हम फोन पर किसी से बात करते समय या संगीत सुनते समय ईयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल करना इस्तेमाल करना सामान्य बात है। कई बार भीड़ या शोर से बचने में भी ये काम आते हैं। हम कई बार जिन उपकरणों का उपयोग बाहरी आवाज़ों को रोकने करने के लिए करते हैं, वही उपकरण कानों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। स्कूल की कक्षाएं लेते समय भी इनसे गुरेज़ करना ही बेहतर है। क्लास के लिए शांत स्थान की तलाश बेहतर होगी, बजाय ईयरफोन लगाने के। लगातार ईयरफोन या हेडफोन लगाने और तेज़ आवाज़ सुनने से क्या-क्या नुक़सान हो सकते हैं, यहां जानते हैं।
क्या आप भी हेडफोन या ईयर फोन लगा कर गाने सुनते है, या घंटो कान में लगाए बातें करते रहते हैं ? यदि हां तो सावधान हो जाईयें, यह आपके लिए बहुत खतरनाक हो सकता हैं। क्योंकि यह ना केवल आपके कानों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि आपके दिमाग और शरीर को भी कई तरह से नुकसान पहुंचाता है। अपनी पसंद का संगीत सुनना किसे पसंद नहीं है, पसंदीदा संगीत आपके मूड को ठीक कर सकता है और तनाव को दूर करता हैं। आज कल संगीत सुनाने के लिए हेडफोन का फैशन चल रहा है जो संगीत को सुनने के लिए एक बेहतरीन गैजेट्स है। आज हममें से लगभग हर कोई अपने हेडफ़ोन के साथ संगीत सुनना पसंद करते है। टेक्नोलॉजी यदि एक ओर वरदान है तो दूसरी ओर अभिशाप भी है। अधिक हेडफोन का प्रयोग करना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता हैं और इससे दुर्घटना भी हो सकती हैं। जीवन में बढ़ती टेक्नालजी की भूमिका अपने साथ कई तरह की समस्याएं लेकर आ रही है। इन्हीं सुबिधाओं में शामिल हैं ईयरफोन या हेडफोन का दिनप्रतिदिन बढ़ता इस्तेमाल, जिसके ज्यादा देर तक उपयोग करने से आपको अपने कानों से सम्बन्धित कई प्रकार की समस्यों का सामना करना पड़ सकता है। एक स्टडी के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति रोज एक घंटे से अधिक समय तक 80 डेसीबेल्स या उससे अधिक तेज आवाज में ईयरफोन या हेडफोन लगाकर संगीत सुनता है, तो उस व्यक्ति को सुनने में संबंधित कई प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ सकता है या फिर वह स्थायी रूप से बहरा भी हो सकता है। आइये हेडफ़ोन पर संगीत सुनने के दुष्प्रभावों को विस्तार से जानते हैं।
हमारे कान तेज आवाज से हमारी रक्षा कैसे करते हैं?
हमारे कान में तेज आवाज से सुरक्षा करने के लिए एक प्राकृतिक रक्षा तंत्र है। हमारे कान की मांसपेशियां का संकुचन या अकड़न से आवाज अंदरूनी कान के हिस्से तक नहीं पहुंच पाती है जिससे हमारे कान की नसों को नुकसान नहीं पहुंचता है। यह मांसपेशियों की अकड़न अस्थायी है, शोर के गायब हो जाने पर कान की मांसपेशियां धीमे से मान्य स्थिति में आ जाती हैं। वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि यदि शोर का संपर्क लंबे और नियमित समय तक रहता है, तो अकड़न स्थायी हो जाती है और कान से कम सुनाई देता है। यदि आप अपने ईयर फोन का उपयोग दिन में बिना रुके लगातार 2 घंटे से अधिक कर रहे हैं तो इसके कारण बहरापन होने की संभावना बहुत अधिक है।
ऐसे होती है समस्या
