विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की शासन व्यवस्था को चलाने वाला संविधान अपने आकार और प्रकार में भी सबसे खास और विशाल है। यह लचीला भी है तो कठोर भी है। लचीलेपन का उदाहरण 1950 से लेकर अब तक इसमें 106 संशोधन होना है। जबकि इसकी कठोरता का उदाहरण यह कि इसमें समय के साथ संशोधन तो किए जा सकते हैं मगर इसकी सार्वभौम, धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी गणतंत्र की मूल भावना नहीं बदली जा सकती। हमारे संविधान में देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों और सरकारी तंत्र के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इसमें ये बताया गया है कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री की क्या शक्तियां हैं और किस तरह से विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका काम करती है। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। हर साल 26 नवंबर का दिन देश के सभी नागरिकों के लिए बेहद खास दिन होता है। साल 1949 में 26 नवंबर को भारत की संविधान सभा ने हमारे देश के संविधान को अपनाया था। डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माता के रूप में याद किया जाता है।
हर वर्ष 26 नवंबर का दिन देश में संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है. 26 नवंबर को राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में भी जाना जाता है. 26 नवंबर, 1949 को ही देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था. 26 नवंबर 1949 को लागू होने के बाद संविधान सभा के 284 सदस्यों मे 24 जनवरी 1950 को संविधान पर हस्ताक्षर किए. इसके बाद 26 जनवरी को इसे लागू कर दिया गया। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है. इसी आधार पर भारत को दुनिया का सबसे बड़ा गणतंत्र कहा जाता है. भारतीय संविधान में 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां शामिल हैं। यह 2 साल 11 महीने 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था। इसके कुछ हिस्से अमेरिका, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड, कनाडा और जापान के संविधान से लिए गए हैं।
राष्ट्रीय कानून दिवस के बारे में जानकारी
नाम : राष्ट्रीय संविधान दिवस
अन्य नाम : राष्ट्रीय कानून दिवस या विधि दिवस
शुरूआत : वर्ष 2015 में
पहली बार : 26 नवंबर 2015
तिथि : 26 नवम्बर (वार्षिक)
भारत में संविधान दिवस
भारत में 26 नवम्बर को हर साल संविधान दिवस मनाया जाता है, क्योंकि वर्ष 1949 में 26 नवम्बर को संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को स्वीकृत किया गया था जो 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया। डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत के संविधान का जनक कहा जाता है। भारत की आजादी के बाद काग्रेस सरकार ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत के प्रथम कानून मंत्री के रुप में सेवा करने का निमंत्रण दिया। उन्हें 29 अगस्त को संविधान की प्रारुप समिति का अध्यक्ष बनाया गया। वह भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार थे और उन्हें मजबूत और एकजुट भारत के लिए जाना जाता है। भारतीय संविधान का पहला वर्णन ग्रानविले ऑस्टिन ने सामाजिक क्रांति को प्राप्त करने के लिये बताया था। भारतीय संविधान के प्रति बाबा साहेब अम्बेडकर का स्थायी योगदान भारत के सभी नागरिकों के लिए एक बहुत मददगार है। भारतीय संविधान देश को एक स्वतंत्र कम्युनिस्ट, धर्मनिरपेक्ष स्वायत्त और गणतंत्र भारतीय नागरिकों को सुरक्षित करने के लिए, न्याय, समानता, स्वतंत्रता और संघ के रूप में गठन करने के लिए अपनाया गया था। जब भारत के संविधान को अपनाया गया था तब भारत के नागरिकों ने शांति, शिष्टता और प्रगति के साथ एक नए संवैधानिक, वैज्ञानिक, स्वराज्य और आधुनिक भारत में प्रवेश किया था। भारत का संविधान पूरी दुनिया में बहुत अनोखा है और संविधान सभा द्वारा पारित करने में लगभग 2 साल, 11 महीने और 17 दिन का समय ले लिया गया।
