मानसून जहां भीषण गर्मी से राहत देता है, तो वहीं अपने साथ कई तरह की बीमारियां भी लाता है। बारिश के मौसम में प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है। लेकिन, क्या आपको पता है कि इस मौसम में खास सावधानी ना बरती जाए, तो कई जानलेवा बीमारियां भी आपको हो सकती हैं? इन दिनों वायरल फीवर, खांसी-जुकाम होना बहुत कॉमन है। आप हेल्दी रहकर इस मौसम का मजा लेना चाहते हैं, तो कुछ मॉनसून टिप्स को फॉलो करें। ये टिप्स और डूज एंड डोंट्स आपको रेनी सीजन में और फिट और हेल्दी रखने के लिए काफी हैं।
मॉनसून का मौसम आ गया है और ये बढ़ते तापमान को ठंडा करने में कुछ आराम प्रदान करता है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि आप स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के बारे में सतर्क रहें जो यह मौसम ला सकता है. देखभाल में जरा-सी भी चूक होने पर लोग बीमार हो जाते हैं, घर में सीलन और तमाम चीजों में फंगस लग जाती है। बारिश में खुद की और चीजों की देखभाल हर बार की तरह इस मौसम में फिर से यातायात दुर्घटनाओं से लेकर बिजली के आउटेज जैसी कई चुनौतियां भी पैदा हो सकती हैं. इसलिए, अगर आप इस मौसम का आनंद लेना चाहते हैं और किसी भी अनचाहे घटना का सामना नहीं करना चाहते हैं, तो आपको मॉनसून सुरक्षा सुझावों का पालन करना चाहिए. ऐसे मौसम में गंदे पानी से दूर रहना, बाहर का और अधपका खाना न खाना जैसे कुछ एहतियात बरतने से आप कई तरह के संक्रमण को दूर रख सकते हैं। साथ ही ऐसी डाईट लें, जो आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाए साथ ही आपको मानसून के दौरान सेहतमंद और फिट रहे। इसके अलावा मानसून के साथ बुख़ार, मलेरिया, डेंगू, पेट की समस्या, एलर्जी और त्वचा से जुड़े इंफेक्शन हो सकते हैं। हालांकि, इनसे बचा जा सकता है। चलिए आपको बताते हैं कि मानसून के इस मौसम में खाने को खराब होने से कैसे बचाएं, जिससे आप बिना किसी टेंशन के इस मौसम को एंजॉय कर पाएंगे….
कीड़े मकौड़ों को रखें दूर
1. मक्खियों और कीड़ों को ऐसे रखें दूर
मॉनसून में दिन में मक्खियां तो रात में कीड़े परेशान करते हैं। रात के समय घर में लाइट जली होने पर तरह-तरह के कीट-पतंगे आने शुरू हो जाते हैं। कीड़े-मकोड़े और कीट-पतंगों को घर से दूर रखने के लिए बेहतर है कि पेस्ट कंट्रोल करवाएं। अगर आपके घर में इनकी समस्या सिर्फ बरसात के सीजन में ही होती है तो इन्हें इस तरह से दूर रखा जा सकता है:
ऐसे रुकेंगे मक्खी-मच्छर और चींटी
– मक्खियों को रोकने के लिए घर को साफ और सूखा रखें। पानी में फिनायल या मार्केट में मिलने वाले फ्लोर क्लीनर जैसे लाइज़ोल, डिटॉल, डोमेक्स आदि मिलाकर फर्श को धोएं और फिर उसे सूखने दें।
– अगर किसी प्रकार का मीठा घर में कहीं गिर जाता है तो उसे गीले कपड़े से तुरंत साफ कर दें।
– कहीं पर पानी इकट्ठा न रहने दें। ऐसी जगह पर ही डेंगू का मच्छर पनपता है। अगर पानी निकालना संभव न हो तो उसमें केरोसिन ऑयल की कुछ बूंदें डाल दें ताकि डेंगू का मच्छर पनप न सके। अगर एक लीटर पानी भरा है तो वहां केरोसिन ऑयल की दो बूंदें डालना काफी है।
