अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस, जिसे अंग्रेजी में “International Day of Peace” कहा जाता है, हर साल 21 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य विश्वभर में शांति और अहिंसा का संदेश फैलाना है। संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को शांति के महत्व को रेखांकित करने और संघर्षों को खत्म करने के संकल्प के रूप में स्थापित किया है।
आज जब पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस मना रही है, यह दिन पहले से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण और चिंतनशील बन गया है। दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के कगार पर खड़ी है, और वैश्विक हालात लगातार यह संकेत दे रहे हैं कि यदि अब भी हमने होश नहीं संभाला, तो आने वाला समय मानवता के लिए बेहद भयावह हो सकता है। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस या जिसे विश्व शांति दिवस भी कहा जाता है, लोगों, समुदायों और राष्ट्रों के बीच शांति, सद्भाव और एकता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक वार्षिक वैश्विक उत्सव है। 21 सितंबर को मनाया जाने वाला यह संयुक्त राष्ट्र-निर्धारित दिवस एक अधिक शांतिपूर्ण विश्व के निर्माण हेतु सामूहिक प्रयासों का आह्वान करता है—सभी से चिंतन करने, कार्रवाई करने और करुणा फैलाने का आग्रह करता है। शांति सभाओं और कार्यशालाओं से लेकर कलात्मक प्रदर्शनों और संवादों तक, यह दिन विभिन्न महाद्वीपों के लोगों को एक साझा लक्ष्य के साथ एकजुट करता है: अहिंसा, सम्मान और समझ की संस्कृति का विकास करना।
वैश्विक परिदृश्य: युद्ध की आहट
यूक्रेन-रूस संघर्ष तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है। एशिया में चीन और ताइवान के बीच सैन्य तनाव चरम पर है। पश्चिम एशिया में ईरान और इज़राइल के टकराव ने मध्य-पूर्व को बारूद के ढेर पर बैठा दिया है। अमेरिका और NATO देशों की रणनीतिक सक्रियता ने हालात को और संवेदनशील बना दिया है। हर मोर्चे पर हथियारों की होड़, सामरिक गठबंधन और आक्रोश की राजनीति यह दर्शाती है कि विश्व व्यवस्था एक बेहद नाजुक मोड़ पर खड़ी है। आज की तारीख में परमाणु हथियारों से लैस राष्ट्रों की संख्या बढ़ चुकी है, और यही कारण है कि अब युद्ध सिर्फ सीमित भूभाग का मामला नहीं रह गया — एक चिंगारी पूरी दुनिया को खाक कर सकती है।
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस की स्थापना सर्वप्रथम 1981 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सभी राष्ट्रों और लोगों में शांति के आदर्शों को मज़बूत करने के उद्देश्य से की गई थी। मूल रूप से सितंबर के तीसरे मंगलवार को मनाया जाने वाला यह दिवस 2001 में एक निश्चित तिथि —21 सितंबर —पर स्थानांतरित कर दिया गया ताकि इसे एक सुसंगत वार्षिक स्मरणोत्सव के रूप में मनाया जा सके। इस दिन, संयुक्त राष्ट्र 24 घंटे के वैश्विक युद्धविराम और जहाँ भी संभव हो, हिंसा के अंत का आह्वान करता है। यह व्यक्तियों, समाजों और सरकारों के लिए संघर्ष के विनाशकारी प्रभावों और स्थायी परिवर्तन लाने में संवाद एवं सुलह की शक्ति पर विचार करने का समय है।
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस 2025 का विषय
हर साल, अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है। 2025 के लिए , संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आधिकारिक थीम “शांति की संस्कृति का विकास” है । इसका उद्देश्य जीवन के सभी पहलुओं में शांति को बढ़ावा देना है – घर पर, स्कूलों में, समुदायों के भीतर और राष्ट्रों के बीच।यह विषय सभी को सहानुभूति, दयालुता और सकारात्मक संचार को महत्व देने के लिए आमंत्रित करता है, तथा ऐसे कार्यों को बढ़ावा देता है जो संघर्ष को कम करने में मदद करते हैं और आपसी सम्मान, विविधता और समावेश को प्रोत्साहित करते हैं।
शांति की आवश्यकता पहले से अधिक
इन्हीं परिस्थितियों में अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस 2025 की थीम “शांति के लिए एकजुटता” (Solidarity for Peace) अत्यंत प्रासंगिक बन जाती है। जब पूरी दुनिया में राष्ट्र अपनी सीमाओं और स्वार्थों के लिए भिड़े हुए हैं, तब यह आवश्यक हो गया है कि हम शांति को सिर्फ एक आदर्श न मानें, बल्कि एक व्यवहारिक, रणनीतिक और नैतिक विकल्प के रूप में अपनाएं। आज शांति केवल एक भावना नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है — ऐसी आवश्यकता जो जलवायु संकट, आर्थिक असमानता, महामारी के खतरे और युद्ध की विभीषिका से जूझती दुनिया को बचा सकती है।सशस्त्र संघर्ष से लेकर ध्रुवीकरण और सामाजिक अन्याय तक, बढ़ती वैश्विक चुनौतियों के साथ, शांति के लिए एक दिन समर्पित करना पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गया है। अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस:
