आज रक्षाबंधन का पावन पर्व देशभर में मनाया जा रहा है। यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम, स्नेह, विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक है। हिंदू धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व होता है और यह हर वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। रक्षाबंधन पर भद्राकाल का विशेष ध्यान दिया जाता है,लेकिन इस वर्ष न तो भद्राकाल का साया रहेगा और न ही पंचक का। हिंदू पंचांग के अनुसार आज रक्षाबंधन पर राखी बांधने के लि0ए पूरे 7 घंटे और 37 मिनट का समय मिलेगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस पर्व को श्रावणी पूर्णिमा और राखी के नाम से भी जाना जाता है। रक्षाबंधन बहन-भाई के प्रेम, स्नेह और दुलार का प्रतीक है। यह हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहार में से एक है। इस बार रक्षाबंधन 09 अगस्त, शनिवार को मनाया जा रहा है। रक्षा बंधन एक ऐसा त्योहार है, जो भाई और बहन के बंधन का जश्न मनाता है और भाई और बहन के रिश्ते को मज़बूत करता है। साथ ही साल भर बहन-भाई इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं। भारत में लोग इसे बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं। यह एक हिंदू-विशेष त्योहार है, जो भारत और नेपाल जैसे देशों में भाई और बहन के बीच प्यार के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और प्यार का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजा-पाठ व दान-पुण्य करने से धन, सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही सभी कार्य पूर्ण होते हैं। आज के दिन की शुरुआत करने से पहले यहां दिए गए शुभ व अशुभ समय को अवश्य जान लें…..
रक्षा बंधन का अर्थ
यह त्योहार दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका नाम है “रक्षा” और “बंधन।” जहाँ “रक्षा” सुरक्षा के लिए है और “बंधन” क्रिया को बाँधने का प्रतीक है। साथ में यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते के शाश्वत प्रेम का प्रतीक है और इसी कारण यह केवल रक्त संबंध तक सिमित नहीं है। यह चचेरे भाई, बहन और भाभी (भाभी), भ्रातृ चाची (बुआ) और भतीजे (भतीजा) और ऐसे अन्य संबंधों के बीच भी मनाया जाता है।
बहनों के लिए बेहद खास है रक्षाबंधन
रक्षाबंधन के दिन हर बहन अपने भाई की लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना करती है और भगवान को प्रसन्न करती है और भाई के जीवन में खुशियों की प्रार्थना करती है। इस दिन बहनें मंदिर जाती हैं और भगवान कृष्ण की पूजा करती हैं। अपने भाई की रक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई को राखी बांधती है। इसी प्रकार भाई भी अपनी बहन की रक्षा का वचन देकर सुन्दर उपहार देते हैं।
रक्षा बंधन का महत्व
रक्षा बंधन प्यार और सुरक्षा का दिन है। यह दिन मुख्य रूप से भाई-बहनों के बीच एक-दूसरे के लिए अपने प्यार और स्नेह को व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं और भगवान से उसकी सलामती की प्रार्थना करती हैं और भाई उसे बुराई से बचाने का संकल्प लेते हैं। लोग अपने दोस्तों और अन्य करीबी लोगों को प्यार और देखभाल फैलाने के लिए राखी भी बांधते हैं।
पवित्र धागे का महत्व
बहन भाई के हाथ में पवित्र धागा बांधती है। भाई जीवन भर उसकी रक्षा करने का वचन देता है। यह कोई परंपरा नहीं बल्कि एक बहुत ही पवित्र बंधन है, जो संस्कारों को भी एक धागे में लपेट रहा है। वे संस्कार जो एक बहन के लिए एक भाई और एक भाई के लिए एक बहन के प्यार को बढ़ाते हैं। पेड़ों पर रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। महिलाएं बरगद के पेड़ को धागे से लपेटती हैं, रोली, चंदन, धूप और दीपक से उनकी पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। ऐसे ही कई पेड़ों को धागे से लपेटने की मान्यता है। इसी तरह बहन के बंधे धागे में इतनी शक्ति होती है कि वह भाई के जीवन में खुशियां भर देता है।
भाई-बहन न हों तो वे कैसे मनाएं रक्षाबंधन?
