गोवर्धन का पर्व आज मनाया जा रहा है. गोवर्धन पूजा में गौ धन यानी गायों की पूजा की जाती है और गायों को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है. इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन मुख्य रूप से भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को भगवान इंद्र के गुस्से से बचाया था. साथ ही भगवान इंद्र को उनकी गलती का एहसास करवाया था. उस समय से ही भगवान कृष्ण के उपासक उन्हें गेहूं, चावल, बेसन से बनी सब्जी और पत्तेदार सब्जियां अर्पित करते हैं।
सनातन धर्म के लोगों के लिए पांच दिवसीय दिवाली उत्सव का विशेष महत्व है। आज पांच दिवसीय दिवाली उत्सव का चौथा दिन है जिसमें गोवर्धन पूजा की जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने से साधक के समस्त दुख और संताप दूर हो जाते हैं। चलिए जानते हैं इस बार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि कब है, जिस दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा।
गोवर्धन पूजा 2025 की तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, 21 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 54 मिनट पर कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू होगी। वहीं, 22 अक्टूबर को रात 08 बजकर 16 मिनट पर प्रतिपदा तिथि का समापन होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इस प्रकार गुरुवार बुधवार 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा की जाएगी।
गोवर्धन पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 22 अक्टूबर को पूजा के लिए शुभ समय सुबह 06 बजकर 26 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 42 मिनट तक है। इसके बाद संध्याकाल यानी शाम में पूजा के लिए शुभ मुहूर्त है, जो इस प्रकार है। दोपहर 03 बजकर 29 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 44 मिनट तक है। इस दौरान साधक भगवान कृष्ण की भक्ति भाव से पूजा कर सकते हैं।
गोवर्धन पूजा का शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर प्रीति योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही स्वाति नक्षत्र का भी संयोग है। इन योग में भगवान कृष्ण की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होगी।
पंचाग
सूर्योदय: सुबह 06 बजकर 26 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 05 बजकर 44 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 45 मिनट से 05 बजकर 35 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से 02 बजकर 44 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 05 बजकर 44 मिनट से 07 बजकर 01 मिनट तक
निशिता मुहूर्त: रात 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
गोवर्धन पूजा-विधि
गोवर्धन पूजा के दिन प्रातः स्नान-दान के बाद गाय, बछड़े और बैल की श्रद्धा भाव से पूजा करनी चाहिए. इसके बाद पूजा का आयोजन करना चाहिए. गोवर्धन पर्वत यदि घर के निकट नहीं है तो गोबर से बनी गोवर्धन जी की उपासना करनी चाहिए. उन्हें कंठ, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, दक्षिण समर्पित करें और भगवान गोवर्धन को फल और दूध-मक्खन से बनी मिठाई अर्पित करें. भगवान गोवर्धन की उपासना के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण की भी उपासना करें और उन्हें भी चंदन, तुलसी, फूल इत्यादि अर्पित करें. पूजा के उपरांत में भगवान गोवर्धन की आरती के साथ पूजा संपन्न करें।
किन चीजों का लगता है भोग
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहा जाता है. इस दिन खाद्य सामग्रियों से पर्वत बनाकर भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष अर्पित किया जाता है. इसे अन्न का पर्वत भी कहते हैं. इस भोग (Bhog) में चावल, खीर, पूड़ी, सब्जियां, कढ़ी और तरह-तरह के व्यंजन शामिल किए जाते हैं और भोग लगाने के बाद प्रसाद के तौर पर सभी में इन चीजों को बांटा जाता है. इस तरह गोवर्धन पूजा संपन्न होती है।
श्री गोवर्धन आरती
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ.
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार.
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ.
तेरी सात कोस की परिकम्मा,
चकलेश्वर है विश्राम.
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ.
तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल.
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ.
तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,
तेरी झांकी बनी विशाल.
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ.
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण,
करो भक्त का बेड़ा पार.
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ.
(Disclaimer: ”इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।”)