क्या आइज़ैक न्यूटन की माँ को पता था कि उनके बेटे का आईक्यू 192 का था। या फिर जिस अलबर्ट आइंस्टीन को दुनिया सबसे ज्यादा जीनियस मानती है उनकी मां को पता था कि उनके बेटे का आईक्यू लेवल 160 से 190 के बीच था? कई बार हम पता नहीं लगा पाते कि हमारा बच्चा जीनियस है लेकिन कुछ ऐसे लक्षण हैं जिन पर बचपन से ही अगर गौर किया जाए तो पैरेंट्स पता लगा सकते हैं कि उनका बच्चा जीनियस है और उसका आईक्यू लेवल हाई है। जो बच्चे अत्यधिक इंटेलिजेंट होते हैं उन्हें देखकर आप पहचान सकते हैं कि बच्चों का आईक्यू लेवल कितना है। आइए जाते हैं कुछ ऐसे लक्षण, जिन्हें देखकर पैरेंट्स ये समझ सकते हैं कि उनका बच्चा भी जीनियस है।
दुनिया में हर किसी की चाहत होती है कि उसका बच्चा होशियार और समझदार बने. लेकिन अक्सर लोग इस बात की शिकायत करते नजर आते हैं कि लाख कोशिशों के बावजूद उनका बच्चा जीनियस नहीं है. क्या आपको भी अपने बच्चे को लेकर इस तरह का डाउट अक्सर दिमाग में आता है. क्या आप भी अपने बच्चे की पर्सनैलिटी के बारे में जानना चाहते हैं. चलिए यहां जानते हैं कि बुद्धिमान यानी जीनियस बच्चों में क्या खासियत होती हैं. अगर आप इन पर गौर करेंगे तो आप अपने बच्चे को पहचान पाएंगे।
जीनियस बच्चों की खास आदतें
टाइम मैनेजमेंट : जीनियस और होशियार बच्चे अपने समय को बर्बाद करने के लिए नहीं जाने जाते. उनका टाइम मैनेजमेंट बहुत गजब का होता है. वो पढ़ाई में भी समय पर काम पूरा करते हैं औऱ हर दूसरे काम को भी समय पर डील करने के लिए जाने जाते हैं. समय पर नोट्स बनाना, समय पर रिवीजन करने के चलते उन पर किसी भी काम का एक्स्ट्रा बोझ नहीं होता।
अच्छे लिसनर होते हैं जीनियस बच्चे : अगर आपका बच्चा पढ़ाई की बातों को अच्छे से सुनता है और लगातार नोट्स बनाता है तो आपको समझना चाहिए कि वो सही राह पर जा रहा है. होशियार बच्चे एक्टिव लिसनिंग और नोट्स बनाने में होशियार होते हैं. इससे उनकी समझने और करने की ताकत में इजाफा होता है।
पढ़ाई पर फोकस करते हैं जीनियस बच्चे : होशियार बच्चों की खास आदत में लगातार सीखने की आदत शुमार होती है. ये बच्चे लगातार पढ़ते और सुनते हैं. किसी चीज को पीछे अधूरा छोड़कर आगे बढ़ना इनकी आदत नहीं होती।
सेलेक्शन में माहिर होते हैं : बुद्धिमान बच्चे सब कुछ नहीं पढ़ते, ऐसे बच्चे दरअसल इस कॉन्सेप्ट पर यकीन करते हैं कि किसी बात को समझ कर उसका हल कैसे निकाला जाए. इसलिए किसी चीज को समझने के लिए क्या औऱ कैसे पढ़ा जाए, ये बच्चे जानते हैं।
होशियार बच्चे संसाधनों का सही इस्तेमाल करते हैं : हर कोई पूरी तरह होशियार नहीं होता. पढ़ना लिखना या कुछ सीखना है तो आपको मदद की जरूरत पड़ सकती है. समझदार और होशियार बच्चे अपनी समझ को आगे बढ़ाने के लिए संसाधनों जैसे टीचर, ऑनलाइन टूल, हेल्प बुक्स आदि का यूज करना जानते हैं।
सवाल पूछने में पीछे नहीं हटते : समझदार बच्चे अपने सवालों को कभी नहीं छोड़ते. ऐसे बच्चे हर क्लास को अटेंड करते हैं और बार बार सवाल पूछते हैं क्योंकि ये जानते हैं कि हर बात का हल जरूरी है. ये अपने शिक्षकों के साथ डिस्कस करते हैं औऱ अपनी थ्योरीज को क्लियर करते हैं।
इनका टारगेट क्लीयर होता है : ऐसे बच्चों का लक्ष्य पूरी तरह साफ होता है. इनको जो करना है, उसी दिशा में पूरी तरह खुद को झोंक देते हैं. ये अपने टारगेट को फोकस करते हैं और फिर लगातार प्रोग्रेस करते हैं।
