क्या आपने कभी सोचा है कि वह काजू, जो आपकी दीवाली की मिठाई में खास जगह बनाता है, उसका अपना एक विशेष दिवस है? हर साल 23 नवंबर को दुनिया भर में राष्ट्रीय काजू दिवस National Cashew Day मनाया जाता है, और यह भारतीयों के लिए खास तौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत काजू उत्पादन में विश्व का अग्रणी देशों में से एक है।
राष्ट्रीय काजू दिवस हर साल 23 नवंबर को मनाया जाता है। अंग्रेजी का “Cashew” पुर्तगाली शब्द “Caju” से लिया गया है, जो ट्यूपियन शब्द “acajú” से आया है, जिसका मतलब काजू के पेड़ के फल से है। काजू का एक अलग ही आकर्षण होता है, चाहे उन्हें क्रीमी काजू बटर में मिलाया जाए, सलाद में डाला जाए या मिक्स नट्स के कटोरे में खाया जाए। काजू स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पोषक तत्वों से भी भरपूर होते हैं। प्रोटीन, स्वस्थ वसा और महत्वपूर्ण खनिजों की प्रचुरता के कारण काजू एक सुपरफूड है।काजू के पेड़ ब्राज़ील के अमेज़न वर्षावन के मूल निवासी हैं, लेकिन पुर्तगाली खोजकर्ताओं ने उनकी लोकप्रियता को सभी महाद्वीपों में फैला दिया। आज, काजू ब्राज़ील, वियतनाम, भारत और कई अफ़्रीकी देशों में व्यावसायिक रूप से उगाए जाते हैं। एक आम नाश्ता होने के अलावा, काजू का उपयोग काजू मक्खन, काजू पनीर और काजू तेल बनाने के लिए किया जाता है। पारंपरिक माया चिकित्सा में हर्बल चाय बनाने के लिए काजू के पेड़ की छाल या पत्तियों का उपयोग किए जाने का उल्लेख मिलता है।
क्या है राष्ट्रीय काजू दिवस और क्यों है यह खास?
राष्ट्रीय काजू दिवस एक वार्षिक उत्सव है जो काजू के पोषण मूल्य, ऐतिहासिक महत्व और वैश्विक कृषि प्रभाव को सम्मानित करता है। यह दिन काजू के बारे में जागरूकता फैलाने और इसके स्वास्थ्य लाभों को बताने के लिए मनाया जाता है। काजू की यात्रा ब्राज़ील से शुरू होकर भारत तक पहुँची, जहाँ 16वीं सदी में पुर्तगाली व्यापारियों ने इसे लाया था। भारत के लिए यह दिन केवल एक विदेशी उत्सव नहीं, बल्कि हमारे किसानों और अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है। देश में लगभग 0.7 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर काजू की खेती होती है, जिससे सालाना 8 लाख टन से अधिक उत्पादन होता है।
काजू नट है या फिर फल?