यदि किसी व्यक्ति की बहन नहीं है तो वह किसी भी मंदिर में जाकर पुरोहित से रक्षा सूत्र बंधवा सकते हैं. ऐसे ही जिन लड़कियों और महिलाओं के भाई नहीं हैं तो वे अपने इष्ट देव को राखी बांध सकती हैं या फिर आप कान्हा जी यानि भगवान श्रीकृष्ण को राखी बांध सकती हैं।
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में कोई भी व्रत-त्योहार, धार्मिक अनुष्ठान और मांगलिक कार्य हमेशा शुभ तिथि, नक्षत्र और मुहूर्त को ध्यान में रखकर किया जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार विधि-विधान से अपरान्ह काल में करना सबसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल का विचार अवश्य ही किया जाता है। रक्षाबंधन के दिन अगर भद्राकाल है उसमें राखी नहीं बांधी जाती है। भद्राकाल को अशुभ समय माना गया है। इसके अलावा इस दिन शुभ मुहूर्त और चौघडिया मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना होता है।
राहुकाल खत्म, इतने समय तक राखी बांधना रहेगा शुभ
आज श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि है और आज के दिन देशभर में राखी का त्योहार मनाया जा रहा है। इस बार रक्षाबंधन पर न तो भद्रा का साया बना हुआ और ना ही पंचक। शास्त्रों में भद्राकाल में राखी बांधना अच्छा नहीं माना जाता है। आज के दिन राहुकाल पर भी राखी नहीं बांधनी चाहिए। अब आज का राहुकाल का समय खत्म हो गया है, ऐसे में दोपहर 01 बजकर 24 मिनट तक राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है।
आज इस समय ना बांधे राखी
इस बार गुलिक काल सुबह 5:47 से 7:27 बजे तक रहेगा। यह शनि ग्रह से जुड़ा होता है और इसका असर मिलाजुला हो सकता है, यानी न पूरी तरह शुभ और न ही पूरी तरह अशुभ।वहीं आज के दिन राहुकाल इस दिन सुबह 9:07 से 10:47 बजे तक रहेगा। इस समय को बेहद अशुभ माना जाता है और इसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इसलिए रक्षाबंधन के दिन इस समय के दौरान राखी बांधने से बचें। पंचांग के अनुसार राखी बांधने का शुभ मुहूर्त आज सुबह 5 बजकर 47 से शुरू हो चुका है जो दोपहर 01 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। इस तरह से राखी बांधने के लिए पूरे 7 घंटे और 37 मिनट का समय रहेगा।
रक्षाबंधन पर ग्रहों का दुर्लभ संयोग
आज रक्षाबंधन पर ग्रहों का दुर्लभ संयोग बना हुआ है। आज के दिन न्याय के देवता शनि मीन और सूर्य कर्क राशि में रहेंगे। इसके अलावा मन के कारक चंद्रमा मकर में अपना स्थान लेंगे। वहीं ग्रहों के राजकुमार बुध कर्क व गुरु और शुक्र मिथुन में बने रहेंगे। यही नहीं छाया ग्रह राहु कुंभ और केतु सिंह में मौजूद होंगे। संयोग की बात यह है कि इस बार राखी पर भद्रा का साया भी नहीं रहेगा। रक्षाबंधन पर यह ऐसा संयोग कई वर्षों के बाद बन रहा है।
आज राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
आज देशभर में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है। पंचांग के अनुसार राखी बांधने का शुभ मुहूर्त आज सुबह 5 बजकर 47 से शुरू हो चुका है जो दोपहर 01 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। इस तरह से राखी बांधने के लिए पूरे 7 घंटे और 37 मिनट का समय रहेगा। लेकिन इस बीच राहुकाल भी रहेगा जिसमें राखी बांधने से बचना होगा। राहुकाल सुबह 9 बजकर 07 मिनट से लेकर 10 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
राखी बांधते समय इस मंत्र का करें जाप
“येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः।तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥”अर्थ- जिस पवित्र सूत्र से महान दानवीर राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षा सूत्र से मैं तुम्हें बांध रही हूँ। हे रक्षा सूत्र! तुम स्थिर रहो, कभी ढीले या विचलित न हो।