– अगर घर में गमले हैं तो उनके नीचे की जगह सूखी रखें। ट्रे में जमा पानी निकाल दें। वहीं गमले और पौधों की भी साफ-सफाई भी रखें। कूलर का पानी हर हफ्ते बदलें।
कीट-पतंगों को ऐसे रोकें
– घर के बाहर सफेद लाइट की जगह पीले रंग की लाइट का प्रयोग करें। जब लाइट की जरूरत न हो तो उसे बंद कर दें। इससे कीड़े लाइट की ओर आकर्षित नहीं होंगे और वे घर के अंदर भी नहीं आ पाएंगे।
– शाम होते ही घर के खिड़की और दरवाजे बंद कर दें। इससे कीट घर में नहीं घुस पाएंगे।
– संभव हो तो रोजाना शाम को कमरे में कपूर की दो-तीन टिकिया या कुछ नीम के पत्ते लेकर उन्हें सुलगाएं और इनका धुआं घर में फैलने दें। इससे घर में आए छोटे-छोटे कीट-पतंगे मर जाते हैं। हालांकि इस दौरान ध्यान रखें कि जिस कमरे में धुआं करें, उस समय उस कमरे में कोई न रहे। इससे घुटन हो सकती है।
कॉक्रोच और कीड़ों की नो एंट्री
– बरसात में कॉक्रोच और दूसरे कीड़े घर में लगी नाली से ही ज्यादातर आते हैं। इन्हें रोकने के लिए रोजाना रात को नाली में कीटनाशक स्प्रे करें।
– कूड़ा इकट्ठा न रहने दें। सुबह का कूड़ा शाम तक जरूर फेंक दें। कूड़ेदान को हमेशा ढक कर रखें।
– रात को लाइट बंद होने के बाद छिपे हुए कॉक्रोच बाहर निकल आते हैं। ये खाने की तलाश में इधर-उधर भटकते हैं। अगर इन्हें खाने का एक छोटा टुकड़ा भी मिल जाए तो ये 45 दिन तक जीवित रह सकते हैं। ऐसे में बेहतर होगा कि घर में खाने की कोई भी चीज इधर-उधर खुले में न पड़ी हो।
लकड़ी के फर्नीचर की देखभाल
– बरसात के मौसम में लकड़ी के फर्नीचर में सीलन बढ़ जाती है। ऐसे में फर्नीचर में दीमक लगने की भी आशंका हो जाती है। लकड़ी के फर्नीचर को दीमक से बचाने के लिए बेहतर है कि उसे हफ्ते में दो बार केरोसिन ऑयल से पोंछे।
– अगर फर्नीचर में दीमक लग गई हो तो वहां दीमक मारने की दवा या बोरिक एसिड को सिरिंज में भरकर दीमक लगी जगह पर डालें या स्प्रे करें।
– लकड़ी की अलमारी में नेफ्थलीन की दो-तीन गोली डाल सकते हैं। यह सीलन की गंध को भी दूर कर देगी।
– बरसात में सीलन के कारण लकड़ी के फर्नीचर की चमक कम हो जाती है। ऐसे में दो चम्मच नारियल के तेल और आधा चम्मच नीबू के रस का मिश्रण बनाकर फर्नीचर पर लगाने से उसकी चमक बढ़ जाती है।
साफ रहो, साफ खाओ
बारिश के मौसम में वातावरण में नमी अधिक हो जाती है जिससे बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं। इस कारण खाने-पीने की चीजों को लेकर सावधानी रखना बहुत जरूरी है। बेहतर होगा साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। खाने-पीने के दौरान इन बातों का ध्यान रखें:
हाइजीन जरूरी
– खाने से पहले हाथों को हमेशा साबुन से अच्छे से धोएं और साफ कपड़े से पोंछें।
– अगर रुमाल साथ रखते हैं तो उसे रोजाना बदलें। गीले हाथ पोंछने या दूसरी वजहों से रुमाल गीला हो गया है तो उसे जेब या पर्स में रखने से पहले सुखा लें। गीले रुमाल को जेब में रखने से उसमें मौजूद बैक्टीरिया जल्दी पैदा होते हैं।
– तौलिया भी गीला न रखें। हो सके तो उसे धूप या खुली हवा में सुखाएं ताकि उसमें फंगस लगने की आशंका न रहे।
किचन को साफ और सूखा रखें
– किचन को हमेशा सूखा रखें। अगर संभव हो तो उसमें एक पंखा जरूर लगवाएं ताकि किचन की नमी को खत्म किया जा सके।
