भारत एक ऐसा देश है जिसमे, हर तरह के हर जाति धर्म के लोग रहते है. सभी को संविधान मे, समान अधिकार प्राप्त है. हर धर्म के लोग अपने, त्यौहार अपनी पद्धति से मनाते है. क्रिश्चियन समुदाय के लिए गुड फ्राइडे व ईस्टर बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है, भारत मे ही नही बल्कि, सम्पूर्ण विश्व मे गुड फ्राइडे और ईस्टर को सेलिब्रेट किया जाता है. भारत मे भी आजादी के पूर्व , ब्रिटिश काल से यह सेलिब्रेशन चला आरहा है. देखा जाये तो, क्रिश्चियन लोग भारत मे, कुल आबादी के दो प्रतिशत ही थे उस समय तो. परन्तु फिर भी, यह त्यौहार जहा गुड फ्राइडे को शांति से बनाते है वही ईस्टर को उतनी ही धूम-धाम से बनाया जाता था. भारत मे मुख्य रूप से मुंबई , गोवा और पूरे भारत मे जहा भी , अधिकतर क्रिश्चियन लोग निवास करते है. यहा चर्च को विशेष रूप से, सजाया जाता है. गुड फ्राइडे व ईस्टर को बनाने वाले सभी लोग इस दिन चर्च मे जाते है, और उनके धर्म से संबंधित गीत गाते है, प्रार्थना करते है ,कही जगह नृत्य और ,अन्य कार्यक्रम के अयोजन होते है. सभी एक दूसरे को गिफ्ट्स, फ्लावर्स , कार्ड, चोकलेट, केक देकर विश करते है. सुबह से शाम तक पार्टी चलती है ईस्टर मे जिसमे, पारंपरिक लोकप्रिय लंच-डिनर होता है. इस प्रकार अन्य देशों की तरह भारत मे ,भी बड़े उत्साह के साथ गुड फ्राइडे और ईस्टर का सेलिब्रेशन होता है. तथा विश्व के सभी बड़े देश जैसे- आस्ट्रेलिया,ब्राजील,इटली,इंग्लैंड,जर्मनी जैसे सभी देशों मे जहा क्रिश्चियन समाज है गुड फ्राइडे और ईस्टर को बनाते है. यहाँ हम आपको गुड फ्राइडे की सम्पूर्ण जानकारी इन मुख्य बिन्दुओ के माध्यम से देंगे-
गुड फ्राइडे 2023 कब है?
गुड फ्राइडे ईसाई कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण दिन है, जो ईसा मसीह के सूली पर चढ़ने और उनकी मृत्यु का प्रतीक है. यह ईस्टर रविवार से पहले शुक्रवार को मनाया जाता है और पवित्र सप्ताह का एक हिस्सा है. गुड फ्राइडे को Holy Friday, ईस्टर फ्राइडे (easter friday) जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है। गुड फ्राइडे इस साल 7 अप्रैल 2023 को मनाया जाएगा क्योंकि ईस्टर रविवार, 9 अप्रैल 2023 को पड़ रहा है. हालाँकि, गुड फ्राइडे की तारीख हर साल बदलती है क्योंकि इसकी गणना चंद्र चक्र के आधार पर की जाती है. गुड फ्राइडे ईसाइयों के लिए गंभीरता और शोक का दिन है।
गुड फ्राइडे का इतिहास
पवित्र पुस्तक बाइबिल (Bible) के अनुसार, यीशु (Jesus)को गिरफ्तार किया गया था, और पोंटियस पिलाट के शासन के तहत रोमन अधिकारियों द्वारा क्रूस पर चढ़ाकर मौत की सजा सुनाई गई थी, जो उस समय की आपराधिक सजा का उच्चतम रूप था. यीशु का सूली पर चढ़ाना निष्पादन का एक क्रूर और दर्दनाक रूप था, जिसमें व्यक्ति को लकड़ी के क्रूस पर कीलों से ठोंक देना और उन्हें धीरे-धीरे मरने के लिए छोड़ देना शामिल था. दुनिया भर के ईसाई गुड फ्राइडे को विशेष सेवाओं, प्रार्थनाओं और भक्ति के साथ मनाते हैं. कई चर्चों में जुलूस, सूली पर चढ़ाने की घटना और क्रॉस की वंदना होती है. गुड फ्राइडे ईसाइयों के लिए एक गंभीर और चिंतनशील दिन है, जो उन्हें यीशु के बलिदान और उनके उद्धार के लिए उनके द्वारा चुकाई गई कीमत की याद दिलाता है. यह प्रार्थना, उपवास और पश्चाताप का समय है, साथ ही साथ परमेश्वर के प्रेम और दया के लिए आभार व्यक्त करने का भी समय होता है।