राष्ट्रीय विज्ञान दिवस राष्ट्रीय स्तर पर अर्थात भारत भर में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण दिवस है। विज्ञान के अस्तित्व को बनाए रखने तथा विज्ञान की महत्वता बनाने के लिए इस दिन को देशभर में आयोजन के तौर पर मनाया जाता है। पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस(National Science Day) 28 फरवरी, 1987 को मनाया गया था। उसी के बाद से हर वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज को जागरूक करना व उनमें वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से मनाया जाने वाला विशेष दिवस है। इसमें हम विज्ञान के प्रति लोगो को जागरूक करते हैं क्योंकि आज भी हमारे देश में बहुत सारे लोग विज्ञान की महत्व को नहीं जानते हैं।
भारत में प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारतीय वैज्ञानिक सी. वी. रमन की महान खोज “रमन प्रभाव” की याद में मनाया जाता है, जिसके लिए उन्हें 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। यह दिवस विज्ञान के प्रति जागरूकता बढ़ाने, वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करने और समाज में विज्ञान के महत्व को उजागर करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। विज्ञान की मदद से इंसानों ने कई तरह की खोज कर, अपने जीवन को ओर बेहतर बना लिया है. विज्ञान के जरिए ही आज हम लोगों ने नई तरह की तकनीकों का आविष्कार किया है. वहीं हर रोज ना जाने हम विज्ञान की मदद से बनाई गई कितनी तकनीकों और चीजों का इस्तेमाल करते हैं. इतना हीं नहीं इसके जरिए ही हम लोग नामुकिन चीजों को मुमकिन बनाने में कामयाबी भी रहे हैं. विज्ञान की मदद से ही हम अंतरिक्ष में पहुंचने से लेकर रोबोट, कंप्यूटर जैसी चीजे बनाने में सफल हो पाए हैं. ऐसे में विज्ञान हमारे जीवन में काफी महत्व रखता है और हर स्कूल में इस विषय को बच्चों को पढ़ाया जाता है. वहीं भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में काफी योगदान दिया है. भारत की धरती पर कई महान वैज्ञानिकों ने जन्म लिया है और इन महान वैज्ञानिकों की बदलौत ही भारत ने विश्व भर में विज्ञान के क्षेत्र में अपना एक अलग ही औदा बनाया हुआ है। भारत में वर्ष में एक दिन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है| आइये जानते हैं राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कब मनाते हैं और क्या है इस वर्ष की थीम।
कौन थे सीवी रमन ?
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस सीवी रमन की उपलब्धि को लेकर ही शुरू हुआ इसलिए उनके बारे में जानना बेहद जरूरी है। सीवी रमन का पूरा नाम था चंद्रशेखर वेंकट रमन। उनका जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिलापल्ली में हुआ था। उनके पिता गणित और भौतिकी के लेक्चरर थे। उन्होंने विशाखापट्टनम के सेंट एलॉयसिस एंग्लो-इंडियन हाईस्कूल और तत्कालीन मद्रास के प्रेसीडेन्सी कॉलेज से पढ़ाई की। प्रेसीडेन्सी कॉलेज से उन्होंने 1907 में एमएससी पूरी की। यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास में उन्हें फिजिक्स में गोल्ड मेडल मिला। 1907 से 1933 के बीच उन्होंने कोलकाता में इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस में काम किया। इस दौरान उन्होंने फिजिक्स से जुड़े कई विषयों पर गहन रिसर्च की।
रमन इफ़ेक्ट की कहानी
डॉ सी वी रमन जब लंदन से भारत आ रहे थे तो समुंद्री रास्ते में उनके मन में यह सवाल आया कि समुन्द्र का रंग नीला क्यों है| आज से पहले Rayleigh ने यह बात की व्याख्या कर दी थी कि प्रकाश के बिखरने का क्या कारण है (Scattering of light) और आसमान का रंग नीला क्यों है जिसके रिफ्लेक्शन से पानी भी नीला दिखता है| लेकिन रमन ने इस बात से संतुष्ट नहीं थे| भारत पहुँचने के तुरंत बाद उन्होंने इस विषय में खोज करना शुरू कर दिया| फिर कई सालों की खोज के बाद 28 फरवरी 1928 को उन्होंने रमन इफ़ेक्ट की बात दुनिया के सामने रखी जिसमें बताया गया कि जब कोई प्रकाश की किरण किसी चीज में पड़ती है तो प्रकाश के छोटे कर्ण जिसे फोटोन कहते हैं उसकी ऊर्जा (energy) में काफी परिवर्तन आता है, इसका मतलब टकराने के बाद scattered फोटोन की एनर्जी या तो बड़ जायेगी या कम हो जाती है| यह Rayleigh की व्याख्या से अलग बात थी जिन्होनें इलास्टिक scattering की बात करी थी जहाँ फोटोन की energy में कोई बदलाव नहीं आता था| सी वी रमन ने अपने रमन इफ़ेक्ट की व्याख्या से समुन्द्र के नीले होने की अपनी परिभाषा बताई| उन्होंने कहा आकाश से आने वाली प्रकाश की किरणें जब पानी पर पड़ती हैं तो वह फोटोन से उतनी ही एनर्जी लेती हैं जितनी उसे excite या vibrate होने में जरुरत हो| बाकी की ऊर्जा वह वापस release कर देती हैं| इस प्रकार higher फ्रीक्वेंसी (ज्यादा ऊर्जा) वाली किरणें कम फ्रीक्वेंसी (यानि ज्यादा wavelength) में बदलकर वापस आसमान में बिखर जाती हैं| कम wavelength हो जाने से उसके रंग में भी बदलाव आता है|