– बर्तनों को धोने के बाद उन्हें साफ कपड़े से पोंछकर ही रखें। हालांकि इस दौरान ध्यान रखें कि कपड़ा साफ और सूखा हुआ हो।
– किचन में रखे चाकू के हैंडल पर सबसे ज्यादा बैक्टीरिया लगते हैं। कुछ काटते समय जब चाकू का प्रयोग करते हैं तो ये बैक्टीरिया हाथों पर आ जाते हैं। अगर हैंडल लकड़ी का है तो बैक्टीरिया तेजी से पनपता है, जिससे फंगस जल्दी लग जाता है। ऐसे में लकड़ी के हैंडल वाले चाकू को धोने के बाद उसका पूरा सूखना जरूरी है। ऐसा नहीं करेंगे तो चाकू भी आपको बीमार बना सकता है।
– किचन में प्रयोग होने वाला कपड़ा सुबह-शाम बदला जाना चाहिए। साथ ही, इस कपड़े का प्रयोग तभी करना चाहिए जब वह सूखा हो। अगर कपड़ा गीला हो जाए तो उसे धूप या हवा में जरूर सुखाएं।
– किचन के सिंक और जहां सिलिंडर रखा रहता है वहां नेफ्थलीन की दो-तीन गोलियां रखें। इससे सीलन की बदबू और कीड़ों से निजात मिलेगी। साथ ही किचन में नेफ्थलीन की गंध से छिपकली भी नहीं आती है।
फल-सब्जी का में एहतियात
– कटे-फटे या दाग लगे फल या सब्जी बिलकुल न खरीदें। पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, बथुआ आदि के इस्तेमाल से बचें, क्योंकि इनपर कई प्रकार के कीड़े पनपना शुरू कर देते हैं।
– फ्रिज में फल या सब्जी स्टोर करने से पहले उन्हें अच्छे से धो और सुखा लें।
– फल या सब्जी उतनी ही काटें, जितनी एक बार में खा सकते हैं।
ऐसे खाएं बनी हुई सब्जी
– सब्जी उतनी ही बनाएं, जितनी एक बार खाने में खत्म हो जाए। अगर फिर भी बच जाए तो उसे फ्रिज में रख दें। फ्रिज में रखी सब्जी का प्रयोग करते समय सिर्फ उतनी ही सब्जी निकालकर गर्म करें, जितनी खा सकते हैं। अगर सारी सब्जी बार-बार गर्म और ठंडी होती रहेगी तो इससे न केवल उसकी पोषकता कम होगी बल्कि बैक्टीरिया भी तेजी से पनपेगा और खाना खराब होने की भी आशंका बढ़ जाएगी।
– बहुत से लोग फ्रिज में रखी खाने की चीजों को निकालकर तुरंत खा लेते हैं। ऐसा न करें। मॉनसून में घर के बाहर का तापमान बढ़ता और कम होता रहता है। ऐसा ही तापमान हमारे शरीर का भी रहता है। ऐसे में अधिक ठंडी चीजें खाने से बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए उस चीज को फ्रिज से निकालकर कुछ देर के लिए बाहर रख दें। फिर खाएं।
पानी में सावधानी
– आपके घर जल बोर्ड का पानी आता हो या फिर आप मार्केट में मिलने वाले पानी के जार का प्रयोग करते हों बेहतर होगा कि ऐसे पानी को इस्तेमाल सीधा न करें।
– पानी को पहले दो से तीन मिनट तक उबालें। फिर ठंडा करें और उसे छान कर साफ बर्तन या किसी साफ जार में भर लें। इस पानी को बोतलों में भरकर फ्रिज में भी रख सकते हैं। प्यास लगने पर इसी पानी का प्रयोग करें। घर से बाहर निकलते समय भी इसी उबले हुए पानी को बोतल में भरकर साथ ले जाएं और इसे ही पिएं। अगर बच्चा स्कूल जाता है तो उसे भी यही पानी दें। हालांकि ध्यान रखें कि पानी उतना ही उबालें जितना एक दिन में खर्च हो सके।
तन को रखें दुरुस्त
अगर हमारा शरीर सही है तो मन हर काम में लगता है। इसलिए बारिश में हेल्दी रहना बेहद जरूरी है। बारिश में कई प्रकार की एलर्जी हो जाती है तो वायरल का प्रकोप भी रहता है। वायरल घर में किसी एक को हो जाए तो बाकी सदस्यों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। इस मौसम में बुखार, जुकाम, आंखें आना आम है। इनसे इस तरह से निबट सकते हैं:
