भारत जैसे विकासशील देश में जितना अधिक महत्व लोकतंत्र का है उतना ही महत्व इंजीनियर्स का भी है जो देश के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आज के समय मे हर देश इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र मे आगे निकला चाहता है, किसी भी देश को विकास करने के लिए उसके पास अच्छे इंजीनियर्स का होना बहुत ज़रूरी है। आज भारत इंजीनियरिंग के क्षेत्र मे इतना आगे निकाल गया है इसका श्रय देश के होनहार और काबिल इंजीनियर्स को जाता है। आज हम अपने दैनिक जीवन मे जो कुछ भी प्रयोग मे लेते है वो सब कही न कही इंजीनियरिंग की ही देन है। भारत में इस इंजीनियरिंग की शुरुवात की थी सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया जिनके याद मे हम Engineers Day मनाते है। वही आज हम अंतरराष्ट्रीय लोकतांत्रिक दिवस भी मना रहे हैं भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है इसलिए भारत में इस दिवस को मनाने का महत्व और भी बढ़ जाता है। पूरी दुनिया 15 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। लोकतंत्र का मतलब यह कि जनता का जनता के लिए और जनता के द्वारा चुना जाता है। लोकतंत्र का अर्थ सिर्फ लोगों का लोगों के द्वारा लोगों के लिए नहीं है इसका अर्थ व्यापक है। यह सामाजिक आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक है। देश में रहने वाले सभी लोगों को समाज में समान अवसर प्राप्त हो, देश के सभी लोग राजनीति में समान भागीदारी रखें। तो आइये जानते हैं अभियंता दिवस और अंतरराष्ट्रीय लोकतांत्रिक दिवस के बारे में ढेर सारी बातें….
आज के वक्त में दुनियाँ के हर क्षेत्र में इंजिनियर का नाम हैं. दुनियाँ की प्रगति में इंजिनियर का हाथ हैं फिर चाहे वो कोई भी फील्ड हो. तकनिकी ज्ञान के बढ़ने के साथ ही किसी भी देश का विकास होता हैं. इससे समाज के दृष्टिकोण में भी बदलाव आता हैं. इस तरह पिछले दशक की तुलना में इस दशक में दुनियाँ का विकास बहुत तेजी से हुआ इसका श्रेय दुनियाँ के इंजिनियर को जाता हैं. उन्हें ही सम्मान देने के उद्देश्य के साथ इंजीनियर्स डे मनाया जाता है. वर्ष 1967 से ही भारत रत्न से सम्मानित देश के महान इंजीनियर सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया जी की स्मृति में 15 सितम्बर को उनकी जयंती को राष्ट्रीय अभियंता दिवस (Engineer’s Day) के रूप में मनाया जाता है। इस साल 2024 में हम 57वां इंजीनियर डे और सर एमवी की 164वीं जन्म जयंती मना रहे है। 2020 से वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ इंजीनियरिंग ऑर्गेनाइजेशन (WFEO) और IESF के सहयोग से UNESCO द्वारा 4 मार्च को ‘एक सतत विश्व के लिए विश्व इंजीनियरिंग दिवस‘ के रूप में नामित किया गया है। आइये इस लेख में हम आपको इस दिन को मनाने के बारे में जानकारी देते हैं।
इंजीनियरिंग दिवस के बारे में जानकारी
नाम : राष्ट्रीय अभियंता दिवस (National Engineer’s Day)
स्मृति दिवस : सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया
तिथि : 15 सितंबर (वार्षिक) स्थापित : वर्ष 1967
उद्देश्य : देश के सभी इंजिनियरों को उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों के लिए सम्मानित करना।
थीम (2024) : इंजीनियरिंग सॉल्यूशन फॉर ए सस्टेनेबल वर्ल्ड (Engineering Solutions for a Sustainable World)