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025 की थीम
हर वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की एक विशेष थीम होती है, जो विज्ञान और समाज की वर्तमान आवश्यकताओं को दर्शाती है। 2025 की थीम अभी घोषित नहीं हुई है, लेकिन संभवतः यह “सस्टेनेबल डेवलपमेंट में विज्ञान की भूमिका” या “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मानवता” जैसे किसी समकालीन विषय पर आधारित हो सकती है।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का महत्व
वैज्ञानिक जागरूकता – यह दिन आम जनता और छात्रों के बीच विज्ञान एवं तकनीक की उपयोगिता को समझाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
नवाचार को बढ़ावा – यह दिवस युवा वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को प्रेरित करता है कि वे नवाचार और अनुसंधान में आगे बढ़ें।
सरकारी नीतियों का प्रचार – इस दिन विज्ञान से जुड़ी सरकारी योजनाओं और उपलब्धियों को प्रचारित किया जाता है।
सामाजिक विकास में विज्ञान – विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से समाज में हो रहे सकारात्मक बदलावों को रेखांकित किया जाता है।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का इतिहास
1928 में भारतीय वैज्ञानिक डॉ. सी. वी. रमन ने “रमन प्रभाव” की खोज की, जिसमें उन्होंने यह बताया कि जब प्रकाश किसी पारदर्शी माध्यम से गुजरता है, तो उसकी तरंग दैर्ध्य (wavelength) में परिवर्तन हो सकता है। यह खोज भौतिकी के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुई और इसी कारण उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1986 में भारत सरकार ने 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025 के आयोजन
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर पूरे भारत में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
शिक्षण संस्थानों में विज्ञान प्रदर्शनी – स्कूलों और कॉलेजों में विज्ञान मेलों, पोस्टर प्रदर्शनियों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है।
वैज्ञानिक व्याख्यान और संगोष्ठियां – प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा व्याख्यान दिए जाते हैं, जिससे युवा पीढ़ी को विज्ञान के क्षेत्र में नई जानकारी मिलती है।
राष्ट्रिय विज्ञान पुरस्कार – इस दिन उत्कृष्ट वैज्ञानिकों को उनके योगदान के लिए पुरस्कृत किया जाता है।
डिजिटल और वर्चुअल इवेंट्स – इंटरनेट के माध्यम से वैज्ञानिक वेबिनार और ऑनलाइन कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है।
भारत में विज्ञान और तकनीक की उपलब्धियां
भारत ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं:
इसरो (ISRO) की सफलताएँ – भारत ने चंद्रयान-3 और मंगल मिशन जैसी महत्वपूर्ण अंतरिक्ष परियोजनाएँ सफलतापूर्वक पूरी की हैं।
स्वदेशी तकनीक और नवाचार – भारत में मेड इन इंडिया अभियान के तहत नई वैज्ञानिक तकनीकों का विकास किया जा रहा है।
वैज्ञानिक अनुसंधान में वृद्धि – जैव प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), स्वास्थ्य विज्ञान और कृषि विज्ञान के क्षेत्र में भारत ने बड़ी प्रगति की है।
विज्ञान और समाज
विज्ञान और समाज एक-दूसरे के पूरक हैं। वैज्ञानिक खोजों और तकनीकी विकास ने हमारे जीवन को आसान और उन्नत बनाया है। चिकित्सा, संचार, ऊर्जा, पर्यावरण संरक्षण और शिक्षा के क्षेत्र में विज्ञान ने क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि विज्ञान के प्रति सम्मान और जागरूकता का दिन है। यह दिन हमें विज्ञान के महत्व को समझने और उसे समाज की बेहतरी के लिए उपयोग करने की प्रेरणा देता है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025 हमें नवाचार, शोध और वैज्ञानिक सोच को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे भारत एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मजबूत राष्ट्र बन सके। यह युवाओं को विज्ञान में रुचि लेने और इसे एक करियर के रूप में मानने के लिए भी प्रोत्साहित करता है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाना वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और समर्पण को पहचानने और भावी पीढ़ियों को नई चीजों की खोज जारी रखने के लिए प्रेरित करने का एक तरीका है।