साक्षरता दुःख में आशा की एक किरण है, यह किसी भी विकास का एक ढांचा है, यह लोकतंत्रीकरण का एक मंच है और यह ही मानव प्रगति का आखरी रास्ता है| साक्षरता पढ़ने और लिखने के लिए भाषा का उपयोग करने की एक क्षमता है| जहाँ बोलना और सुनना स्वाभाविक रूप से विकसित होता है हमें पढ़ने और लिखने की कला सीखनी पड़ती है|
आज दुनिया भर में 56वाँ साक्षरता दिवस मनाया जा रहा है। शिक्षा मानव को विकास के पथ पर ले जाता है। आज वही देश अधिक विकसित है जो अधिक शिक्षित है। इसलिए शिक्षा को विकास का आधार माना गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इसी को देखते हुए विश्व भर में साक्षरता दिवस मनाने का निश्चय किया। हर देश में लोगों को साक्षरता के बारे में जागरूक करने और उन्हें साक्षरता की आवश्यकता और महत्व बताने के लिए 8 सितंबर को बहुत से लोगों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। प्रत्येक देश में साक्षरता दर बहुत भिन्न होती है और प्रत्येक देश की तुलना में साक्षरता दर में बड़ा या छोटा अंतर हो सकता है। भारत में, बहुत से लोग निरक्षर हैं और उनके पास अपनी आय या कमाई के लिए कोई काम नहीं है। इसलिए साक्षरता दिवस का उपयोग लोगों को अपनी कमाई के लिए शिक्षा के महत्व के बारे में हर प्रकार का ज्ञान देने और अन्य लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करने के लिए किया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति को हर क्षेत्र के बारे में हर संभव ज्ञान प्राप्त करने के लिए शिक्षा बहुत आवश्यक है जिसके द्वारा वे अपनी बेहतरी के लिए किसी भी प्रकार का कार्य करने में सक्षम हो सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए ढेर सारे ज्ञान के साथ हर कार्य को ठीक से करने का आदी होता है। शिक्षा लोगों को जीवन में आगे बढ़ाती है और हर कार्य को बिना किसी समस्या के ठीक से पूरा करने की शक्ति रखती है। साक्षर लोग लोगों के लिए कई बेहतर गतिविधियाँ बनाने के आदी होते हैं जिससे वे कई चीज़ों को ठीक से प्रबंधित करने में सक्षम हो सकते हैं। समाज में शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से विश्व साक्षरता दिवस भारत में बड़े स्तर पर मनाया जाता आ रहा है। भारत का सर्व शिक्षा अभियान इस दिशा में सराहनीय कदम हैं। इस लेख में जानेंगे अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस का इतिहास और वर्तमान और भारतीय संदर्भ में महत्व
साक्षरता क्या है?
साक्षरता क्या है, इसे लेकर कई तरह की परिभाषा है। भारत में साक्षरता का एक अर्थ यह भी है कि 7 वर्ष या उससे अधिक की उम्र के व्यक्ति अगर किसी भी भाषा को समझकर लिख-पढ़ लेते हैं तो वह साक्षर हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो किसी भी भाषा में अक्षरों का ज्ञान साक्षरता है। हालांकि इसका अर्थ केवल पढ़ना-लिखना या शिक्षित होना नहीं है, बल्कि यह लोगों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाने और सामाजिक विकास का आधार भी है।।साक्षरता का अर्थ है जानकारी को प्रभावी ढंग से पढ़ने, लिखने और समझने की क्षमता। इसमें न केवल लिखित पाठ को समझने के बुनियादी कौशल शामिल हैं बल्कि विचारों को समझने, विश्लेषण करने और संवाद करने की क्षमता भी शामिल है। साक्षरता व्यक्तियों को ज्ञान तक पहुंचने, समाज में भाग लेने और अपने विचार, राय और विचारों को व्यक्त करने का अधिकार देती है। साक्षरता शिक्षा, रोजगार और व्यक्तिगत विकास के लिए एक महत्वपूर्ण नींव रखती है। साक्षरता दर एक निश्चित आयु वर्ग की आबादी के प्रतिशत को संदर्भित करती है जो पढ़ और लिख सकती है। उस विशेष आयु वर्ग के लोगों की कुल संख्या में से साक्षर लोगों की संख्या, उसी की एक और परिभाषा है। शोध के मुताबिक, साक्षरता मापने के लिए अन्य आयु समूहों की तुलना में वयस्कों का अधिक ध्यान रखने की जरूरत है। साक्षरता का तात्पर्य किसी विशिष्ट क्षेत्र में ज्ञान से है।
साक्षरता दिवस कब व क्यों मनाया जाता है?