उद्देश्य : भारत के पहले सिविल इंजीनियरों में से एक सर एमवी के प्रयासों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए।
इंजीनियर्स डे (अभियन्ता दिवस)
इसके उदहारण के लिये अगर हम अपने हाथ में रखे स्मार्ट फोन को ही देखे और पीछे मुड़कर इसके इतिहास को याद करे, तो हमें होने वाले बदलावों का अहसास हो जाता हैं. अभी से लगभग 15 वर्ष पहले एक टेलीफोन की जगह लोगो के हाथों में मोबाइल फोन आये थे, जिसमे वो कॉल और एस एम एस के जरिये अपनों के और भी करीब हो गये. वहीँ कुछ वक्त बीतने पर यह मोबाइल फोन, स्मार्ट फ़ोन में बदल गया. कल तक अपने करीब आये थे. आज दुनियाँ मुट्ठी में आ गई. अपनों से बात करने से लेकर बिल भरना, शॉपिंग करना, बैंक के काम आदि कई काम एक स्मार्ट फोन के जरिये संभव हो पाये. और ऐसे परिवर्तन हर कुछ मिनिट में बदलकर और बेहतर रूप लेते जा रहे हैं, इस तरह के विकास का श्रेय इंजिनियर्स को जाता हैं. यह तो केवल एक उदाहरण था. ऐसे कई क्षेत्र हैं जहाँ इंजिनियर ने अपने करतब दिखाये हैं और दुनियाँ को एक जगह पर बैठ- बैठे आसमान तक की सैर करवाई हैं।
दुनिया के अन्य क्षेत्र में इंजिनियर डे कब मनाया जाता है
देश तारीख
अर्जेंटीना 16 जून
बांग्लादेश 7 मई
बेल्जियम 20 मार्च
कोलंबिया 17 अगस्त
आइसलैंड 10 अप्रैल
ईरान 24 फ़रवरी
इटली 15 जून
मैक्सिको 1 जुलाई
पेरू 8 जून
रोमानिया 14 सितम्बर
तुर्की 5 दिसम्बर
भारत में इंजिनियर डे महान इंजिनियर और राजनेता मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया की याद में मनाया जाता है, तो चलिए इनके जीवन को करीब से जानते है।
कब मनाया जाता है? (इतिहास)
वर्ष 1967 में भारत सरकार ने देश के महान इंजीनियर डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया द्वारा किए गए उनके कार्यों को सम्मानित करने के लिए 15 सितंबर को उनकी जयंती पर Engineer’s Day (अभियन्ता दिवस) मनाने की घोषणा की थी।
* सिंचाई, बाँध व बाढ़ नियंत्रण के क्षेत्र में किए गए उनके असाधारण व उल्लेखनीय कार्यों के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।
* एम् विश्वेश्वरैया को आधुनिक भारत का विश्वकर्मा(रचनाकार) भी माना जाता है उन्होंने अपनी प्रतिभा की बदौलत भारत को एक नया रूप दिया।
* एम. विश्वेश्वरैया जी को 1955 में उत्कृष्ट इंजिनियर के तौर पर सफलतम कार्य करने के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उन्हें ‘फादर ऑफ़ इंडियन इंजीनियरिंग’ भी कहा जाता है।
इंजीनियर दिवस क्यों मनाते है? (उद्देश्य)
इंजीनियर डे मनाने का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र निर्माण में भूमिका निभाने वाले देश के समस्त इंजिनियरों को सम्मानित करना और देश के उत्थान में किए गए उनके योगदानों की सराहना करना है। साथ ही इसका लक्ष्य हमारे देश के युवाओं को इंजीनियरिंग के करियर के प्रति प्रेरित करना, तथा प्रसिद्ध भारतीय अभियंता एम. विश्वेश्वरैया जी की उपलब्धियों को मान्यता देना और उनके द्वारा किए गए कार्यों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना है। वैसे तो मोक्षागुंडम जी ने अलग-अलग फील्ड में कार्य किया परंतु उन्हें शिक्षा एवं इंजीनियरिंग क्षेत्र में देश के लिए किए गए उनके असाधारण योगदान के लिए जाना जाता है।
इंजीनियर्स डे का महत्व
