गणेश चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। पंचांग अनुसार यह पर्व हर साल भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तथि को मनाया जाता है। आपको बता दें कि भक्त इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति को खरीदकर लाते हैं और घर पर विराजित करते हैं। इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार 7 सितंबर को मनाया जाएगा। गणेश चतुर्थी पर इस साल रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। वहीं आपको बता दें कि गणेशजी की स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए। ऐसा करने से बुद्धि में वृद्धि होने के साथ ही जीवन में सुख समृद्धि आती है। आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी पर गणेशजी की स्थापना का शुभ मुहूर्त तिथि और धार्मिक महत्व…
गणेश चतुर्थी का यह पावन त्यौहार भारत में मनाये जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है| गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी व गणेश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है| हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पावन उत्सव मनाया जाता है| इस वर्ष गणेश चतुर्थी 07 सितंबर 2024 की है | गणेश जी को ज्ञान, बुद्धि और सौभाग्य का देवता कहा जाता है| गणेश चतुर्थी का यह त्योहार पूरे 11 दिनों तक चलता है| जिसमे 10 दिनों तक तो गणेश जी को घर में रखा जाता है| और उनकी अच्छे से सेवा – पूजा की जाती है और 11 वे दिन गणेश जी को जुलूस के साथ ले जाकर विसर्जन किया जाता है| शास्त्रों में भगवान गणेश को प्रथम देवता बताया गया है| हिन्दू शास्त्रों में बताया गया है कि किसी कार्य की शुरुआत करने से पहले गणेश जी की पूजा करने से भक्त को विशेष लाभ होता है|
गणेश चतुर्थी क्या है ?
गणेश चतुर्थी हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार है| यह दिवसीय त्यौहार है जो गणेश जी जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है| गणेश जी को बुद्धि के दाता के रूप में भी जाना जाता है| किसी भी समारोह, अनुष्ठान या पूजा की शुरुआत करने से पूर्व गणेश जी की पूजा की जाती है क्योंकि शास्त्रों में गणेश जी को प्रथम देवता बताया गया है। भगवान गणेश जी को 108 भिन्न – भिन्न नामों से जाना जाता है किन्तु उनका सबसे प्रिय नाम गणपति और विनायक है| गणेश चतुर्थी पूजन की शुरुआत एक महीने पहले से ही शुरू कर दी जाती है| यह उत्सव लगभग दस दिनों तक चलता है| जिसमे एक मिट्टी की गणेश जी की मूर्ति को घर लाया जाता है| घर को फूलों से सजाया जाता है| भक्त बड़ी संख्या में मंदिरों में दर्शन किये जाते है| जिन घरों में मूर्ति स्थापित की है वहां पर पंडाल तैयार किया जाता है और भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए भजन व कीर्तन किये जातें है| गणेश चतुर्थी के समारोह के अंतिम दिन गणेश को जब विसर्जन के लिए लेकर जाया जाता है| तब सभी लोग उन्ही के साथ नाचते – गाते हुए चलते है तथा त्यौहार के प्रति अपना उत्साह दिखाते है| पुरे भारत देश में इस दिन हर जगहों पर भक्तों की भारी संख्या के साथ युवाओं के द्वारा जुलुस निकाला जाता है| अंत में भगवान गणेश को नदी या समुंद्र में विसर्जित कर दिया जाता है| लोग बहुत खुशी व उत्साह के साथ जुलुस में शामिल होते है और भगवान से अपने सभी कष्टों को दूर करने के लिए प्रार्थना करते है| इस दिन भक्त बड़ी संख्या में अपनी खुशी और भगवान के प्रति अपनी आस्था को प्रकट करते है|
गणेश चतुर्थी की तिथि
पंचांग के मुताबिक गणेश चतुर्थी तिथि की शुरुआत 6 सितंबर को दोपहर में 3 बजकर 1 मिनट से पर शुरू होगी। वहीं चतुर्थी तिथि का अंत 7 सितंबर को शाम में शाम 5 बजकर 37 मिनट पर होगा। वहीं उदयातिथि को आधार मानते हुए गणेश चतुर्थी का व्रत 7 सितंबर को रखा जाएगा।
गणेश चतुर्थी मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त
अभिजित मुहूर्त का समय सुबह 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर में 12 बजकर 43 मिनट तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर में 12 बजकर 35 मिनट तक।
शुभ चौघड़िया का समय सुबह 8 बजे से 9 बजकर 34 मिनट तक।
चल चौघड़िया का समय दोपहर में 12 बजकर 39 मिनट से 2 बजकर 12 मिनट तक।
इन किसी भी मुहूर्त में आप बप्पा विराजित कर सकते हैं।
गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
एकदन्त दयावन्त, चार भुजाधारी.
