स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर मनाया जाने वाला राष्ट्रीय युवा दिवस विवेकानंद के कार्यों को याद करने और उनके दर्शन को अपने जीवन में लागू करने के बारे में है। विवेकानंद का जीवन और मिशन सभी के लिए एक उदाहरण है, और उनके विचारों को राष्ट्रीय युवा दिवस पर फैलाया और चर्चा की जाती है। यह दिन देश के युवाओं का जश्न मनाने और उन्हें विवेकानंद के विचारों और दर्शन को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के बारे में है।
स्वामी विवेकानंद भारत के सबसे महान युवा नेताओं और अनुयायियों में से एक थे। श्री राम कृष्ण परमहंस के एक भावुक छात्र, वे भारत में हिंदू धर्म के पुनरुत्थान में एक महत्वपूर्ण शक्ति थे। 1984 में, भारत सरकार ने 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया, और 1985 से, भारत में हर साल स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन के उपलक्ष्य में यह आयोजन मनाया जाता है। विवेकानंद को देश के लोग बहुत पसंद करते थे और उन्हें भारत के महानतम सामाजिक नेताओं में से एक माना जाता था। राष्ट्रीय युवा दिवस विवेकानंद की उपलब्धियों का जश्न मनाता है और उनके महान दार्शनिक और धार्मिक विचारों का सम्मान करता है। इस महापुरुष, राष्ट्रीय युवा दिवस, इसके इतिहास और इसके महत्व के बारे में यहाँ और जानें।
राष्ट्रीय युवा दिवस
भारत में प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को युवाओं के प्रेरणास्रोत और महापुरुष स्वामी विवेकानंद की स्मृति में उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है, 2023 में हम 38वां युवा दिवस (नेशनल यूथ डे) और विवेकानंद जी की 160वीं जयंती मना रहे है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर्नाटक के हुबली-धारवाड़ में होने वाले 26वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव का उद्घाटन करेंगे, जिसके बाद राष्ट्रीय युवा शिखर सम्मेलन होगा।
राष्ट्रिय युवा दिवस की जानकारी
iनाम : राष्ट्रीय युवा दिवस (Rashtriya Yuva Diwas)
तिथि : 12 जनवरी (वार्षिक)
पहली बार : 12 जनवरी 1985
उद्देश्य : युवाओं को ऊर्जावान बनाना, उन्हें सद्बुद्धि और सही मार्ग पर अग्रसर करना है।
सम्बंधित व्यक्ति : स्वामी विवेकानंद
26वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आयोजन कहाँ किया जाएगा?
वर्ष 1995 से ही युवा दिवस के मौके पर ‘राष्ट्रीय युवा महोत्सव‘ कार्यक्रम तथा 12 जनवरी से 19 जनवरी तक ‘राष्ट्रीय युवा सप्ताह‘ कार्यक्रम का आयोजन होता है। इस बार भारत का 26वां नेशनल यूथ फेस्टिवल 12 से 16 जनवरी 2023 तक हुबली-धारवाड़, कर्नाटक में मनाया जाएगा।इस खास मौके पर स्कूलों, विश्वविद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थानों में उनके विचार एवं उपदेशों को छात्रों तक पहुंचाया जाता है तथा कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इनमें निबंध लेखन, भाषण, कला एवं वाद-विवाद प्रतियोगिताएं शामिल होती है। उनके अनुयायियों एवं अन्य लोगों द्वारा साहित्य एवं प्रदर्शनी लगाई जाती है पूजा-पाठ, अनुष्ठान तथा योगासन, सुविचार और युवा सम्मेलन आयोजित किए जाते है।
राष्ट्रीय युवा दिवस महोत्सव का आयोजन कौन करता है?