तेज़ मैमोरी : बच्चों के लिए स्कूल और घर दोनों में नई जानकारी सीखने और भविष्य में उसे याद रखने के लिए एक अच्छी याददाश्त महत्वपूर्ण है। ब्रिटेन की अवॉर्ड विनिंग साइकोलॉजिस्ट और 15 किताबें लिखने वाली लेखक ट्रेसी पैकियम अलॉवे के अनुसार, “वर्किंग मेमोरी ना केवल सीखने (किंडरगार्टन से कॉलेज तक) से जुड़ी हुई है बल्कि ये रोजमर्रा के कामकाज में निर्णय लेने की क्षमता से भी जुड़ी होती है।” इसलिए जिन बच्चों की मैमोरी तेज़ होती है वह जीवन में ना सिर्फ पढ़ाई लिखाई में अव्वल आते हैं बल्कि प्रतिदिन के काम यानि डेली रुटीन में भी उनके फैसले तार्किक और पक्के होते हैं। हालांकि कई अध्ययन बताते हैं कि, तेज मैमोरी वाले बच्चे बेहद सफाई से झूठ भी बोल सकते हैं। ये सिर्फ कुछ बच्चों पर किया गया अध्ययन है। पैरेंट्स प्रॉपर ट्रेनिंग के साथ बच्चों में झूठ बोलने की आदत को रोक सकते हैं।
पहले पढ़ लेने की क्षमता : आपने अपने आसपास कई बच्चों को देखा होगा जो स्कूल का सिलेबस खत्म करने के बाद अपने से ऊपर के क्लास के बच्चों के साथ मिलकर उनकी किताबें पढ़ने में रुचि रखते हैं। या फिर 2 या 3 महीने पहले ही घर पर रहकर अपना सिलेबस खत्म कर लेते हैं। दरअसल बच्चों में ये क्षमता उनके बेहतर आईक्यू लेवल को दिखाती है। इस मामले में सबसे अच्छा उदाहरण आप ज्यादातर यूपीएससी वाले बच्चों में देख सकते हैं।औसतन, अत्यंत बुद्धिमान बच्चे चार साल की उम्र से पहले पढ़ना शुरू कर देते हैं, जबकि अधिकांश बच्चे इस मील के पत्थर तक पहुंचने से पहले छह या सात साल की उम्र के करीब होते हैं। पढ़ने के कई चरण हैं, और बच्चों को स्वयं पढ़ना शुरू करने से पहले शब्दों को पहचानना और समझना सीखना चाहिए। कुछ बच्चे जीवन में बाद में पढ़ने का आनंद खोज सकते हैं, लेकिन एक बार जब वे पढ़ना शुरू कर देते हैं, तो बुद्धिमान बच्चे अक्सर इसके आदी हो जाते हैं। और यही आदत उन्हें सफलता तक ले जाती है।
जिज्ञासा : जिज्ञासा जिसे हम क्यूरियोसिटी भी कहते हैं, बच्चे से लेकर बड़ों सबके लिए जरूरी है। कई बार बच्चों की जिज्ञासा शांत करते करते पैरेंट्स परेशान भी हो जाते हैं लेकिन अगर आपके बच्चे के अंदर ये आदत है तो समझिए उसका भविष्य सुनहरा है क्योंकि अगर बच्चे जिज्ञासु नहीं होंगे तो नई चीज़ें सीखने की ललक उनके अंदर नहीं आएगी। सोचिए अगर आपका बच्चा आसमान में चमकते तारों को देखकर सवाल नहीं करेगा कि ये क्या हैं और कहां हैं, तो क्या कभी उसे यूनिवर्स के बारे में पता लग पाएगा? या फिर अगर किताब में कुछ पढ़कर वो सिर्फ उसी किताब तक सीमित रह जाए तो क्या वो किसी भी मुद्दे या बात का दूसरा पक्ष जान पाएगा? बच्चों का जिज्ञासु होना उनके बुद्धि के स्तर को बढ़ाता है। हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के अनुसार, “जिज्ञासा उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि बुद्धिमत्ता,” और जिज्ञासु मन होना सफलता का एक अच्छा संकेतक है। बहुत सारे प्रश्न पूछने वाले बच्चे सीखने की सहज इच्छा प्रदर्शित करते हैं। जब वे बच्चे जहां कहीं भी सीखने के अवसर तलाशते हैं, वे अपने दिमाग और बुद्धि को और विकसित करते हैं। तो बच्चों के सवालों से परेशान होने की जगह आपको तसल्ली से उनके जवाब देने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि अगर आप अपना समय आज उन पर इन्वेस्ट करेंगे तो ये भविष्य में आपको बच्चों की सफलता के रूप में बड़ा रिटर्न भी देंगे।
