भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ शासन की जड़ें ग्राम स्तर तक फैली हुई हैं। “पंचायती राज व्यवस्था” इस लोकतंत्र की नींव मानी जाती है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में जनसाधारण को सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम भूमिका निभाती है। इसी पंचायती राज व्यवस्था के सम्मान और जागरूकता के लिए प्रतिवर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता है। यह दिन न केवल ग्रामीण प्रशासन के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि यह भारत में लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण की दिशा में एक मील का पत्थर भी है।
भारत में हर साल 24 अप्रैल को एक संवैधानिक इकाई के रूप में पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता है। भारत गुरुवार 24 अप्रैल, 2025 को अपना 15वांँ राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाने जा रहा है। वहीं देश में पहला राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस वर्ष 2010 में मनाया गया था। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस को बड़े पैमाने पर एक भव्य आयोजन के रूप में मनाया जाता है और आम तौर पर इसे राष्ट्रीय राजधानी से बाहर आयोजित किया जाता है। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस हर साल 24 अप्रैल को उस ऐतिहासिक दिन की याद में मनाया जाता है जब संविधान में (73वां संशोधन) अधिनियम 1992 लागू हुआ था। यह अधिनियम पंचायती राज संस्थानों (PRI) को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है और उन्हें जमीनी स्तर पर स्वशासन संस्थानों के रूप में कार्य करने का अधिकार देता है।पंचायती राज भारत में स्थानीय शासन की एक त्रि-स्तरीय प्रणाली (Three-Tier System) है जिसमें ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायतें, ब्लॉक स्तर पर पंचायत समितियाँ और जिला स्तर पर जिला परिषदें शामिल हैं। इस प्रणाली का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर शक्ति और संसाधनों का विकेंद्रीकरण करना (Decentralize Power and Resources) और सहभागी लोकतंत्र (Participatory Democracy), सामाजिक न्याय और समावेशी विकास (Social Justice and Inclusive Development) को बढ़ावा देना है।आइए इस लेख के माध्यम से में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के बारे में विस्तार से जानते है।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का इतिहास
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की शुरुआत वर्ष 2010 में भारत सरकार द्वारा की गई थी। इसका आधार 73वां संविधान संशोधन अधिनियम है, जिसे 24 अप्रैल 1993 को लागू किया गया था। इस अधिनियम के माध्यम से पंचायती राज संस्थानों को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ। इसी ऐतिहासिक दिन की स्मृति में 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस घोषित किया गया।
जानें क्या है पंचायत की शक्तियां, अधिकार और जिम्मेदारियां?
राज्य विधानमंडलों के पास पंचायतों को स्वयं शासन करने का अधिकार देने की शक्ति है। इसका मतलब है कि वे अपने समुदायों को बढ़ने और सभी के प्रति निष्पक्ष रहने में मदद करने के लिए निर्णय और योजनाएँ बना सकते हैं।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का महत्त्व
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस भारत में बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह एक संवैधानिक इकाई के रूप में पंचायती राज प्रणाली की स्थापना का प्रतीक है। पंचायती राज प्रणाली भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य स्थानीय स्तर पर सत्ता और संसाधनों का विकेंद्रीकरण करना और सहभागी लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और समावेशी विकास को बढ़ावा देना है। पंचायती राज प्रणाली जमीनी स्तर पर लोगों को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भाग लेने और उनके विकास का स्वामित्व लेने में सक्षम बनाती है, जो स्व-शासन और जवाबदेही को बढ़ावा देने में मदद करती है।
लोकतंत्र का जमीनी स्वरूप: यह दिवस स्थानीय स्वशासन के महत्व को दर्शाता है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को अपनी समस्याओं के समाधान हेतु निर्णय लेने का अधिकार मिलता है।
जनभागीदारी का बढ़ावा: यह नागरिकों, विशेषकर ग्रामीण जनता, को शासन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रेरित करता है।
सामाजिक समावेश: पंचायती राज प्रणाली के तहत महिलाओं, अनुसूचित जातियों और जनजातियों को आरक्षण दिया गया है, जिससे समावेशी विकास संभव होता है।
विकास का विकेंद्रीकरण: योजनाओं और संसाधनों के प्रबंधन की शक्ति स्थानीय निकायों को मिलने से विकास अधिक प्रभावशाली और स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप होता है।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस
उद्देश्य
पंचायती राज संस्थाओं के प्रति लोगों को जागरूक बनाना।
ग्रामीण विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और सहभागिता को बढ़ाना।
पंचायत प्रतिनिधियों को सशक्त करना और उनके कार्यों को मान्यता देना।
ग्रामीण शासन में तकनीक और नवाचार को बढ़ावा देना।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की विशेषताएँ
तीन-स्तरीय संरचना: ग्राम पंचायत, पंचायत समिति (ब्लॉक स्तर), जिला परिषद।
संविधान प्रदत्त शक्तियाँ और उत्तरदायित्व।
सामाजिक न्याय और समावेशिता को बढ़ावा।
नियमित चुनाव और वित्तीय स्वतंत्रता।
ग्राम सभाओं की भूमिका में वृद्धि।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाने की विधियाँ
सम्मेलन और कार्यशालाएँ: इस दिन पर पंचायतों के कार्यों, उपलब्धियों और चुनौतियों पर चर्चा के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं।
पुरस्कार वितरण: “राजीव गांधी पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार” जैसे सम्मानों के माध्यम से बेहतरीन कार्य करने वाली पंचायतों को सम्मानित किया जाता है।
जनजागरूकता अभियान: ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता रैलियाँ, नुक्कड़ नाटक, और प्रचार कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
डिजिटल पहल: पंचायतों की कार्यप्रणाली को डिजिटल बनाने हेतु योजनाओं का शुभारंभ किया जाता है, जैसे– e-Gram Swaraj पोर्टल।
ग्राम सभाओं का आयोजन: कई राज्यों में इस दिन ग्राम सभाएँ आयोजित कर लोगों को पंचायत के निर्णयों में भागीदारी दी जाती है।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस न केवल भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को सुदृढ़ करता है, बल्कि यह ग्रामीण भारत के आत्मनिर्भर बनने की प्रक्रिया को भी गति देता है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि सशक्त भारत की नींव सशक्त गांवों में है, और सशक्त गांवों का निर्माण तभी संभव है जब पंचायती राज व्यवस्था को प्रोत्साहन, पारदर्शिता और जनसहभागिता के साथ लागू किया जाए।