इस लेख के जरिए हम आपको विस्तार से अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2023 के बारे में बताएंगे, जिससे आप इस दिन के बारे में सारी जानकारियां मिल जाएंगी। इस लेख में हमने कई पॉइन्ट्स जोड़े है जो आपके इस दिन से जुड़े सभी सवालों के जवाब देगा। हमने इस लेख में जो बिंदूओं को जोड़ा है जैसे कि अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2023 | अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पहली बार कब मनाया गया था? विश्व साक्षरता दिवस कब मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है? अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का महत्व अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2023 की थीम | 8 सितंबर को कौनसा दिवस मनाया जाता है,साक्षरता दर क्या है विश्व की साक्षरता दर कितनी है, भारत की साक्षरता दर कितनी है 2023। इस लेख को अंत तक पढ़े और इस दिन के बारे में सभी जानकारियां पाएं।
अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस
इंटरनेशनल लिटरेसी डे हर साल 8 सितम्बर को साक्षरता और कौशल को बढ़ावा देने, समर्थन करने के लिए और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लोगों तक पहुँचाने का प्रयास करने के लिए मनाया जाता है| यह दिन व्यक्तियों, समुदायों और समाजों को साक्षर होने के महत्व के प्रति जागरूक करता है और उन अभियानों का समर्थन करता है जिससे लोगों की साक्षारता वृद्धि में मदद होती है|
इंटरनेशनल लिटरेसी डे का इतिहास
26 अक्टूबर 1966 को यूनेस्को के सामान्य सम्मलेन के 14वे सत्र में यूनेस्को द्वारा 8 सितम्बर को (International literacy day) अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने की घोषणा की गई| इसे पहली बार 1967 में मनाया गया| यूनेस्को दुनिया भर में साक्षरता में सुधार करने के लिए केंद्र रहा है इसी कारण वह सरकारों, स्थानीय समुदायों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर साक्षरता दिवस को बढ़ावा देता है| हर साल बदलती दुनिया के साथ लोगों का साक्षरता की तरफ ध्यान केंद्रित करने के लिए वह अलग-अलग विचार लाता है| संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम(UNDP) द्वारा प्रत्येक वर्ष मानव विकास सूचकांक(HDI) निकाला जाता है। जिसमें 189 देश की सूची निकाली जाती है। इस सूचकांक में मानव विकास के तीन आयाम, लंबा और स्वस्थ जीवन, शिक्षा और सभ्य जीवन स्तर शामिल किया गया हैं। शिक्षा को काफी महत्व दिया जाता है। विश्व में साक्षरता की बात करें तो नार्वे, स्वीडन और फिनलैंड की साक्षरता शीर्ष स्थान पर है। इन देशों का विकास भी काफी अच्छा है।अगर हम विश्व की साक्षरता की बात करें तो विश्व की साक्षरता 57% के आस-पास है। विश्व में सबसे ज्यादा साक्षरता नार्वे, स्वीडन, अमेरिका जैसे देश की साक्षरता 95%-100% तक है।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है?