राष्ट्रीय कानून दिवस
26 नवम्बर को नेशनल लॉ डे (राष्ट्रीय कानून दिवस) भी मनाया जाता है, जिसे राष्ट्रीय विधि दिवस भी कहा जाता है। 26 नवंबर 1949 के बाद करीब 30 साल पश्चात भारत के उच्चतम न्यायालय के बार एसोसिएसन ने 26 नवम्बर की तिथि को ‘राष्ट्रीय विधि दिवस‘ (National Law Day) के रूप में घोषित किया था। भारत में संविधान लागू किए जाने की तारीख (26 जनवरी) को ‘गणतंत्र दिवस‘ मनाया जाता है। हम आपको बता दें कि इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन डे की शुरुआत नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2015 में की गई थी। इससे पहले इसी दिन राष्ट्रीय विधि दिवस मनाया जाता था और यह आज भी मनाया जाता है।
क्या होता है संविधान, क्या है अहमियत
सामान्य तौर पर, संविधान को नियमों और उपनियमों का एक ऐसा लिखित दस्तावेज कहा जाता है, जिसके आधार पर किसी देश की सरकार काम करती है. यह देश की राजनीतिक व्यवस्था का बुनियादी ढांचा निर्धारित करता है. हर देश का संविधान उस देश के आदर्शों, उद्देश्यों और मूल्यों का संचित प्रतिबिंब होता है. संविधान महज एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह समय के साथ लगातार विकसित होता रहता है।
सबसे बड़ा लिखित संविधान
भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है. इसी आधार पर भारत को दुनिया का सबसे बड़ा गणतंत्र कहा जाता है. भारतीय संविधान में 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां शामिल हैं. पूरा संविधान तैयार करने में 2 वर्ष, 11 माह 18 दिन लगे थे. यह 26 नवंबर, 1949 को पूरा हुआ था। 26 जनवरी, 1950 को भारत गणराज्य का यह संविधान लागू हुआ था. संविधान की असली कॉपी प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने हाथ से लिखी थी।
कैसी दिखती है संविधान की मूल प्रति
* 16 इंच चौड़ी है संविधान की मूल प्रति
* 22 इंच लंबे चर्मपत्र शीटों पर लिखी गई है
* 251 पृष्ठ शामिल थे इस पांडुलिपि में
भारतीय संविधान की विशेषताओं में से कुछ निम्नलिखित हैं:
* यह लिखित और विस्तृत है।
* यह लोकतांत्रिक सरकार है।निर्वाचित सदस्य।
* मौलिक अधिकार,
* न्यायपालिका की स्वतंत्रता, यात्रा, रहने, भाषण, धर्म, शिक्षा आदि की स्वतंत्रता,
* एकल राष्ट्रीयता,
* भारतीय संविधान लचीला और गैर लचीला दोनों है।
* राष्ट्रीय स्तर पर जाति व्यवस्था का उन्मूलन।
* समान नागरिक संहिता और आधिकारिक भाषाएं,
* केंद्र एक बौद्ध ‘Ganrajya’ के समान है,
* बुद्ध और बौद्ध अनुष्ठान का प्रभाव,
* भारतीय संविधान अधिनियम में आने के बाद, भारत में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला है।
* दुनिया भर में विभिन्न देशों ने भारतीय संविधान को अपनाया है।
* पड़ोसी देशों में से एक भूटान ने भी भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली को स्वीकार कर लिया है।
हम संविधान दिवस को क्यों मनाते है
भारत में संविधान दिवस 26 नवंबर को हर साल सरकारी तौर पर मनाया जाने वाला कार्यक्रम है जो संविधान के जनक डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर को याद और सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। भारत के लोग अपना संविधान शुरू करने के बाद अपना इतिहास, स्वतंत्रता, स्वतंत्रता और शांति का जश्न मनाते है। संविधान दिवस भारत के संविधान के महत्व को समझाने के लिए प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर के दिन मनाया जाता है। जिसमें लोगो को यह समझाया जाता है कि आखिर कैसे हमारा संविधान हमारे देश के तरक्की के लिए महत्वपूर्ण है तथा डॉ अंबेडकर को हमारे देश के संविधान निर्माण में किन-किन कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। आजादी के पहले तक भारत में रियासतों के अपने अलग-अलग नियम कानून थे, जिन्हें देश के राजनितिक नियम, कानून और प्रक्रिया के अंतर्गत लाने की आवश्यकता थी। इसके अलावा हमारे देश को एक ऐसे संविधान की आवश्कता थी। जिसमें देश में रहने वाले लोगों के मूल अधिकार, कर्तव्यों को निर्धारित किया गया हो ताकि हमारा देश तेजी से तरक्की कर सके और नयी उचाइयों को प्राप्त कर सके। भारत की संविधान सभा ने 26 जनवरी 1949 को भारत के संविधान को अपनाया और इसके प्रभावीकरण की शुरुआत 26 जनवरी 1950 से हुई। संविधान दिवस पर हमें अपने अंदर ज्ञान का दिपक प्रज्जवलित करने की आवश्यकता है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ीयों को हमारे देश के संविधान के महत्व को समझ सके, जिससे की वह इसका सम्मान तथा पालन करें। इसके साथ ही यह हमें वर्तमान से जोड़ने का कार्य करता है, जब लोग जनतंत्र का महत्व दिन-प्रतिदिन भूलते जा रहे है। यही वह तरीका जिसे अपनाकर हम अपने देश के संविधान निर्माताओं को सच्ची श्रद्धांजली प्रदान कर सकते है और लोगो में उनके विचारों का प्रचार-प्रसार कर सकते है। यह काफी आवश्यक है कि हम अपनी आने वाली पीड़ीयो को अपने देश के स्वतंत्रता संघर्ष और इसमें योगदान देने वाले क्रांतिकारियों के विषय में बताए ताकि वह इस बात को समझ सकें की आखिर कितनी कठिनाइयों का बाद हमारे देश को स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई है। संविधान दिवस वास्तव में वह दिन है जो हमें हमारे ज्ञान के इस दीपक को हमारे आने वाली पीढ़ीयों तक पहुंचाने में हमारी सहायता करता है। संविधान निर्माण का श्रेय संविधान सभा के हर एक व्यक्ति को जाता है। संविधान दिवस का मुख्य मकसद हमारे देश के संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर और इसके निर्माण में उनका साथ निभाने वाले अन्य सदस्यों के अभिवादन के लिए मनाया जाता है। क्योंकि उनके इस कठिन परिश्रम द्वारा ही भारत आज हर क्षेत्र में नये उचाइयों को प्राप्त कर रहा है।
भारत में संविधान दिवस कैसे मनाया जाता है
संविधान दिवस वह दिन है, जब हमें अपने संविधान के विषय में और भी ज्यादे जानने का अवसर प्राप्त होता है। इस दिन सरकारी तथा नीजी संस्थानों में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। संविधान दिवस के दिन जो सबसे महत्वपूर्ण कार्य किया जाता है वह है लोगो को “भारत के संविधान के प्रस्तावना” की जानकारी देना, जिसके विषय में देशभर के विद्यालयों, कालेजों और कार्यलयों में समूहों द्वारा लोगो काफी आसान भाषा में समझाया जाता है। इसके साथ ही विद्यालयों में कई तरह के प्रश्नोत्तर प्रतियोगिताएं, भाषण और निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है, जो भारत के संविधान और डॉ भीमराव अंबेडकर के उपर केंद्रित होती हैं। इसके साथ ही इस दिन कई सारे व्याख्यानों और सेमिनारों का भी आयोजन किया जाता है, जिनमें हमारे संविधान के महत्वपूर्ण विषयों के बारे में समझाया जाता है। इसी तरह कई सारे विद्यालयों में छात्रों के लिए वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें छात्रों द्वारा कई सारे विषयों पर चर्चा की जाती है। प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर के दिन संविधान सभा का विशेष सत्र बुलाया जाता है, जिसमें सभी राजनैतिक पार्टियों द्वारा डॉ बी. आर. अंबेडकर को देश के संविधान निर्माण में अपना अहम योगदान देने के लिए उन्हें श्रद्धांजलि प्रदान करते है। इसी तरह आज के दिन डॉ अंबेडकर के स्मारक पर भी विशेष साज-सजावट की जाती है। इसके साथ ही इस दिन खेल मंत्रालय द्वारा हमारे देश के संविधान निर्माता और सबके प्रिय डॉ भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि प्रदान करने के लिए मिनी मैराथनों का आयोजन किया जाता है।
भारतीय संविधान सभा में कुल कितनी महिलाएं थी?