राष्ट्रीय युवा दिवस भारत में केवल एक दिन का अवसर नहीं है। बल्कि यह एक सप्ताह तक चलने वाला उत्सव है। यह भारत सरकार, युवा मामले और खेल मंत्रालय और राज्य सरकारों द्वारा आयोजित किया जाता है।
राष्ट्रीय युवा दिवस 2023 की थीम
विवेकानंद भारतीय रहस्यवादी, रामकृष्ण के प्रबल अनुयायी थे, और मन को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण मानते थे। यहां पिछले कुछ वर्षों के राष्ट्रीय युवा दिवस की थीम दी निचे दी गई है:
* 12 जनवरी को विवेकानंद जी की जयंती के उपलक्ष में मनाए जाने वाले राष्ट्रीय युवा दिवस 2023 की थीम “अभी तय की जानी बाकी” है। पिछली साल युवा महोत्सव 2022 की थीम ‘सक्षम युवा, सशक्त युवा’ रखी गई थी।
* साल 2021 की Theme ‘युवा – उत्साह नए भारत का’ थी।
* 2020 की थीम ‘वैश्विक कार्य के लिए युवाओं की भागीदारी’ थी।
* वर्ष 2019 की Theme राष्ट्र निर्माण में युवा शक्ति का इस्तेमाल थी।
* 2018 का विषय ‘संकल्प से सिद्धि’ था।
* 21वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव (2017) का विषय- ‘डिजिटल इंडिया के लिए युवा’ था।
* 2016 की थीम “विकास, कौशल और सद्भाव के लिए भारतीय युवा” है।
राष्ट्रीय युवा दिवस की शुरूआत का इतिहास?
स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। वह एक दार्शनिक, कार्यकर्ता, समाज सुधारक और विचारक थे। रामकृष्ण के अनुयायी होने के नाते, उन्होंने 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। यह एक धार्मिक हिंदू संगठन है जो रुचि रखने वाले लोगों को आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करता है। 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की बर्थ एनीवर्सरी को नेशनल यूथ डे के रूप में मनाने का फैसला भारत की केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 1984 में लिया गया, जिसके बाद 12 जनवरी 1985 को पहला युवा दिवस मनाया गया। यूथ डे के मौके पर विवेकानंद जी को श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया जाता है, उनके विचार आज भी करोड़ों युवाओं के आदर्श और प्रेरणा स्रोत है। यह दिन स्वामी जी के महान विचारों एवं आदर्शों का प्रचार-प्रसार करने और इन्हें अपने जीवन में लागू करने का एक खास और महत्वपूर्ण दिन है। यहां राष्ट्रीय युवा दिवस के इतिहास के बारे में विवरण दिया गया है:
* भारत सरकार ने 1984 में 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया।
* नतीजतन, पहला युवा दिवस 12 जनवरी 1985 को मनाया गया।
* भारत सरकार ने इस दिन की घोषणा करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचार और शिक्षाएं देश के युवाओं के लिए फायदेमंद हो सकती हैं।
* आपको बता दें कि वैश्विक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को मनाया जाता है।
क्यों मनाया जाता नेशनल यूथ डे?
युवा दिवस देश के युवाओं को समर्पित एक ऐसा दिन है जो देश की उन्नति और विकास में योगदान तथा उनकी भागीदारी को दर्शाता है। इसके आलावा यह युवाओं को जागृत करने और प्रेरणा से भर देने वाला दिन है। इसलिए हर साल राष्ट्रीय स्तर पर 12 जनवरी को और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 12 अगस्त को युवा दिवस मनाया जाता है। यूथ डे मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य युवाओं को ऊर्जावान बनाना और उन्हें सद्बुद्धि और सही मार्ग पर अग्रसर करना है। स्वामी विवेकानंद जी ने हमेशा से ही युवाओं को देश की ताकत और इसका भविष्य बताया है। वे अपनी आशाओं को युवा वर्ग पर टिका मानते थे। यह दिन युवाओं के अंदर ऊर्जा जागृत करता है और आने वाली पीढ़ी और भविष्य को प्रेरित कर देश को विकास की ओर ले जाने के लिए अग्रसर करता है। स्वामी विवेकानंद के विचारों और दर्शन का प्रसार करना है कि वे कैसे रहते थे, कैसे उपदेश देते थे और कैसे काम करते थे। पूरे देश में स्कूलों, विश्वविद्यालयों आदि में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।इतने बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने का लक्ष्य युवाओं को प्रेरित करना, देश के लिए बेहतर भविष्य बनाना और स्वामी विवेकानंद की विचारधारा का प्रसार करना है। राष्ट्रीय युवा दिवस को युवा दिवस के नाम से भी जाना जाता है। स्वामी विवेकानंद की जीवन शैली और विचारों से युवाओं को प्रेरित कर देश को बेहतर भविष्य देना सरकार का मुख्य लक्ष्य है।
राष्ट्रीय युवा दिवस समारोह कैसे मनाया जाता है?
