सोलर पैनल से बिजली की जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकते हैं, ऐसे में अब हाइड्रोजन से बिजली बनाने वाले सोलर पैनल भी आने वाले हैं। इस प्रकार के सोलर पैनल का प्रयोग कर के ज्यादा बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। ऐसे सोलर पैनल पर्यावरण में मौजूद हाइड्रोजन से बिजली बनाते हैं। जो बिजली के बजाय हाइड्रोजन का उत्पादन करते हैं। ये सोलर पैनल हाइड्रोजन बनाने के लिए दो चीजों का प्रयोग करते हैं- धूप और हवा। ये पैनल फोटो-कैटलिटिक वाटर स्प्लिटिंग प्रक्रिया का उपयोग करते हैं, जिसमें पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित किया जाता है। पानी हवा में भाप और नमी के रूप में मौजूद होता है, जिसे ये पैनल अपने बेस में लगे ट्यूबों में कैप्चर करते हैं। जैसे ही धूप इन पर पड़ती है, यह कैटलिटिक कन्वर्जन प्रक्रिया शुरू हो जाती है, और हाइड्रोजन और ऑक्सीजन अलग हो जाते हैं।
आज के समय में टेक्नोलॉजी हर दिन अधिक तेजी से बढ़ रही है। जहां पारंपरिक तकनीक के उपकरण महंगे होते हैं, और कम दक्षता के साथ कार्य करते हैं। ऐसे में आज की तकनीक के उपकरण विकसित हैं, जिनका प्रयोग कर के लंबे समय तक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। ऐसे आधुनिक उपकरण उपयोगकर्ता को अनेक प्रकार के लाभ प्रदान करते हैं। इस लेख के माध्यम से हम आपको ऐसे ही आधुनिक हाइड्रोजन सोलर पैनल (Hydrogen Solar Panel) की जानकारी प्रदान करेंगे। जिसके प्रयोग से नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में नई क्रांति आ सकती है। हाइड्रोजन सोलर पैनल से बनने वाली बिजली का प्रयोग 10 साल से लेकर 100 साल तक किया जा सकता है। इस एडवांस सोलर पैनल से बनने वाली बिजली को अपने साथ कहीं भी ले जा कर प्रयोग कर सकते हैं। इस लेख से आप हाइड्रोजन सोलर पैनल से जुड़ी सभी जानकारियों को प्राप्त करेंगे। हाइड्रोजन सोलर पैनल का प्रयोग साफ, सस्ते, एवं अक्षमता के लिए अच्छा है। यह नवीकरणीय ऊर्जा के भविष्य में ऊर्जा संचय के क्षेत्र में बड़े परिवर्तन का अवसर प्रदान कर सकता है। इन सोलर पैनलों के प्रयोग से जीवाश्म ईंधन की निर्भरता को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है।
हाइड्रोजन सोलर पैनल क्या है?
हाइड्रोजन सोलर पैनल में हाइड्रोजन गैस का उत्पादन करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करते हैं। हाइड्रोजन सोलर पैनल काफी हद तक पारंपरिक सोलर फोटोवोल्टिक पैनल के समान हैं, लेकिन ये विद्युत केबल के बजाय, गैस ट्यूब के माध्यम से जुड़े होते हैं। हाइड्रोजन सोलर पैनल का प्रयोग कई स्थानों पर किया जा सकता है। इस प्रकार के सोलर पैनल का प्रयोग कर के 24 घंटे बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। हाइड्रोजन सोलर पैनल के द्वारा दिन में सामान्य सोलर पैनल के समान ही सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा से बिजली का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ यह वातावरण में उपस्थित जल को जमा करने का कार्य करता है, जिससे यह रात के समय हाइड्रोजन अलग कर के बिजली का निर्माण कर सकता है।
हाइड्रोजन सोलर पैनल की आवश्यकता क्यों?
