15 जनवरी को दिल्ली में सेना कमान मुख्यालय के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों में सैन्य परेड और शक्ति प्रदर्शन के अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करके सेना दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर देश थल सेना की वीरता, उनके शौर्य और कुर्बानियों को याद करता है। इस दिन की शुरुआत इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने से होती हैं। भारतीय सेना दिवस के दौरान न केवल उन सेनाओ तथा सेनानियों को सलाम किया जाता है, जिन्होंने अपने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है बल्कि उन सैनिकों की अर्धान्गनियों और माताओं को भी सलाम किया जाता है जिन्होंने अपना वीर इस देश के नाम कुर्बान कर दिया।
15 जनवरी 1949 को फ़ील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा द्वारा आज़ाद भारत की थल सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ के तौर पर पदभार ग्रहण करने के उपलक्ष में हर साल 15 जनवरी को ‘भारतीय थल सेना दिवस‘ के रूप में मनाया जाता है। इस साल 2023 में हम अपना 75वां सेना दिवस (Army Day) मना रहे है। इस मौके पर जवानों को नमन और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। बताते चले कि भारतीय थल सेना विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना है।
भारतीय सेना दिवस
भारतीय सेना दिवस (Indian Army Day) हर साल 15 जनवरी को फील्ड मार्शल के एम करियप्पा (Field Marshal KM Cariappa) के सम्मान में मनाया जाता है। वर्ष 1949 में इसी दिन ब्रिटिश भारत के अंतिम कमांडर-इन-चीफ जनरल फ्रांसिस बुचर (General Francis Butcher) से स्वतंत्र भारत के तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल के एम करियप्पा ने कार्य भार ग्रहण किया था।
भारतीय सेना का इतिहास
राजा महाराजाओं के दौर में हर शासक के अपने सैनिक होते थे लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय सेना का गठन साल 1776 में कोलकाता में किया था। उस समय भारतीय सेना ईस्ट इंडिया कंपनी की सैन्य टुकड़ी हुआ करती थी। जिसे बाद में ‘ब्रिटिश भारतीय सेना’ का नाम मिला। भारतीय सेना की स्थापना लगभग 126 साल पहले अंग्रेज़ों ने 1 अप्रैल, 1895 को औपचारिक रूप से की थी। और अंत में भारतीय थल सेना के तौर पर देश के जवानों को पहचान मिली।
15 अगस्त 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ, तब देश भर में व्याप्त दंगे-फसादों तथा शरणार्थियों के आवागमन के कारण उथल-पुथल का माहौल था। इस कारण कई प्रशासनिक समस्याएं पैदा होने लगी और फिर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को आगे आना पड़ा। इसके पश्चात एक विशेष सेना कमांड का गठन किया गया, ताकि विभाजन के दौरान शांति-व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके। परन्तु भारतीय सेना के अध्यक्ष तब भी ब्रिटिश मूल के अधिकारी ही हुआ करते थे। 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने थे। उस समय भारतीय सेना में लगभग 2 लाख सैनिक थे। उनसे पहले यह पद कमांडर जनरल रॉय फ्रांसिस बुचर के पास था। के. एम. करिअप्पा पहले ऐसे अधिकारी थे जिन्होंने आजाद भारत में लेफ्टिनेंट जनरल का पद ग्रहण किया था। ये दिन ना केवल भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण होता है बल्कि हिंदुस्तान के इतिहास में अहम दिन माना जाता है।
भारतीय सेना दिवस के बारे में जानकारी
नाम : थल सेना दिवस (Thal Sena Diwas)
तिथि : 15 जनवरी (वार्षिक)
पहली बार मनाया गया :15 जनवरी 1949
उद्देश्य : भारतीय थल सेना के पुनर्गठन की वर्षगांठ को रेखांकित करना।
सम्बंधित व्यक्ति : के. एम. करिअप्पा
15 जनवरी को सेना दिवस क्यों मनाया जाता है?