इस विधि से बांधें भाई की कलाई पर राखी
रक्षाबंधन के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें और चावल के आटे का चौक पूरकर मिट्टी के छोटे से घड़े की स्थापना करें। चावल, कच्चा सूती कपड़ा, सरसों, रोली एक साथ मिला लें। फिर पूजा की थाली तैयार करें और दीप प्रज्ज्वलित करें। मिठाई को प्लेट में रखें। इसके बाद भाई को पीढ़े पर बिठाएं। पीढ़ा आम की लकड़ी का हो तो अच्छा है। रक्षा सूत्र बांधते समय भाई को पूर्व दिशा में बिठाएं। भाई को तिलक लगाते समय बहन का मुख पश्चिम की ओर होना चाहिए। इसके बाद भाई के माथे पर टीका लगाएं और दाहिने हाथ पर रक्षा सूत्र बांधें। राखी बांधने के बाद भाई की आरती करें और फिर मिठाई खिलाएं। अगर बहन बड़ी है तो छोटे भाई को आशीर्वाद दें और अगर आप छोटे हैं तो अपने बड़े भाई को प्रणाम करें।
रक्षाबंधन की पूजा विधि
बहन-भाई को रक्षाबंधन का इंतजार साल भर से रहता है। आइए जानते हैं रक्षाबंधन के दिन कैसे भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधें आइए जानते है रक्षाबंधन पूजा विधि।
* रक्षाबंधन के दिन सबसे पहले स्नान करके भगवान की पूजा-आराधना करें और अपने-अपने इष्टदेव को रक्षासूत्र बांधे।
* पूजा के बाद बहनें राखी की थाली सजाएं।
* पूजा की थाली में रोली, अक्षत, कुमकुम, रंग-बिरंगी राखी, दीपक और मिठाई रखें।
* शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए बहनें भाईयों के माथे पर चंदन, रोली और अक्षत से तिलक लगाएं।
* इसके बाद भाई के दाएं हाथ की कलाई पर रक्षासूत्र बांधे और भाई को मिठाई खिलाएं।
* अंत में बहनें भाई की आरती करते हुए अपने इष्टदेव का स्मरण करते हुए भाई की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करें।
भद्रा में क्यों नहीं बांधनी चाहिए राखी
भद्रा काल में राखी नहीं बांधनी चाहिए. भद्रा में राखी नहीं बांधने को एक पौराणिक कथा है. जिसमें बताया गया है कि भद्रा में भी लंकापति रावण की बहन सूर्पणखा ने उनके कलाई पर राखी बांधी थी. जिसके चलते रावण का एक वर्ष के अंदर ही विनाश हो गया था. ऐसा कहा जाता है कि भद्रा को शनिदेव की बहन थी. जिसे ब्रम्हा जी ने श्राप दिया था कि अगर कोई भी भद्रा में शुभ या मांगलिक कार्य करेगा उसका परिणाम अशुभ होगा होगा. जिसके चलते ही भद्रा में राखी नहीं बांधने की सलाह दी जाती है।
रक्षाबंधन के दिन इन नियमों का रखें ध्यान
* मुहूर्त शास्त्र के अनुसार अगर पूर्णिमा तिथि पर अपरान्ह काल में भद्रा लगी हुए हो तो रक्षाबंधन का विचार नहीं करना चाहिए। अगर पूर्णिमा अगले दिन तीन मुहूर्तों में हो तो रक्षाबंधन अगले दिन अपरान्ह काल में मनाना चाहिए।
* शास्त्रों के अनुरूप पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में रक्षासूत्र बांधना चाहिए एवं विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में कलावा बांधने का विधान है।
* रक्षासूत्र बंधवाते समय उस हाथ की मुट्ठी को बंद रखकर दूसरा हाथ सिर पर रखना चाहिए।
* रक्षाबंधन वाले दिन जब आप सुबह तैयार होते हैं तो उस दिन काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए. काले कपड़ों से नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है।
* जब आप भाई का टीका करती हैं तो ध्यान रखना है कि भाई का सिर रूमाल से ढका हो।
* एक बात का ख्याल और रखना है कि भाई का चेहरा दक्षिण दिशा की तरफ न हो।
* माथे के ऊपर जब आप चावल लगाते हैं तो ध्यान रहें कि चावल टूटे हुए न हो क्योंकि टूटे हुए चावल शुभ नहीं माने जाते।
मुहूर्त खत्म होने पर क्या करें?
