकि
इसमें कोई प्रतीक्षा नहीं कर सकता की बदले में उसे क्या मिलता हैं।
#7. जय जवान जय किसान
लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान-जय किसान, मरो नहीं मारो! जैसे नारे (स्लोगन) दिए तथा इसके साथ ही श्वेत एवं हरित क्रांति से भी जुड़े।
कैसें मिली “शास्त्री” की उपाधि
उनका वास्तविक नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था, परंतु काशी विद्यापीठ में 4 साल पढाई करने के बाद वर्ष 1926 में उन्होने वहां से “शास्त्री” की उपाधि हासिल की, जिसके बाद उन्होंने अपने नाम से जुड़ा जातिसूचक शब्द श्रीवास्तव सदा-सदा के लिये विस्थापित कर अपने नाम के साथ ‘शास्त्री’ लगा लिया।
स्वतंत्रता संग्राम में शास्त्री जी का योगदान
* शास्त्री की उपाधि प्राप्त करने के बाद वे “The Servant of the people” socity से जुड़ गए जिसकी शुरुआत 1921 में लाला लाजपत राय द्वारा की गयी थी। इस सोसाइटी का प्रमुख उद्देश्य उन युवाओं को प्रशिक्षित करना था जो अपना जीवन देश की सेवा में समर्पित करने के लिए तैयार थे।
* जब 1921 में महात्मा गांधी द्वारा ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई उस समय लाल बहादुर की उम्र केवल 16-17 साल थी।
* महात्मा गांधी जी द्वारा सभी युवाओं को सरकारी स्कूलों और कॉलेजों, दफ्तरों से बाहर निकल कर आजादी के लिए सब कुछ न्योछावर करने का आह्वान करने पर शास्त्री ने अपना स्कूल छोड़ दिया और असहयोग आंदोलन में शामिल हो गये।
* इस दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, परंतु कम उम्र होने की वजह से उन्हें रिहा कर दिया गया
* 1930 में वे गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन से जुड़े और लोगों को सरकार को भू-राजस्व और करों का भुगतान न करने के लिए प्रेरित करने के जुर्म मे उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और ढाई साल के लिए जेल भेज दिया गया।
* 1939 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सन् 1940 में कांग्रेस द्वारा चलाए गए आजादी कि मांग करने के लिए “एक जन आंदोलन” में गिरफ्तार कर लिया गया और एक साल के बाद रिहा किया गया।
* 8 अगस्त 1942 को गांधीजी द्वारा चलाए गए भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया। इसी दौरान वह भूमिगत हो गए परन्तु बाद में गिरफ्तार कर लिए गए और फिर 1945 में दूसरे बड़े नेताओं के साथ उन्हें भी रिहा कर दिया गया।
विवाह और संताने
1928 में लाल बहादुर शास्त्री का विवाह काफी साधारण तरीके से ललिता देवी के साथ हुआ। ससुराल वालों के आग्रह पर उन्होंने दहेज के रूप में चरखा और कुछ खादी का कपड़ा लिया। तथा उनकी कुल उनके 6 सन्तानें हुईं, जिनमें से दो पुत्रियाँ थी (कुसुम व सुमन) और चार पुत्र-हरिकृष्ण, अनिल, सुनील व अशोक।
शास्त्री जी का राजनीतिक जीवन
* 1946 में प्रांतीय चुनावों के दौरान पंडित गोविन्द वल्लभ पंत उनकी कड़ी मेहनत से काफी प्रभावित हुए और उनकी क्षमता को देखते हुए गोविन्द वल्लभ पंत जब उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री बने तो उन्होंने लाल बहादुर को संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया।
* साल 1947 में शास्त्रीजी पंतजी के मंत्रिमंडल में पुलिस और परिवहन मंत्री बने।
* भारत के गणराज्य बनने के बाद जब पहले आम चुनाव आयोजित किये गए तब लाल बहादुर शास्त्री कांग्रेस पार्टी के महासचिव थे। कांग्रेस पार्टी ने भारी बहुमत के साथ चुनाव जीता।
* 1952 में जवाहरलाल नेहरू द्वारा लाल बहादुर शास्त्री जी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में रेलवे और परिवहन मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। 1956 में एक रेल दुर्घटना होने पर लाल बहादुर शास्त्री ने उसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया।
* अगले आम चुनावों में जब कांग्रेस ने दुबारा चुनाव जीता तब लाल बहादुर शास्त्री जी को परिवहन और संचार मंत्री और बाद में उन्हे वाणिज्य और उद्द्योग मंत्री के रूप में चुना गया।