यदि भारत में इंजीनियरों की स्थिति की बात की जाए तो भारत में हर साल तकरीबन 20 लाख से ज्यादा इंजिनियर तैयार होते हैं, जिनमें अलग-अलग क्षेत्र के इंजिनियर शामिल है जैसे कंप्यूटर साइंस, सिविल, इलेक्ट्रॉनिक, मैकेनिकल एवं केमिकल आदि। साथ ही भारत दुनिया के उन अग्रणी देशों में से एक है जहां आईटी इंजीनियरों की भारी संख्या मौजूद है। इसके साथ ही एक रिपोर्ट की माने तो हर साल देश में तमाम तकनीकी शिक्षा संस्थानों में इंजीनियर बनने के लिए पढ़ाई करने वाले छात्रों (करीब 8 लाख़) में से लगभग 60 फ़ीसदी छात्र बेरोजगार ही रह जाते हैं। अन्य आंकड़ों की माने तो हर साल औसतन 65% से 75% आईआईटी के छात्रों का कैंपस प्लेसमेंट नहीं हो पाता, ऐसे में इस संख्या को कम करने और इंजीनियरों की स्थिति में सुधार करने के लिए इंजीनियर डे मनाना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
हैप्पी इंजीनियर्स डे सेलिब्रेशन
* इंजिनियर डे के दिन सभी इंजिनियरों को बधाई दी जाती है। और ख़ास तौर पर इंजीनियरिंग कॉलेजों द्वारा कई रंगारंग कार्यक्रम किए जाते हैं।
* साथ ही डॉ. विश्वेश्वरैया जी की मूर्ति पर श्रद्धांजलिअर्पित की जाती है और उनके उल्लेखनीय कार्यों और अविष्कारों को लोगों के बीच उजागर किया जाता हैं।
* इसके अलावा संस्थानों में तकनीकी प्रतियोगिताएं और कार्यशालाएं आयोजित की जाती है तथा छात्र विभिन्न तकनीकी परियोजनाओं का भी प्रदर्शन करते हैं।
* आज सोशल मीडिया का दौर है इसलिए लोग एक दुसरे को शुभकामना संदेश देने के लिए फेसबुक, ट्विटर एवं Whatsapp आदि का इस्तेमाल करते है।
इंजीनियरिंग दिवस 2024 की थीम?
किसी भी दिवस को मनाने के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है। ऐसे ही पूरे विश्व में इंजीनियरों के कठिन और रोचक प्रयासों का सम्मान करने के लिए हम इंजीनियर्स दिवस को हर साल एक नई और अनोखी थीम के साथ मानते है। 2024 के लिए इंजीनियरिंग दिवस की थीम ‘इंजीनियरिंग सॉल्यूशन फॉर ए सस्टेनेबल वर्ल्ड’ (Engineering Solutions for a Sustainable World) रखी गई है। इससे पहले साल 2023 में इंजीनियर्स दिवस की थीम ‘इंजीनियरिंग फॉर ए सस्टेनेबल फ्यूचर (Engineering for a Sustainable Future) रखी गई थी। इसी तरह साल इंजीनियर दिवस 2022 की थीम “बेहतर दुनिया के लिए स्मार्ट इंजीनियरिंग” (Smart Engineering for a Better World) रखी गई थी। दिवस 2021 की थीम “COVID का मुकाबला करने में कौशल विकास और रोजगार के लिए इंजीनियर” (Engineers for Skill Development and Employment in combating COVID) थी।
यहाँ अभियन्ता दिवस की पिछले कुछ वर्षों की थीम्स दी गयी है:
2020: आत्मनिर्भर भारत के लिए इंजीनियर्स (Engineers for a Self-Reliant India)
2019: इंजीनियरिंग के लिए बदलाव (Engineering for Change)
2018: ज्ञान युग के लिए इंजीनियरिंग चुनौतियां (Engineering Challenges for Knowledge Era)
2017: विकासशील भारत में इंजीनियरों की भूमिका (Role of Engineers in a Developing India)
2016: युवा इंजीनियरों के लिए कोर सेक्टर में सुधार के लिए कौशल विकास: विजन 2025, (Skill Development for Young Engineers to Reform the Core Sector: Vision 2025)
2015: ज्ञान युग के लिए इंजीनियरिंग चुनौतियां, (Engineering Challenges for Knowledge Era)
2014: भारतीय इंजीनियरिंग को विश्वस्तरीय बनाना, (Making Indian Engineering World-Class)
2013: मितव्ययी इंजीनियरिंग-कम संसाधन के साथ अधिक प्राप्त करना (Frugal Engineering-Achieving More with Fewer Resources)
मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया कौन थे?