रक्षाबंधन के दिन शुभ मुहूर्त में राखी बांधने से शुभ फल मिलते हैं। लेकिन कई बार बहनें किसी काम की वजह से समय पर राखी नहीं बांध पाती हैं, इसलिए ये काम कर सकती हैं। लेकिन साथ ही यह भी जान लें कि अगर रक्षाबंधन का सही समय बीत जाता है तो क्या उपाय करने चाहिए। अगर रक्षाबंधन का मुहूर्त निकल गया है तो बहनें इन आसान उपायों को अपना सकती हैं और अमंगल को मंगल में परिवर्तित कर सकती हैं।भगवान शिव की मूर्ति, चित्र या शिवलिंग पर राखी चढ़ाएं। इसके बाद महामृत्युंजय मंत्र की एक माला (108 बार) जाप करें। इसके बाद भाइयों की कलाई पर भगवान शिव को अर्पित रक्षा सूत्र बांधें। भगवान शिव की कृपा और महामृत्युंजय मंत्र के प्रभाव से सब कुछ शुभ रहेगा।
ऐसे बांधें राखी
भगवान शिव की मूर्ति, चित्र या शिवलिंग पर राखी चढ़ाएं। फिर महामृत्युंजय मंत्र की एक माला (108 बार) जाप करें। इसके बाद भगवान शिव को अर्पित किए गए रक्षा सूत्र को दाहिने हाथ में भाइयों की कलाई पर बांधें। तिलक लगाकर भाई की आरती करें। भाई को मिठाई खिलाये। भगवान शिव की कृपा, महामृत्युंजय मंत्र और श्रावण सोमवार के प्रभाव से सब कुछ शुभ रहेगा। राखी बांधने के बाद भाइयों को अपनी इच्छा और क्षमता के अनुसार बहनों को उपहार देना चाहिए।
रक्षाबंधन से जुड़ी कथाएं
शास्त्रों में रक्षाबंधन को मनाए जाने के पीछे कई तरह की पौराणिक कथाओं का वर्णन मिलता है।
कृष्ण-द्रौपदी कथा : रक्षाबंधन को लेकर महाभारत में कृष्ण भगवान और द्रौपदी की बीच एक प्रसंग का वर्णन मिलता है। महाभारत के अनुसार एक बार भगवान कृष्ण की उंगली में चोट लग गई थी। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का हिस्सा फाड़कर भगवान श्रीकृष्म की उंगली पर बांधा था। तब भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को हमेशा रक्षा करने का वचन दिया था। तभी से हर वर्ष सावन पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है।
लक्ष्मीजी और राजा बलि से जुडी कथा: शास्त्रों के अनुसार दैत्यों के राजा बलि ने अपने बल और पराक्रम से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था। राजा बलि के इस पराक्रम को देखकर स्वर्ग के राजा इंद्रदेव घबरा गए और मदद के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे। इंद्र की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए, भगवान विष्णु ने वामन का रूप धारण किया और राजा बलि से भिक्षा मांगने के लिए चले गए। भगवान वामन ने दानवीर बलि से तीन पग भूमि मांगी। अपने पहले और दूसरे चरण में, भगवान वामन ने पृथ्वी और आकाश को माप लिया। इसके बाद तीसरा पग रखने के लिए कुछ नहीं बचा तो राजा बलि ने तीसरा पग अपने सिर पर रखने को कहा। भगवान वामन ने वैसा ही किया। इस तरह देवताओं की दुविधा समाप्त हो गई और साथ ही बलि के दान से भगवान बहुत प्रसन्न हुए। जब उन्होंने राजा बलि से वरदान मांगने को कहा तो बलि ने उनसे पाताल लोक में बसने का वरदान मांगा। राजा की इच्छा पूरी करने के लिए भगवान विष्णु को पाताल लोक जाना पड़ा। इससे सभी देवी-देवता और माता लक्ष्मी चिंतित हो गए। अपने पति को वापस लाने के लिए, माता लक्ष्मी ने एक गरीब महिला का रूप धारण किया और राजा बलि के पास पहुंची और उन्हें अपने भाई के रूप में राखी बांधी। बदले में, उसने भगवान विष्णु को पाताल लोक से लेने जाने का वचन मांगा। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी और मान्यता है कि तभी से रक्षाबंधन मनाया जाता है।
यमराज और यमुना से जुडी कथा: रक्षाबंधन से जुड़ी एक कथा है, जिसके अनुसार मृत्यु के देवता यमराज और यमुना भाई-बहन है। एक बार यमुना ने अपने भाई यमराज को रक्षासूत्र बांधकर लंबी आयु का आशीर्वाद दिया। तब से हर श्रावण पूर्णिमा पर यह परंपरा चली आ रही है।
इंद्र और इन्द्राणी से जुडी कथा के अनुसार : भविष्य पुराण के अनुसार, एक बार देवताओं और राक्षसों के बीच 12 साल तक युद्ध हुआ लेकिन देवता जीत नहीं सके। अपनी हार के डर से दुखी होकर इंद्र देवगुरु बृहस्पति के पास गए। उनके सुझाव पर, इंद्र की पत्नी ने श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर रक्षा सूत्र तैयार किया। इसके बाद उन्होंने इंद्र की दाहिनी कलाई पर रक्षा सूत्र बांध दिया और सभी देवता राक्षसों पर विजयी हुए। तभी से विजय की कामना के लिए रक्षासूत्र बांधने की परंपरा शुरू हुई।
रक्षा बंधन जीवन को प्रगति और मैत्री की ओर ले जाने वाला एकता का एक बड़ा पवित्र त्योहार है। रक्षा का अर्थ है बचाव। राखी भाई और बहन के बीच प्यार के बंधन को मजबूत बनाती है, तथा इस भावनात्मक बंधन को पुनर्जीवित करती है। आज के आधुनिक युग में भले बहुत-सी चीजों में परिवर्तन आ गया हो लेकिन भाई-बहन के प्रेम का त्योहार रक्षा बंधन आज भी उसी स्वरूप में मनाया जाता है। भाई और बहन, दोनों ही बेसब्री से इस दिन का इंतजार करते हैं।
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