देशभर में शारदीय नवरात्रि उत्सव पूरे उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। नौ दिवसीय इस उत्सव के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार वह भगवान स्कंद की माता थीं इसलिए उन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। देवी स्कंदमाता को सफेद रंग बहुत प्रिय है क्योंकि यह शांति और सुख का प्रतीक है। मातृत्व का यह रूप व्यक्ति को शांति और खुशी का अनुभव देता है। देवी मां की पूजा करने से वह अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इसके अलावा पूजा-पाठ उसके लिए मोक्ष का द्वार भी खोलता है। आइए जानते हैं मां के इस स्वरूप और पूजा विधि के बारे में।
शारदीय नवरात्रि की धूम देशभर में देखने को मिल रही है, जहां माता के पंडाल सजाए गए हैं और उनमें मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जा रही हैं. नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है. पुराणों के अनुसार, भगवान स्कन्द की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है. देवी स्कंदमाता को सफेद रंग अत्यंत पसंद है जो शांति और सुख का प्रतीक है. मां का यह स्परूप परम शांति और सुख का अनुभव कराता है. माता की पूजा करने से वे अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं. साथ ही उनकी पूजा से मोक्ष के द्वार भी खुल जाते हैं. आइए जानते हैं मां के इस स्वरूप और पूजा विधि के बारे में…..
पंचमी तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार पंचमी तिथि की शुरुआत 7 अक्टूबर दिन सोमवार को 09:47 ए एम से शुरू होगी जिसका समापन 8 अक्टूबर दिन मंगलवार को 11:17 ए एम पर होगा।
कैसा है देवी का ये स्वरूप?
मां दुर्गा अपने इस स्वरूप में कमल के आसन पर विराजमान हैं, जिसके कारण उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. इसके अलावा उनका वाहन सिंह है. इस स्वरूप में मां की चार भुजाएं हैं, जिसमें से दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में हैं. वहीं दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है. जबकि, बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा में और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प हैं।
कैसे करें स्कंदमाता के इस स्वरूप की पूजा
स्कंदमाता के इस स्वरूप की पूजा के लिए आपको सबसे पहले उस स्थान पर माता की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करनी होगी जहां आपने कलश स्थापना की है. इसके बाद आप माता को फूल चढ़ाएं और फिर फल और मिष्ठान का भोग लगाएं. धूप और घी का दीप जलाएं और फिर माता की आरती करें. इस तरह से पूजा करना बहुत ही शुभ माना गया है और इससे आपको माता का आशीर्वाद भी मिलेगा।
स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंद माता। पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सबके मन की जानन हारी। जग जननी सबकी महतारी॥
तेरी जोत जलाता रहू मैं। हरदम तुझे ध्याता रहू मै॥
कई नामों से तुझे पुकारा। मुझे एक है तेरा सहारा॥
कही पहाडो पर है डेरा। कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मंदिर में तेरे नजारे। गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इंद्र आदि देवता मिल सारे। करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए। तू ही खंडा हाथ उठाए॥
दासों को सदा बचाने आयी। भक्त की आस पुजाने आयी॥
भोग में क्या अर्पित करें?
मां स्कंदमाता की आराधना के लिए नवरात्रि का पांचवां दिन समर्पित किया गया है. स्कंदमाता को केले का भोग लगाना चाहिए. इससे माता प्रसन्न होकर भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
देवी स्कंदमाता का मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया । शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
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