करीब 2004 साल पहले ईसा मसीह यरुशलम में रहकर मानवता के कल्याण के लिए भाईचारे, एकता और शांति के उपदेश देते थे। सभी लोगों ने उन्हें परमपिता परमेश्वर का दूत मानना शुरू कर दिया। इस वजह झूठे और पाखंडी धर्म गुरुओं ने ईसा मसीह के खिलाफ यहूदी शासकों के कान भरने शुरू कर दिए। फिर एक दिन उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाकर सूली पर चढ़ाए जाने का फरमान जारी कर दिया गया। इससे पहले उन्हें कांटों का ताज पहनाया गया। ईसा को सूली को कंधों पर उठाकर ले जाने के लिए विवश किया गया। आखिर में उन्हें बेरहमी से मारते हुए उन्हें कीलों से ठोकते हुए सूली पर लटका दिया गया।
गुड फ्राइडे का महत्व
ईसाई धर्म के लोग 40 दिन तक उपवास रखते हैं वहीं कुछ लोग सिर्फ शुक्रवार को उपवास रखते हैं, इसे lent कहा जाता है. इस दिन लोग चर्च और घरों में सजावट की वस्तुएं कपड़े से ढक देते हैं और चर्च में काले कपड़े पहनकर लोग शोक जताते हैं।
गुड फ्राइडे कैसे मनाया जाता है?
गुड फ्राइडे एक तरह का शोक का दिन है, यह तीसरे पहर मे चर्च मे मनाया जाता है क्योंकि, कहा जाता यीशु के प्राण, तीन बजे के आस-पास निकले थे. यह तीन घंटे तक मनाया जाता है, गुड फ्राइडे के दिन लोग प्रभु यीशु के बलिदान को याद करते हैं. इस दिन लोग काले रंग के वस्त्र पहनकर प्रभु यीशु के बलिदान दिवस पर शोक मनाते हैं. साथ ही चर्च में जाकर विशेष प्रार्थना करते हैं. इस दिन चर्च में घंटा नहीं बजाया जाता है, बल्कि लकड़ी के खटखटे बजाए जाते हैं. साथ ही लोग चर्च में क्रॉस को चूमकर प्रभु यीशु का स्मरण करते हैं. इस दिन लोग प्रभु यीशु के उपदेशों का स्मरण करते हैं और उन्हें अपने जीवन में ढालने की कोशिश करते हैं. लोग प्रभु यीशु के बताए प्रेम, सत्य और विश्वास के मार्ग पर चलने की शपथ लेते हैं।
ईसा मसीह कौन थे?
ईसा मसीह (Jesus Christ ) ईसाई धर्म के संस्थापक हैं और उन्हें ईश्वर का पुत्र भी माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि उनका जन्म पहली शताब्दी ईस्वी में बेथलहम में वर्जिन मैरी और एक बढ़ई जोसेफ के घर हुआ था. ईसाई मानते हैं कि यीशु दुनिया के उद्धारकर्ता मसीहा हैं और उनकी शिक्षाएं मोक्ष और अनंत जीवन का मार्ग प्रदान करती हैं. बाइबिल के अनुसार, यीशु ने अपना प्रारंभिक जीवन नासरत में बिताया और 30 वर्ष की आयु में अपना सार्वजनिक जीवन शुरु किया. उन्होंने पूरे गलील और यहूदिया में यात्रा की, भगवान के राज्य के बारे में प्रचार किया और बीमारों को चंगा करने और भूखे को खाना खिलाने जैसे चमत्कार किए. यीशु की शिक्षाओं ने प्रेम, करुणा और क्षमा के महत्व पर जोर दिया, और वह अपने संदेश को व्यक्त करने के लिए अक्सर दृष्टांतों में बोलते थे. उनकी शिक्षाएँ विवादास्पद मानकर अंततः उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और सूली पर चढ़ाकर मौत की सजा दी गई।
यीशु के आखिरी शब्द