राष्ट्रीय युवा दिवस या युवा दिवस, जो स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन है, हर साल कई रामकृष्ण मिशन केंद्रों और इसकी शाखाओं में भारतीय संस्कृति और परंपराओं के अनुसार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। राष्ट्रीय युवा महोत्सव हर साल 12 से 16 जनवरी तक मनाया जाता है, आइए जानते हैं कैसे
* समारोह के दौरान महान मंगल आरती, प्रार्थना गीत, ध्यान, धार्मिक भाषण, संध्या आरती, आदि होते हैं।
* यह विभिन्न स्कूलों और विश्वविद्यालयों में स्वामी विवेकानंद के बारे में परेड, भाषण, वाचन, गीत, सम्मेलन, निबंध लेखन प्रतियोगिता, सेमिनार और बहुत कुछ आयोजित करके भी मनाया जाता है।
* छात्रों को प्रेरित करने के लिए स्वामी विवेकानंद के लेखन और व्याख्यान भी छात्रों द्वारा पढ़े जाते हैं।
स्वामी विवेकानंद कौन थे
भारत के दार्शनिक, शुभचिंतक, युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत, समाज सुधारक, युवा संन्यासी और महान देशभक्त के रूप में विख्यात स्वामी विवेकानंद जी का जन्म कोलकाता के एक कायस्थ परिवार में 12 जनवरी 1863 को हुआ उनके बचपन का नाम ‘नरेंद्र नाथ दत्त‘ था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कोलकाता हाई कोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील और उनकी माता भुवनेश्वरी देवी एक धार्मिक विचारों वाली महिला थी।
शिक्षा : वे बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थे 1871 में वे ईश्वरचंद्र विद्यासागर के मेट्रोपोलिटन संस्थान में पढ़ाई के लिए स्कूल गए। 1879 में वे प्रेसीडेंसी कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल करने वाले इकलौते छात्र थे। उन्होंने ज्यादातर सभी चीजों का अध्ययन किया वह दर्शनशास्त्र, इतिहास, समाज कला, साहित्य, धर्म, वेद, धार्मिक पुस्तकें (जैसे श्रीभगवद गीता, रामायण, महाभारत) तथा हिंदू शास्त्रों को भी पढ़ा। वह भारतीय शास्त्रीय संगीत, खेल कूद और व्यायाम, योग में भी काफ़ी आगे थे, उन्होंने 1881 में ललित कला की परीक्षा पास कर 1884 में आर्ट्स से ग्रेजुएशन के डिग्री पूरी की।
सन्यासी जीवन: विवेकानंद जी वर्ष 1881 में गुरू रामकृष्ण परमहंस से कोलकाता के दक्षिणेश्वर काली माता मंदिर में मिले, जिसके बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन ‘गुरूदेव रामकृष्ण परमहंस‘ को समर्पित कर दिया जिसके परिणामस्वरूप वे गुरु सेवा और गुरु भक्ति के लिए पूरे संसार में जाने गए। नरेंद्र नाथ दत्त (विवेकानंद) ने अपनी 25 वर्ष की आयु में ही अपना घर-बार छोड़ सन्यास ले लिया और गेरुआ वस्त्र धारण किया, सन्यास लेने के बाद ही नरेंद्र नाथ दत्त ‘स्वामी विवेकानंद‘ कहलाए। उन्होंने 9 दिसंबर 1898 को कलकत्ता के पास बेलूर में गंगा तट पर अपने गुरू/शिक्षक रामकृष्ण को समर्पित ‘रामकृष्ण मठ‘ की स्थापना की।
विश्व धर्म परिषद में प्रतिनिधित्व
