दुनियाभर में हर साल नवंबर के चौथे गुरुवार को थैंक्सगिविंग डे मनाया जाता है, ऐसे में इस बार 27 नवंबर को थैंक्सगिविंग डे मनाया जाएगा. खासकर अमेरिका में नवंबर का महीना आते ही त्योहारों की शुरुआत हो जाती है, लेकिन सबसे ज्यादा एक्साइटमेंट थैंक्सगिविंग डे को लेकर रहती है. थैंक्सगिविंग डे यहां सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि अमेरिकन कल्चर की सबसे मजबूत परंपराओं में से एक माना जाता है. अमेरिका में थैंक्सगिविंग
डे पर पूरा परिवार एक साथ बैठकर खाना खाते हैं, पुरानी परंपराओं को याद करते हैं और पिछले सालों के लिए एक दूसरे को थैंक यू कहते हैं. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि थैंक्सगिविंग डे का मतलब क्या होता है, इसका इतिहास क्या है और अमेरिका में इसे लेकर क्या परंपराएं है।
आभार व्यक्त करना इंसान के व्यक्तित्व का एक ऐसा गुण हैं जो उसे लाखों की भीड़ में भी एक अलग पहचान देता है। फिर चाहे वो जिंदगी की छोटी से छोटी खुशियों की बात हो या फिर ईश्वर से तोहफे में मिली इन सांसों की कीमत। हमें उस इंसान और उस ईश्वर के लिए हमेशा कृतज्ञ रहना चाहिए जिसने किसी न किसी तरह से विषम परिस्थितियों में हमेशा हमारी मदद की हो या हमारे उदास चेहरे पर मुस्कान लाने की छोटी सी भी कोशिश की हो। इसी कड़ी में अमेरिका में नवंबर का महीना आते ही त्योहारों की रौनक शुरू हो जाती है, लेकिन जिस दिन का लोग सबसे ज्यादा इंतजार करते हैं, वह है थैंक्सगिविंग डे। यह सिर्फ एक छुट्टी नहीं बल्कि परिवार, प्यार और कृतज्ञता का बड़ा उत्सव है। इस दिन हर कोई अपनी जिंदगी की अच्छी बातों, खुशियों और लोगों के लिए ‘Thank You’ कहता है। दिलचस्प बात यह है कि कृतज्ञता की यह परंपरा केवल अमेरिका में नहीं, बल्कि भारत में भी सदियों से हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा रही है। आइए जानते हैं कि थैंक्सगिविंग डे क्या है, कैसे शुरू हुआ और यह भारत की आभार परंपरा से कैसे जुड़ता है।
थैंक्सगिविंग डे का मतलब क्या है?
थैंक्सगिविंग डे अमेरिका और कनाडा में मनाया जाने वाला एक राष्ट्रीय त्योहार है, जो जीवन की अच्छी चीज़ों के लिए धन्यवाद देने की भावना पर आधारित है। अमेरिका में इसे हर साल नवंबर के चौथे गुरुवार को मनाया जाता है। 2025 में यह त्योहार 27 नवंबर को आएगा। इस दिन परिवार एक साथ बैठकर खाना खाता है, एक-दूसरे का आभार व्यक्त करता है और बीते साल की खुशियों, उपलब्धियों और अनुभवों को याद करता है। थैंक्सगिविंग डे का मूल संदेश यही है कि ‘जो मिला है, उसके लिए धन्यवाद कहना।’
थैंक्सगिविंग का इतिहास
थैंक्सगिविंग डे की कहानी 1621 से शुरू होती है, जब प्लिमथ में बसे पिलग्रिम्स ने अच्छी फसल होने पर वैंपानोआग जनजाति के लोगों के साथ एक सामूहिक भोजन किया था। माना जाता है कि यही थैंक्सगिविंग का पहला रूप था। हालांकि समय के साथ यह किस्सा कई तरह से बदलाव के साथ लोकप्रिय हुआ। लेकिन हर किस्से में ‘धन्यवाद’ की मूल भावना हमेशा समाहित रही। 1789 में जॉर्ज वाशिंगटन ने पहली बार इसे एक राष्ट्रीय दिवस घोषित किया। इसके बाद 1863 में राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने गृहयुद्ध के समय देश को एकजुट रखने के लिए थैंक्सगिविंग को आधिकारिक राष्ट्रीय त्योहार बनाया। अंत में 1941 में इसे हर साल नवंबर के चौथे गुरुवार को फेडरल हॉलिडे के रूप में तय किया गया। आज यह अमेरिका का सबसे पारिवारिक और भावनात्मक त्योहार बन चुका है।
अमेरिका में थैंक्सगिविंग कैसे मनाया जाता है?
अमेरिका में थैंक्सगिविंग डे को खास बनाने के लिए घरों में बड़े प्यार से भोजन तैयार किया जाता है। हर घर में रोस्टेड टर्की, मैश्ड पोटैटो, क्रैनबेरी सॉस, स्वीट पोटैटो और पंपकिन या एप्पल पाई जैसे पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं। परिवार के लोग एक ही टेबल पर बैठकर खाना खाते हैं और अपने जीवन की छोटी-बड़ी खुशियों को साझा करते हैं। इसके साथ ही देशभर में बड़े-बड़े परेड निकाले जाते हैं, फुटबॉल मैच होते हैं और लोग जरूरतमंदों के बीच खाना या कपड़े बांटकर सेवा की भावना भी व्यक्त करते हैं। इसी दिन से अमेरिका में क्रिसमस शॉपिंग सीजन की शुरुआत भी मानी जाती है, इसलिए यह चार दिन का सप्ताहांत लोगों के लिए बेहद खास होता है।
भारत में आभार की प्राचीन परंपरा कैसे रही है?
