बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं, उनका विकास देश के विकास को मजबूती देता हैं जितना शक्तिशाली देश का बच्चा होता हैं उतना ही उस देश का युवा प्रभावशील बनता हैं और उतना ही उज्ज्वल उस देश का भविष्य होता हैं इसलिए हमारे देश में प्रति वर्ष बाल दिवस मनाया जाता हैं. यह दिन एक राष्ट्रिय त्यौहार बाल दिवस के रूप में बच्चो को समर्पित किया गया हैं।
भारत में हर साल 14 नवंबर को देश के पहले प्रधानमंत्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू की स्मृति में उनकी जयंती को बाल दिवस (Childrens’ Day) के रूप में मनाया जाता है। उन्हें बच्चों से बहुत ज्यादा लगाव था और बच्चे भी उन्हें प्यार से चाचा कहते थे। उनके मरणोपरांत भारत सरकार ने उनके जन्मदिन को राष्ट्रिय बाल दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। हर साल भारत में 14 नवम्बर को चिल्ड्रेंस डे के रूप में मनाया जाता हैं, तो वही हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में बच्चों को समर्पित यह दिवस 1 जुलाई को, नेपाल में 14 या 15 सितंबर को, श्रीलंका में 1 अक्टूबर को और बांग्लादेश में 27 मार्च को मनाया जाता है। बंगाली में इसे ‘शिशु दिवस‘ भी कहते है।
चिल्ड्रंस डे इन इंडिया के बारे में जानकारी
नाम : राष्ट्रीय बाल दिवस (Children’s Day)
स्मृति दिवस : पंडित जवाहरलाल नेहरू
शुरूआत : वर्ष 1964 में जवाहरलाल नेहरू जी की मृत्यु के बाद
तिथि : 14 नवम्बर (वार्षिक)
उद्देश्य : नेहरू जी के जन्मदिन पर बच्चों के प्रति उनके प्रेम और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए।
बाल दिवस की शुरूआत कैसे हुई? (इतिहास)
वर्ष 1954 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस मनाया गया, इस दिवस का सुझाव वीके कृष्णा मेमन (भारत के पूर्व रक्षामंत्री) ने ही दिया था, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN) द्वारा इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। उस समय इसे अक्टूबर के महीने में मनाया जाना तय हुआ, परंतु 1959 के बाद इसके लिए 20 नवंबर का दिन तय किया गया। इसी के साथ विश्व स्तर पर प्रति वर्ष 20 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस (International Children’s Day) मनाने की शुरूआत हुई। भारत में भी यह दिवस पंडित नेहरु की मृत्यु से पहले 20 नवंबर को ही मनाया जाता था। लेकिन वर्ष 1964 में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद उनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक वर्ष 14 नवंबर को राष्ट्रीय बाल दिवस मनाने की घोषणा की गयी।
बाल दिवस क्यों मनाया जाता है?
