कारगिल युद्ध, भारतियों की वीरता का गवाह है| करीब 18000 फ़ीट ऊंचाई पर लड़े गए इस युद्ध में मौत का सामना करते हुए भारतीय जवानों ने कारगिल की पहाड़ियों पर विजय हासिल की| मातृ भूमि की रक्षा करते हुए इस जंग में 527 भारतियों ने वीरगति प्राप्त करी और 1300 से अधिक जवान घायल हुए| अब जब देश आजादी का अमृत महोत्सव बना रहा है, तो कारगिल विजय दिवस का समारोह और महत्वपूर्ण हो जाता है| आइये जानते हैं कारगिल युद्ध की कहानी और कारगिल विजय दिवस (Kargil Victory Day) मनाए जाने का कारण|
19 फरवरी 1999 को भारत के प्रधान मंत्री स्व. अटल विहारी वाजपेयी ने शांति का सन्देश देने के लिए पहल करते हुए बस में अमृतसर से पाकिस्तान के लाहौर तक यात्रा की थी| इसे बस डिप्लोमेसी का नाम दिया जाता है| इस समय पाकिस्तान में नवाज शरीफ की सरकार थी| यहाँ पर भारत-पाकिस्तान के बीच शांति के कई समझौते हुए थे| इसी में कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था| लेकिन इसके उलट पाकिस्तान अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बालों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा| उसने इस घुसपैठ का नाम ऑपरेशन बद्र रखा था, जिसका उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था| साथ ही इस क्षेत्र में तनाव पैदा करके पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को अंतराष्ट्रीय मुद्दा बनाना चाहता था| लाहौर शांति समझौते के कुछ महीनों के अंतराल में ही कारगिल युद्ध छिड़ गया| कारगिल वर्तमान में लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में एक जिला है| 1999 में यह जम्मू-कश्मीर राज्य का एक जिला हुआ करता था| इसकी उत्तरीय सीमा जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से मिलती है, उसे लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल कहा जाता है| उस समय श्रीनगर से लेह तक जाने वाला एकमात्र सड़क मार्ग कारगिल की पहाड़ियों से होकर जाता था| इसी रोड की मदद से सियाचिन ग्लेशियर तक पहुँचने में आसानी होती थी| कारगिल में सर्दियों के समय में तापमान माइनस 50 डिग्री तक पहुँच जाता है| इसलिए भारतीय सेना सर्दियों में ऊँची पोस्ट से वापस आ जाती और मई महीने में फिर से पोस्ट पर तैनात हो जाती थी| ऐसा ही पाकिस्तान की सेना भी किया करती थी| लेकिन 1999 में पाकिस्तानी सेना ने कई महीने पहले से ही पोस्ट पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया| और एलओसी से सटी ऊँची पहाड़ियों पर तैनात हो गई| 03 मई 1999 को एक चरवाहे ने भारतीय सेना को पहाड़ियों पर हथियार से लैस घुसपैठियों के होने की जानकारी दी| पाकिस्तान सैनिकों और घुसपैठियों के नापाक इरादों को भारतीय सैनिक समझ चुके थे| इस तरह कारगिल की पहाड़ियों पर कब्ज़ा करने से भारतियों का सियाचिन के साथ लेह से भी संपर्क टूट जाता| असल में घुसपैठियों का मुख्य उद्देश्य लद्दाख और कश्मीर के बीच संपर्क को तोड़ना था| 05 मई 1999 को भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टीम मौके पर जाती है| पाकिस्तान सेना ने इन्हें पकड़कर बेरहमी से इनकी हत्या कर दी| जब इस बात की जानकारी भारत सरकार तक पहुँचती है तो वह भारतीय सेना को दुश्मनों को खदेड़ने का आर्डर देती है| जिसके बाद ऑपरेशन विजय के जरिये भारतीय सेना ने जंग की शुरुआत कर दी| इस जंग में भारतीय सेना पहाड़ी के नीचे और पाकिस्तानी सेना ऊंचाई पर स्थित थी| हर तरीके से परिस्थिति