सामान्यतः सोलर सेल से बिजली का उत्पादन करते हैं, लेकिन हमें हाइड्रोजन की आवश्यकता क्यों है? सबसे बड़ा कारण है कि किसी भी प्रणाली को दिन और रात दोनों समय काम करने के लिए एक भंडारण माध्यम की आवश्यकता होती है। हाइड्रोजन के साथ यह अलग है। सोलर पैनल पर पड़ने वाली धूप से हाइड्रोजन बनता है, इसे टैंकों में लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है, जैसे 10-20-50 साल या यहां तक कि 100 साल तक। बैटरियों के साथ ऐसा नहीं होता है क्योंकि उनमें संग्रहीत चार्ज समय के साथ खत्म हो जाता है, और उनकी उम्र भी केवल 4 से 5 साल होती है।
हाइड्रोजन सोलर पैनल के घटक
हाइड्रोजन सोलर पैनल को बनाने में मुख्य रूप से निम्न घटकों का प्रयोग किया जाता है:-
सोलर पैनल (Solar Panels): इसे हाइड्रोजन सोलर पैनल का प्राथमिक घटक कहा जाता है। यह पैनल सूर्य की किरणों को अवशोषित करते हैं एवं उन्हें सीधे विद्युत ऊर्जा में बदलते हैं। बिजली उत्पन्न करने के लिए उपयोगकर्ता को ऊर्जा स्रोत के रूप में सूर्य के प्रकाश का उपयोग करने की सुविधा सोलर पैनल प्रदान करते हैं।
वाटर डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम: इलेक्ट्रोलाइजर एक यंत्र है जो वाटर डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में लगा होता है। यह पानी को हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में विभाजित करता है। सूर्य की ऊर्जा का उपयोग कर के, इलेक्ट्रोलाइजर हाइड्रोजन गैस को उत्पन्न करने में सहायक होता है।
फ्यूल सेल्स (Fuel Cells): हाइड्रोजन गैस को ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए फ्यूल सेल उपयोग किए जाते हैं। इनमें हाइड्रोजन गैस एवं ऑक्सीजन विनियमित तरीके से मिलाए जाते हैं, जिससे ऊर्जा उत्पन्न होती है। और उपभोक्ता के लिए उपलब्ध होती है। फ्यूल सेल्स बिजली उत्पादन एवं वाहनों के लिए ऊर्जा स्रोत के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।
हाइड्रोजन का उपयोग
बिजली उत्पादन और उपयोग : जब आप हाइड्रोजन से बिजली बनाते हैं, तो मान लीजिए आपके पास 100% ऊर्जा है, जिसमें से केवल 40% ऊर्जा बिजली में बदलती है, और बाकी 60% ऊर्जा हीट में बदल जाती है। यदि यह प्रणाली ठंडे स्थानों पर स्थापित की जाती है, तो वह हीट पानी गर्म करने, घर गर्म करने और अन्य हीटिंग जरूरतों को पूरा करने में इस्तेमाल हो सकती है।
खाना पकाने में : हाइड्रोजन और वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को मिलाकर सिंगैस नामक एक नई गैस बनती है, जो प्राकृतिक गैस के समान होती है। इस गैस पर आसानी से खाना पकाया जा सकता है।
गाड़ियों के लिए : इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करने वाली और दूसरी हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाहनों का उपयोग करने वाले वाहन आने वाले समय में देखे जा सकते हैं। कई जापानी कंपनियां हाइड्रोजन फ्यूल सेल पर काम कर रही हैं, और यदि यह तकनीक विकसित होती है, तो आप अपनी कार को भी इस प्रणाली से चला सकते हैं।
फायदे और व्यापारिक संभावनाएँ : इस सिस्टम से आपका जीवन और घर आत्मनिर्भर हो सकता है, और बाहरी बिजली आवश्यकता नहीं होगी। हाइड्रोजन की मांग बिजली की तुलना में अधिक है, और इसे बाजार में भी बेचा जा सकता है, जिससे नए व्यापारिक अवसर उत्पन्न होंगे। यह सिस्टम 2026 के आसपास लॉन्च हो सकता है। इस सोलर सेल के भारतीय बाजार में आने का इंतजार है, जो हमारे घरों को आत्मनिर्भर और पर्यावरण के अनुकूल बनती है, इस प्रणाली का उपयोग दुनिया के विभिन्न हिस्सों में किया जा रहा है, और कई कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं।
हाइड्रोजन सोलर पैनल कैसे काम करते हैं?