प्रख्यात भारतीय इंजीनियर और राजनेता मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितम्बर 1860 को कर्नाटक(तब मैसूर) राज्य के कोलर जिले में पड़ने वाले मुद्देनाहल्ली गाँव में हुआ था। इनकी माता का नाम वेंकचाम्मा था, तथा पिता श्रीनिवास शास्त्री आयुर्वेदिक डॉक्टर और संस्कृत के विज्ञाता थे। उन्होने अपनी स्कूली शिक्षा चिकबल्लापुर से पूरी की, इसी बीच उनके पिता का देहांत हो गया और वे आगे की पढाई के लिए बैंग्लोर चले गए। 1881 में मद्रास यूनिवर्सिटी के सेंट्रल कॉलेज से बीए की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें मैसूर सरकार से मदद मिली और उन्होंने पूना के साइंस कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लिया। वर्ष 1883 में LCE और FCE (वर्तमान में BE के समान) Exam में उन्होंने प्रथम स्थान हासिल कर अभियन्ता बन गए और शुरूआत में उन्हें बोम्बे सरकार (नासिक) में असिस्टेंट इंजीनियर की जॉब मिली। उन्होंने कई बांधों के निर्माण में अहम भूमिका अदा की और बाढ़ सुरक्षा प्रणाली को कुछ इस तरह से तैयार किया कि समस्त भारत में उन्हें एक कुशल अभियंताके तौर पर जाना जाने लगा।
मृत्यु
देश को अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए 102 वर्ष की आयु में 14 अप्रैल 1962 को मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया का निधन हो गया। इससे पहले उनके 100वें जन्मदिन के अवसर पर भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में उनकी फोटो और नाम वाला स्टाम्प (डाक टिकट) निकाला था।
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या द्वारा किए गए कुछ ऐतिहासिक कार्य
* सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या जी एक महान इंजीनियर थे उन्होंने एक नई सिंचाई प्रणाली ब्लॉक सिस्टमकी शुरूआत की और मैसूर स्थित कृष्णराज सागर बांध के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
* इसके साथ ही उन्होंने वर्ष 1903 में पुणे स्थित खड़कवासाला जलाशय पर स्थापित स्वचालित वीर जल बाँध को डिजाइन और पेटेंट कराया।
* उन्होंने बांध के दरवाजों पर भी काफी अधिक कार्य किया और ऐसे दरवाजे लगाए जिससे वह अधिक से अधिक बाढ़ का दबाव झेल सके।
* अपने उद्घाटन के समय कावेरी नदी पर बना कृष्णराजा सागर बांध एशिया का सबसे बड़ा जलाशय था, जिसका निर्माण उनकी देखरेख में ही हुआ था।
* विश्वेश्वरैया जी ने मैसूर सरकार के साथ काम करते हुए मैसूर की का काया पलट कर दिया इसीलिए उन्हें ‘मॉडर्न मैसूर स्टेट का जनक’ भी कहा जाता है।
* उन्होंने मैसूर में विश्वेश्वरय्या कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के स्थापना करवाई साथ ही आयरन एंड स्टील फैक्ट्री, श्री जयचामाराजेंद्र पॉलिटेक्निक संस्थान, बेंगलुरु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, सेंचुरी क्लब, मैसूर चेंबर ऑफ कॉमर्स एवं यूनिवर्सिटी, मैसूर साबुन फैक्ट्री के साथ-साथ कई अन्य फैक्ट्रियों एवं शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना भी उन्होंने ही करवाई।
* एम. विश्वेश्वरैया ने 1912 से 1918 तक मैसूर राज्य के ‘दीवान‘ के रूप में भी काम किया।
एम. विश्वेश्वरैया का व्यक्तित्व
* आजकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले कई छात्र नशे के आदी हो जाते हैं परंतु एम. विश्वेश्वरैया जी एक आदर्शवादी, अनुशासन वाले तथा नशे से दूर रहने वाले एक महान व्यक्तित्व के धनी थे।
* जिस समय वे भारत निर्माण में यह सभी महत्वपूर्ण कार्य कर रहे थे उस समय देश में ब्रिटिश साम्राज्य था परंतु उन्होंने कभी भी अपने कार्य में इसे बाधा नहीं बनने दिया और अपने कामों में जुटे रहे।
* वह हमेशा गरीबी, अशिक्षा एवं बेरोजगारी जैसी समस्याओं को लेकर बड़े परेशान रहा करते थे ऐसे में जब उनकी नियुक्ति मैसूर में हुई तो उन्होंने वहाँ स्कूलों की संख्या में दुगनी से ज्यादा की बढ़ोतरी कर दी।
* विश्वेश्वरैया जी को समय का बहुत पाबंद माना जाता है बताया जाता है कि वह कहीं भी 1 मिनट भी लेट नहीं होते थे।
* उन्होंने अपने आप को कुछ इस तरह से फिट बनाया हुआ था कि वह 92 साल की उम्र में भी अपने पैरों पर बिना किसी सहारे के चलते थे।
एम. विश्वेश्वरैया जी अवार्ड
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1955 में विश्वेश्वरैया जी को भारत के सबसे बड़े सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था.