पाकिस्तानियों के अनुकूल थी| लेकिन भारतीय सेना के पास जूनून, जोश और देश प्रेम था| भारतीय सेना रात में पहाड़ी के ऊपर चढ़ने लगी| कई भारतीय सैनिक इस जंग में शहीद हुए| भारत सरकार ने भारतीय वायु सेना को कार्यवाही करने के आदेश दे दिए| भारतीय सेना ने 32000 फ़ीट की ऊंचाई से एयर पावर का उपयोग किया था| मिग-27 और मिग-29 का इस्तेमाल कर वायुसेना ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए इलाकों पर बम वर्षा की| कई दिनों की भीषण जंग के बाद 26 जुलाई 1999 को पाकिस्तान द्वारा कब्जाया गई आखिरी चोटी “टाइगर हिल” पर भारत ने तिरंगा फहरा दिया| इसके बाद भारत के प्रधान मंत्री ने भी जीत का एलान कर दिया| तब से लेकर हर साल भारतीय वीरों की वीरगाथा को याद करते हुए 26 जुलाई को “कारगिल विजय दिवस” के रूप में मनाया जाता है|
कारगिल विजय दिवस 2023: समारोह
इस वर्ष कारगिल विजय दिवस की 24वीं वर्षगांठ है । इस दिन के अवसर पर भारतीय सेना मोटरसाइकिल अभियान को हरी झंडी दिखाकर रवाना करती है। विभिन्न कार्यक्रम और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जहां शहीदों के परिवारों को स्मारक सेवा में आमंत्रित किया जाता है और उनका स्वागत किया जाता है। देशभक्ति गीतों पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होती हैं। भारत में 26 जुलाई के विशेष दिवस को मनाने के लिए , प्रधान मंत्री हर साल इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर कारगिल युद्ध के दौरान बहादुरी से लड़ने वाले भारत के सभी बहादुर बेटों को श्रद्धांजलि देते हैं। मिराज 2000 विमान ने कारगिल की बर्फीली ऊंचाइयों पर पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। द्रास में तोलोलिंग पहाड़ी की तलहटी में कारगिल युद्ध स्मारक भी है। इसे भारतीय सेना ने शहीद सैनिकों के सम्मान में बनवाया था। दरअसल, स्मारक के प्रवेश द्वार पर स्मारक की दीवार पर शहीदों के नाम के साथ ‘पुष्प की अभिलाषा’ नामक एक कविता खुदी हुई है।
लद्दाख में जांबाज सैनिकों को दी श्रद्धांजलि
आज लद्दाख में कारगिल युद्ध में प्राणों की आहुति देने वाले जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए कारगिल विजय दिवस के अवसर पर द्रास के कारगिल युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि समारोह आयोजित किया गया है। यहां आज भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर.हरि कुमार ने कारगिल विजय दिवस के अवसर पर द्रास के कारगिल युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर कारगिल युद्ध में प्राणों की आहुति देने वाले जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की।इसके साथ ही सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कारगिल विजय दिवस के अवसर पर द्रास के कारगिल युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर कारगिल युद्ध में प्राणों की आहुति देने वाले जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही आज वायु सेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने कारगिल विजय दिवस के अवसर पर द्रास के कारगिल युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर कारगिल युद्ध में प्राणों की आहुति देने वाले जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
भारतीय वायुसेना का दिखा था पराक्रम