* यह हर जगह लोगों को हिंसा समाप्त करने और आपसी समझ के लिए प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
* समुदायों और भावी पीढ़ियों पर युद्धों के प्रभाव पर प्रकाश डालता है।
* व्यक्तियों और समूहों को अहिंसा, सहिष्णुता और एकता का दूत बनने के लिए प्रेरित करता है।
* स्थानीय शांति-निर्माण प्रयासों को वैश्विक आंदोलनों और संयुक्त राष्ट्र के कार्यों से जोड़ता है।
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के प्रतीक और परंपराएँ
जैतून की शाखा लिए कबूतर शांति का सार्वभौमिक प्रतीक है, जिसे अक्सर समारोहों, जुलूसों और शैक्षिक कार्यक्रमों के दौरान प्रदर्शित किया जाता है। कई संगठन और समुदाय दुनिया भर में शांति की लहर फैलाने के लिए दोपहर के समय एक मिनट का मौन रखते हैं। इस दिन शांतिपूर्ण मूल्यों को मज़बूत करने के लिए कला प्रदर्शनियों, सर्वधर्म सभाओं और युवा मंचों का भी आयोजन किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस कैसे मनाये
छात्र और युवा शांति को बढ़ावा देने में प्रभावशाली भूमिका निभा सकते हैं। इस वर्ष के उत्सव में आप कुछ सार्थक गतिविधियाँ शुरू कर सकते हैं या उनमें शामिल हो सकते हैं:
* अपने संस्थान या इलाके में शांति सभा या मार्च का आयोजन करें , सद्भावना के प्रतीक के रूप में बैनर लेकर चलें या सफेद कपड़े पहनें।
* इस वर्ष की थीम को प्रतिबिंबित करते हुए शांति-थीम वाली कलाकृति या पोस्टर बनाएं और उन्हें अपने स्कूल या सामुदायिक केंद्र में प्रदर्शित करें।
* विविध समूहों के बीच खुलेपन और समझ को प्रोत्साहित करने के लिए अंतर-धार्मिक या अंतर-सांस्कृतिक संवादों का आयोजन करना ।
* वैश्विक एकजुटता के लिए दोपहर के समय एक क्षण का मौन रखें ।
* स्कूल प्रकाशनों या सोशल मीडिया में साझा करने के लिए शांति निबंध, कविताएं या शांति नारे लिखें।
* संघर्ष समाधान और संवाद में युवाओं के नेतृत्व वाली कार्रवाई पर आभासी शांति शिखर सम्मेलनों या वेबिनारों में भाग लें।
* सामुदायिक सेवा के लिए स्वयंसेवा करें या हाशिए पर पड़े समूहों की मदद करने वाली स्थानीय शांति पहलों का समर्थन करें।
भारत और गांधी के विचार
भारत, जिसने महात्मा गांधी के नेतृत्व में अहिंसा और सत्याग्रह के बल पर स्वतंत्रता प्राप्त की, आज भी शांति की राह दिखा सकता है। गांधी जी ने कहा था, “अहिंसा कोई कमजोरों का अस्त्र नहीं है, यह तो साहसी और मजबूत लोगों का मार्ग है।” आज यह सिद्धांत न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए मार्गदर्शक बन सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के लिए प्रेरक उद्धरण
शब्दों में सकारात्मक बदलाव लाने की अद्भुत शक्ति होती है। यहाँ कुछ उद्धरण दिए गए हैं जिनका उपयोग आप भाषणों, पोस्टरों या व्यक्तिगत चिंतन के लिए कर सकते हैं:
“शांति की शुरुआत मुस्कान से होती है।” — मदर टेरेसा
“शांति का कोई मार्ग नहीं है। शांति ही मार्ग है।” — महात्मा गांधी
“शांति बल से नहीं कायम की जा सकती; इसे केवल समझ से ही प्राप्त किया जा सकता है।” — अल्बर्ट आइंस्टीन
“जब प्रेम की शक्ति, शक्ति के प्रेम पर विजय प्राप्त कर लेगी, तब विश्व को शांति मिलेगी।” – जिमी हेंड्रिक्स
“आइये हम एक-दूसरे को क्षमा करें—तभी हम शांति से रह सकेंगे।” — लियो टॉल्स्टॉय
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस अवसर पर अपने संदेश में कहा, “आज की दुनिया में जब युद्ध, संघर्ष और नफरत की लहरें तेज हो रही हैं, तब शांति के लिए हमारी एकजुटता पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।” उन्होंने सभी देशों से अपील की कि वे अपने-अपने मतभेदों को बातचीत और समझौते के माध्यम से सुलझाएं।
हमारी भूमिका
जब नेता युद्ध की भाषा बोलते हैं, तब जनता की ज़िम्मेदारी होती है कि वह शांति की मांग करे। यह मांग केवल नारों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि शिक्षा, संवाद, सांस्कृतिक मेल-जोल, और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से एक आंदोलन बन जानी चाहिए।
आज का दिन एक चेतावनी है — कि यदि हमने शांति नहीं चुनी, तो युद्ध खुद को हम पर थोप देगा। ऐसे समय में जब दुनिया की नीतियाँ टकराव की ओर बढ़ रही हैं, तब प्रत्येक देश, समाज और व्यक्ति को यह तय करना होगा कि हम इतिहास को दोहराना चाहते हैं या एक नई, शांतिपूर्ण दुनिया का निर्माण करना।