बात करे भारत में कृतज्ञता से जुड़े संस्कार की तो यह कोई आधुनिक विचार या संस्कार नहीं है बल्कि यह संस्कार हमारी संस्कृति की जड़ में समाहित है। यहां फसल कटाई से जुड़े त्योहार जैसे पोंगल, बिहू, मकर संक्रांति और ओणम आदि धरती, सूर्य और प्रकृति को धन्यवाद देने की परंपरा पर आधारित हैं। यहां पूजा-पाठ में हर देवता को पहले आभार व्यक्त किया जाता है। परिवार में बड़ों के पैर छूना भी सिर्फ सम्मान नहीं बल्कि कृतज्ञता की अभिव्यक्ति है। योग और वेदों में भी ‘कृतज्ञता’ को मन की शांति और जीवन की उन्नति का सबसे आसान मार्ग बताया गया है। भारत में अन्नदान को सर्वोत्तम दान कहा गया है। जो थैंक्सगिविंग की भावना से बिल्कुल मेल खाता है। यानी भारत में आभार व्यक्त करना सिर्फ त्योहार नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका है।
अमेरिकी थैंक्सगिविंग और भारतीय संस्कृति का संबंध क्या है?
अगर थैंक्सगिविंग डे को अमेरिकी संस्कृति का हिस्सा माना जाए, तो कहा जा सकता है कि भारत में इस भावना को सदियों पहले ही जीवन का मूल बना दिया गया था। दोनों देशों में कृतज्ञता प्रगट करने के संस्कार से जुड़ी परंपराएं चाहे जितनी अलग हों, लेकिन उनके पीछे मूल संदेश एक ही है कि, कृतज्ञता इंसान को विनम्र, खुश और लोकप्रिय बनाती है। अमेरिका इस भावना को मनाने के लिए एक विशेष दिन तय करता है, जबकि भारत मे धन्यवाद कहना हर त्योहार, हर पूजा और हर संबंध का हिस्सा है।
अन्य देशों में धन्यवाद दिवस
संयुक्त राज्य अमेरिका के राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव ने इस परंपरा को कई देशों में फैलाया है, लेकिन हर देश ने इसे मनाने का अपना तरीका ढूंढ लिया है। पारिवारिक रात्रिभोज से लेकर शहरी और ग्रामीण समुदायों के त्योहारों तक, थैंक्सगिविंग जीवन, भोजन और एकजुटता के लिए धन्यवाद देने का एक अवसर है, जो संस्कृतियों और पीढ़ियों से परे है।
2025 में कौन से देश थैंक्सगिविंग डे मनाएंगे?
क्या थैंक्सगिविंग एक अमेरिकी त्योहार है? नहीं! दुनिया भर के देशों में फसल और कृतज्ञता का जश्न मनाने के अपने-अपने तरीके हैं। हालाँकि यह ज़्यादातर अमेरिका और कनाडा में मनाया जाता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका: नवम्बर का चौथा गुरुवार।
कनाडा: अक्टूबर का दूसरा सोमवार, यूरोपीय और स्वदेशी परंपराओं से प्रभावित, 1578 से।
नीदरलैंड: अमेरिकी थैंक्सगिविंग की तरह, यह लीडेन में तीर्थयात्रियों को सम्मानित करता है।
ग्रेनेडा: 25 अक्टूबर, 1983 को अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप हुआ।
लाइबेरिया: नवम्बर का पहला गुरुवार, मुक्त अश्वेत अमेरिकियों से प्रेरित।
नॉरफ़ॉक द्वीप: नवंबर का अंतिम बुधवार, अमेरिकी और स्थानीय खाद्य पदार्थों का मिश्रण।
कृतज्ञता क्यों जरूरी है?
आज की व्यस्त जिंदगी में हम अक्सर अपनी खुशियों, रिश्तों और सुख-सुविधाओं को हल्के में ले लेते हैं। अकेलापन और तनाव की जद में जाने वाले इंसानों को कृतज्ञता का संस्कार हमेशा याद दिलाता है कि, हमारे पास कितना कुछ है जिसमें परिवार, भोजन, मित्र, अवसर और जीवन की छोटी-छोटी खुशियां जैसी बहुत सी बेशकीमती चीजें हैं जिनका हम मूल्य नहीं समझते। इस पर वैज्ञानिक शोध भी बताते हैं कि आभार व्यक्त करने से तनाव कम होता है, नींद बेहतर होती है, रिश्ते मजबूत होते हैं और मन ज्यादा खुश रहता है। मतलब ‘Thank You’ सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि जीवन बदलने वाली आदत है। थैंक्सगिविंग डे हमें सिखाता है कि साल में कम से कम एक दिन ऐसा होना चाहिए जब हम सब मिलकर जीवन के प्रति आभार व्यक्त करें। वहीं भारतीय संस्कृति हमें सिखाती है कि धन्यवाद सिर्फ एक दिन का काम नहीं, बल्कि ज़िंदगी के हर पल की एक जरूरत है। क्योंकि कृतज्ञता रिश्तों में मिठास पैदा करने के साथ ही जीवन में गहरी शांति और सुकून देती है।
डिस्क्लेमर : यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई तथ्यों और विवरणों का उद्देश्य केवल जागरूकता बढ़ाना है, इसे किसी आधिकारिक घोषणा या विशेषज्ञ सलाह के रूप में न लें।