बुखार, जुकाम से करें बचाव
– पहली बात तो बारिश में भीगने से बचें। अगर भीग भी जाएं तो तुरंत गीले शरीर को पोंछें और कपड़े बदल लें।
– बारिश में गीले हो गए हैं तो कूलर या एसी में न बैठें। इससे शरीर का तापमान बदल जाता है जिससे बुखार या जुकाम हो सकता है। ऐसे में बुखार या जुकाम होने पर तुरंत डॉक्टर से दवा लें।
– बुखार अगर 100 डिग्री तक है तो किसी दवा आदि की जरूरत नहीं होती। लेकिन बुखार इसी रेंज में 4-5 या ज्यादा दिन तक लगातार बना रहे या ज्यादा हो जाए तो इलाज की जरूरत होती है।
आंखों का रखें ख्याल
– टूवीलर चलाते समय हेल्मेट जरूर पहनें और आंखों को ढंक कर रखें। इससे बारिश का पानी, धूल और धुएं से आंखों की हिफाजत होगी। गड्ढों का पानी उड़ाते वाहन इन दिनों सड़कों पर खूब दौड़ते हैं, हेल्मेट से आंखों को कवर करने से इस पानी से भी बचा जा सकता है।
– कई बार बारिश में नहाने का मन करता है। इस चक्कर में गंदा पानी आंखों में जा सकता है। इससे बचें। अगर ऐसा हो तो बाद में आंखों को साफ पानी से धोएं। ध्यान रहे कि आंखों को धोने से पहले हाथों को भी साफ पानी से जरूर धोएं।
– अगर किसी ने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया है तो वह बारिश में भूलकर भी न निकले। आंख में इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।
– आंखों में किसी भी प्रकार की जलन या दर्द होने पर तुंरत आंखों के डॉक्टर से संपर्क करें।
– आंख आने की समस्या भी इस मौसम में ज्यादा रहती है। इसके लिए आप दिन में तीन से चार बार आंखों को साफ पानी से धोएं। आंख पर काला चश्मा लगाकर रखें ताकि दूसरों में यह न फैलें। डॉक्टर को आंख दिखाएं। अपने मन से कोई भी दवा आंखों में न डालें।
स्किन को न करें अनदेखा
– बरसात के मौसम में नमी बढ़ने के कारण शरीर से ज्यादा पसीना निकलता है। अगर यह पसीना जल्दी न सूखे तो फंगस पैदा हो सकती है और इंफेक्शन हो सकता है। इंफेक्शन के कारण शरीर के उस हिस्से में खुजली होने लगती है जिससे वहां दाने बन जाते हैं। ये दाने फुंसी-फोड़े या दाद-खाज में भी बदल जाते हैं। रिंगवर्म की वजह से ऐसा होता है। यह एक इंसान से दूसरे में फैलते हैं।
– इनसे बचने के लिए जरूरी है कि शरीर पर पसीना न रुकने दें। अगर पसीना ज्यादा आ रहा है तो उसे रुमाल या किसी साफ कपड़े से लगातार पोंछते रहें। इस रुमाल या कपड़े को तुरंत धोकर रख दें।
– ज्यादा पसीने से बचने के लिए सूती और ढीले कपड़े पहनें ताकि शरीर को हवा लगती रहे।
– शरीर पर किसी भी प्रकार का इंफेक्शन होने पर वहां एंटी-फंगल पाउडर एंटी-फंगल साबुन या एंटी-फंगल क्रीम का प्रयोग करें।
– घमौरियां होने पर प्रिकली हीट पाउडर का प्रयोग करें। हालांकि पाउडर का प्रयोग नहाने के बाद ही करें और फिर पाउडर वाली जगह को खुली हवा में रखें ताकि वहां पसीना न आ पाए।
– अगर इंफेक्शन ज्यादा है तो तुरंत स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर यानी डर्मेटॉलजिस्ट से संपर्क करें।