* लन्दन इंस्टीट्यूशन सिविल इंजीनियर्स की तरफ से भी विश्वेश्वरैया जी को सम्मान दिया गया था.
* इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस की तरह से भी विश्वेश्वरैया जी को सम्मानित किया गया.
* विश्वेश्वरैया जी कर्नाटका के सबसे प्रसिद्ध लोगों में से एक है.
* इसके अलावा देश के आठ अलग अलग इंस्टिट्यूट के द्वारा उन्हें डोक्टरेट की उपाधि दी गई.
* विश्वेश्वरैया जी के 100 साल के होने पर भारत सरकार ने उनके सम्मान में स्टाम्प निकाला.
* इनके जन्म दिवस पर समस्त भारत में इंजिनियर डे मनाया जाता है.
प्रथम महिला इंजीनियर का नाम क्या है?
तमिलनाड़ु की रहने वाली अय्याला सोमयजुला ललिता (Ayyalasomayajula Lalitha) को भारत की पहली महिला इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के रूप में याद किया जाता है। तो वहीं दुनिया की पहली महिला इंजीनियर एलिसा लेओनिडा जमफिरेसको (Elisa Leonida Zamfirescu) है।
जो ऊंचाई पर जाने से नहीं डरता, जो गिरने से नहीं डरता, जो एग्जाम से नहीं डरता, वही असल इंजिनियर हैं होता। जो खिलोने के टूटने से रोता नहीं, जो फ़ैल होने से डरता नही, कोड कितना ही फट जाये, पर वो किये बिना मानता नही, कोई पागल कहे या आवारा, यही होता हैं इंजिनियर बैचारा। जो फ़ैल होने पर हँसता हैं, जो रात में जागता दिन में सोता हैं, उल्लू नही हैं यारो, आज के टाइम में इंजिनियर कहलाता हैं। पूरे चार साल जो जानवर सा जीता हैं, जो सेशनल के पीछे कॉलेज को जाता हैं, जो 33 नंबर के लिए पूरी एक रात जागता हैं, कुछ आये ना आये एग्जामिनर के लिए जो लिखकर आता हैं, अरे भाईयों वही तो एक दिन इंजिनियर बन पाता हैं।।
अंतराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस (इंटरनेशनल डे ऑफ़ डेमोक्रेसी)
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और अपने मूल्यों को भली भाँती समझता है| लेकिन विश्व में कई ऐसे देश हैं जहाँ की जनता अपने देश में भी लोकतंत्र बहाली चाहती है| सयुंक्त राष्ट्र महासभा ने लोकतंत्र के सिद्धांतों को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष का एक दिन इंटरनेशनल डे ऑफ़ डेमोक्रेसी के रूप में मनाने का संकल्प लिया है| आइये जानते हैं कब मनाया जाता है अंतराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस (International Day of Democracy) और क्या है इस वर्ष का विषय।
अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस एक महत्वपूर्ण अवसर है जिसे दुनिया भर में विशेष रूप से लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने और मानवाधिकारों का समर्थन करने के लिए स्वीकार किया जाता है। हर साल यह 15 सितंबर को मनाया जाता है, और यह दुनिया भर में पारदर्शी, जवाबदेह और समावेशी शासन स्थापित करने की आवश्यकता की याद दिलाता है। हमने यह ब्लॉग UPSC उम्मीदवारों को अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस 2024 पर महत्वपूर्ण तथ्यात्मक जानकारी और व्यावहारिक सामग्री प्रदान करने के लिए बनाया है, जिसमें इसका इतिहास, महत्व और इस वर्ष की थीम शामिल है। भारत में लोकतंत्र की विशेषताओं पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस का अवलोकन
अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस 2024 हर साल 15 सितंबर को मनाया जाता है । यह खास दिन सभी के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोकतंत्र के सार्वभौमिक सिद्धांतों, जैसे भागीदारी, पारदर्शिता, जवाबदेही और समानता पर प्रकाश डालता है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित किया गया था और यह दुनिया भर में लोकतंत्र की स्थिति, इसकी चुनौतियों और भविष्य के लिए इसकी संभावनाओं पर विचार करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
इंटरनेशनल डे ऑफ़ डेमोक्रेसी कब मनाया जाता है?