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी.
पान चढ़े फूल चढ़े, और चढ़े मेवा.
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा.
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
अँधे को आँख देत, कोढ़िन को काया.
बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया.
सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी.
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी.
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
गणेश जी के मंत्र
-ॐ गं गणपतये नम:
-वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
गणेश चतुर्थी 2024 की सम्पूर्ण पूजा विधि
* गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके भगवान गणेश जी का ध्यान करना चाहिए और व्रत का संकल्प कीजिए|
* इसके पश्चात गणेश जी की मूर्ति को किसी लाल रंग के कपड़े पर रखिये|
* फिर गंगाजल का छिडकाव करते समय गणेश जी से प्रार्थना करें।
* एक पान के पत्ते पर सिंदूर में थोडा – सा घी मिलाकर स्वास्तिक का चिन्ह बनाए तथा इनके बीच में कलावा से पूर्ण रूप से लिपटी सुपारी चढ़ाए|
* भगवान गणेशजी महाराज को फुल, सिंदूर और जनेऊ चढ़ाए|
* इसके पश्चात गणेश जी को प्रसाद चढ़ाए| गणेश जी को उनके प्रिय मोदक का भोग लगाए|
* मंत्रों का उच्चारण करके गणेश जी की पूजा करें|
* गणेश जी व्रत कथा सुने और गणेश चालीसा का पाठ करें|
* रात को चंद्रमा को देखने से पूर्व ही गणेशजी की पूजा करले|
* पूजा सम्पूर्ण होने के बाद सभी को प्रसाद बांटे|
* उसके पश्चात चंद्रमा को देखकर ही अपना व्रत खोलें और भोजन ग्रहण करें|
गणेश चतुर्थी व्रत में क्या खाना चाहिए?
गणेश चतुर्थी व्रत के दिन मीठी चीजें, जैसे साबूदाने की खीर आदि खाना चाहिए. इस दिन एक समय फलाहार करना चाहिए. इस दिन दही और उबले हुए आलू, खीरा का सेवन भी किया जा सकता है. इस दिन साधारण नमक के बजाए व्रत वाले सेंधा नमक का प्रयोग करें. कुट्टू के पराठे या रोटी भी इस दिन खा सकते हैं. इस दिन व्रत खोलने के लिए सिंघाड़े के आटे से बना हलवा खा सकते हैं।
गणेश चतुर्थी व्रत में नहीं खानी चाहिए ये चीजें
गणेश चतुर्थी व्रत के दिन लहसुन, प्याज, मूली, चुकंदर आदि का सेवन नही करना चाहिए. इस दिन व्रत वाला सेंधा नमक ही इस्तेमाल करें, सादा नमक या काले नमक का प्रयोग इस दिन न करें. इस दिन किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन, मदिरा और हर प्रकार के नशे से दूर रहना चाहिए।
गणेश चतुर्थी पर करें ये काम
* घर या पूजा स्थल पर गणेश की सुंदर प्रतिमा स्थापित कर, उसे अच्छे से सजाएं फिर उसके बाद पूरे विधि विधान से पूजा करें।
* गणेश चतुर्थी के दिन गणपति जी को अपने घर के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में विधि-विधान से बिठाएं, इस दिशा में उनकी पूजा करना शुभ माना जाता है।
* गणेश भगवान जी को लाल रंग बहुत प्रिय होता है, इसलिए उनकी पूजा में लाल रंग के वस्त्रों का इस्तेमाल करें, जैसे गणपति बप्पा को लाल रंग के वस्त्र के आसन के ऊपर विराजमान करें और उनको लाल रंग के वस्त्र पहनाएं. गणपति जी की पूजा में लाल रंग के पुष्प, फल, और लाल चंदन का प्रयोग जरूर करें।