सूली पर लटकाने से पहले कांटों का ताज तक पहना दिया तो भी उनके मुख से सभी के लिए सिर्फ क्षमा और कल्याण के संदेश ही निकले। यह उनके क्षमा की शक्ति की अद्भुत मिसाल मानी गई। प्रभु यीशु के मुख से मृत्यु पूर्व ये अंतिम मार्मिक शब्द निकले- ‘हे ईश्वर इन्हें क्षमा करें, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं…’।
आखिरी वक्त में आया ऐसा जलजला
ईसाई धर्म के पवित्र बाइबिल में यीशु को सूली पर चढ़ाए जाने की घटना के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया है। प्रभु यीशु को पूरे 6 घंटे तक सूली पर लटकाया गया था। बताया जाता है कि आखिरी के 3 घंटों में चारों ओर अंधेरा छा गया था। जब यीशु के प्राण निकले तो एक जलजला सा आया। कब्रों की कपाटें टूटकर खुल गईं। दिन में अंधेरा हो गया। माना जाता है कि इसी वजह से गुड फ्राइडे के दिन चर्च में दोपहर में करीब 3 बजे प्रार्थना सभाएं होती हैं। मगर किसी भी प्रकार का समारोह नहीं होता है।
गुड फ्राइडे की कुछ पारंपरिक प्रथाएं
यीशु को मानवता की खातिर क्रूस पर चढ़ाया गया था. गुड फ्राइडे पश्चल त्रिदूम (Paschal Triduum) का एक पार्ट है. गुड फ्राइडे का महत्व तो एक ही है, प्रभु यीशु के इस बलिदान को ध्यान मे रखा जाता है. और उनकी याद मे मनाया जाता है परन्तु, तरीके कभी-कभी चर्च मे थोड़े बदल जाते है. काले कपडे पहन कर चर्च जाते है, इस दिन कैंडल नही जलाई जाती है. सभी अपने-अपने हिसाब से, भगवान को याद करते है. कोई बीजारोपण करता है, कोई प्रेयर करता है , कोई बाइबिल पढता है. इसके अलावा भी लोग कुछ ना कुछ करके यह दिन प्रभु को समर्पित करते है।
1. उपवास : कई ईसाई गुड फ्राइडे के दिन शोक मनाने और यीशु के बलिदान को याद करने के लिए उपवास रखते हैं. इसमें भोजन या कुछ प्रकार के भोजन से परहेज करना शामिल हो सकता है।
2. चर्च सेवाएं : दुनिया भर के चर्च गुड फ्राइडे पर विशेष सेवाएं देते हैं. इनमें क्रॉस के स्टेशन शामिल हो सकते हैं, जहां यीशु के सूली पर चढ़ने तक की घटनाओं को याद किया जाता है और उन पर ध्यान लगाया जाता है।
3. प्रार्थना और चिंतन : गुड फ्राइडे गंभीर प्रतिबिंब का दिन है, और कई ईसाई प्रार्थना और चिंतन में समय बिताते हैं. कुछ गिरिजाघरों में जागरण या प्रार्थना सभा होती है जो दोपहर से आधी रात तक चलती है।
4. जुनून पढ़ना : जुनून उन घटनाओं को संदर्भित करता है जो यीशु के सूली पर चढ़ने तक और उसके साथ शामिल हैं. कई चर्च अपनी गुड फ्राइडे सेवाओं के दौरान सुसमाचारों से जुनून कथा पढ़ते हैं।
5. क्रॉस की वंदना : कुछ ईसाई परंपराओं में, एक बड़े लकड़ी के क्रॉस को चर्च में लाया जाता है और मण्डली द्वारा इसकी पूजा की जाती है. इसमें भक्ति के संकेत के रूप में क्रॉस को चूमना या छूना शामिल हो सकता है।
6. मौन और शांति : कुछ ईसाई यीशु के बलिदान और दिन की गंभीरता पर विचार करने के तरीके के रूप में गुड फ्राइडे पर मौन और शांति की अवधि का पालन करते हैं।
7. दान देना : गुड फ्राइडे पर गरीबों और जरूरतमंदों को पैसा या भोजन देना एक पारंपरिक प्रथा है. इसे यीशु के बलिदान का सम्मान करने और उनकी शिक्षाओं को जीने के तरीके के रूप में देखा जाता है।
पवित्र सप्ताह के 7 दिन क्या हैं?