काजू, बादाम और पिस्ता के पौधों के फल वास्तव में मेवों की श्रेणी में नहीं आते, बल्कि उन्हें “ड्रूप्स” के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। ड्रूप्स ऐसे फल होते हैं जो बाहर से मांसल होते हैं और अंदर एक बीज को ढकने वाला खोल होता है। हम जो खाते हैं वह यही बीज है। ड्रूप (drupe) का मतलब है गुठलीदार फल। वनस्पति विज्ञान के मुताबिक, ड्रूप एक ऐसा फल होता है, जिसमें बाहरी छिलका, गूदेदार और रसीली मध्य परत, और भीतर कठोर आंतरिक आवरण होता है। इस आंतरिक आवरण में आम तौर पर एक बीज होता है। काजू, आड़ू, चेरी, बेर जैसे फल ड्रूप के उदाहरण हैं।
राष्ट्रीय काजू दिवस का इतिहास
राष्ट्रीय काजू दिवस को पहली बार 23 नवंबर 2015 को मनाया गया था। इस दिन की शुरुआत अमेरिका से हुई, जहाँ काजू के पोषण मूल्य और सांस्कृतिक महत्व को पहचानने के लिए इसे एक विशेष दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया। वैसे काजू की कहानी ब्राज़ील से शुरू होती है, जहाँ तुपी आदिवासी लगभग 9,000 साल से इसे खा रहे थे। 1498 में जब पुर्तगाली व्यापारी भारत के गोवा पहुँचे, तो उन्होंने 1560 में काजू की खेती यहाँ शुरू की। शुरुआत में लोग काजू को जहरीला समझते थे क्योंकि इसके छिलके में विषैला अनाकार्डिक एसिड होता है, लेकिन तुपी आदिवासियों ने दुनिया को इसे सही तरीके से प्रोसेस करना सिखाया।भारत में काजू को मुगल काल से ही पसंद किया जाता रहा है। अकबर को काजू कोरमा और जहांगीर को काजू कतली बहुत पसंद थी। आज भारत कोटे डी आइवर के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा काजू उत्पादक और निर्यातक देश है।
भारत में काजू उत्पादन: किस राज्य में कितना?
यदि आप सोच रहे हैं कि भारत में काजू सबसे ज्यादा कहाँ पैदा होता है, तो जवाब है महाराष्ट्र। कोकण क्षेत्र की जलवायु काजू के लिए परफेक्ट है, और महाराष्ट्र हर साल 199,700 टन काजू का उत्पादन करके देश में पहले स्थान पर है। इसके बाद आंध्र प्रदेश (127,200 टन) और ओडिशा (121,300 टन) का नंबर आता है।
काजू खाने के अद्भुत स्वास्थ्य लाभ
काजू को सुपरफूड कहना गलत नहीं होगा, क्योंकि इसमें ऐसे पोषक तत्व हैं जो शरीर को मजबूत बनाते हैं। एक मुट्ठी काजू (लगभग 28 ग्राम) में 157 कैलोरी के साथ-साथ हृदय-स्वास्थ्यवर्धक असंतृप्त वसा, प्रोटीन, विटामिन ई, के, बी6, और खनिज पदार्थ जैसे मैग्नीशियम, जिंक, आयरन और फॉस्फोरस होते हैं। यहाँ हैं कुछ प्रमुख लाभ:
हृदय स्वास्थ्य : काजू में मौजूद मैग्नीशियम दिल की बीमारी के खतरे को कम करता है।
मधुमेह नियंत्रण : फाइबर और स्वस्थ वसा शरीर में शुगर अब्जॉर्प्शन को धीमा करते हैं।
त्वचा और बाल : कॉपर और एंटीऑक्सीडेंट कोलेजन उत्पादन को बढ़ाते हैं, जिससे त्वचा जवान रहती है और बाल स्वस्थ होते हैं।
कैसे मनाएं राष्ट्रीय काजू दिवस ?