कान के अंदर एक पर्दा मौजूद होता है जिसे ईयर ड्रम कहते हैं। इसमें तमाम नसें और अंग होते हैं, जो दिमाग़ से जुड़े होते हैं। जब ईयरफोन या हेडफोन लगाकर तेज़ आवाज़ सुनते हैं तो आवाज़ और उसकी कम्पन दवाब के साथ ईयर ड्रम से टकराती है जिससे समस्याएं पैदा होती हैं। एक बार जब यह समस्या हो जाती है तो स्थाई बन जाती है और अगर इसका तुरंत इलाज नहीं किया जाए तो यह तंत्रिका को स्थाई रूप से नुक़सान पहुंचा सकती है।
हेड फोन्स और इयरफोन के बीच का अंतर
इयरफोन को कानो के अंदर डालकर इस्तेमाल किया जाता है जबकि हेडफोन को कानों के ऊपर सिर की सहायता से या सिर के ऊपर से कानो को बाहर से दबाकर इस्तेमाल किया जाता है। हेडफोन और इयरफोन दोनों आपकी सेहत को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं जबकि आपकी सेहत पर उनकी तेज वोल्यूम और गाने सुनने का टाइम असर डालता है।
हेडफोन हैं ईयरफोन से कम हानिकारक
ईयरफोन या हेडफोन का प्रयोग करते हैं तो आज जान लीजिए कौन कान के अधिक सही है। ईयरफोन को कान के अंदर लगाया जाता है, कभी-कभी इसे ऊपर से पुश भी किया जाता है अंदर के लिए। ईयरफोन लगाने से कान के पर्दे की बीच की दूरी कम हो जाती है। जबकि हेडफोन कान के ऊपर लगाया जाता है। ऐसे में हेडफोन थोड़ा कम नुकसान दायक है। ध्यान देना जरूरी है की दोनों में किसी को भी अधिक प्रयोग करना कान के लिए सही नहीं है।
ईयरफोन या हेडफोन के नुकसान
अगर आप भी ईयरफोन का ज्यादा देर तक इस्तेमाल करते हैं तो समय रहते संभल जाइये क्योंकि यह ना केवल आपके कानों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि आपके दिमाग और शरीर को भी कई तरह से नुकसान पहुंचाता है। आज हम आपको ईयरफोन का ज्यादा देर तक इस्तेमाल करने से होने वाले नुकसान के बारे में बता रहें है।ज्यादा देर तक हेडफोन और इयरफोन का इस्तेमाल करने से होने वाले नुकसान निम्न है-
हेडफोन के नुकसान से कम सुनाई देना
अधिक हेडफोन का प्रयोग करने से लोगों में कम सुनाई देने का समस्या उत्पन्न हो जाती हैं। लगभग सभी हेडफ़ोन आपके कानों को उच्च-डेसिबल ध्वनि तरंगों को निकलते हैं जो कि आपके कानों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। यदि आप उच्च वॉल्यूम पर संगीत सुनते हैं जो 90 डेसिबल के बराबर या अधिक है तो यह आपके कानों की सुनने की क्षमता को ख़त्म कर सकता है जो कि बहरापन का कारण बन सकता हैं। इसलिए हेडफोन पर संगीत एक निश्चित समय तक ही सुने और इसके अलावा, इसकी ध्वनि तीव्रता को एक मध्यम स्तर पर बनाए रखें।
हेडफोन के नुकसान से कान सुन्न होना
घंटों तक अपने कानों में ईयरफोन लगा कर गाने सुनने से आपके कान भी सुन्न हो सकते हैं। हेडफोन लगाकर गाने सुनना सभी को पसंद होता हैं पर लंबे समय तक गाने सुनना आपके कानों की सुनने की क्षमता को स्थाई रूप से ख़त्म कर सकता हैं। यदि आप भी इस प्रकार की आदत से परेशान है तो अभी इस आदत को कम कर दें नहीं तो इसके परिणामस्वरूप आप स्थायी रूप से सुनने की शक्ति को खो सकते हैं।
कानों में जमने लगता है मैल
आप ऑफिस मीटिंग करते समय, पढ़ाई करते वक्त या बात करने के लिए ईयरफोन का यूज़ करते हैं, तो सावधान हो जाइए! देर तक हेडफोन ईयरफोन का प्रयोग करने पर कान में मैल जमा होता है। जिससे कान में संक्रमण, सुनने की समस्या, या टिटनेस की समस्या हो सकती है।
ईयरफोन के साइड इफेक्ट्स से कान में दर्द