पाम संडे (Palm Sunday): पवित्र सप्ताह का पहला दिन पाम संडे होता है। यह यरूशलेम में यीशु के विजयी प्रवेश का प्रतीक है जहाँ लोगों ने खजूर की शाखाएँ लहराते हुए उसका स्वागत किया। भीड़ ने उनके प्रति समर्पण के संकेत के रूप में “होसन्ना” चिल्लाया।
पवित्र सोमवार (Holy Monday): पवित्र सोमवार को, यीशु ने व्यापारियों और सर्राफों को मंदिर से बाहर निकाल दिया, जिससे मंदिर की अशुद्धियाँ दूर हो गईं। उसने कहा, “मेरा घर प्रार्थना का घर कहलाएगा, परन्तु तू ने उसे डाकुओं की खोह बना दिया है।”
पवित्र मंगलवार (Holy Tuesday): पवित्र मंगलवार को “महान और पवित्र मंगलवार” के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन, यीशु ने ओलिवेट प्रवचन दिया, जिसमें उन्होंने मंदिर के विनाश और उनके दूसरे आगमन की भविष्यवाणी की। उन्होंने अपने शिष्यों को अंत समय के लिए तैयार रहने के महत्व के बारे में भी सिखाया।
पवित्र बुधवार (Holy Wednesday): पवित्र बुधवार को “जासूस बुधवार” के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि जिस दिन यहूदा इस्कैरियट चांदी के तीस टुकड़ों के लिए यीशु को धोखा देने के लिए सहमत हुए थे। यीशु को बैतनिय्याह की मरियम से उसके पांवों पर महँगा इत्र मला, और उसने उसे उसके पाँवों पर डाला और अपने बालों से पोंछा।
मौंडी थर्सडे (Maundy Thursday): मौंडी थर्सडे वह दिन है जिस दिन यीशु ने अपने शिष्यों के साथ अंतिम भोज किया था। उन्होंने सेवक नेतृत्व के महत्व पर जोर देते हुए उनके पैर धोए। इस भोजन के दौरान, यीशु ने यूचरिस्ट, या पवित्र समुदाय के संस्कार की स्थापना की, जिसमें रोटी और दखरस उनके शरीर और रक्त का प्रतिनिधित्व करते हैं।
गुड फ्राइडे (Good Friday): गुड फ्राइडे ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाने और उनकी मृत्यु का दिन है। रोमन अधिकारियों द्वारा उन्हें धोखा से गिरफ्तार किया गया और मौत की सजा सुनाई गई। उसके बाद उन्हें सूली पर चढ़ाया गया और मानव जाति के उद्धार के लिए अंतिम बलिदान का प्रतिनिधित्व करते हुए, क्रूस पर उनकी मृत्यु हो गई। यह ईसाइयों के लिए गंभीर शोक और प्रतिबिंब का दिन है।
पवित्र शनिवार (Holy Saturday): पवित्र शनिवार वह दिन है जो यीशु के क्रूस पर चढ़ने और उसके पुनरुत्थान के बीच के समय, शोक और प्रतिबिंब के समय का प्रतिनिधित्व करता है। इसे ईस्टर विजिल के रूप में भी जाना जाता है, जिसके दौरान विश्वासी ईस्टर रविवार, मृतकों में से यीशु के पुनरुत्थान के दिन के उत्सव की तैयारी करते हैं।
इन 7 दिनों को ईसाई धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि वे ईस्टर रविवार को यीशु मसीह के पुनरुत्थान के अंतिम दिनों को चिह्नित करते हैं।
यीशु मसीह के कोट्स
1. प्रभु यीशु ने कहा है कि आपको अपने दिल को परेशान नहीं करना चाहिए. आप ईश्वर में विश्वास करें. मेरे में विश्वास करें।
2. ईसा मसीह ने बताया है कि चोरी न करना, अधिक धन का संचय न करना, किसी की हत्या न करना और सच का साथ देना ईश्वर के आदेश का पालन करने जैसा ही है।
3. प्रभु यीशु ने कहा है कि आप अपनी आत्मा को न खोएं. आत्मा को खोकर पूरी दुनिया को पा लेने का कोई अर्थ नहीं है।
4. ईसी मसीह ने कहा है कि जो सच्चे दिल से ईश्वर से मांगता है, उसे वह मिलता है. जो खोज करता है, उसे मिलता है, जो दरवाजे खटखटाता है, उसके लिए ही स्वर्ग के द्वार खोले जाते हैं।
5. प्रभु यीशु ने मानव सेवा को सबसे बड़ा धर्म बताया है. उनका कहना है कि जो लोग दूसरों की मदद करते हैं, उनकी ईश्वर मदद करता है. नि:स्वार्थ भावना से की गई मदद ही सबसे अच्छी सेवा है।
6. जो लोग आवश्यकता से अधिक धन संचय करते हैं, उनके लिए ईसा मसीह ने कहा है कि अधिक धन आपको अशांति ही देगा. ऐसा न करें. सबकुछ त्याग कर ईश्वर की शरण में आ जाना चाहिए।
7. प्रभु यीशु ने लोगों को ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग बताया है. वे कहते हैं कि जो उनके पास आ गया, वो ईश्वर तक पहुंच गया. वे ही मार्ग हैं, वे सत्य हैं, वे जीवन हैं।
8. ईसा मसीह ने कहा है कि उनका जन्म पापियों के पश्चाताप के लिए हुआ है. पापियों को ईश्वर की शरण में आकर पश्चाताप करना चाहिए।