* गणेश भगवान की पूजा में दूर्वा घास, फूल, फल, दीपक, अगरबत्ती, चंदन, और सिंदूर और गणपति जी के प्रिय लड्डू और मोदक का भोग जरूर लगाएं।
* गणपति की पूजा में दस दिनों तक भगवान गणेश के मंत्र जैसे ॐ गण गणपतये नमः का जाप जरूर करें।
गणेश चतुर्थी पर न करें ये काम
* गणेश चतुर्थी पर अपने घर में भूलकर भी गणपति की आधी-अधूरी बनी या फिर खंडित मूर्ति की स्थापना या पूजा न करें. ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
* गणपति जी की पूजा में भूलकर भी तुलसी दल या केतकी के फूल का प्रयोग नहीं करना चाहिए. मान्यता के अनुसार ऐसा करने पर पूजा का फल नहीं मिलता है।
* गणेश चतुर्थी के दिन व्रत एवं पूजन करने वाले व्यक्ति को तन-मन से पवित्र रहते हुए ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
* गणेश चतुर्थी के दिनों में भूल से भी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
* गणेश चतुर्थी के दिनों में गुस्सा करना, विवाद करना या परिवार के सदस्यों के साथ झगड़ना नहीं चाहिए।
गणपति जी स्थापना के समय ध्यान देने योग्य बातें
गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी का पूजन करने हेतु गणेश जी की मूर्ति का होना आवश्यक है तो इस दिन गणेश जी की नयी मूर्ति खरीद कर लाये| इस बात का मुख्य रूप ध्यान रखें कि आप जो भी मूर्ति ला रहे है उनकी सूंड दाईं ओर हो|।इस दिन गणेश पूजन गणेश जी की मूर्ति से ही होता है किन्तु यदि आप किसी परिस्थिति के कारण मूर्ति लाने में सक्षम नहीं है तो सुपारी को गणेश जी के स्थान पर विराजमान कर सकते है| ऐसा इसलिए है क्यूंकि सुपारी को गणेश जी का ही रूप माना गया है इसलिए गणेश जी की पूजा में सुपारी निश्चित रूप से चढाई जाती है| जब आप गणेश जी को घर लेकर आये तो शंख बजाकर उनका घर में आगमन करे व पूरे घर में गंगाजल का छिडकाव करेंगे जिससे घर की शुद्धि हो जाएं| इसके पश्चात गणेश जी को विराजमान करने के लिए एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएँ| फिर दूर्वा और पान के पत्ते को गंगाजल में डालकर गणेशजी को स्नान करवाएं| गणेश जी को स्नान करवाने के पश्चात उन्हें पीले रंग के कपड़े पहनाए और कुमकुम व अक्षत से तिलक लगाए| यह सब कार्य पूर्ण कर लेने पश्चात गणेश जी का ध्यान करके ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का 21 बार तक उच्चारण करें| पूजा करते समय गणेश जी की मूर्ति के पास एक तांबे के कलश में जल भरके रखे| कलश के नीचे थोड़े चावल भी रखिये| तांबे के कलश पर लाल रंग की मौली बांधे| इससे घर में सुख – समृद्धि का हमेशा विकास होगा| इस तरह से गणेश जी की पूजा को विधिवत रूप से पूर्ण करने पर उनका आशीर्वाद मिलता है और गणेश जी जिन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, आपके सभी कष्टों को हर लेते है|
गणेश चतुर्थी पर राशि के अनुसार इन चीजों का करें दान
मेष राशि : मेष राशि के जातक गणेश चतुर्थी पर लाल रंग के वस्त्रों का दान करें।
वृषभ राशि: सफेद रंग के वस्त्र का दान करें।
मिथुन राशि: तुलसी के पौधे का दान करें।
कर्क राशि: चावल, नमक और चीनी का दान करें।
सिंह राशि: गेहूं और शहद दान करें।
कन्या राशि: मोदक और मिठाई का दान करें।
तुला राशि: मोदक का दान करें।
वृश्चिक राशि: मूंगफली, गेहूं और शहद का दान करें।
धनु राशि: शमी के पौधे का दान करें.