शिक्षा एक मौलिक मानव अधिकार है, फिर भी कई लोगों को पढ़ने का अवसर नहीं दिया जाता है, और कुछ को स्कूल छोड़ना पड़ता है। बुनियादी शिक्षा में सुधार होने के बावजूद, जब साक्षरता की बात आती है तो अधिकांश विकासशील और अविकसित देशों को पर्याप्त चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।अन्य कारक, जैसे जनसंख्या, सामाजिक आर्थिक स्थिति, लैंगिक असमानता, गरीबी, भ्रष्टाचार, प्रवासन, आदि भी स्कूल में नामांकन और/या ड्रॉपआउट दर को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार, बड़ी संख्या में वयस्क और युवा आबादी पढ़ने, लिखने और वर्तमान घटनाओं को समझने के लिए संघर्ष करती है जो आज दुनिया को आकार दे रही हैं।मानव एवं सामाजिक विकास के लिए साक्षरता आवश्यक है। यह हमें नई अवधारणाओं को सीखने और विभिन्न कौशल हासिल करने की क्षमता विकसित करने में मदद करता है, जो हमारे जीवन स्तर को बेहतर बनाने में बेहद उपयोगी हैं। साक्षरता का स्वास्थ्य और आय पर सीधा प्रभाव पड़ता है, नौकरियां पैदा करने में मदद मिलती है, देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होता है और समानता, लोकतंत्र और शांति को बढ़ावा मिलता है। यह व्यक्तियों को आत्मविश्वास हासिल करने, आत्म-सम्मान विकसित करने और उनके जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने की दिशा में काम करने में भी मदद करता है। ये कुछ प्राथमिक कारण हैं कि साक्षरता दिवस क्यों महत्वपूर्ण है और इसे हर साल क्यों मनाया जाता है।
विश्व के कुछ बेहतरीन शिक्षा पद्धति वाले देश
1. सिंगापुर – 2. फिनलैंड – 3. नीदरलैंड – 4. स्विजरलैंड – 5. बेल्जियम – 6. डेनमार्क – 7. नॉर्वे – 8. अमेरिका – 9. ऑस्ट्रेलिया – 10. न्यूजीलैंड –
इसके अतिरिक्त कनाडा, जापान, इजराइल, इंग्लैंड, दक्षिण कोरिया इत्यादि देशों में भी शिक्षा के बेहतरीन पद्धतियां मौजूद है।
भारत में साक्षरता दर
भारत में साक्षरता दर बहुत असमान है, इसलिए विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इसकी दर में अंतर है| पिछले चार दशकों में भारत की साक्षरता दर में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है। भारतीय राष्ट्रीय सर्वेक्षण द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारत की साक्षरता दर 77.7 प्रतिशत है। 2011 में साक्षरता दर 73% थी। पिछली जनगणना के आंकड़ों की तुलना में 4% की वृद्धि हुई है। यह अन्य विकासशील देशों की तुलना में बहुत प्रभावशाली है, लेकिन इसका अभी भी मतलब है कि लगभग चार में से एक भारतीय पढ़ने या लिखने में असमर्थ है (दुनिया भर में आठ में से एक व्यक्ति की तुलना में)।
साक्षरता दिवस से समाज में क्या बदलाव आया है
अगर हम आजादी से वर्तमान साक्षरता दर का आंकलन करें तो स्थिति थोड़ी बेहतर नजर आती है। आजादी के बाद से देश में साक्षरता दर में 57 फीसदी की वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटिश शासन के दौरान देश में सिर्फ 12 फीसदी लोग ही साक्षर थे।
भारत में साक्षरता को प्रभावित करने वाले कारक –
1. गरीबी
2. विद्यालयों की कमी
3. विद्यार्थी शिक्षक अनुपात का सही नही होना
4. जातिवाद
5. भ्रष्टाचार
6. लड़कियों के साथ छेड़छाड़
विश्व साक्षरता दिवस 2023 की थीम
इंटरनेशनल लिटरेसी डे 2023 की थीम है ‘परिवर्तनशील दुनया में साक्षरता को बढ़ावा देना: स्थायी और शांतिपूर्ण समाज की नींव का निर्माण करना‘ है (‘Promoting literacy for a world in transition: Building the foundation for sustainable and peaceful societies’ ) इस थीम के तहत International Literacy Day 2023 को विश्व स्तर पर,