स्वामी विवेकानंद जी ने संयास लेने के बाद पूरे भारत वर्ष का पद भ्रमण (पैदल यात्रा) किया, उन्होंने 31 मई 1893 को विश्व यात्रा शुरू की जिसमें वह जापान का दौरा करते हुए चाइना और कनाडा से होकर अमेरिका के ‘शिकागो‘ शहर पहुंचे। जिस समय स्वामी विवेकानंद जी भारत का प्रतिनिधित्व करने शिकागो पहुँचे, उस समय भारत के गुलाम होने के कारण भारतीय लोगों को काफी निम्न दृष्टि से देखा जाता था। लेकिन जब उन्होंने विश्व धर्म परिषद् में अपने भाषण की शुरुआत अमेरिका के भाइयों और बहनों कहकर की तो तालियों की गूंज काफी देर तक रही और उनके विचारों से परिषद् में बैठे विद्वान काफी प्रभावित हुए, और वहाँ के लोग भी उनके के फैन बन गए।
स्वामी विवेकानंद के प्रेरणादायक सुविचार
स्वामी विवेकानंद ने ‘उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाए’, जैसे प्रेरणादायक विचारों को युवाओं के जहन में उतारा। वे भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में शामिल लोगों के लिए प्रमुख प्रेरणास्रोत थे।
* सबसे बड़ा पाप यह सोचना है कि आप कमजोर हैं।
* अपने आप में विश्वास रखो सारी शक्ति तुम में है, सांप का जहर भी शक्तिहीन होता है यदि आप इसे मजबूती से नकार सकते हैं।
* दिन में एक बार खुद से बात करें अन्यथा आप इस दुनिया में एक उत्कृष्ट व्यक्ति से मिलने से चूक सकते हैं
* जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।
* विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
* सत्य को हजार तारिकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
विवेकानंद का दर्शनशास्र
* उनका दर्शन मन को नियंत्रित करने पर बहुत जोर देता है।
* उनका दर्शन है कि नैतिकता स्वाभाविक रूप से जुड़ी हुई है कि आप अपने मन को कितनी अच्छी तरह नियंत्रित कर सकते हैं।
* वह सच्चाई, निस्वार्थता और पवित्रता जैसे गुणों पर ध्यान केंद्रित करता है।
* वह अपने अनुयायियों को निस्वार्थ होने और हमेशा सच्चे कारणों के लिए काम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
* वह ब्रह्मचर्य में भी दृढ़ विश्वास रखते थे, और इसे सहनशक्ति और मानसिक कल्याण के स्रोत के रूप में जोड़ते थे।
विवेकानंद जी की उनकी पुण्यतिथि कब है?
स्वामी विवेकानंद जी को दमा और शुगर की शिकायत थी जिसके कारण उनकी मृत्यु काफी कम आयु में हो गई। उन्होंने 40 साल से कम आयु में ही 4 जुलाई 1902 को बेलूर में स्थित रामकृष्ण मठ में ध्यान मग्न अवस्था में ही महासमाधि धारण कर अपने प्राण त्याग दिए। जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार बेलूर में गंगा तट पर चन्दन की चिता पर उनके गुरुदेव रामकृष्ण परमहंस के दूसरी ओर किया गया। 4 जुलाई को उनकी पुण्यतिथि होती है।
स्वामी विवेकानंद ज्ञान, विश्वास, एक सच्चे दार्शनिक हैं जिनकी शिक्षाओं ने न केवल युवाओं को प्रेरित किया बल्कि देश के विकास का मार्ग प्रशस्त किया। इसीलिए भारत में हर साल 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है। भारत के युवाओं के लिए विवेकानंद जी से अच्छा कोई अन्य प्रेरणा स्रोत और नेता नहीं हो सकता ऐसे में उनकी जयंती को नेशनल यूथ डे के रूप में मनाया जाना हमारे लिए सौभाग्य और गर्व की बात है।