इंटरनेशनल डे ऑफ़ डेमोक्रेसी हर वर्ष 15 सितम्बर को मनाया जाता है| दरअसल 15 सितम्बर 1997 को इंटर पार्लियामेंट्री यूनियन (आई.पी.यू) ने लोकतंत्र के सिद्धांतों, लोकतांत्रिक देशों के काम के तरीकों और लोकतंत्र के अंतराष्ट्रीय दायरों की पुष्टि के लिए एक घोषणा (यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ़ डेमोक्रेसी) करी और उसे अपनाया| वर्ष 2006 में दोहा, क़तर में हुए छठे “नए और पुनर्स्थापित लोकतंत्र के अंतराष्ट्रीय सम्मलेन” (ICNRD-6) में सरकारों, संसदों और नागरिक समाज की भागीदारी के साथ प्रक्रिया की त्रिपक्षीय प्रकृति को सुदृढ़ किया और यह छठा सम्मलेन एक घोषणा और कार्य योजना के साथ संपन्न हुआ जिसने लोकतंत्र के मौलिक सिद्धांतों और मूल्यों की पुष्टि की| इस छठे ICNRD (इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑन न्यू एंड रिस्टोर्ड डेमोक्रेसी) के बाद क़तर द्वारा स्थापित एक सलाहकार बोर्ड ने अंतराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस को बढ़ावा देने का निर्णय लिया| क़तर ने सयुंक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव का मसौदा तैयार करने का बीड़ा उठाया और सदस्य देशों के साथ परामर्श किया| इंटर पार्लियामेंट्री यूनियन (आई.पी.यू) के सुझाव पर 15 सितम्बर (लोकतंत्र पर यूनिवर्सल घोषणा की तिथि) को इंटरनेशनल डे ऑफ़ डेमोक्रेसी मनाया जाने लगा| 08 नवंबर 2007 को सर्वसहमति से “नए और पुनर्स्थापित लोकतंत्रों को बढ़ावा देने के लिए सरकारों के प्रयासों को सयुंक्त राष्ट्र प्रणाली द्वारा समर्थन” नामक संकल्प को सर्वसम्मति से अपनाया गया| और वर्ष 2008 से प्रत्येक वर्ष 15 सितम्बर “इंटरनेशनल डे ऑफ़ डेमोक्रेसी” के रूप में मनाया जाने लगा|
लोकतंत्र का अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2024 थीम:
हर साल अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस एक खास थीम के साथ मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस 2024 की थीम हमेशा लोगों की भागीदारी के माध्यम से लोकतंत्र को मजबूत करने के सिद्धांतों पर आधारित होती है। वर्ष 2024 के लिए थीम अभी तय नहीं हुई है, इसे जल्द ही अधिकारियों द्वारा आधिकारिक रूप से प्रकाशित किया जाएगा।
भारत में लोकतंत्र
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत लोकतांत्रिक सिद्धांतों और संस्थाओं का एक उदाहरण है। 1947 में देश की आज़ादी के बाद से भारतीय लोकतंत्र विकसित हुआ है और दुनिया की सबसे गतिशील लोकतांत्रिक प्रणालियों में से एक बना हुआ है।
भारतीय लोकतंत्र की विशेषताएँ
भारत में लोकतंत्र की कई अनूठी विशेषताएं हैं:
* सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (अनुच्छेद 326) : भारतीय संविधान का अनुच्छेद 326 सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार प्रदान करता है , जिसका अर्थ है कि भारत का प्रत्येक नागरिक जो 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का है, उसे चुनावों में मतदान करने का अधिकार है। यह जाति, लिंग, धर्म या धन की परवाह किए बिना सभी नागरिकों के लिए व्यापक राजनीतिक भागीदारी और समान मतदान अधिकार सुनिश्चित करता है।