लंबे समय तक कानों में ईयरफोन लगाने से कानों में दर्द हो सकता हैं। कानों में दर्द का कारण कान में ईयरफोन की खराब फिटिंग हो सकती है। खराब फिटिंग हेडसेट के कारण होने वाला यह दर्द आंतरिक कान तक बढ़ सकता है। इससे कान के आसपास के जबड़े से लेकर सिर के ऊपर तक दर्द होता है। बैरट्रोमा (Barotrauma) कान का दर्द तब होता है जब कोई शक्तिशाली स्पीकर के साथ हेडफ़ोन का उपयोग करता है जो कि ईयरड्रम (eardrum) अर्थात कान के पर्दा पर अधिक वायु दबाव डालता है। हेडफोन का प्रयोग करने से ईयरड्रम पर दबाव होता है, यह दबाव अंदर के और बाहर के दबाव में अंतर बना देता है जो कि हेडफोन के कारण होता है और इसके कारण कान में दर्द होने लगता हैं।
हो सकती है बहरेपन की समस्या
देर तक हेडफोन या ईयरफोन का प्रयोग करने से आप अपने कानों को बहरा बनाने की ओर बढ़ रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि ईयरफोन के माध्यम से गाना या मीटिंग करने की आदत आपको बहरा बना सकती है। डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि इस कारण 2050 तक 70 करोड़ से अधिक लोगों के कान खराब हो जाएंगे। वाइब्रेशन अधिक होने के कारण सुनने वाले सेल्स अपनी संवेदनशीलता खो देते हैं। जिससे बहरापन हो जाता है।
ईयरफोन के नुकसान हवा का पास ना होना
हेडफोन पर अधिक इस्तेमाल से आपके कान में हवा पास नहीं हो पाती है, जिसके कारण संक्रमण होने का खतरा अधिक हो जाता है। आजकल अधिकांश उच्च-गुणवत्ता वाले हेडफ़ोन को आपको उन्हें कान की नली (ear canal) में रखने की आवश्यकता होती है, जो कि ईयरड्रम के बहुत करीब है। ये इयरफ़ोन आपको एक अद्भुत संगीत अनुभव दे सकते हैं, लेकिन आपके लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। यदि आप कई घंटों के लिए इन इयरफ़ोन का उपयोग कर रहें है तो आप वायु नलिका में हवा के प्रवाह को प्रतिबंधित कर रहे हैं और यह कान के संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील होता है।
दूसरो के हेडफोन के इस्तेमाल से होता है कान में संक्रमण
आपके कान में संक्रमण होने का खतरा हेडफ़ोन या ईयरफ़ोन के कारण भी हो सकता हैं। यदि आप हेडफोन का उपयोग करते हैं तो आप अपना हेडफोन किसी को उपयोग करने के लिए ना दें। इयरफ़ोन साझा करने से अवांछित संक्रमण हो सकता है। अगर आप अपने हेडफोन किसी को देते भी है तो उसका प्रयोग करने से पहले हेडफ़ोन या ईयरफ़ोन अच्छी तरह से साफ कर लें।
देर तक हेडफोन में सुनने के नुकसान मस्तिष्क पर
कान के अलावा हेडफोन के प्रयोग से मस्तिष्क पर भी बुरा प्रभाव पड़ता हैं। मस्तिष्क पर प्रभाव हेडफ़ोन द्वारा उत्पन्न विद्युत चुम्बकीय तरंगों के कारण होता है। यह विद्युत चुम्बकीय तरंगे लंबे समय में मस्तिष्क के लिए समस्याएं पैदा कर सकती हैं। इसके अलावा, हमारे आंतरिक कान का मस्तिष्क के साथ संबंध है, इसलिए कान में कोई क्षति या संक्रमण भी मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है। इसलिए आपको हेडफोन का उपयोग आवश्यकता से अधिक नहीं करना चाहियें।
ईयरफोन के साइड इफेक्ट्स बाहरी खतरों में
इयरफ़ोन का अधिक उपयोग करने से आपका जीवन को गंभीर खतरे हो सकते हैं। संगीत सुनते या बातें करते हुए सड़क पर चलना, आपको दुनिया के बाकी हिस्सों से अलग करता है और आपको इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। हाल के दिनों में बाहरी वातावरण से अंजान होकर ईयर फोन सुनने के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। इस प्रकार जब आप विशेष रूप से बाहर, सड़क पर चल रहे हैं, तो जितना संभव हो सके हेडफ़ोन के उपयोग से बचें। बाइक चलाते समय भी आप हेडफोन का प्रयोग ना करें।
