आज हम सभी इतने मॉडर्न हो गए हैं कि हमने भगवान की सत्ता पर ही सवाल उठा दिया है कि भगवान है कि नहीं लेकिन हम यह कहने से पहले यह भूल गए। वो है इसलिए हम है। हम सभी के लिए सिर्फ अपना परिवार सब कुछ है। किसी के लिए देश ही सब कुछ है। लेकिन ये पूरी दुनिया जिसका परिवार है वो भगवान है। जीवन में हम जो पाना चाहते हैं या इच्छा रखते हैं, वह सब ईश्वर से जुड़ा हुआ है। जीव और ईश्वर के बीच प्रेम भाव का रिश्ता है। हम संसार में आते हैं और ईश्वर का धन्यवाद करते हैं और जीवन के आगे लक्ष्यों को पूरा करते हैं।
हमारा वास्तविक संबंध परमात्मा से है। शास्त्रों में बताया गया है, हम संतों और महापुरुषों से सुनते भी हैं कि जीव जगत का नहीं, ईश्वर का अंश है। परमात्मा से हमारा जो संबंध है वह नित्य है और वास्तविक है। संसार से जो संबंध है यह माना हुआ है और अनित्य है। पहली बात तो यह कि इस वास्तविकता को हम स्वीकार करें, इस सत्य का हम अनुभव करें कि हम भगवान के हैं और भगवान हमारे हैं। यहां तक कि यह शरीर भी हमारा नहीं है। आध्यात्मिक रूप में देखा जाए तो संसार के चाहे जितने भी संबंध हैं, चाहे वस्तु के साथ हों, चाहे व्यक्ति के साथ, ये माने हुए हैं और अनित्य हैं। इसके विपरीत ईश्वर के साथ हमारा जो संबंध है, वह वास्तविक और नित्य है। अब जब यह बात समझ में आ जाए, यह सत्य समझ में आ जाए तो फिर सवाल उठता है कि उस संबंध को क्या नाम दिया जाए। कोई भी नाम दे लीजिए, फर्क नहीं पड़ेगा। आप चाहे किसी की पूजा या आराधना करें तत्व एक ही है, सत्य एक ही है। यह भक्त की रुचि के ऊपर निर्भर करता है, भक्त की भूमिका के ऊपर निर्भर करता है। वैसे भक्तिमार्ग में पांच प्रकार के भाव बताए गए हैं। अपनी रुचि के जिस भी भाव से हम युक्त हों वैसा संबंध हम ईश्वर के साथ, इष्ट के साथ बना लें। भगवान ज्ञान स्वरूप है। उनको नहीं जाना तो जितना भी ज्ञान है, सब व्यर्थ है। भगवान ज्ञान स्वरूप भी हैं और ज्ञेय भी हैं। इसलिए भगवान से जो नाता हमारा जुड़ जाए वह काफी है। वे गुरु के रूप में ज्ञान प्रदाता भी हैं।
क्या भगवान सच में होते हैं
अपनी बुद्धि से, चालाकी से, तर्क से हम भगवान को जानने की कोशिश करते है। लेकिन हमेशा एक बात याद रखे बुद्धि से चालाकी से तर्क से हम संसार को सांसारिक व्यक्ति का अनुमान लगा सकते है। लेकिन भगवान का नहीं क्युकी भगवान सहज है वो सिर्फ प्रेम , श्रद्धा और भाव का रूप है। जब तक आपके दिल में ये भाव नहीं होंगे वो आपको महसूस नहीं होंगे। आप ये बात दुनिया से मत पूछिए की भगवान है की नहीं ये खुद अनुभव कीजिये कोई न कोई पल ऐसा जरूर आपको याद आएगा जब किसी ने साथ नहीं दिया होगा जब आप हार रहे होंगे। लेकिन आपके अंदर से ही एक शक्ति का अनुभव हुआ होगा जिसने आपको सही रास्ता दिखया होगा और आपका साथ दिया होगा। वो अदृश्य होकर भी हमारी मदद करते है। बस दुनिया की शोर में खुद के दिल की आवाज़ सुनना भूल गए और दुनिया के नज़रो में खो कर उसके नज़रो को देखना भूल गए। चाह अगर सच्ची होगी भगवान के प्रति तो वो आपको अपनी अनुभूति जरूर करएंगे।
भगवान हमारी सुनते है?