जमीनी हमले के लिए मिग-2आई, मिग-23एस, मिग-27, जगुआर और मिराज-2000 विमानों का इस्तेमाल किया। मुख्य रूप से, जमीनी हमले के सेकंडरी रोल के साथ हवाई फायर के लिए मिग -21 का निर्माण किया गया था। जमीन पर टारगेट हमला करने के लिए मिग-23 और 27 को ऑप्टिमाइज किया गया था। पाकिस्तान के कई ठिकानों पर हमले हुए इसलिए, इस युद्ध के दौरान ऑपरेशन सफेद सागर में IAF के मिग -21 और मिराज 2000 का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया था।
ऊंचाई पर छिपी धोखेबाज पाकिस्तानी सेना
पाकिस्तानी सेना का मुख्य उद्देश्य लद्दाख और कश्मीर के बीच संबंध तोड़ना और भारतीय सीमा पर तनाव पैदा करना था। घुसपैठिए पहाड़ की चोटी पर बैठे थे जबकि भारतीय ढलान पर थे और इसलिए उनके लिए हमला करना आसान और हमारे लिए उतना ही मुश्किल था। 3 मई 1999 को पाकिस्तान ने यह युद्ध तब शुरू किया जब उसने लगभग 5000 सैनिकों के साथ कब्जा शुरू कर लिया था। विश्वासघातियों को सबक सिखाने के लिए ही ऑपरेशन विजय चलाया गया।
ऐसा जीता गया था टाइगर हिल
इस युद्ध में बड़ी संख्या में रॉकेट और बमों का प्रयोग किया गया था। करीब दो लाख पचास हजार गोले, बम और रॉकेट दागे गए। लगभग 5000 तोपखाने के गोले, मोर्टार बम और रॉकेट 300 बंदूकें, मोर्टार और एमबीआरएल से प्रतिदिन दागे जाते थे, जबकि 9000 गोले उस दिन दागे गए थे, जिस दिन टाइगर हिल को वापस लाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह एकमात्र युद्ध था जिसमें दुश्मन सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई थी। अंत में, भारत ने एक जीत हासिल की।
भारत का पहला टेलीविजन युद्ध
कारगिल युद्ध वास्तव में भारत का पहला टेलीविजन युद्ध था. पहली बार टीवी के पत्रकार युद्ध के इलाके से रिपोर्टिंग करते दिखाई दिए और उनकी तस्वीरें टीवी पर हर समय छाई रहीं. इससे भारत के पक्ष में एक जनमत बना और दुनिया के लोगो को भी भारत के पक्ष में लाने में मदद मिली. इसके अलावा रक्तदान के शिविरों, सेना के लिए वेलफेयर फंड और सेलिब्रिटी समुदाय ने भी खुले दिल से देश के सैनिकों को सहायता और अनुदान दिए. इससे भारतीय सैनिकों का भी मनोबल काफी बढ़ा।
अंतरराष्ट्रीय कूटनीति
लेकिन कारगिल युद्ध में सबसे अहम पहलू भारत की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति थी. 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद भारत पर पहले से प्रतिबंध लगे हुए थे. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए भारत ने कुछ फैसलों का ऐलान किया है. पहला यह कि भारत लाइन ऑफ कंट्रोल को पार नहीं करेगा. इसके साथ भारत ने यह भी तय किया है कि भारत पाक सीमा के किसी दूसरे हिस्से पर मोर्चा खोल कर इस युद्ध को बड़ा रूप नहीं देगा। इससे पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान बैकफुट पर आ गया. और दुनिया को लगने लगा कि पाकिस्तान ही ने हमला किया है और उसे पीछ हटना चाहिए. भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह विश्वास दिलाने में सफलता हासिल की कि वह पाकिस्तान के आक्रमण का शिकार है और पाकिस्तान ने शिमला समझौते का उल्लंघन किया है. इन्हीं सबके कारण पाकिस्तान को युद्ध और अंतरराष्ट्रीय स्तर दोनों ही में मुंह की खानी पड़ी।
आइए कारगिल युद्ध की पूरी टाइमलाइन को जाना जाए
* 3 मई 1999: कारगिल के पहाड़ी क्षेत्र में स्थानीय चरवाहों ने कई हथियारबंद पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकियों को देखा. उन्होंने सेना के अधिकारियों को इसकी सूचना दी।
