दीपावली का त्योहार हिंदू धर्म का एक बहुत ही प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे देशभर में बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को भगवान राम 14 साल के वनवास काटने के बाद और रावण का वध करके वापस अयोध्या आए थे, जिसकी खुशी में अयोध्या वासियों ने पूरे नगर को दीपक जलाकर खुशियां मनाई थी।
दिवाली पर पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है, इस विषय में अगर आप सोच रहे हैं तो आपको सबसे पहले यह जानना चाहिए कि गृहस्थ लोगों को स्थिर लग्न और मुहूर्त में भगवान गणेश सहित देवी लक्ष्मी और कुबेर की पूजा करनी चाहिए। इस साल दिवाली की तिथि को लेकर भी कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है तो आप अपना कन्फ्यूजन तो सबसे पहले दूर कीजिए कि इस साल दिवाली प्रमुख रूप से 31 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। अयोध्या में दिवाली और मथुरा, काशी में भी दिवाली 31 अक्टूबर को ही है। इसलिए सर्वमान्य रूप से दिवाली 31 अक्टूबर को है, और इस दिन दिवाली पूजा के लिए घरों में जो शुभ मुहूर्त है वह शाम के समय प्रदोष काल में है। शास्त्रों में अनुसार आपके शहर में सूर्यास्त जिस समय हो उससे 48 मिनट आगे और पीछे का समय प्रदोष काल माना जाता है। इसी समय में स्थिर लग्न यानी वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ में से कोई भी लग्न हो तब गृहस्थ जनों को दिवाली पूजन करना चाहिए इससे स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त (01 नवंबर, 2024)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 05:36 से 06:16
अवधि – 00 घण्टे 41 मिनट
प्रदोष काल – 05:36 से 08:11
वृषभ काल – 06:20 से 08:15
दिवाली लक्ष्मी पूजा शुभ चौघड़िया मुहूर्त 2024
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 06:33 से 10:42 तक
अपराह्न मुहूर्त (चर) – 04:13 से 05:36 तक
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 12:04 से 01:27 तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:36 से 06:02 तक
संध्या पूजा- शाम 05:36 से 06:54 तक
निशिथ काल पूजा- रात्रि 11: 39 से 12: 31 तक
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त
दिवाली 2024– अमावस्या तिथि
कार्तिक अमावस्या तिथि प्रारंभ- 31 अक्तूबर को दोपहर 03:52 मिनट से।
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त- 01 नवंबर को शाम 06:16 मिनट तक।
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त (31 अक्तूबर 2024)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 06:45 से 08:30 तक
अवधि – 01 घण्टे 45 मिनट
प्रदोष काल – 05:48 से 08:21
वृषभ काल – 06:35 से 08:33
शिववास योग
दीवाली के शुभ अवसर पर दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में मां लक्ष्मी की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। इससे सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस समय भगवान शिव कैलाश पर मां गौरी के साथ रहेंगे। ऐसे में आप भगवान शिव का अभिषेक कर सकते हैं। इस साल दीवाली पर चित्रा नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है।
प्रीति योग
इस साल दीवाली पर प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण प्रातः काल 09:52 बजे से हो रहा है। वहीं इसका समापन 1 नवंबर को 10:41 बजे होगा। प्रीति योग को बेहद शुभ माना जाता है। इस योग में मां लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोरथ सिद्ध हों जाते हैं।
लक्ष्मी पूजा संपूर्ण पूजा विधि
दिवाली के दिन शाम के समय लक्ष्मी जी की पूजा के लिए सबसे पहले पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी रखें, फिर इस चौकी पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं। इसके बाद चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति को विराजित करें और दाहिन तरफ मां लक्ष्मी की मूर्ति को रखें। साथ ही जल से भरा कलश भी रखें। सभी पूजन सामग्री को साथ में लेकर आसान पर बैठें और चारो तरफ गंगाजल का छिड़काव करते हुए पूजा आरंभ कर दें। सबसे पहले गणेश स्तुति और वंदना करते हुए गणेश की पुष्य, अक्षत, गंध, फल और भोग अर्पित हुए तिलक लगाएं। भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हुए मां लक्ष्मी को सिंदूर अर्पित करते हुए सभी तरह की पूजन सामग्री भेंट करें। फिर भगवान गणेश, माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के बाद विधि-विधान के साथ कुबेर देव और मां सरस्वती की पूजा करें।इसके बाद परिवार सभी लोग महालक्ष्मी की आरती, मंत्रों का जाप और स्तुति पाठ करें। दीपक जलाएं और घर के हर एक हिस्से में रखें महालक्ष्मी पूजन के बाद तिजोरी और बहीखाते की पूजा करें। इसके अलावा दिवाली पर पूर्वजों को याद करते हुए उनकी पूजा-अर्चना, धूप और भोग अर्पित करें।
दिवाली पूजा सामग्री
दिवाली की रात लक्ष्मी पूजन के लिए एक लकड़ी की चौकी, गंगा जल, पंचामृत, फूल, फल, एक लाल कपड़ा, एक लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, लौ, माचिस, घी, कपूर, गेहूं, दूर्वा, कुमकुम, हल्दी की गांठ, रोली, सुपारी, पान, लौंग, अगरबत्ती, धूपबत्ती, दीपक, जनेऊ, खील बताशे, चांदी के सिक्के के अलावा भी कुछ ऐसी चीजें ऐसी है जिन्हें शामिल करने से व्यक्ति पर मां लक्ष्मी की कृपा साल भर बनी रहते हैं।
दिवाली लक्ष्मी पूजन मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः
ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः
धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व
दिवाली पर धन और सुख-समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की पूजा के साथ भगवान गणेश, कुबेर देवता और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा करने का विधान होता है। दीपावली पर मां लक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद के तीन मुहर्त में किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दिवाली की रात माता लक्ष्मी बैकुंठ धाम से पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने आती हैं और घर-घर जाकर यह देखती हैं कि किन घरों में साफ-सफाई, अच्छी सजावट और विधि-विधान के साथ पूजा हो रही है। जिन घरों में पूजा-पाठ और साफ-सफाई होती है वहीं पर मां लक्ष्मी विराजमान हो जाती हैं। मां लक्ष्मी हर तरह की मनोकामनाओं का पूरा करती हैं।
दिवाली पर क्यों बनाते रंगोली
दिवाली पर घर के बाहर सुंदर रंगोली बनानी चाहिए. रंगोली पवित्रता बढ़ाती है और घर में उत्सव का माहौल बन जाता है मान्यता है कि देवी-देवता रंगोली से जल्दी आकर्षित होते हैं. साज-सजावट से घर सुंदर दिखाई देता है।
फूलों से सजावट का महत्व
अलग-अलग फूलों की सुंदरता और महक से घर में सकारात्मकता बनी रहती है. मान्यता है कि देवी-देवताओं को फूल बहुत प्रिय होते हैं. यही वजह है कि दिवाली पर फूलों से घर में सजावट की जाती है. मुख्य द्वार पर तोरण लगाते हैं. तोरण में अशोक के पत्ते जरुर लगाएं, मान्यता है ये समस्त शोक हर लेते हैं।
लक्ष्मी पूजन में पान का पत्ता
हिंदू धर्म में सभी मंगल कार्यों में पान के पत्तों का उपयोग बहुत ही शुभ माना जाता है. दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करते समय उन्हें पान के पत्ते अर्पित करने से घर में सुख -समृद्धि आती है. ग्रह दोष दूर होते हैं।
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