भगवान आपकी सुनते है इस बात पे कभी शक मत करना, बस फर्क इतना है उन्हें हमे सुनना आना चाहिए। प्रेम समर्पण करुणा भाव ये कुछ ऐसी बातें है जो उनको आपकी तरफ खींच लेती है। हम चाहे लाख बार उसका नाम ले उसमे श्रद्धा और विश्वास नहीं तो उस नाम का कोई फायदा नहीं। आप अगर सिर्फ एक बार उनका नाम लेते है उसमे पूर्ण भाव है तो पूर्ण परमात्मा आपकी पल भर में सुन लेते है। कभी कभी वो परीक्षा बहुत लेता है तो ये बात याद रखना उनकी परीक्षा में बैठने के लिए कुछ योग्यता होनी चाहिए।
भगवान की परीक्षा में बैठने की योग्यता
जीवन में भगवान के लिए प्रेम होना जरुरी है आपमें करुणा होना भी जरुरी है। भले आप ऊपर से कितना भी कठोर बन ले लेकिन आपके अंदर कितना कोमल दिल बैठा है भगवान उसको ही देखते है। कहते है सबसे कीमती चीज़ माँ बाप उसको ही देते है जिसमे उसको संभालने की काबिलियत होती है अगर आपमें काबिलियत नहीं तो माँ बाप आपको उस लायक बनाने की सोचते है।
भगवान हमारी कब सुनता है?
हमारे मन के भाव हर पल बदलते रहते हैं ऐसे भाव को -इच्छाओ को भगवान कभी नहीं सुनते लेकिन एक ऐसा भाव जो आपके दिल से जुड़ा है जो निष्काम भी है उसको भगवान जरूर सुनते हैं वह किसी रूप में आपको इशारा जरूर करते हैं।
भगवान हमारी परीक्षा क्यों लेते हैं?
भगवान परीक्षा भी योग्य इंसान से लेते हैं जिन पर उनको भरोसा होता है अब खुश किस्मत है आप पर भगवान भरोसा करते हैं। ये परीक्षा आपको आने वाले संकट से बचाता है और आपको मजबूत बनता है।
कैसे पता चले भगवान की आप पे नज़र है ?
अगर आपको भगवान पे अटूट श्रद्धा है उनपे आपका विश्वास है वो हमेशा मेरे साथ है और मेरा हाथ कभी नहीं छोड़ेंगे। इन सबके बाबजूद आपको बहुत सारी परेशानियों से गुज़ारना पड़ रहा है तो आप खुश हो जाये। भगवान की नज़र आप पर है देर से ही सही लेकिन वो आपकी जरूर सुनेगे। शायद अभी हम उस काबिल नहीं की वो अपनी सबसे कीमती चीज़ हमें दे सके। इसलिए हमें वो उस काबिल बना रहे हो। कभी ये मत सोचना भगवान हमारी नहीं सुनते जब ये ख्याल आए तो बस एक बार दिल की सुनना ” जो एक छोटी से चिड़िया की सुनते है जो एक जानवर की बात सुनते है, जो एक पेड़ की, जो फूलो की जो मन में धीरे से कही आवाज़ को भी सुन लेते है तो क्या वो आपके शब्दों को नहीं सुनेंगे। सुनते है पर कभी कुछ कहते नहीं और बिन बोले सब कर जाते है और तुम्हें एहसास तक नहीं होने देते। अरे जब आपको कोई दिल से याद करता है तो आपको पता चला जाता है तो फिर क्या उनको पता नहीं चलेगा जिसने ये पूरा जहा बनाया है।।न जाने कितने ही ऐसा उदाहरण है की वो सबकी सुनते है है बस कोई सुनने वाला होना चाहिए।
मन में रखें विश्वास, ईश्वर की इच्छा से पूरे होंगे सभी कार्य