* 5 मई 1999: कारगिल के इलाके में घुसपैठ की खबरों के जवाब में भारतीय सेना के जवानों को वहां पर भेजा गया. इस दौरान पाकिस्तानी सैनिकों के साथ लड़ाई के दौरान पांच भारतीय सैनिक शहीद हो गए।
* 9 मई 1999: पाकिस्तानी सैनिक कारगिल में मजबूत स्थिति में पहुंच चुके थे. यही वजह थी कि कारगिल में भारतीय सेना के गोला-बारूद डिपो को निशाना बनाते हुए पाकिस्तानी सेना ने भारी गोलाबारी की।
* 10 मई 1999: अगले कदम के रूप में पाकिस्तानी सेना के जवानों ने LOC के पार द्रास और काकसर सेक्टरों सहित जम्मू-कश्मीर के अन्य हिस्सों में घुसपैठ की।
* 10 मई 1999: इस दिन दोपहर के समय भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ की शुरुआत की. घुसपैठ की कोशिशों को रोकने के लिए कश्मीर घाटी से अधिक संख्या में सैनिकों को कारगिल जिले में ले जाया गया. वहीं, पाकिस्तानी सेना ने भारत पर हमला करने से इनकार कर दिया।
* 26 मई 1999: भारतीय वायुसेना ने जवाबी कार्रवाई के तहत हवाई हमले शुरू किए. इन हवाई हमलों में कई पाकिस्तानी घुसपैठियों का सफाया कर दिया गया।
* 1 जून 1999: पाकिस्तानी सेना ने हमलों की रफ्तार को तेज कर दिया और नेशनल हाइवे 1 को निशाना बनाया गया. दूसरी ओर, फ्रांस और अमेरिका ने भारत के खिलाफ जंग छेड़ने के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया।
* 5 जून 1999: भारत ने दस्तावेज जारी किए जो पाकिस्तानी सेना हमले में हाथ होने का खुलासा कर रहे थे.
* 9 जून 1999: भारतीय सेना के जवानों ने अपनी बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए जम्मू-कश्मीर के बटालिक सेक्टर में दो प्रमुख पॉजिशन्स पर दोबारा कब्जा किया.
* 13 जून 1999: पाकिस्तान को एक बड़ा झटका तब लगा, जब भारतीय सेना ने टोलोलिंग चोटी पर फिर से कब्जा कर लिया. इस दौरान भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कारगिल का दौरा किया.
* 20 जून 1999: भारतीय सेना ने टाइगर हिल के पास महत्वपूर्ण ठिकानों पर फिर से कब्जा कर लिया।
* 4 जुलाई 1999: भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर कब्जा किया।
* 5 जुलाई 1999: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद कारगिल से पाकिस्तानी सेना के वापस लौटने का ऐलान कर दिया।
* 12 जुलाई 1999: पाकिस्तानी सैनिकों को पीछे हटने के लिए मजबूर किया गया।
* 14 जुलाई 1999: भारतीय प्रधानमंत्री ने सेना के ‘ऑपरेशन विजय’ को सफलतापूर्वक पूरा होने का ऐलान किया।
* 26 जुलाई 1999: पाकिस्तानी सेना के कब्जे वाले सभी पॉजिशन्स को फिर से अपने कब्जे में लेकर भारत इस युद्ध में विजयी हुआ. कारगिल युद्ध 2 महीने तीन हफ्ते से अधिक वक्त तक चला और आखिरकार इस दिन खत्म हुआ।
कारगिल युद्ध के कुछ हीरो
कारगिल युद्ध में बहुत से सैनिकों ने बहादुरी का परिचय दिया। इस युद्ध में भारत के बहुत से सैनिकों ने अपनी जान भी गंवाई। कारगिल युद्ध में कुछ सैनिकों के नाम इस प्रकार हैं-
कैप्टन विक्रम बत्रा – कैप्टन विक्रम बत्रा 13वीं बटालियन, जम्मू और कश्मीर राइफल्स में लेफ्टिनेंट के पद पर मौजूद थे। कारगिल युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देने के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
योगेन्द्र सिंह यादव – योगेन्द्र सिंह यादव ग्रेनेडियर के पद पर तैनात थे। पाकिस्तान के साथ मोर्चा लेते समय योगेन्द्र सिंह के साथ उनके टीम के 2 अधिकारियों, 2 जूनियर कमीशंड अधिकारियों और 21 सैनिक शहीद हो गए। मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र प्रदान किया। वे भारत में परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले सबसे युवा व्यक्ति थे।