भारतीय संविधान सभा में महिला सदस्यों की कुल संख्या 15 थी, जिनमें बेगम एजाज रसूल एकमात्र मुस्लिम महिला सदस्य थी। उनके अलावा सुचेता कृपलानी, दक्षिणानी वेलायुद्ध, हंसा जीवराज मेहता, कमला चौधरी, दुर्गाबाई देशमुख, लीला रॉय, पूर्णिमा बनर्जी, मालती चौधरी, राजकुमारी अमृत कौर तथा सरोजिनी नायडू, एनी मास्कारेन, अम्मू स्वामीनाथन, रेणुका रे और विजय लक्ष्मी पंडित भी संविधान सभा की सदस्य थी। इन सभी ने इसके निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
संविधान दिवस को और भी प्रभावशाली तरीके से मनाने के लिए सुझाव
हमें संविधान दिवस को ऐसा दिन नही समझना चाहिए, जिसे सिर्फ सरकार और राजनैतिक पार्टियों द्वारा मनाना चाहिए। अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते, यह हमारा कर्तव्य है कि हम इस दिन को पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाये और यहीं हमारे देश के संविधान निर्माताओं को हमारे ओर से दी जा सकने वाली सच्ची श्रद्धांजलि होगी। यह मात्र हमारा कर्तव्य ही नही बल्कि की हमारा दायित्व भी है कि हम इस दिन को राष्ट्रीय पर्व के रुप में मनाये, इसी में से कुछ बातों के विषय में नीचे बताया गया है।
जागरुकता अभियान चलाना : इस दिन का प्रचार-प्रसार करने के लिए हम अपने क्षेत्रों और सोसायटीयों में संविधान दिवस के विषय में जागरुकता अभियान चला सकते है। हमें लोगो को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरुक करने की भी आवश्यकता है। इसके साथ ही अपने संविधान प्रस्तावना के विषय में लोगो को अधिक से अधिक जानकारी देनी के लिए उनके बीच पैंफलेट और पोस्टर बाटने चाहिए ताकि लोग संविधान का अर्थ समझ सके और इसके पालन के प्रति जागरुक हो सके।
अभिनय मंचन और नाटकों द्वारा : अभिनय मंचन और नाटक लोगो के मध्य अपने विचारों को प्रकट करने का अच्छा तरीका है। इसी तरह छोटे नाटको के माध्यम से हम लोगो को भारत के स्वतंत्रता संघर्ष और संविधान निर्माण के विषय में जानकारी देते हुए इसके महत्व को समझा सकते है। इसके द्वारा वह सिर्फ ना हमारे महान नेताओं के द्वारा देश के आजादी के लिए किये गये संघर्षों को समझ पायेंगे, जिससे वह इस जनतंत्र का सम्मान और भी अच्छे से कर पायेंगे।
विद्यालयों में सेमिनार और व्याख्यान का आयोजन करके : बच्चों को देश का आधार माना जाता है, इसलिए यह काफी महत्वपूर्ण है कि वह अपने देश के इतिहास और संस्कृति से परिचित हो। इस विषय पर विद्यालयों और कालेजों में सेमिनार और व्याख्यानों का आयोजन करके हम बच्चों को यह समझा पायेंगे की आखिर कैसे हमारे देश के महान विभूतियों ने इस नये जनतांत्रिक भारत का निर्माण किया। यह उन्हें हमारे देश के महान इतिहास से परिचित कराने का कार्य करने के साथ, उनके अंदर देशभक्ति की भावना भी पैदा करेगा।
