पानी कितना अनमोल है यह हमें तब समझ में आता है, जब मई-जून की गर्मी में हमारे नलों में पानी गायब हो जाता है। जब हमारे बोरिंग जवाब दे जाते हैं और टेंकर से पानी डलवाकर पैसा व ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्त्रियां मीलों दूर से सिर पर दो-दो मटके पानी ढोकर लाती हैं। नलों पर खाली बर्तन लिए गरीब और झुग्गी झोपड़ी वाले लंबी कतार में लगे रहते हैं और एक-एक बाल्टी पानी के लिए जान लेने तक को उतारू हो जाते हैं। एक तरह पीने के पानी के लिए तरसता विशाल जनसमुदाय, पानी जीवन का मुख्य घटक है। पेड़-पौधों से वाष्पीकृत जल ही बादल बन गगन में एकत्रित होता है व अमृत बन पुनः धरती की क्षुधा को शांत करता है। जलचक्र से ही प्रकृति का प्रबंधन चलता है। पर्यावरण अर्थात वह आवरण जो पृथ्वी को घेरे है, जिसमें वायु, जल, सौर ऊर्जा सब कुछ समाता है हमारे जीवित रहने, स्वस्थ रहने का मार्ग प्रशस्त करता है।
“पेड़-पौधे” प्रकृति की सुकुमार, सुन्दर, सुखदायक सन्तानें मानी जा सकती हैं । इनके माध्यम से प्रकृति अपने अन्य पुत्रों, मनुष्यों तथा अन्य सभी तरह के जीवों पर अपनी ममता के खजाने न्यौछावर कर अनन्त उपकार किया करती है । स्वयं पेड़-पौधे भी अपनी प्रकृति माँ की तरह से सभी जीव-जन्तुओं का उपकार तो किया ही करते हैं। उनके सभी तरह के अभावों को दूर करने के साधन भी है । पेड-पौधे और वनस्पतियाँ हमें फल-फूल, औषधियाँ, एवं अनन्त विश्राम तो प्रदान किया ही करते हैं, वे उस प्राणवायु (ऑक्सीजन) का अक्षय भण्डार भी हैं की जिसके अभाव में किसी प्राणी का एक पल के लिए जीवित रह पाना भी असंभव है। इसी प्रकार पेड़ – पौधे हमारे पर्यावरण के भी बहुत बड़े संरक्षक हैं। पेड़ – पौधों की पत्तियां और ऊपरी शाखाएँ सूर्य किरणों के लिए धरती के भीतर से आर्द्रता या जलकण पोषण करने के लिए नलिका का काम करते हैं । जैसा कि हम जानते हैं सूर्य किरणें भी नदियों और सागर से जलकणों का शोषण कर वर्षा का कारण बना करती हैं, पर उससे भी अधिक यह कार्य पेड़-पौधे किया करते हैं । सभी जानते हैं कि पर्यावरण की सुरक्षा तथा हरियाली के लिये वर्षा का होना कितना आवश्यक हुआ करता है। पेड़-पौधे वर्षा का कारण बन कर तो पर्यावरण की रक्षा करते ही हैं, इनमें कार्बनडाई ऑक्साइड जैसी विषैली, स्वास्थ्य विरोधी और घातक कही जाने वाली प्राकृतिक गैसों का पोषण और शोषण करने की भी बहुत अधिक शक्ति रहा करती है । स्पष्ट है कि ऐसा करने पर भी वे हमारी धरती पर्यावरण को सुरक्षित रखने में सहायता ही पहुँचाया करते हैं।पेड़-पौधे वर्षा के कारण होने वाली पहाड़ी चट्टानों के कारण नदियों के तहों और माटी भरने से तलों की भी रक्षा करते हैं। आज नदियों का पानी जो उथला या कम गहरा होकर गन्दा तथा प्रदूषित होता जा रहा है उसका एक बहुत बड़ा कारण उनके तटों, निकास स्थलों और पहाड़ों पर से पेड़-पौधों की अन्धाधुन्ध कटाई ही है। इस कारण जल स्रोत तो प्रदूषित हो ही रहा है, पर्यावरण भी प्रदूषित होकर जानलेवा बनता जा रहा है। यदि हम चाहते हैं कि, हमारी यह धरती, इस पर निवास करने वाला प्राणी जगत बना रहे हैं तो हमें पेड़-पौधों की रक्षा और उनके नवरोपण आदि की ओर प्राथमिक स्तर पर ध्यान देना चाहिए । यदि हम चाहते हैं कि धरती हरी- भरी रहे, नदियाँ अमृत जल धारा बहाती रहें और सबसे बढ़कर मानवता की रक्षा संभव हो सके, तो हमें पेड़-पौधे उगाने, संवद्धित और संरक्षित करने चाहिए, इसके अलावा अन्य कोई उपाय नहीं ।
पर्यावरण संरक्षण में आम जन क्या योगदान दे सकता है
प्रदूषण, शहरी बाढ़, तेजी से शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के बाधाकारी प्रभाव अक्सर हमें पर्यावरण विनाश के खिलाफ असहाय महसूस कराते हैं। हालाँकि, एक छोटी सी चीज है जो आप कर सकते हैं – सस्ती और टिकाऊ! आप एक पेड़ लगा सकते हैं! हाँ, लेकिन कब? अभी!