मनोज कुमार पांडे – मनोज कुमार पांडे 1/11 गोरखा राइफल्स में लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात थे। उनकी बहादुरी के चलते भारत ने बटालिक सेक्टर में जौबार टॉप और खालुबार पहाड़ी पर कब्जा किया। मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
बलवान सिंह – बलवान सिंह 18 ग्रेनेडियर्स में लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात थे। उनको टाइगर हिल पर कब्जा करने का काम सौंपा गया जो उन्होंने बखूबी अंजाम दिया। घायल होने बाद भी उन्होंने टाइगर हिल पर कब्जा करने में अदम्य साहस का परिचय दिया जिसके चलते उनको महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
कैप्टन एन केंगुरुसे – नगालैंड के रहने वाले कैप्टन एन केंगुरुसे प्लाटून कमांडर के पद पर तैनात थे। युद्ध के दौरान उनके द्वारा देश के लिए दिखाए गए समर्पण के चलते उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी
वहीं आज इस ख़ास मौके पर देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ट्वीट कर कहा, आज कारगिल विजय दिवस के गौरवशाली अवसर पर सभी देशवासी हमारे सशस्त्र बलों के असाधारण पराक्रम से अर्जित की गई विजय को याद करते हैं। देश की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान करके विजय का मार्ग प्रशस्त करने वाले सेनानियों को एक कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से मैं श्रद्धांजलि देती हूं और उनकी स्मृति को नमन करती हूं। उनकी शौर्य गाथाएं आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करती रहेंगी। जय हिन्द!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगिल विजय दिवस पर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित कीं
PM मोदी ने ट्वीट कर कहा कि, कारगिल विजय दिवस भारत के उन अद्भुत पराक्रमियों की शौर्यगाथा को सामने लाता है, जो देशवासियों के लिए सदैव प्रेरणाशक्ति बने रहेंगे। इस विशेष दिवस पर मैं उनका हृदय से नमन और वंदन करता हूं। जय हिंद
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कारगिल विजय दिवस पर शहीद जवानों को दी श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कारगिल विजय दिवस 26 जुलाई पर भारतीय जवानों की वीरता को नमन करते हुए कारगिल युद्ध के शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। श्री बघेल ने कहा कि कारगिल विजय दिवस सिखाता है कि देश सबसे ऊपर है। यह दिन हमें देश के प्रति कर्तव्यों की याद दिलाता है। भारतीय सेना ने 26 जुलाई 1999 को अपने अदम्य साहस और शौर्य से विपरीत परिस्थितियों में भी घुसपैठियों से कारगिल को मुक्त कराकर ’ऑपरेशन विजय’ में सफलता प्राप्त की। इस गौरवशाली दिन की याद में हम हर साल कारगिल विजय दिवस मनाते है। यह देश के वीर सपूतों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रगट करने का दिन है।
कारगिल युद्ध को हुए 24 साल हो चुके हैं. इस साल हम ‘विजय दिवस’ की 24वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. आज भी कारगिल में देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले वीर योद्धाओं की कुछ बातें रोम-रोम में देशभक्ति की लौ को प्रज्जवलित कर देती हैं. कारगिल विजय दिवस के अवसर पर उन वीर योद्धाओं के साहस और बलिदान को शत-शत नमन….