* वर्ष 1961 में गोविन्द वल्लभ पंत की मृत्यु होने के बाद वे गृह मंत्री बने।
* सन 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान शास्त्री जी ने देश की आतंरिक सुरक्षा को बरकरार रखा।
भारत के दूसरें प्रधानमंत्री के रूप में
* 1964 में जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद सबके मत से लाल बहादुर शास्त्रीजी को भारत के दुसरे प्रधान मंत्री के रूप में चुना गया।
* यह एक कठिन समय था क्योंकि उस समय देश के सामने बड़ी चुनौतियां थी, देश में खाद्यान की खासा कमी हो गई थी और पाकिस्तान सुरक्षा के मोर्चे पर समस्या बन चुका था।
* इनके शासनकाल के दौरान ही 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया, इस मौकें पर लाल बहादुर शास्त्री जी की सूझबूझ और चतुरता भरा नेतृत्व आज भी याद किया जाता है।
भारत-पाकिस्तान युद्ध और भुखमरी
भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश में भुखमरी और अकाल पड़ा, देश पहले से ही खाद्यान्न की कमी से जूझ रहा था ऐसे में अमेरिका द्वारा भी निर्यात रोकने की धमकी दे दी गई थी। जिसके बाद उन्होंने भारत को खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए तथा उस समय जवानों और किसानों का उत्साह बढ़ाने के लिए उन्होंने “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया। और शास्त्री जी ने सभी देशवासियों से अपील की कि वे हफ्ते में एक दिन उपवास रखें। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि कल से उनके घर एक हफ्ते तक शाम का चूल्हा नहीं जलेगा। देशवासियों ने भी शास्त्री जी के अनुरोध का पालन किया और हफ्ते में एक दिन व्रत रखा तथा इस संकट के दौरान शास्त्री जी ने भी तनख्वाह लेना भी बंद कर दिया। और उनके प्रशंसनीय नेतृत्व की मदद से पाकिस्तान को युद्ध में हार का सामना करना पड़ा।
शास्त्री जी की मौत का रहस्य:
भारत और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता के लिए जनवरी 1966 में ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री और अयूब खान के बीच शान्ति वार्ता हुई। और रूसी मध्यस्थता के बाद भारत और पाकिस्तान ने संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। भारत-पाक के बीच हुई इस संधि के तहत भारत ने युद्ध के दौरान कब्ज़ा किये गए सभी प्रांतो को पाकिस्तान को लौटा दिया। परंतु शास्त्री जी युद्ध में पाकिस्तान के जीते इलाकों को उसे लौटाना नहीं चाहते थे। अंतर्राष्ट्रीय दवाब में आकर उन्हें इस समझौते पर हस्ताक्षर करना पड़ा लेकिन लाल बहादुर शास्त्री जी ने खुद प्रधानमंत्री कार्यकाल (PMO) में इस जमीन को वापस करने से साफ़ मना कर दिया। जिस दिन इस संधि पर हस्ताक्षर किये गए उसी रात 11 जनवरी 1966 को उनका निधन हो गया और मृत्यु का कारण दिल का दौरा पड़ना बताया गया।
मौत या साजिश
उनकी मृत्यु आज भी एक साजिश के रूप में देखी जाती है और लोग आज भी उनकी मौत के रहस्य के बारे में जानना चाहते हैं परंतु कई आरटीआई (Right to Information) लगाए जाने के बाद भी अभी तक उनकी मृत्यु की कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है।विकिपीडिया पर जुड़े कुछ अन्य वेबसाइटों पर प्रकाशित लेखों में उन्हें जहर देकर मारने एवम् उनकी मौत के दस्तावेजों के सामने आने पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध खराब होने तथा इस रहस्य से पर्दा उठने पर देश में उथल-पुथल जैसी स्थितियों के उत्पन्न होने की संभावनाएं जाहिर की गयी है।
लाल बहादुर शास्त्री जी की समाधि स्थल कहाँ स्थित है?
शास्त्री जी की समाधि स्थल दिल्ली में नेहरू जी की समाधि (शांतिवन) के आगे यमुना नदी के किनारे विजय घाट के रूप में स्थित है।
लाल बहादुर शास्त्री के बाद प्रधानमंत्री कौन बना?
शास्त्री जी की अचानक मृत्यु के बाद गुलजारी लाल नन्दा कार्यवाहक प्रधानमन्त्री रहे और इसके बाद कांग्रेस संसदीय दल द्वारा इन्दिरा गान्धी को शास्त्री जी का विधिवत उत्तराधिकारी चुन लिया गया। और इंदिरा गांधी जी देश की पहली अगली महिला प्रधानमंत्री बनी।