इस दिन को मनाने के लिए आपको बड़े आयोजनों की जरूरत नहीं। बस कुछ सरल तरीके अपनाएं:
पारंपरिक व्यंजन : घर पर काजू कतली, काजू करी या रोस्टेड काजू बनाएं।
जागरूकता फैलाएं: सोशल मीडिया पर भारतीय किसानों की कहानी शेयर करें #NationalCashewDay के साथ।
स्थानीय किसानों को समर्थन: अपने क्षेत्र के काजू उत्पादकों से सीधे खरीदारी करें।
राष्ट्रीय काजू दिवस 2025 थीम
राष्ट्रीय काजू दिवस 2025 की थीम आधिकारिक रूप से घोषित नहीं की गई है, लेकिन एपीडा (APEDA) और कृषि मंत्रालय की हालिया गतिविधियों से संकेत मिलते हैं कि इस वर्ष का फोकस “गुणवत्तापूर्ण उत्पादन और टिकाऊ कृषि” पर होगा।
रोचक तथ्य जो आपको चौंका देंगे
* काजू वास्तव में एक नट नहीं, बल्कि एक बीज है।
* काजू शब्द की उत्पत्ति – “काजू” (Cashew) शब्द पुर्तगाली शब्द “caju” से बना है।
* काजू के बाहरी छिलके में विषैला तत्व होता है, जिसे प्रोसेसिंग से हटाया जाता है।
* भारत का काजू उत्पादन 2021-22 में 7.79 लाख टन से बढ़कर 2022-23 में 8.10 लाख टन हो गया।
* 1560 और 1565 के बीच पुर्तगाली नाविक इस वृक्ष को भारत लाए, जो उत्तरी ब्राजील में उत्पन्न हुआ था।
* गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, दुनिया का सबसे बड़ा काजू का पेड़ 100 वर्ष से भी अधिक पुराना माना जाता है।
* काजू का पेड़ आमतौर पर रोपण के तीन साल बाद उत्पादन देना शुरू कर देता है, लेकिन अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने में आठ साल तक का समय लग सकता है।
* इसमें तांबा, मैंगनीज, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे खनिज मौजूद होते हैं तथा यह एंटीऑक्सीडेंट का समृद्ध स्रोत है।
* “काजू सेब” एक फल है जो काजू के पेड़ पर उगता है।
*.काजू का उपयोग पूरे विश्व में फल पेय बनाने के लिए किया जाता है।
* अन्य मेवों या मूंगफली की तुलना में काजू से एलर्जी होने की संभावना कम होती है।
* काजू के पौधे के कई भागों का उपयोग औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है।
* यदि आपको गुर्दे की पथरी या पित्ताशय की थैली की समस्या है, तो काजू से दूर रहें क्योंकि उनमें ऑक्सलेट होते हैं, जो आपकी स्थिति को और खराब कर सकते हैं।
*.आप अखरोट के खोल से स्नेहक, जलरोधक और हथियार बना सकते हैं।
*काजू मेवे नहीं बल्कि बीज होते हैं। तकनीकी रूप से, वे ड्रूप्स की श्रेणी में आते हैं, जो एकल-बीज वाले फल होते हैं।
* 16वीं शताब्दी में, पुर्तगाली व्यापारी उत्तरी ब्राजील में अपने घर से काजू भारत लाए थे।
* काजू के पेड़ से काजू और काजू एपल दोनों ही पैदा होते हैं, जो नाशपाती के आकार के फल होते हैं, जिनका उपयोग जूस, जैम और चटनी में किया जाता है।
* काजू के बाहरी आवरण में एक जहरीला यौगिक होता है, जो त्वचा में जलन पैदा कर सकता है।
* काजू को अक्सर दुनिया के कई क्षेत्रों में उनके किडनी जैसे दिखने के कारण “किडनी नट्स” के रूप में जाना जाता है।
राष्ट्रीय काजू दिवस केवल एक नट्स सेलिब्रेशन नहीं, बल्कि भारतीय कृषि, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। इस दिन को हमें अपने किसानों के परिश्रम को सलाम करने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का अवसर बनाना चाहिए। तो अगली बार जब आप काजू खाएं, तो याद रखें कि इसमें आपके स्वास्थ्य के साथ-साथ भारत की समृद्धि भी छिपी है। काजू केवल एक ड्राई फ्रूट नहीं, बल्कि लाखों किसानों की आजीविका का साधन है। भारत न केवल अपनी जरूरतें पूरी करता है, बल्कि काजू का निर्यात भी करता है, जिससे विदेशी मुद्रा कमाई होती है ।अपने दोस्तों और परिवार को काजू के इन फायदों के बारे में बताएं, और #NationalCashewDay पर सोशल मीडिया पर शेयर करके भारतीय किसानों का सम्मान करें।



