हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है. साल भर में 12 पूर्णिमा आती हैं. आश्विन माह की पूर्णिमा को सबसे शुभ दिन माना जाता है. इसे शरद पूर्णिमा भी कहते हैं. मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा और कथा श्रवण करना विशेष फलदायी होता है. इससे सारी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं. आश्विन माह की पूर्णिमा अन्य सभी पूर्णिमा सें भी बिल्कुल अलग होती है, क्योंकि इस दिन चन्द्रमा अपनी सोलह कलाओ सें युक्त होता है. इस दिन खीर बनाकर आंगन में रखने की परम्परा है और सुबह स्नान कर उसे ग्रहण किया जाता है. इससे सारे रोग दोष समाप्त हो जाते हैं।
इस साल 28 अक्टूबर 2023 को चंद्र ग्रहण के साए में शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी. आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं। इस दौरान देवी सभी से पूछती हैं को जागृति यानी कौन जाग रहा है? रात्रि में देवी लक्ष्मी की पूजा करने वालों पर धन की वर्षा होती है। वहीं शरद पूर्णिमा पर जो चंद्रमा को अर्घ्य देकर चांदनी रात में खीर रखकर उसका सेवन करते हैं उन्हें अमृत की प्राप्ति होती है. क्योंकि इस दिन चांद की किरणों से अमृत बरसता है लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण है ऐसे में खीर कब बनाएं और इसे किस समय चांदनी रात में रखा जाएगा। इस बार शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को है और इसी दिन देर रात चंद्र ग्रहण भी लग रहा है. चूंकि चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है इसलिए दोपहर 02.52 के बाद धार्मिक कार्य, खाना बनाने और खाने की मनाही होगी. ऐसे में चंद्र ग्रहण के मोक्ष के बाद खुले आसमान के नीचे आप खीर रख सकते हैं. चंद्र ग्रहण 29 अक्टूबर 2023 को देर रात 01.05– देर रात 02.22 तक रहेगा।
शरद पूर्णिमा 2023 मुहूर्त
अश्विन पूर्णिमा तिथि शुरू – 28 अक्टूबर 2023, सुबह 04.17
अश्विन पूर्णिमा तिथि समाप्त – 29 अक्टूबर 2023, सुबह 01.53
स्नान-दान – सुबह 04.47 – सुबह 05.39
सत्यनारायण पूजा मुहूर्त – सुबह 07.54 – सुबह 09.17
चंद्रोदय समय – शाम 05.20
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 28 अक्टूबर 2023, रात 11.39 – 29 अक्टूबर 2023, सुबह 12.31
शरद पूर्णिमा 2023 शुभ योग
शरद पूर्णिमा के दिन बुधादित्य योग, त्रिग्रही योग, गजकेसरी योग, शश योग, रवि योग और सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. इन 6 शुभ योग में मां लक्ष्मी का आगमन पृथ्वी पर होगा. ऐसे में व्रती को पूजा का विशेष लाभ मिलेगा.