सोल हाइड (Sol-Hyd) ब्रांड द्वारा इन सोलर पैनलों की कार्य करने की प्रक्रिया की जानकारी इस प्रकार बताई गई है:-
सूरज की रोशनी– हाइड्रोजन सोलर पैनल द्वारा सूर्य की रोशनी को अवशोषित किया जाता है एवं आवश्यक ऊर्जा प्रदान की जाती है। जब हाइड्रोजन पैनल को अधिक धूप मिलती है तो अधिक हाइड्रोजन गैस का उत्पादन किया जाता है। सोलर पैनल से सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है।
वायु से ऊर्जा उत्पादन– वातावरण में हवा में नमी होती है, जब वायु में वाटर डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम प्रवेश करती है तो हवा में मौजूद पानी के अणुओं को पैनल द्वारा पकड़ लिया जाता है। पूरे पैनल के उपकरणों का उपयोग कर पानी के अणुओं को हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में विभाजित करने के लिए सूर्य से ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है।
वाटर डिस्ट्रब्यूशन सिस्टम में वाटर डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में एक मेन-ब्रेन (विशेष पदार्थ) होता है, एवं और दो इलेक्ट्रोड होते हैं, जो पानी के वाष्प को वाटर डिस्ट्रब्यूशन सिस्टम में भेजता है और बाकी अन्य जो गैस होती हैं उनको रोक देता है, यह एक तरह के इलेक्ट्रोलाइट के रूप में यह काम करता है, जो इलेक्ट्रोड के बीच में इलेक्ट्रिकल एनर्जी को भेजता है। इस प्रकार के सोलर पैनल में केबल नहीं होती है, इनमें गैस ट्यूब लगी होती है। जो शुद्ध हरित हाइड्रोजन प्रदान करती है, पैनल कम दबाव पर हाइड्रोजन गैस का उत्पादन करता है। इसे सीधे इस्तेमाल किया जा सकता है।अधिक दबाव पर गैस को संग्रहीत किया जा सकता है या पाइपलाइनों के माध्यम से ट्रानपोर्ट किया सकता है। इस गैस का उपयोग व्यापक श्रेणी के अनुप्रयोगों में किया जा सकता है। ये सोलर पैनल ऑक्सीजन भी प्रदान करते हैं। जल विभाजन प्रक्रिया के दौरान इलेक्ट्रोलाइट शुद्ध ऑक्सीजन गैस भी उत्पन्न होती है। यह गैस पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना आसानी से हवा में छोड़ दी जाती है। जिसका प्रयोग सभी सजीव प्राणी कर सकते हैं।
हाइड्रोजन सोलर पैनल के अनुप्रयोग
हाइड्रोजन सोलर पैनल का प्रयोग आवासीय क्षेत्रों, व्यावसायिक क्षेत्रों में, कृषि क्षेत्रों में, परिवहन में, खाना बनाने में, नवीकरणीय ऊर्जा एवं नवीकरणीय गैस के रूप में, बड़े ऊर्जा प्लांटों में एवं जहां विद्युत ऊर्जा नहीं पहुंची है उस स्थान में ऑफ-ग्रिड इनका प्रयोग किया जा सकता है। भविष्य में इस सोलर पैनल का प्रयोग सर्वाधिक बढ़ सकता है, क्योंकि यह सोलर पैनल जीवाश्म ईंधन की निर्भरता को खत्म कर नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांति करने वाला है।
हाइड्रोजन सोलर पैनल के लाभ
हाइड्रोजन सोलर पैनल के होने वाले लाभ निम्नलिखित होते हैं:-