विश्व साक्षरता दिवस की पिछले कुछ वर्षों की थीम
हर वर्ष साक्षरता दिवस के मौके पर विशेष थीम होती है। पिछले कुछ सालों की थीम पर एक नजर डालिए।
2006 की विश्व साक्षरता दिवस की थीम “साक्षरता एवं सतत सोसायटी”
2008 की विश्व सारक्षता दिवस की थीम “साक्षरता और सतत विकास”
2009 की विश्व साक्षरता दिवस की थीम “स्वास्थ्य और साक्षरता”
2009-2010 के लिए लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान देते हुए “साक्षरता और अधिकारिता”, विषय रखा गया था।
2011-2012 का विषय वस्तु “साक्षरता और शांति” शिक्षा से सामाजिक सुधार, आर्थिक वृद्धि और पर्यावरण सुरक्षा
2014-2015 की विश्व साक्षरता दिवस थीम “सशक्तिकरण और साक्षरता” महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के अधिकार की बात की गयी।
2016 की विश्व साक्षरता दिवस की थीम “साक्षरता और लैगिक समानता” था। जिसका लक्ष्य लैंगिक अन्तर को दूर करना और शिक्षा को बढ़ावा देना था।
2017 अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस थीम- डिजिटल दुनिया में साक्षरता
2018 अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम- साक्षरता और कौशल विकास
2019 में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के लिए थीम “साक्षरता और बहुभाषावाद (Literacy and Multilingualism)” था। जिसका लक्ष्य बहुभाषा का ज्ञान और प्रचार करना था।
2020 अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम- COVID-19 संकट और उससे परे साक्षरता शिक्षण और शिक्षा
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के स्लोगन
* भारत में शिक्षा बढ़ाने के लिए कई प्रकार के स्लोगन और अन्य सुविधाएं दी जाती है।
* सर्व शिक्षा अभियान “सब पढ़े सब बढ़े” यह नारा 2002 में दिया गया था।
* शिक्षा वह धन है जिसे न तो बाँटा जा सकता है और न तो चुराया जा सकता है।
* शिक्षा बाँटने से कभी कम नहीं होता है।
* तक्षशिला विश्वविद्यालय न केवल भारत का बल्कि विश्व का पहला विश्वविद्यालय था। पूरे विश्व की शिक्षा का केंद्र तक्षशिला विश्व विद्यालय था जो वर्तमान में अफगानिस्तान में है।
* भारत सरकार द्वारा शिक्षा को बढ़ाने के लिए कई प्रकार की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
* शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत में विश्व का सबसे बड़ा अभियान “मिड डे मिल” के तहत सरकारी प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाता है।
* भारत में शिक्षा के लिए अलग-अलग प्रकार के छात्रवृत्ति दिये जाते है।
* भारतीय संविधान में शिक्षा का अधिकार को मौलिक अधिकार में 2002 में जोड़ा गया। जिसके तहत 14 वर्ष तक के सभी छात्र को निःशुल्क शिक्षा प्रदान किया जायेगा।
निरक्षता अँधेरे के सामान है और साक्षरता प्रकाश के सामान अच्छा जीवन व्यतीत करने के लिए लोगों का साक्षरता होना बेहद जरूरी है क्योंकि एक अनपढ़ आदमी ख़ुद का भला नहीं सोच सकता तो भला वो राष्ट्र के विकास में क्या योगदान देगा |मनुष्य और पशु में यदि कोई अंतर है तो वो है बुद्धि का | साक्षरता केवल किताबी ज्ञान हासिल करने तक सीमित नहीं है बल्कि साक्षरता का मुख्य उद्देश्य लोगों में उनके अधिकारों के प्रति और उनके कर्तव्यों के प्रति उन्हें जागरूक करना है। क्योकि शिक्षा ही मनुष्य को मनुष्यता की तरफ़ ले जाती है |