मकर राशि: मोतीचूर के लड्डू का दान करें।
कुंभ राशि: गणपति बप्पा जी की प्रतिमा किसी को भेंट करें।
मीन राशि: पीले रंग के वस्त्र और केले का दान करें।
गणपति विसर्जन
गणेश चतुर्थी का त्यौहार पुरे देश भर में मनाया जाता है और सभी जगहों पर अलग – अलग तरीके से मनाया जाता है लेकिन सबका सार एक ही होता है जो है लोगों को अपने त्योहारों के बारे उत्साहित और जागरूक करना| गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की मूर्ति को घरों में या अलग से पंडाल बनाकर विराजमान किया जाता है| यह पूरा त्यौहार 10 दिनों तक होता है| इन दस दिनों में गणेश जी की पूजा की जाती है व भजन, कीर्तन किये जाते है| इन सब से पश्चात 11 वे दिन उस मूर्ति को जल में विसर्जित किया जाता है इस प्रक्रिया को गणेश विसर्जन भी कहते है| जिस दिन भक्तों के द्वारा गणेश जी का विसर्जन किया जाता है| उस दिन को अनंत चतुर्दशी कहते है| इन दस दिनों तक गणेश जी की अच्छे से सेवा पूजा की जाती है और गणेश जी को उनके पसंदीदा भोजन मोदक और बेसन के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है| उसके पश्चात प्रसाद को भक्तों में बाँट दिया जाता है|
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश जी को बुद्धि का देवता माना जाता है| जो भी इनकी कृपा दृष्टि में होता है उसकी बुद्धि हमेशा उच्च रहती है तथा हर क्षेत्र में वह उन्नति करता है| गणेश जी महाराज मनुष्य की बुद्धि को स्थिर रखने का कार्य करते है| इसलिए जो भी गणेश चतुर्थी के समय गणेश जी की पूजा करते है तो गणेश जी हमें सद्बुद्धि प्रदान करते है|भगवान गणेश जी ही वे शख्स है जिन्होंने महाभारत लिखी| महर्षि वेद व्यास ने लगातार बोलकर गणेश जी के द्वारा यह कथा लिखवाई थी| गणेश जी ने यह कथा लिखने के लिए एक शर्त रखी थी वो यह थी कि जब तक वे लगातार बोलते रहेंगे तब ही गणेश जी लिखेंगे| यदि किसी कारणवश महर्षि बीच में रुक जातें है तो गणेश जी भी उसी क्षण लिखना बंद कर देंगे| यह एक तरह से महर्षि वेद व्यास जी की भी परीक्षा थी कि वे जो लिखवा रहे है वो उनके अस्तित्व से जुड़ा हुआ या वे अपनी बुद्धि से ही कोई रचना कर रहे है| लेकिन वेद व्यास जी बीच में बिलकुल भी नहीं रुके और ना ही गणेश जी बीच में रुके| इस तरह से कई महीनों तक वेद व्यास जो बोलते रहे और गणेश जी भी लिखते रहे| गणेश जी मनुष्य बुद्धि के ही प्रतीक है| आपकी बुद्धिमानी का यही स्वभाव है कि आप अपनी बुद्धिमानी का उपयोग जागरूकता पूर्वक कल्पनाए करने में सही तरीके से करते है| उनको विसर्जन करना इसी बात का प्रतीक है कि अगर आप अपनी बुद्धि का सही तरीके से इस्तेमाल करे तो हम अपने ज्ञान से इस संसार को विसर्जित कर सकते है। और जब आप अपनी कल्पना के माध्यम से संसार को जीत लोगे तो अपनी कल्पना शक्ति को काबू कर लेना कोई बड़ी समस्या नहीं होगी|
गणेश चतुर्थी का इतिहास
गणेश चतुर्थी का त्योहार गणेश जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है| गणेश जी के जन्म के बारे में काफी अलग – अलग कहानियां और तथ्य है लेकिन हम आज सबसे ज्यादा प्रचलित तथ्य के बारे में बात करेंगे| गणेश जी भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र है लेकिन गणेश जी की निर्माता माँ पार्वती है| माना यह जाता है कि माता पार्वती ने अपने मेल से गणेश जी का निर्माण किया था|
एक दिन जब वे स्नान करने गयी तो गणेश जी से बोलकर गई कि किसी को भी अंदर नहीं आने दे| उसी समय वहां महादेव आ गये| गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोका| सभी लोगों के समझाने पर भी गणेश जी नहीं माने तो महादेव ने क्रोध में आकर अपने त्रिशूल से उनका शीश काट दिया| जैसे ही यह समाचार माँ पार्वती को ज्ञात हुआ तो माता पार्वती भी काफी ज्यादा क्रोधित हो गयी और माँ काली का रूप धारण कर लिया उनके इस क्रोध को देख कर सभी भयभीत हो गये| तब महादेव ने गणेश जी को पुन: जीवित करने का वचन दिया और एक हाथी के सिर के साथ उनका धड जोड़ दिया| तभी से गणेश जी का नाम गजानन भी रखा गया| इसी वजह से इस दिन गणेश चतुर्थी का पावन त्यौहार मनाया जाता है|
(Disclaimer: ”इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।”)