* यह सोलर पैनल की सबसे आधुनिक एवं एडवांस तकनीक है, इसमें सूर्य के प्रकाश से बिजली को प्राप्त किया जाता है, साथ ही पर्यावरण में उपस्थित नमी से हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन भी प्राप्त की जाती है।
* हाइड्रोजन सोलर पैनल के 2 किलोवाट क्षमता के पैनल से 200 लीटर तक हाइड्रोजन गैस का उत्पादन किया जा सकता है, इस पैनल की 40% दक्षता से हाइड्रोजन प्राप्त होती है। शेष 60% से ऊष्मा (Heat) प्राप्त होती है, जिसका प्रयोग खाना बनाने से लेकर अधिक ठंड वाले स्थानों में किया जा सकता है।
* हाइड्रोजन सोलर पैनल का उपयोग करने से वायु प्रदूषण एवं ग्लोबल वार्मिंग जैसी पर्यावरणीय समस्याओं का सामना किया जा सकता है। ये पैनल पर्यावरण को सुरक्षित रखने में सहायक होंगे।
* हाइड्रोजन सोलर पैनल का प्रयोग करने पर किसी प्रकार के बैटरी बैंक की आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि यह सोलर पैनल 24 घंटे बिजली उत्पादन कर सकता है। हाइड्रोजन सोलर पैनल से उत्पन्न होने वाला हाइड्रोजन एक अमूल्य ऊर्जा स्रोत हो सकता है, जो ऊर्जा स्वतंत्रता को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
* हाइड्रोजन सोलर पैनल से विद्युत उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है, इनसे प्राप्त होने वाली बिजली एवं हाइड्रोजन का प्रयोग इलेक्ट्रिसिटी उत्पादन एवं वाहन चालन में किया जा सकता है। भविष्य में हाइड्रोजन से संचालित होने वाले वाहन बाजारों में उपलब्ध हो जाएंगे। जिसमें पैनल से प्राप्त हाइड्रोजन को फ्यूल के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
हाइड्रोजन सोलर पैनल के नुकसान
किसी भी उपकरण का प्रयोग करने से जिस प्रकार लाभ प्राप्त होते हैं, वैसे ही कुछ हानियाँ भी होती है। हाइड्रोजन सोलर पैनल से होने वाले नुकसान इस प्रकार हैं:-
* पारंपरिक सोलर पैनल की तुलना में हाइड्रोजन सोलर पैनल की दक्षता कम होती है। ये सोलर पैनल ईंधन निर्माण में अधिक कार्य करते हैं। इनके द्वारा संग्रहीत ईंधन खतरनाक हो सकता है।
* हाइड्रोजन को संग्रहीत एवं ट्रांसपोर्ट करना एक जटिल कार्य है। इसे संग्रहीत करने के लिए बड़े स्टोरेज सिस्टम की आवश्यकता होती है। यह अधिक महंगा एवं अधिक रखरखाव वाला हो सकता है। हाइड्रोजन गैस का प्रयोग करने में अधिक सुरक्षा रखने की आवश्यकता होती है।
* इस पैनल में हाइड्रोजन स्टीम मीथेन रिफॉर्मिंग के माध्यम से प्राप्त किया जाता है, जो एक महंगी प्रक्रिया है इस प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड एवं अन्य हानिकारक प्रदूषकों का उत्सर्जन होता है।
* हाइड्रोजन सोलर पैनल की कीमत अधिक होती है, इसके निर्माण एवं ट्रांसपोर्ट की लागत सामान्य सोलर पैनल से अधिक हो सकती है। इसके कारण, इसका उपयोग करने वालों को अधिक निवेश की आवश्यकता होती है।
साधारण सोलर पैनल को हाइड्रोजन सोलर पैनल में कैसे बदलते हैं?