पर्यावरण में पेड़ों की अहम भूमिका
पेड़ हमारे लिए प्रकृति के उदार उपहार की तरह हैं। वे जीवन को चालू रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत कुछ करते हैं कि सब कुछ संतुलन में रहे। हमारे लिए यह जानना वास्तव में महत्वपूर्ण है कि पेड़ कितने मायने रखते हैं। कम से कम पेड़ होने की समस्या के साथ-साथ इसके साथ आने वाली अन्य सभी चुनौतियों को ठीक करने के लिए हम क्या कर सकते हैं। पेड़ तापमान को नियंत्रित करने और बारिश के लिए मौसम को बिल्कुल उपयुक्त बनाने में मदद करते हैं। वे खराब हवा, जिसे कार्बन डाइऑक्साइड कहते हैं, को अंदर लेते हैं और उसे स्वच्छ बनाते हैं, जिससे हमें आवश्यक अच्छी हवा मिलती है, जिसे ऑक्सीजन कहा जाता है। इसके अलावा वे हमें लकड़ी, भोजन, ईंधन और कागज जैसी चीज़ें देते हैं – वे चीज़ें जो हम हर दिन उपयोग करते हैं। साथ ही, बहुत से जानवर और पक्षी पेड़ों को अपना घर कहते हैं।लेकिन, वनों की कटाई एक बड़ी समस्या है, जहाँ हम बहुत सारे पेड़ काटते हैं। इससे जलवायु परिवर्तन जैसे बड़े मुद्दे पैदा हो रहे हैं और बहुत सारे पौधे और जानवर हमेशा के लिए गायब हो रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम इसके बारे में कुछ करें। हमें पृथ्वी की देखभाल करने की ज़रूरत है, जैसे वह हमारी देखभाल करती रही है। ऐसा करने का एक तरीका यह है कि हम अपने ग्रह को फिर से हरा-भरा और सुंदर बनाने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाएं।
पेड़ लगाने का महत्व
इस बारे में बात करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वृक्षारोपण एक बड़ी बात क्यों है। एक कहावत है, “अगर हम पेड़ों की देखभाल नहीं करेंगे, तो हम अपनी देखभाल नहीं कर पाएंगे।” पेड़ों के बिना एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें – यह सूखे, बेजान रेगिस्तान की तरह होगी। पृथ्वी पर हर चीज़ जीवित रहने के लिए एक-दूसरे पर निर्भर करती है, इसलिए हमें सब कुछ संतुलन में रखने के लिए अपने पेड़ों की देखभाल करनी होगी।पेड़ हमारे लिए कुछ अद्भुत कार्य करते हैं। वे प्रकाश संश्लेषण नामक एक ठंडी प्रक्रिया के माध्यम से खराब कार्बन डाइऑक्साइड को सांस लेते हैं और अच्छी ऑक्सीजन को बाहर निकालते हैं। इससे जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद मिलती है। अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि एक एकड़ के पेड़ 26,000 मील चलने वाली कार जितना कार्बन डाइऑक्साइड सोख सकते हैं! स्वस्थ पेड़ भी सुपरहीरो की तरह काम करते हैं, अधिक कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं और जलवायु परिवर्तन को रोकने में मदद करते हैं। वे हवा में सल्फर डाइऑक्साइड और अन्य प्रदूषकों जैसी गंदी चीजों को सोख लेते हैं, जिससे हमारे सांस लेने के लिए हवा साफ हो जाती है। वे भी प्राकृतिक एयर कंडीशनर की तरह हैं, जो बहुत सारे पेड़ों वाली जगहों को ठंडा बनाते हैं। यही कारण है कि अधिक पेड़ों वाली सड़कें और शहर बिना पेड़ों वाले शहरों की तुलना में अधिक ठंडे होते हैं। यह जान लें – पेड़ हमें सूरज की हानिकारक किरणों से भी बचाते हैं। वे उन यूवी किरणों के आधे हिस्से को रोकते हैं जो हमें त्वचा कैंसर दे सकती हैं। इसलिए, अधिक पेड़ लगाना न केवल उनके लिए अच्छा है; यह हमारे लिए भी बहुत अच्छा है। पेड़ों से हमें खाने के लिए फल प्राप्त होते हैं, उसके साथ पेड़ ओषधि के रूप में भी कार्य करते हैं।
हमें मानसून के दौरान पेड़ क्यों लगाने चाहिए?