थल सेना के पुनर्गठन तथा के. एम. करिअप्पा के पहले कमांडर इन चीफ़ के रूप में पदग्रहण की वर्षगांठ को 15 जनवरी के दिन प्रत्येक वर्ष भारतीय थल सेना दिवस (Army Day) के रूप में मनाया जाता है।15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल K.M Cariappa ने ब्रिटिश इंडियन आर्मी के आखिरी शीर्ष कमांडर ‘जनरल फ्रांसिस बूचर‘ (General Francis Butcher) से यह पदभार ग्रहण किया और आजाद भारत के पहले थल सेना प्रमुख कमांडर बने।इंडियन आर्मी डे को भारत में बड़े गर्व के साथ मनाया जाता है इस दिन बॉर्डर पर विपरीत परिस्थितियों में रहकर अपने प्राणों को दाव पर लगाकर देश की रक्षा करने वाले वीर सपूतों को नमन किया जाता है और शहीदों की श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
इंडियन आर्मी डे का इतिहास
वैसे तो भारतीय सेना कि स्थापना करीबन 128 साल पहले ब्रिटिश हुकूमत द्वारा 1 अप्रैल 1895 की गई थी, उस समय भारतीय सेना ‘ब्रिटिश इंडियन आर्मी‘ के नाम से जानी जाती थी। लेकिन स्वत्रंता मिलने के बाद 15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश सेना द्वारा इसे पूर्ण रूप से मुक्त कर दिया गया और यह भारतीय सेना बन गई। फील्ड मार्शल के.एम करियप्पा ने इसी दिन भारतीय सेना के पहले Commander-in-Chief (अब सेनाध्यक्ष) पद का कार्यभार संभाला था। इसी उपलक्ष में 15 जनवरी 1949 को पहला भारतीय सेना दिवस (Indian Army Day) मनाया गया।
केएम. करिअप्पा का जीवन परिचय
के एम करिअप्पा का पूरा नाम ‘कोडंडेरा एम. करियप्पा’ (Kodandera Madappa Cariappa) है। उनका जन्म 1899 में कर्नाटक के (कुर्ग) में हुआ था। फील्ड मार्शल करियप्पा ने महज 20 साल की उम्र में ही ब्रिटिश इंडियन आर्मी में नौकरी शुरू कर दी थी। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बर्मा में जापानियों को शिकस्त देने के लिए उन्हें ‘ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर’ का सम्मान भी मिला था। के. एम. करियप्पा ने ‘जय हिंद’ का नारा अपनाया जिसका अर्थ है ‘भारत की जीत’। करिअप्पा ने वर्ष 1947 के भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर सेना का नेतृत्व किया था। और भारत-पाक आजादी के वक्त उन्हें दोनों देशों की सेनाओं के बंटवारे की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने जोजीला, द्रास और करगिल पर पाकिस्तानी सेना को हराया था। जब करिअप्पा सेना प्रमुख बने तो भारतीय सेना में लगभग 2 लाख सैनिक थे। वही आज भारतीय सेना में करीब 12,00,255 सक्रिय सैनिक हैं। करियप्पा साल 1953 में रिटायर हो गए थे और बाद में उन्होंने 1956 तक ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भारत के उच्चायुक्त के रूप में काम किया। सन 1993 में 94 की आयु में उनका बेंगलुरु में निधन हो गया था। भारतीय सेना में फील्ड मार्शल का पद सर्वोच्च होता है। ये पद सम्मान स्वरूप दिया जाता है। भारतीय इतिहास में अभी तक यह रैंक सिर्फ दो अधिकारियों को दिया गया है। देश के पहले ‘फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ’ हैं। उन्हें जनवरी 1973 में राष्ट्रपति ने फील्ड मार्शल पद से सम्मानित किया था। वही के. एम. करिअप्पा देश के दूसरे फील्ड मार्शल थे। उन्हें 1986 में फील्ड मार्शल बनाया गया था।
थल सेना दिवस 2023 की थीम
15 जनवरी को मनाए जाने वाले भारतीय थल सेना दिवस 2023 की थीम अभी घोषित की जानी बाकी है, लेकिन इससे पहले आर्मी डे 2022 की थीम “इन स्ट्राइड विद द फ्यूचर” (भविष्य के साथ प्रगति में) थी।
इंडियन आर्मी दिवस कैसे मनाते हैं?
Army Day का दिन दिल्ली के इंडिया गेट के समीप स्थित अमर जवान ज्योति के समक्ष भारतीय शहीदों को श्रद्धांजलि देकर मनाया जाता है, साथ ही इस दिन वीर शहीद सैनिकों की विधवाओं को सैन्य मेडल और कई दूसरे सम्मानों और पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है। दिल्ली छावनी के करिअप्पा ग्राउंड में भारतीय सेना का शक्ति प्रदर्शन भी देखने को मिलता है और परेड का भी आयोजन किया जाता है जिसकी सलामी थल सेनाध्यक्ष लेते है। इस बार का सेना दिवस परेड बेंगलुरु में आयोजित की जाएगी। इसमें भारत की जल सेना, थल और वायु सेना के सर्वोच्च कमांडर, भारत के प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्री मंडल के सदस्य भी मौजूद होते हैं।
भारतीय सेना के बारे में रोचक तथ्य