सामान्य सोलर पैनल को हाइड्रोजन सोलर पैनल में बदला जा सकता है, इसमें बहुत से अन्य उपकरण जैसे हाइड्रोजन को संग्रहीत करने के लिए स्पेशलाइज टैंक, संग्रहीत हाइड्रोजन से बिजली बनाने के लिए अलग-अलग प्रकार के जनरेटर/इनवर्टर आदि की आवश्यकता होती है। हाइड्रोजन एक उच्च स्तरीय ज्वलनशील गैस है, इसलिए इसमें उछ सुरक्षा प्रणाली को भी लगाया जाता है। यह एक महंगी प्रक्रिया है। इस प्रकार आप सामान्य सोलर पैनल से हाइड्रोजन सोलर पैनल बना सकते हैं।
हाइड्रोजन सोलर पैनल कौन-कौन सी कंपनियां बना रही है?
नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े संस्थान एवं अन्य नवीकरणीय उपकरण विनिर्माता ब्रांड हाइड्रोजन सोलर पैनल का निर्माण कार्य कर रहे हैं, जो भविष्य में बाजारों में उपलब्ध होंगे:-
भारतीय कंपनियां–
* Reliance Industries Limited
* Adani Power
* NTPC India
* Indian Oil Corporation
* LNT Limited
* Gail India Limited
इनके अतिरक्त IIT बॉम्बे, IIC बैंगलोर एवं राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (NISI) भी हाइड्रोजन सोलर पैनल पर रिसर्च कर रहे हैं, इनके द्वारा इस सोलर पैनल से जुड़े क्रियाकलाप किए जा रहे हैं। भविष्य में इस सोलर पैनल का निर्माण एवं निर्यात भारत बहुत अधिक कर सकता है।
इंटरनेशनल ब्रांड–Solhyd (फ्रांस की कंपनी) इस कंपनी द्वारा यह कहा गया है कि ये 2026 तक अपने हाइड्रोजन सोलर पैनल को सभी देशों में निर्यात करेगी। यह अनेक क्षेत्रों में अपने देशों में सेवाएं प्रदान कर रही है।
* S To Zen (US की कंपनी)
* सन हाइड्रोजन (कैनेडियन कंपनी)
भारत में हाइड्रोजन सोलर पैनल की कीमत
भारत सरकार ने वर्ष 2022 में Hydrogen Solar Panel के लिए नीति बनाई है। नीति के अंतर्गत साल 2030 तक जीवाश्म ईंधन को हाइड्रोजन से परिवर्तित किया जाएगा। ऐसे में भारत, भविष्य में ग्रीन हाइड्रोजन ईंधन का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक बन सकता है। विश्व में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में भी वृद्धि होगी। जिस से आधुनिक तकनीक के विकास में भी सहायता प्राप्त हो सकती है। हाइड्रोजन सोलर पैनल के ब्रांड पर इसकी कीमत निर्भर करेगी। सोल-हाइड इस 1 किलोवाट क्षमता के हाइड्रोजन सोलर पैनल की कीमत लगभग 30,000 रुपये से 75,000 रुपये तक हो सकती है। भारत में इन सोलर पैनल की कीमत लगभग 70,000 रुपये से 1.50 लाख रुपये तक हो सकती है। भारत के बाजारों में वर्ष 2025 से 2026 तक में इस सोलर की उपलब्धता होने की संभावनाएं हैं।
हाइड्रोजन सोलर पैनल पर अभी विश्व के अनेक नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े निर्माता ब्रांड एवं वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं। इस सोलर से प्राप्त होने वाले ईंधन को स्टोर करने के लिए अधिक सुरक्षित प्रक्रिया मिल जाने पर यह आसानी से पूरे विश्व में प्रयोग किया जाएगा। यह सोलर पैनल बिजली के साथ ही परिवहन के क्षेत्र का विकास करेगा, और जीवाश्म ईंधन (पेट्रोल/डीजल) से चलने वाले वाहनों को जिनसे भारी मात्रा में प्रदूषण होता है, उन्हें विकसित सोलर पैनल से प्राप्त ईंधन से चलाया जाएगा। यह सोलर पैनल हरित भविष्य के लिए नींव का पत्थर हो सकता है।