* संघीय संरचना (अनुच्छेद 1 और भाग XI) : भारत का संविधान एक संघीय संरचना स्थापित करता है जहाँ सत्ता संघ (केंद्रीय) और राज्य सरकारों के बीच विभाजित होती है। जबकि अनुच्छेद 1 भारत को “राज्यों का संघ” के रूप में संदर्भित करता है, संविधान का भाग XI संघ सूची , राज्य सूची और अनुसूची VII में समवर्ती सूची के माध्यम से संघ और राज्यों के बीच शक्तियों के वितरण को परिभाषित करता है ।
* संसदीय प्रणाली (अनुच्छेद 74-75, 79-88) : अनुच्छेद 74-75 निर्दिष्ट करते हैं कि प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद संसद के प्रति उत्तरदायी हैं, यह सुनिश्चित करता है कि कार्यपालिका विधायिका के प्रति जवाबदेह है। अनुच्छेद 79-88 संसद की संरचना और कार्यप्रणाली का विस्तार से वर्णन करते हैं , कार्यपालिका पर विधायी निगरानी के महत्व पर जोर देते हैं।
* स्वतंत्र न्यायपालिका (अनुच्छेद 124-147 और 214-231) : अनुच्छेद 124-147 सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों और कार्यों से संबंधित हैं , जबकि अनुच्छेद 214-231 उच्च न्यायालयों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। न्यायपालिका कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र है, और इसकी प्राथमिक भूमिका संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना, कानूनों की व्याख्या करना और यह सुनिश्चित करना है कि कानून का शासन बना रहे। न्यायिक स्वतंत्रता भारतीय लोकतंत्र का एक प्रमुख कारक है।
* धर्मनिरपेक्षता (प्रस्तावना और अनुच्छेद 25-28) : भारतीय संविधान की प्रस्तावना भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करती है। अनुच्छेद 25-28 धर्म की स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं , यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक नागरिक को अपनी पसंद का कोई भी धर्म मानने का अधिकार है। राज्य धार्मिक मामलों में तटस्थता बनाए रखता है, सभी धर्मों के बीच समानता को बढ़ावा देता है।
* नियमित चुनाव (अनुच्छेद 324-329) : भारतीय संविधान अनुच्छेद 324-329 के माध्यम से नियमित, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव अनिवार्य करता है , जो संसद, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यालयों के चुनावों की देखरेख के लिए भारत के चुनाव आयोग को एक स्वतंत्र निकाय के रूप में स्थापित करता है। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया की वैधता सुनिश्चित करता है।
* विविध प्रतिनिधित्व (अनुच्छेद 330-342) : भारतीय संविधान में विविध सामाजिक और जातीय समूहों के प्रतिनिधित्व का प्रावधान है। अनुच्छेद 330-342 अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े समुदायों के हितों की रक्षा के लिए लोकसभा (अनुच्छेद 330) और राज्य विधानसभाओं (अनुच्छेद 332) में उनके लिए सीटें आरक्षित करता है। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में समावेशी भागीदारी सुनिश्चित करता है।
अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस दुनिया भर में और भारत में लोकतंत्र की स्थिति पर विचार करने का एक सही समय है। यह याद दिलाता है कि लोकतंत्र केवल चुनावों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि शासन में नागरिकों की निरंतर भागीदारी भी है।