थल सेना भारतीय सशस्त्र सेना बल की सबसे बड़ी टुकड़ी है जो धरातल से सीमा की सुरक्षा का काम करती है, इसका सेनापति भारत का राष्ट्रपति होता है, वर्तमान प्रधान सेनापति द्रौपदी मुरमू जी है।
सबसे बड़ी सेना : भारतीय सेना विश्व की तीसरी सबसे बड़ी सेना है, तथा भारतीय थल सेना विश्व की दूसरी सबसे बड़ी थल सेना के तौर पर जानी जाती हैं, इसकी गिनती दुनिया की सबसे आधुनिक सेनाओं में होती है।
ब्रिटिश इंडियन आर्मी: स्वतंत्रता से पहले इसे ब्रिटिश इंडियन आर्मी कहा जाता था, परंतु भारत की आज़ादी के बाद इसका पुनर्गठन कर इसे भारतीय थल सेना (इंडियन आर्मी) कर दिया गया।
स्थापना: इसकी स्थापना ब्रिटिश इंडियन आर्मी के रूप में 1 अप्रैल 1895 को हुई। तथा 15 जनवरी 1949 को इसे पुनर्स्थापित किया गया।
हाई अल्टीट्यूड वॉर: भारतीय सेना को High-Altitude युद्ध में महारत हासिल है, जिसका जीता जागता उदाहरण सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात भारतीय सेना के जवान हैं। आपको बता दें सियाचिन ग्लेशियर की समुंद्र तल से ऊंचाई 5000 मीटर है, यह दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध का मैदान माना जाता है।
बेस्ट ट्रेनिंग सेंटर: भारतीय सेना की ट्रेनिंग के लिए बनाया गया हाई ऑल्टीट्यूड वॉरफेयर स्कूल(HAWS) दुनिया में सबसे बेस्ट ट्रेनिंग सेंटर में आता है। इस इंस्टिट्यूट में ट्रेनिंग लेने के लिए रूस और यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) से जवान आते हैं, इन्हें पहाड़ी और ऊंचाई वाले इलाके में युद्ध की ट्रेनिंग प्रदान की जाती हैं।
मुख्यालय: भारतीय सेना का मुख्यालय (Headquarters) नई दिल्ली में स्थित है।
7 कमान: भारतीय सेना देशभर में सात कमानो में बाटी गई है जिनका मुख्यालय देश के अलग-अलग हिस्सों की अलग-अलग दिशाओं में है:
S.No. कमान मुख्यालय
1. केंद्रीय कमान लखनऊ
2. उत्तरी कमान उधमपुर
3. दक्षिणी कमान पुणे
4. दक्षिण पश्चिम कमान जयपुर
5. पूर्वी कमान कोलकाता
6. पश्चिमी कमान चंडी मंदिर
7. सेना ट्रेनिंग कमान शिमला
बड़े युद्ध: भारतीय सेना अब तक कुल 5 बड़े युद्ध कर चुकी है, जिसमें पाकिस्तान के साथ चार युद्ध और चीन के साथ एक युद्ध शामिल है।
अन्य कार्य: भारतीय सेना देश की हिफाज़त के साथ-साथ देश में प्राकृतिक आपदा, अशांति और दंगों की स्थिति में भी देश की सेवा करती है।
सेना के प्रमुख: वर्तमान में थल सेना के प्रमुख (सेनाध्यक्ष) जनरल मनोज पांडे है उन्होंने 30 अप्रैल 2022 को जनरल मनोज मुकुंद नरवणे से यह कार्यभार ग्रहण किया है। जनरल बिपिन रावत को भारत का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ चुना गया था लेकिन 8 दिसम्बर को हेलिकॉप्टर हादसे में उनकी दर्दनाक मृत्यु के बाद एम.एम नरवणे को ‘चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी‘ के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया था।
आदर्श वाक्य: थल सेना का आदर्श वाक्य ‘सर्विस बिफोर सेल्फ‘ (स्वपूर्ण सेवा) है।
भारतीय सेना की उपलब्धि
* 1947-48 में कश्मीर युद्ध हुआ था,जब पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर को छीनने के इरादे से आक्रमण कर दिया था। तत्कालीन कश्मीर शासक महाराजा हरि सिंह के अनुरोध पर भारतीय सेना ने कश्मीर को बचाया था।
* 1962 में चीन ने भारतीय हिमालयी सीमा पर हमला कर दिया था। भारतीय सेना तैयार नहीं थी, इस कारण भारी नुकसान हुआ लेकिन भारत के सशस्त्र बलों ने सीमा पर चीन के खिलाफ मुस्तैदी बढ़ा दी और मुंहतोड़ जवाब दिया।
* 1965 में भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ। भारतीय सेना ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया और युद्ध में पराजित किया।
* 1971 में बांग्लादेश युद्ध हुआ जब पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेशियों को भारत में शरण लेने के लिए मजबूर कर दिया था। भारत ने पाकिस्तान के पूर्वी इलाके पर कब्जा करके 90000 कैदियों को आजादी दिलाई और उस क्षेत्र को बांग्लादेश के तौर पर एक स्वतंत्र पहचान दिलाई।
* 1999 में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ ऑपरेशन विजय चलाया गया। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना की जीत इतिहास में सुनहरे अक्षरों से दर्ज हो गई। यह कारगिल युद्ध के नाम पर भी मशहूर है।
भारतीय सेना देश की रक्षा कुछ इस तरह खरी उतरी है कि भारत का प्रत्येक नागरिक भारतीय सेना पर आंख मूंदकर भरोसा करता है। जय हिंद, जय भारत, जय भारतीय सेना।