– घर में हमेशा एंटी-सेप्टिक लिक्विड या क्रीम जरूर रखें। अगर किसी कारणवश चोट लग जाती है तो तुरंत उसे साफ पानी से धोकर एंटी-सेप्टिक क्रीम लगा लें और पट्टी बांध लें। अगर घाव गहरा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
बिजली के झटके से रहें दूर
बारिश के मौसम में बिजली भी झटका दे सकती है। दरअसल घर में सीलन या पानी आने के कारण दीवारों और बिजली के उपकरणों में करंट आ सकता है। ऐसे में बिजली का स्विच या कोई उपकरण सावधानी से प्रयोग करना चाहिए। साथ ही बाहर जाते समय या पार्क में घूमते समय भी सावधानी रखना बेहद जरूरी है। जानें, मॉनसून में बिजली के झटके से बचने के लिए कौन-कौन सी बातें ध्यान रखें:
बेसिक बातें जरूर जानें
– करंट चेक करने वाला एक टेस्टर घर में जरूर रखें। साथ ही करीब 3-4 फुट लंबी लकड़ी की एक सूखी छड़ी भी रखें।
– गीले हाथों से बिजली के बोर्ड का स्विच न तो ऑन करें और न ही ऑफ। अगर कोई उपाय नहीं है तो स्विच ऑन-ऑफ करने के लिए लकड़ी की सूखी छड़ी का प्रयोग करें।
– बिजली का कोई उपकरण जैसे कूलर आदि का प्रयोग करने से पहले उसका प्लग सॉकेट में लगाएं और फिर स्विच ऑन करें। इसके बाद कूलर की बॉडी को टेस्टर से चेक करें कि कहीं उसमें करंट तो नहीं आ रहा। अगर करंट आ रहा है तो टेस्टर की लाइट जल जाएगी। ऐसे में उस उपकरण का इस्तेमाल करने से पहले टेक्निशन से उसे ठीक करा लें।
– जहां बिजली का बोर्ड है और वहां सीलन आती है या बारिश का पानी आता है तो उस जगह को ठीक कराएं और सुनिश्चित करें कि बिजली के बोर्ड वाली जगह सूखी रहे।
– विंडो एसी का प्रयोग होने के बाद उसे रिमोट के अलावा मुख्य स्विच से भी बंद करें। अगर किसी कारणवश एसी में करंट आ जाता है तो मुख्य स्विच बंद होने पर ही इससे बचा जा सकता है।
– बिजली कंपनी के कस्टमर केयर का फोन नंबर जरूर अपने पास रखें। साथ ही, अपने इलाके के 2-3 इलेक्ट्रिशन के नंबर भी अपने पास रखें ताकि कुछ समस्या होने पर उन्हें बुलाया जा सके।
अर्थिंग जरूर करवाएं
– घर के इलेक्ट्रिक सर्किट की अर्थिंग होना बहुत जरूरी है। यह बिजली के उपकरणों जैसे फ्रिज, टीवी, प्रेस, कूलर, गीजर आदि में आए करंट से सुरक्षा देता है।
– ध्यान रहे, अर्थिंग हमेशा लाइसेंस धारक इलेक्ट्रिक कॉन्ट्रेक्टर या एक्सपर्ट से ही कराएं। बिजली कंपनियां समय-समय पर RWA के जरिए कॉलोनी के इलेक्ट्रिशन को अर्थिंग लगाने की ट्रेनिंग देती रहती हैं। इसलिए एक्सपर्ट के बारे में अपने इलाके के RWA के सदस्यों से जानकारी लें। फिर भी अर्थिंग करने वाले एक्सपर्ट के बारे में पता न चले तो अपनी बिजली कंपनी के डिविजन ऑफिस में फोन करके एक्सपर्ट की जानकारी ले लें।
– घर में हमेशा थ्री-पिन वाले सॉकेट और उपकरण का प्रयोग करें। तीसरी पिन अर्थिंग से जुड़ी होती है। अगर उपकरण में करंट आ जाता है तो वह अर्थिंग के जरिए जमीन में चला जाता है और उस उपकरण का प्रयोग करने वाले शख्स को करंट नहीं लगता।
– बारिश में तड़ित (आकाशीय बिजली या थंडर) या बिजली के तारों का आपस में मिलने या अन्य कारणों से फॉल्ट होने का खतरा अधिक रहता है। इस फॉल्ट का असर घर में चल रहे बिजली के उपकरणों पर भी पड़ सकता है। इससे बचने के लिए घर में MCB का प्रयोग करें ताकि फॉल्ट होने पर सर्किट टूट जाए और उपकरण सही रहें।