14 नवंबर को पं. जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के दिन बाल दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि पंडित नेहरु बच्चों से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें हर बच्चा प्यारा था। साथ ही वह अपना ज्यादा से ज्यादा समय बच्चों के साथ ही बिताना पसंद करते थे, जिसके कारण सभी बच्चे उन्हें ‘चाचा नेहरू‘ कहकर पुकारते थे। इसीलिए उनके मरणोपरांत उन्हें सम्मान और श्रद्धांजलि देने के लिए उनकी बर्थ एनिवर्सरी को चिल्ड्रन्स डे के रूप में चुना गया।
कैसे मनाया जाता है? चिल्ड्रेंस डे
यह दिन बच्चों के लिए बहुत खास होता है, इस दिन स्कूलों में बच्चों से नेहरू जी पर कविताएं, निबंध आदि लिखने एवं भाषण देने के लिए कहा जाता है, साथ ही कई रंगारंग कार्यक्रम भी किए जाते हैं। बच्चों को चाचा नेहरू और चाचा नेहरू को बच्चे बहुत पसंद थे इसीलिए इसीलिए कई बच्चे चाचा नेहरू की वेशभूषा धारण कर भी स्कूल पहुंचते हैं, और उनकी भूमिका निभाते हैं। तो वहीँ दूसरी और देश के बड़े नेताओं और प्रतिष्ठित लोगों द्वारा उनकी समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है, और उनकी प्रतिमा या फोटो पर मालार्पण कर पुष्प अर्पित किए जाते है। विशेषकर विद्यालयों में बाल दिवस के उपलक्ष्य में आयोजन किये जाते हैं. कई तरह की प्रतियोगिता रखी जाती हैं। कई तरह के नाटकों का आयोजन किया जाता हैं, नृत्य, गायन एवम भाषण का भी आयोजन किया जाता हैं। बच्चो के लिए खासतौर पर मनाये जाने वाले इस त्यौहार में बच्चों को उनके अधिकारों, उनके कर्तव्यों के बारे में अवगत कराया जाता हैं। छोटे-छोटे बच्चों के मनोरंजन के लिये पिकनिक एवम कई खेल कूद का आयोजन किया जाता हैं। इस दिन रेडियो पर भी कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं जो बच्चो को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। इस तरह पुरे देश में स्कूल, सरकारी संस्थाओं एवम कॉलोनी में बाल दिवस का त्यौहार मनाया जाता हैं. बच्चो के उत्साह को बढ़ाने के लिये कई प्रतियोगिता रखी जाती हैं जिससे उनके अंदर के कई गुणों का पता चलता हैं. और इसी से बच्चों का सर्वांगिक विकास होता हैं।
जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय?
14 नवंबर 1889 को ब्रिटिश भारत के इलाहाबाद में जन्में जवाहरलाल नेहरू पेशे से एक वकील थे, उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बनाने का गौरव हासिल किया। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरु था, तथा उनकी माता का नाम स्वरूपरानी नेहरू था। पंडित नेहरू अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे, और उनकी तीन बहने थी, कमला नेहरू से विवाह के बाद उनकी इकलौती बेटी इंदिरा गाँधी थी, जो बाद में देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी। कश्मीरी पंडित समुदाय से होने के कारण उन्हें पंडित नेहरू भी कहा जाता था। और बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे।
पढ़ाई-लिखाई : वे एक सम्पन्न परिवार से थे इसलिए उनकी प्रारंभिक शिक्षा निजी शिक्षकों की देख-रेख में हुई, जिसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए और वहाँ हैरो से स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और लॉ की डिग्री प्राप्त की। 1912 में भारत आने के बाद उन्होंने इलाहबाद हाईकोर्ट में वकालत शुरू कर दी।