जीवन में किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ईश्वर पर विश्वास करें कि आपकी कड़ी मेहनत खराब नहीं होगी। ईश्वर की कृपा से आप हर वह चीज प्राप्त करेंगे, जिसकी इच्छा आप रखते हैं और जो आप पाना चाहते हों। हम जैसे हैं, वैसे ही भगवान के लिए अमूल्य हैं। इसलिए हमें भी अपना मोल किसी बाहरी वस्तु, स्थिति या इंसान के आधार पर नहीं करना चाहिए। सोचिए, कितनी बार हम अपना पूरा मन लगा लेते हैं किसी नौकरी पर प्रमोशन पर या किसी रिश्ते पर। हमारी इच्छा इतनी प्रबल हो जाती है कि हमें लगने लगता है, जब हमें वह चीज मिल जाएगी, तभी हम सफल होंगे। इस प्रकार हममें और हमारी इच्छा या हमारे लक्ष्य में कोई अंतर नहीं रहता है। मनुष्य के मन में अनेक इच्छाओं और लक्ष्यों का आना अनिवार्य है। लेकिन ऐसा कोई मनुष्य नहीं जिसकी सारी इच्छाएं पूरी हों। इस सहज कार्य में अगर वह अपनी इच्छा और अपने अस्तित्व में अंतर नहीं करते, तो वह जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय नहीं ले पाते। यही बात हम मनुष्यों पर भी उतनी ही लागू होती है। अगर इच्छा पूरी नहीं हुई या लक्ष्य हाथ न लगे, तो इसका मतलब यह नहीं कि हम असफल हैं या हममें सामर्थ्य नहीं। इसका अर्थ केवल यह है कि इस समय शायद जो हम चाहते हैं, वह हमारे लिए उचित नहीं। जब हम किसी भी बाहरी वस्तु के लिए अपना मन छोटा करते हैं, उसके न मिलने पर दुखी होते हैं तो समझना चाहिए कि ऐसा करके हम एक तरह से भगवान का अपमान करते हैं, क्योंकि हम यह मानते हैं कि उस वस्तु या उपलब्धि के मिलने से हमारा मोल होता है। यह विचार ही गलत है, क्योंकि हम सबको भगवान ने बनाया है और उन्होंने जैसा भी बनाया है, कुछ सोच कर ही बनाया होगा। हम सब जो कुछ करते हैं, उस सब में उनकी इच्छा है और उसे अच्छे से, पूरे मन से करने से हम उनकी सोच को पूरा कर रहे हैं। अगर रिश्तों की बात करें, तो हम जिसे प्यार करें जरूरी नहीं कि उसके मन में हमारे लिए वही भावना हो। आप इस बात में क्या कर सकते हैं? इसलिए आप वह कीजिए, जो आपके मन को सही लगे और आगे के लिए यह अडिग विश्वास रखिए कि जो कुछ भी होगा, अच्छे के लिए ही होगा। दूसरा कोई रास्ता नहीं, जब आपके साथ भगवान स्वयं हैं।
भगवान सहज है वो सिर्फ प्रेम , श्रद्धा और भाव का रूप है। जब तक आपके दिल में ये भाव नहीं होंगे वो आपको महसूस नहीं होंगे। जब आपका जीवन शुभ कर्मो से भरा होगा ,किसी का जब आप दिल से बुरा नहीं चाहते होंगे। तब ये विश्वास रखना भगवान आपके साथ जरूर है। आपके जीवन में कभी भी ऐसा ऐसा पल आए जब आप किसी की मदद कर सकते हैं और आपके दिल से आवाज आए तो जरूर करें क्योंकि जो खुद की और औरों की मदद करता है भगवान भी उसी की मदद करता है। भगवान तो भक्तों के अनुरूप ढल जाते हैं आप जिस रूप में दिल में उनको देखते हैं वह उसी रूप में आपको नजर आते हैं उनके रूप अनंत है। आपका जीवन अगर शुभ कर्मो और निर्मल भाव से भरा है तो भगवान आपके साथ है। सच्ची दुआ जरूर कमाइये।
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