बच्चों और पालतू जानवरों का ध्यान जरूरी
– बच्चों को बिजली के खंभों और घर में लगे बिजली के बोर्ड से दूर रखें। अगर घर में कोई पालतू जानवर है तो उसे बिजली के बोर्ड या बिजली के खंभे या उसके पास न बांधें।
– पालतू जानवर को अगर घुमाने ले जा रहे हैं तो करीब 4 फुट लंबी लड़की की सूखी छड़ी साथ लेकर जाएं। संकट में यह छड़ी काम आ सकती है।
– जानवर को घुमाने के दौरान उसे बिजली के खंभे के पास लेकर न जाएं। अगर रास्ते में कोई वायर दिखाई दे तो उसे लकड़ी की सूखी छड़ी से रास्ते से दूर कर दें और बिजली कंपनी को अलर्ट करें।
– डॉगी को जब भी बाहर से घुमाकर लाएं तो गुनगुने पानी में एंटी-सेप्टिक डालकर उसके पंजों को अच्छी तरह धोएं। फिर पंजों के बीच के स्पेस को टॉवल से अच्छी तरह पोंछें ताकि फंगल इंफेक्शन न हो।
घर के बाहर अपना भी रखें ध्यान
– घर के बाहर जहां ट्रांसफॉर्मर रखा होता है वहां से दूर रहें। अगर ट्रांसफॉर्मर के चारों ओर बेरिकेडिंग भी हो तो भी दूर रहें।
– बिजली के खंभों से दूरी बनाकर रखें। पार्क में घूमते समय चारों ओर देख लें कि कहीं कोई इलेक्ट्रिक वायर टूटी हुई तो नहीं पड़ी है। अगर है तो वहां जाने से बचें, चाहे उसमें करंट न भी हो।
– बारिश के मौसम में उन पेड़ों से दूरी बनाकर रखें जिनसे होकर बिजली के तार गुजर रहे हों या किसी बिजली के खंभे से जुड़े हुए हों।
सीलन को करो सील
शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहां बारिश के मौसम में सीलन न आती हो। सीलन के कारण घर की रौनक तो खराब होती ही है, साथ ही यह कई बीमारियां भी घर में लाती है। घर से सीलन को ऐसे दूर रह सकते हैं:
– घर के अंदर सीलन बाहर की दीवारों में आए गैप के कारण आती है। इसलिए बेहतर है कि सबसे पहले बाहर की दीवारों की दरारों को चूने या सीमेंट के घोल से भरवाएं।
– सारे गैप भरने के बाद बाहर की दीवार पर वॉटरप्रूफ सीमेंट पेंट का एक कोट जरूर करवाएं। इसी के साथ डैम्प प्रूफर का भी एक कोट दीवारों को सुरक्षित रखता है। बाहरी दीवारों पर सिलिकॉन पेंट सीलन से काफी हद तक बचाता है। अगर घर में अंदर दरार है तो उसे पुट्टी से भरवाएं।
– अगर दीवार में फंगस लग गई है तो 5-10 प्रतिशत ब्लीचिंग पाउडर को पानी में मिलाकर घोल बना लें। इस घोल को एक ब्रश की मदद से फंगस वाले स्थान पर लगा दें। इसके 8-10 घंटे बाद दीवार को साफ पानी से धो दें। अब दीवार को अच्छे से सूखने दें।
कपड़ों को रखें फंगस फ्री
– बारिश के मौसम में अलमारी में रखे कपड़ों में फंगस लगने की आशंका अधिक रहती है। इससे बचने के लिए अलमारी में रखने से पहले कपड़ों के बीच में टिश्यू पेपर लगा दें। यह पेपर कपड़े की नमी सोख लेगा और उसमें फंगस नहीं लगेगी। कपड़ों के बीच में नेफ्थलीन की गोली या नीम के सूखे पत्ते रखने से भी उन्हें खराब होने से बचाया जा सकता है।
– अगर अलमारी मेटल की है तो टिश्यू पेपर बिछा लें और उस पर कपड़े रखें। इससे कपड़ों पर कोई दाग नहीं लगेगा और थोड़ी-बहुत नमी टिश्यू पेपर भी सोख लेगा।
– अगर अलमारी में ऐसे कपड़े रखना चाहते हैं जिनका प्रयोग बहुत कम करते हैं तो उन्हें पहले किसी पुराने अखबार में लपेट लें और फिर पॉलिथीन में रखें।
पेट साफ रखना है जरूरी