सेंस ऑफ ह्यूमर : सेंस ऑफ ह्यूमर एक ऐसी चीज़ है जो बच्चों में या तो जन्म से होती है या फिर वह धीरे-धीरे एक्सपीरियंस से उसे डेवलेप करते हैं। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री और मशहूर राजनीतिज्ञ विंस्टन चर्चिल के सबसे प्रसिद्ध उदाहरणों में से कई मजाकिया चुटकुले हैं जिन्होंने उनकी बुद्धि का खुलासा किया। चर्चिल इतिहास के उन राजनीतिज्ञ में शुमार हैं जिन्होंने अपने देश को एक अलग राह दी। चर्चिल के समय काफी छोटी उम्र में ब्रिटेन की गद्दी संभालने वाली मौजूदा ब्रिटेन क्वीन एलिजाबेथ 2 भी उनके सेंस ऑफ ह्यूमर से प्रभावित थीं और समय-समय पर उनकी राय लेती थीं। हालांकि चर्चिल का हास्य कभी-कभी कठोर भी होता था लेकिन उनके पास शब्दों के साथ एक तरीका था जिसे वो अच्छे से इस्तेमाल करना जानते थे। तो अगर आपका बच्चा भी सेंस ऑफ ह्यूमर से भरपूर है तो समझिए वो एक जीनियस है और भविष्य में कुछ बड़ा जरूर करेगा। उसे जरूरत है बस सही गाइडेंस की क्योंकि वो अभी रॉ टेलेंट है, उसे राह दिखाना पैरेंट्स का काम है।
म्यूज़िकल एबिलिटी : क्या आपको पता है कि अल्बर्ट आइंस्टीन को संगीत बहुत पसंद था? आइंस्टीन बताते थे कि उन्हें जीवन में सबसे ज्यादा आनंद संगीत से मिलता था। आइंस्टीन अक्सर वायलिन बजाया करते थे और अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताते थे। लगभग 13 साल की आयु से वो मोजार्ट सोनाटास के प्रशंसक थे और उनकी पियानो की रचनाओं का अध्ययन करना उन्हें बहुत पसंद था। आइंस्टीन कितने काबिल थे इस बात को बताने की जरूरत नहीं है। उनकी काबिलियत सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं थी। वो संगीत से गहरा संबंध रखते थे और यही उनके मस्तिष्क को नए आयाम पर सोचने का मौका देता था। कई अध्ययन, संगीतमय होने और बुद्धिमान होने के बीच एक कड़ी दिखाते हैं, और शोधकर्ताओं का मानना है कि संगीत की शिक्षा प्राप्त करने पर बच्चों को एकेडमिक रूप से लाभ होता है। सभी माता-पिता को अपने बच्चों को कम उम्र में ही संगीत से परिचित कराना चाहिए, भले ही उनमें कोई विशेष संगीत प्रतिभा ना हो। शोधकर्ताओं का मानना है कि संगीत प्रशिक्षण मस्तिष्क को प्रभावित करता है और रचनात्मक सोच की क्षमता को खोलता है। तो अगर आपका बच्चा भी संगीत में रुचि ले रहा है तो उसे रोकिए मत।
बड़ों के साथ बातें करना : दरअसल कई बच्चे पढ़ाई में होशियार होते हैं लेकिन वो दूसरों से, खासकर कि बड़े लोगों से बात करने में हिचकिचाते हैं। लेकिन जो बच्चे होशियार होने के साथ-साथ बड़े लोगों से बात करने में डरते नहीं वो वाकई में जीनियस होते हैं और उनका आईक्यू लेवल भी हाई होता है।
प्रतिभाशाली बच्चे : प्रतिभाशाली बच्चों को अक्सर उनकी परिपक्वता, हाल ही की घटनाओं के बारे में अधिक जागरूकता जैसे- देश में क्या चल रहा है, स्पोर्ट्स में क्या चल रहा है आदि, और अन्य बच्चों के बजाय वयस्कों के साथ चैट करने के उनके झुकाव के कारण ‘छोटे वयस्क’ या ‘ओल्ड सोल’ के रूप में वर्णित किया जाता है। बड़ों के साथ बातचीत का आनंद लेना और तरह-तरह के विषयों पर बात करना भी बच्चों में बुद्धिमत्ता की निशानी है। तो अगर आपका बच्चा भी ऐसा ही है तो खुश हो जाइए, आपके घर एक जीनियस है जिसका भविष्य उज्ज्जवल है।