रवि योग – सुबह 06.30 – सुबह 07.31 (28 अक्टूबर 2023)
सिद्धि योग – 28 अक्टूबर 2023, रात 10:52 – 29 अक्टूबर 2023, रात 08:01
पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म बेला में उठें और सबसे पहले जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रणाम करें। घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अगर सुविधा है, तो पवित्र नदी में स्नान करें। अब आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें। नवीन वस्त्र धारण कर भगवान सूर्य को जल का अर्घ्य दें। पूर्णिमा तिथि पर तिलांजलि भी की जाती है। अतः बहती जलधारा में तिल प्रवाहित करें। इसके पश्चात, पंचोपचार कर विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। अतः पीले रंग का फल, फूल, वस्त्र अर्पित करें। पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्र जाप करें। अंत में आरती-अर्चना कर पूजा संपन्न करें। इसके बाद आर्थिक स्थिति के अनुरूप दान करें।
शरद पूर्णिमा क्यों मानी गई है सर्वश्रेष्ठ
आरोग्य, धन, सुख प्राप्ति के लिए शरद पूर्णिमा सबसे खास है. शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी का धरती पर आगमन होने से भक्तों के धन-धान्य से भरपूर रहने का आशीर्वाद मिलता है. वहीं इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है, जो स्वास्थ के लिए औषधीय का काम करती है. यही वजह है कि शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में खीर रखी जाती है और फिर इसका सेवन किया जाता है. कहेत हैं ये खीर अमृत के समान हो जाती है. मानसिक शांति के लिए भी इस दिन चंद्रमा की पूजा अचूक मानी गई हैं. इसी दिन श्रीकृष्ण ने गोपियों संग महारास रचाया था, जिसे देखने के लिए मनुष्य क्या देवी-देवता भी विवश हो गए थे।
शरद पूर्णिमा का महत्व
साल की 12 पूर्णिमा में से शरद पूर्णिमा सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. ये पूर्णिमा तन, मन और धन तीनों के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है. शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी जी की उपासना कर कोजागर पूजा की जाती है, ये पूजा सर्वसमृद्धिदायक मानी गई है. पूर्णिमा पर सत्यनारायरण की कथा करने से घर में सुख-शांति स्थापित होती है और सबसे खास शरद पूर्णिमा का चांद 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है जो अपनी किरणों के जरिए अमृत की बरसात करता है।
इस उपाय से नहीं होगा खीर पर ग्रहण का असर
सूतक से ग्रहण तक न ही खीर बनानी चाहिये और न ही चाँदनी में रखनी चाहिए. ऐसे में आप खीर बनाने के लिए गाय के दूध में सूतक काल शुरू होने के पहले कुशा डाल दें. फिर उसे ढककर रख दें. इससे सूतक काल के दौरान दूध शुद्ध रहेगा. बाद में आप इसकी खीर बनाकर भोग लगा सकेंगे। जब ग्रहण पूर्ण हो जाए तो उसके बाद स्नान आदि कर खीर बनाएं और उसे चांदनी रात में खुले आसमान चन्द्रमा की रोशनी में छोड़ दें. चन्द्रास्त के पश्चात उस खीर को प्रसाद के रूप में परिवार में बांटकर खुद भी ग्रहण करें. इस तरह ग्रहण का नकारात्मक असर खीर पर नहीं पड़ेगा और आप दैवीय गुणों से युक्त खीर का भी लाभ भी उठा पाएंगे।
शरद पूर्णिमा पर जरूर करें ये काम
1. आर्थिक समस्या को दूर करने के लिए शरद पूर्णिमा की रात में मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें. साथ ही उन्हें 5 कौड़ियां अर्पित करें।
2. नौकरी-व्यापार में सफलता पाने के लिए भी शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी और हनुमान जी के सामने चौमुखी दीपक जलाएं।
3. शरद पूर्णिमा के दिन तुलसी माता की पूजा करना शुभ होता है. इस दिन शाम के समय मां तुलसी की पूजा करें।
शरद पूर्णिमा उपाय
शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुईं थी. कहते हैं देवी लक्ष्मी इस दिन रात्रि में धरती पर विचरण करने आती है, मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर निशिता काल मुहूर्त में देवी को खीर का भोग लगाने से आर्थिक सुख में वृद्धि होती है लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा की रात चंद्र ग्रहण भी लग रहा है. ऐसे में ग्रहण के बाद यानि 29 अक्टूबर, देर रात 02.22 के बाद ही लक्ष्मी पूजा करें। शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी को 5 पान के पत्ते उनके चरणों में अर्पित करें. अगले दिन इन पान के पत्तों को आप सुखाकर एक लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख दें. कहते हैं इससे तिजोरी कभी खाली नहीं होगी. धन आगमन बढ़ता जाएगा।
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