हेडफोन के साइड इफ़ेक्ट से हो सकती है टिनिटस बीमारी
कान में शोर होना एक प्रकार की बीमारी है जिसको टिनिटस (Tinnitus) कहा जाता हैं। यह ज्यादातर अत्यधिक तेज शोर के संपर्क में आने के कारण होता है, इसके कारण आपको ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि आपके कान बज रहें हों या कान गूंज रहें हों। कोक्लीअ (cochlea) जो कि कान का एक भीतरी हिस्सा है, यह तेज ध्वनि के कारण आपके बालों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। बाल कोशिकाएं (hair cells) ध्वनि तरंगों को तंत्रिका संकेतों में बदल देती हैं जो मस्तिष्क से संबंधित होती हैं। लेकिन जब मस्तिष्क तंत्रिका संकेतों को ठीक से प्राप्त नहीं करता है तो कर्णावत (cochlear) बाल कोशिकाओं द्वारा लापता इनपुट के लिए क्षतिपूर्ति करने के लिए असामान्य तंत्रिका संकेतों का उत्पादन करता है। यह विद्युत शोर टिनिटस के रूप में जाना जाता है।
ईयरफोन के इस्तेमाल के नुकसान हाइपराक्युसिस में
अधिक हेडफोन का प्रयोग करने से हाइपराक्युसिस जैसे रोग भी हो सकते हैं। हाइपराक्युसिस जैसी समस्या आपके सामान्य पर्यावरणीय ध्वनियों की संवेदनशीलता को बढ़ा देती है। आज 63 प्रतिशत टिनिटस रोगियों में से भी हाइपरकेसिस से पीड़ित हैं।
हेडफोन के दुष्प्रभाव से चक्कर आना
चक्कर आना आना भी हेडफोन अधिक प्रयोग करना का एक दुष्प्रभाव है। हेडफोन से तेज आवाज आने के कारण कान नहर (ear canal) में बढ़ते दबाव बढ़ता है जिसके कारण चक्कर भी आ सकते है।
हेडफोन से हो सकती है मनोवैज्ञानिक तनाव और चिंता में वृद्धि
मनोवैज्ञानिक तनाव और चिंता में वृद्धि शोर के वातावरण में रहने वाले लोगों में आधिक पाईं जाती है। हेडफोन एक व्यक्ति के सामाजिक जीवन, मानसिक स्वास्थ्य और अच्छे स्तरों पर प्रदर्शन करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
हेडफोन के नुकसान से फोकस करने में कमी
बहुत से लोग मानते हैं कि संगीत सुनने के दौरान गणित करना अच्छा है लेकिन सच्चाई कुछ अलग है। कुछ शोधकर्ताओं ने इस पर अध्ययन किया तो पाया कि ऐसा करने से आप अपना फोकस खोते है। संगीत सुनने के दौरान हेडफ़ोन का अत्यधिक उपयोग अक्सर फ़ोकस को बदल देता है। इससे किसी भी समय आपके प्रोफेशनल लाइफ में बाधा आ सकती है। अध्ययनों से संकेत मिलता है कि शोर-शराबे वाले वातावरण के संपर्क में आने वाले बच्चों का मानकीकृत परीक्षणों पर कम मूल्यांकन स्कोर होता है।
याद रखें
बहरेपन और कान में किसी प्रकार की समस्या से बचाव करना चाहते हैं, तो सबसे पहले तेज आवाज में म्यूजिक सुनना बंद कर दें। सुनना है तो आवाज कम कर लें। आप जो भी हेडफोन या ईयरफोन खरीद रहे हैं वह अच्छी गुणवत्ता का होना चाहिए। इसके साथ यदि आपको महसूस हो रहा है कि आपको कम सुनाई दे रहा है तो ऐसे में तुरंत किसी अच्छे कान के डॉक्टर को दिखाएं।
ईयरफोन या हेडफोन के नुकसान से बचने के लिए इनका इस्तेमाल कम से कम करने की आदत डालें। हमेशा अच्छी क्वालिटी के हेडफोन्स या ईयरफोन्स का प्रयोग करें। हो सके तो ईयरफोन की जगह हेडफोन का प्रयोग करें क्योंकि यह सिर के सहारे बाहरी कान में लगे होते हैं। अगर आपको कई घंटों तक ईयरफोन लगाकर काम करना पड़ रहा है, तो काम के बीच हर एक घंटे पर कम से कम 5 मिनट का ब्रेक लें।