* जून से मध्य अगस्त के बीच मिट्टी नमी को अवशोषित करने में सक्षम हो जाती है और रोपण के लिए अधिक अनुकूल हो जाती है।
* मानसून की वर्षा से पौधों को पानी मिलता है और जड़ स्थिर हो जाती है।
* यदि युवा पेड़ को बरसात के मौसम में लगाया जाए तो उसके जीवित रहने की संभावना अधिक होती है
मानसून में लगाए जाएं पौधे : पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सबसे आवश्यक है संतुलन। फ्रीज, एसी व लाखों वाहन संचालित हो रहे हैं। इससे तेजी से पर्यावरण व प्रकृति बदल रही है, जिससे नई बीमारियां पैदा होती जा रही हैं। जितना नुकसान हम प्रकृति का कर रहे हैं उतनी भरपाई नहीं कर पा रहे। मानसून के आगमन के साथ अगर देश का हर नागरिक प्रति वर्ष एक पौधा लगाने व उसके पोषण का निश्चय करे तो निश्चित ही वातावरण शुद्ध होने लगेगा। इसके अलावा भूमिगत जल स्तर का ध्यान भी रखना होगा। वाटर हार्वेस्टिंग एक महत्वपूर्ण तकनीक है। जल स्तर बनाये रखने के लिए नदियों व छोटे नालों का ख्याल रखना जरूरी है। जिस तरह हम प्रकृति का दोहन कर रहे हैं, पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा है। इसे सुधारने पर ध्यान देना ही होगा।
सभी को लगाने चाहिए पौधे : लोगों में जागरूकता लाकर हम पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं। उन्हें पेड़ों की महत्ता को समझाएं, ऑक्सीजन की कमी से बचने के लिए हर नागरिक को घर के आंगन में अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए तथा उनकी सार संभाल करनी चाहिए। जन्मदिन, वर्षगांठ तथा संतान के जन्म पर सार्वजनिक स्थानों पर पौधे लगाने की परंपरा शुरू करें। यदि अपने प्रियजनों के जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ या पुण्यतिथि पर केवल एक पौधा लगाकर उसके पालन पोषण का संकल्प ले लिया जाए तो भी काफी हद तक पर्यावरण क्षरण को बचाया जा सकता है।
वृक्षारोपण सबकी जिम्मेदारी : पर्यावरण संरक्षण के लिए आमजन का वृक्षारोपण करना बहुत जरूरी है। हरे पेड़ों को ना तो स्वयं कांटे, और ना ही किसी को काटने दें। सभी नागरिकों को पेयजल स्रोतों के आस-पास साफ-सफाई रखनी चाहिए और वर्षा जल का संचय करना चाहिए। पर्यावरण को संरक्षित एवं सुरक्षित रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण ध्यान दिया जाना चाहिए। साथ ही पौधों की देखभाल नियमित रूप से करनी चाहिए क्योंकि शुद्ध पानी, पेड़ और शुद्ध हवा ही अनमोल दवा है।
पौधारोपण की खानापूर्ति न करें : पर्यावरण संरक्षण में जितनी भूमिका आमजन की है, उतनी शायद सरकारों और विभिन्न संगठनों के साथ संस्थाओं की नहीं हो सकती है। सरकारें और संस्थाएं आमजन को जागरूक करने के मुहिम चला सकती हैं, लेकिन धरातल पर उसका क्रियान्वयन आमजन के द्वारा ही संभव है। हर व्यक्ति जीवन में एक पौधा जरूर लगाए और उसकी अच्छे से परवरिश करे, तभी पर्यावरण संरक्षण को गति मिलेग। पौधारोपण की खानापूर्ति न करें।
याद रखने योग्य कुछ बातें:
* तीन या चार बार बारिश होने के बाद ही पौधे लगाएँ। स्थानीय भारतीय प्रजातियाँ ही लगाएँ!
* रोपण से पहले मिट्टी की गुणवत्ता तथा सूर्य के प्रकाश और पानी की उपलब्धता की जांच करें।
* फलों के पेड़ घर के पीछे, फूल वाले पेड़ बगल में और सजावटी पेड़ सामने लगाने चाहिए।
* सुनिश्चित करें कि पेड़ बिजली के खंभों और तारों के बीच में न आएं।
* निःशुल्क पौधे उपलब्ध कराने के लिए अपने स्थानीय प्राधिकारियों और गैर सरकारी संगठनों से संपर्क करें।
पेड़ों की तेजी से हो रही कटाई को रोकने के लिए हमें अधिक से अधिक लगाना होगा। लेकिन ऐसा लगता है कि हममें से कई लोग वास्तव में यह नहीं समझते कि यह कितना महत्वपूर्ण है। वनों की कटाई, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और लोगों का सावधान न रहना पर्यावरण के लिए बहुत बड़ी समस्या पैदा कर रहा है। यह एक बड़े बदलाव का समय है। खाली, बंजर भूमि को सुंदर जंगल में बदलने के लिए सरकारों के साथ-साथ अधिक से अधिक लोगों को मिलकर काम करने की जरूरत है। वृक्षों, पशु-पक्षियों को नुकसान पहुंचाने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान हो व प्राकृतिक संपदाओं विशेषकर जल की बूंद-बूंद सहेजने के प्रयास हो तथा दुरूपयोग करने वाले को समाज पापी व घृणित कृत्य करने वाला समझें, तभी जल का सम्मान जीवित रहेगा। मात्र पर्यावरण दिवस मनाकर नहीं। स्वहित में हर स्तर पर हर एक को इकोफ्रेंडली बनने का धर्म सर्वोपरि समझना होगा।