– हफ्ते में एक बार रात को सोते समय 1 चम्मच या 5 मिली अरंडी का तेल एक गिलास गुनगुने दूध में मिलाकर लें।
– हफ्ते में दो बार 1 गिलास गुनगुने पानी में आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाकर सोते समय लें।
रहेंगे हेल्दी
– देर रात को खाना नहीं खाना चाहिए। बेहतर होगा कि शाम में ही खाना खा लिया जाए। खाने में मूंग की दाल, घीया, तुरई, टिंडा, सीताफल, कच्ची हल्दी और लहसुन का अचार, अनार आदि शामिल कर सकते हैं।
– मैदे की बनी हुई कोई भी चीज, जंक फूड, पैक्ड फूड, दही, ठंडी और खट्टी चीजें आदि न खाएं।
– बरसात के मौसम में गुनगुने पानी से नहाना बेहतर होता है। नहाने के बाद साफ तौलिये से शरीर को रगड़-रगड़कर साफ करें।
- हफ्ते में दो बार नहाने के दौरान साबुन की जगह उबटन का प्रयोग करें। उबटन बनाने के लिए जौ का आटा और बेसन की मात्रा 70/30 के अनुपात में लें और इसमें सरसों का तेल मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना लें। साबुन की जगह इस उबटन को शरीर पर रगड़ें और फिर साफ पानी से शरीर को धोकर तौलिया से पोंछ लें। उबटन से नहाने से शरीर के रोम छिद्र खुद जाते हैं।
आयुर्वेद की मानेंगे तो रहेंगे कूल
आयुर्वेद में बारिश के मौसम को वात प्रकोप और पाचन शक्ति कमजोर करने वाला बताया गया है। गैस, अपच, उल्टी-दस्त, बुखार, जोड़ों का दर्द आदि बीमारियों के होने की आशंका इस मौसम में अधिक रहती है। हालांकि अगर बारिश में खानपान सही रखा जाए तो इस मौसम का भी भरपूर लुत्फ उठाया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार बरसात में इन बातों का ध्यान रखें:
खाने की इन चीजों पर दें ध्यान
मल्टिग्रेन आटा: मॉनसून में पूरी तरह से गेहूं की रोटी खाने से बचें। इसकी जगह मल्टिग्रेन आटे का प्रयोग करें। 10 किलो गेहूं में 3 किलो जौ और 1 किलो चना मिलाकर आटा तैयार कर लें और इस आटे की रोटी बनाकर खाएं।
शहद: शहद खाएं। शहद शरीर से अतिरिक्त नमी सोख लेता है जिससे शरीर में पानी का संतुलन बना रहता है। सुबह खाली पेट 1 गिलास सादे पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर लें।
गर्म पानी: गर्म पानी शरीर के कई जहरीले तत्व नष्ट कर देता है। दिन में 2-3 बार एक-एक गिलास गर्म पानी जरूर लें। गर्म पानी की जगह ग्रीन या लेमन टी भी पी सकते हैं।
सूप: इस मौसम में मूंग की दाल या स्वीट कॉर्न या वेजिटेबल सूप पीना लाभदायक होता है। सूप में लौंग, सोंठ, हींग, काला नमक, अजवाइन स्वादानुसार जरूर मिलाएं। इन मसालों को मिलाने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
चाय: अगर बारिश में भीग गए हैं तो एक कप चाय शरीर को गर्मी देगी। चाय बनाते समय उसमें 1 लौंग, एक चम्मच का आठवां भाग सोंठ और एक तुलसी का पत्ता जरूर इस्तेमाल करें।
ऑयल: सब्जी बनाते समय उसमें सरसों या मूंगफली के तेल का प्रयोग करें। बेहतर होगा कि सोयाबीन के तेल का इस्तेमाल बरसात के मौसम में बंद कर दें।
डिस्क्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर द्वारा चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं है। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में योग्य चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।