योगदान : वे महात्मा गाँधी के विचारों से बेहद प्रभवित थे इसलिए भारत लौटने के बाद सन 1912 में उन्होंने कांग्रेस को ज्वाइन किया और देश की आजादी में महात्मा गांधी का साथ दिया। उन्होंने 1920-22 में असहयोग आन्दोलन में सक्रिय तौर पर भाग लिया और पहली बार जेल गए। इसके बाद उन्होंने 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन का विरोध किया और 1930 में नमक आन्दोलन करते समय इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 6 महीने की जेल हुई। इसके बाद वे कांग्रेस के अध्यक्ष भी चुने गए हालंकि 1942 में उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान एक बार फिर गिरफ्तार कर लिया गया और आजादी से दो साल पहले उन्हें रिहा किया गया। उन्होंने देश की आजादी के समय ब्रिटिश सरकार के साथ विभिन्न वार्ताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मृत्यु : वे स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, उन्होंने देश की स्वतंत्रता से लेकर अपनी मृत्यु तक देश का शासन चलाया, उनका निधन 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ। उन्हें वर्ष 1955 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है। पं. जवाहरलाल नेहरू को गुलाब का फूल बेहद पसंद था वह हमेशा अपनी शेरवानी पर गुलाब का फूल लगाकर रखते थे।
भारत देश में कई बाल श्रमिक हैं
हमारे देश में 18 वर्ष से कम की आयु के बच्चो को किसी भी तरह का काम करने की इजाजत नहीं है. बाल अधिकारों को सामने रखने के लिए तथा उनके प्रति सभी को जगाने के लिए बाल दिवस का होना जरुरी हैं. इस एक दिन के कारण सरकार एवम अन्य लोगो का ध्यान इस ओरे करना जरुरी हैं. इस एक दिन से इस समस्या का समाधान आसान नहीं हैं लेकिन इस ओर सभी के ध्यान को केन्द्रित करने के लिए इस एक दिन का होना जरुरी हैं. बच्चे ही देश का भविष्य होते हैं अगर वे पढने लिखने की उम्र में काम करेंगे, आजीविका के लिए खून पसीना एक करेगे, तो देश का भविष्य अंधकारमय हो जायेगा. सामान्य शिक्षा सभी का हक़ हैं और उसे ग्रहण करना आज के बच्चो का कर्तव्य बभी होना चाहिये तब ही देश का विकास संभव हैं. बाल दिवस एक ऐसा आईना होना चाहिये, जिसके जरिये सभी को बालको के अधिकार का पता चले और इसका हनन करने वालों को इस बात की गहराई का पता चले, कि वे किस प्रकार देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. तभी बाल दिवस का होना कारगर सिद्ध होगा।
दूसरे देशों में बाल दिवस कब मनाया जाता है?
1. बहमास – जनवरी का पहला शुक्रवार
2. थाईलैंड – जनवरी का दूसरा शनिवार
3. न्यूजीलैंड – मार्च का पहला रविवार
4. बांग्लादेश – 17 मार्च
5. चाइना हांगकांग – 4 अप्रैल
6. तुर्की – 23 अप्रैल
7. मैक्सिको – 30 अप्रैल
8. जापान, साउथ कोरिया – 5 मई
9. मालदीव – 10 मई
10. यूनाइटेड स्टेट – जून का दूसरा रविवार
11. पाकिस्तान – 1 जुलाई
12. इंडोनेशिया23 जुलाई
13. अर्जेंटीना, पेरू – अगस्त का तीसरा रविवार
14. जर्मनी – 20 सितम्बर
15. सिंगापूर – अक्टूबर का पहला शुक्रवार
16. ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया – अक्टूबर का चौथा शनिवार
17. दक्षिण अफ्रीका – नवम्बर का पहला शनिवार
18. कैनेडा, फ्रांस, ग्रीस, आयरलैंड, इजराइल, केन्या, मलेशिया, फिलिपिन्स, सर्बिआ, स्पेन, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, यूनाइटेड किंगडम – 20 नवम्बर
19. ब्राजील – 12 अक्टूबर
20. ईरान – 8 अक्टूबर
इस देश में नहीं मनाया जाता बाल दिवस
भारत समेत अन्य देशों में जहां तय तारीखों पर बाल दिवस को धूमधाम से मनाते हैं। वहीं दुनिया का एकमात्र देश ब्रिटेन है, जहां बाल दिवस नहीं मनाया जाता है।
बाल दिवस बच्चो का राष्ट्रीय पर्व है। इस पर्व की कोई राष्ट्रीय छुट्टी नहीं होती। लेकिन इसे देशभर में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। बच्चे देश का भविष्य होते हैं। किसी भी देश के विकास के लिए बच्चों का विकास बहुत जरूरी है। ऐसे में समाज और देश की जिम्मेदारी है कि बच्चों को रहने योग्य बेहतर माहौल और अच्छी शिक्षा दी जाए। बचपन जीवन का सबसे अच्छा चरण होता है जिसे सभी के लिए स्वस्थ्य और खुशियों से भरा होना चाहिए ताकि वे आगे अपने राष्ट्र का नेतृत्व करने के लिए तैयार रहें. इसलिए जीवन में बचपन की अवस्था सबसे महत्वपूर्ण चरण होती है जिसमें सभी अभिभावकों को अपने बच्चों को प्यार, देखभाल और स्नेह से पोषित करना चाहिए. देश का नागरिक होने के नाते, हमें अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुये राष्ट्र के भविष्य को बचाना चाहिए।