सोशल मीडिया पर अभियान चलाकर : किसी भी विषय पर लोगो में जागरुकता फैलाने के लिए सोशल मीडिया एक बेहतरीन साधन है। सोशल मीडिया के माध्यम से संविधान दिवस के विषय में लोगो को जागरुक करने के लिए कई सारे अभियान चलाये जा सकते है। आज के समय के नवयुवक इस देश के गौरवशाली इतिहास को भूल चुके है, लेकिन क्योंकि लगभग सभी युवा सोशल मीडिया से जुड़े हुए है, इसलिए इसके माध्यम से हम काफी आसानी से अपनी बात उनतक पहुंचा सकते है।
फ्लैग मार्च का आयोजन करके : इसके साथ ही हम फ्लैग मार्च का भी आयोजन कर सकते है और लोगो में प्रचार के लिए पर्चें बांट सकते है। इसके साथ ही हम डॉ अंबेडकर को संविधान निर्माण और दूसरे उनके महान कार्यों के लिए श्रद्धांजलि प्रदान करने के लिए अन्य कार्यक्रमों का भी आयोजन कर सकते है।
इस विषय में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान : इस विषय में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया काफी महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। इस विषय में लोगों को जानकारी देने के लिए संविधान दिवस के दिन कई सारे कार्यक्रम चलाये जा सकते है, जिसमें हमारे देश के संविधान निर्माताओं के महत्वपूर्ण प्रयासों और उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों को दिखाया जा सकता है।
कानून दिवस पर भारतीय संविधान के बारे में कुछ रोचक तथ्य
* भारत का संविधान दुनिया के सभी संविधानों को बारीकी से समझने और परखने के बाद बनाया गया है।
* खुद बाबा साहेब अम्बेडकर ने संविधान के बारे में कहा था कि:– “ये workable है, ये flexible है और शांति हो या युद्ध का समय, इसमें देश को एकजुट रखने की ताकत है”।
* भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। जिसकी मूल प्रतियाँ (हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में) पेन की मदद से ‘प्रेम बिहारी नारायण रायजादा‘ ने अपने हाथों से लिखी थी। इसके लिए किसी भी तरह की टाइपिंग या प्रिंटिंग का इस्तेमाल नहीं किया गया था।
* संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति की स्थापना 29 अगस्त 1947 को की गई थी। जिसमें सदस्यों की कुल संख्या 389 थी, परंतु देश बंटवारे के बाद यह संख्या घटकर 299 ही रह गयी थी।
* संविधान सभा की संचालक समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे, सविधान सभा के संघ शक्ति समिति और संघ संविधान समिति के अध्यक्ष पण्डित जवाहरलाल नेहरू और प्रारूप समिति के अध्यक्ष बाबा साहेब अंबेडकर तथा प्रांतीय संविधान समिति के अध्यक्ष सरदार वल्लभभाई पटेल थे।
* संविधान सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए, जिसके 2 दिन बाद भारतीय संविधान को लागू किया गया।
* भारत का संविधान तैयार करने में लगभग 2 साल 11 महीने और 18 दिन का वक्त लगा और कुल अनुमानित खर्च करीबन 6.4 करोड़ रुपये था।
* मूल संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं। लेकिन संविधान में हुए संशोधनों के बाद अब इसमें 448 अनुच्छेद (Article) और 12 अनुसूचियां (Schedules) हैं।
* भारत का संविधान बेहद लचीला (flexible) है। अब तक इसमें 103 संशोधन किए जा चुके हैं। जिसके लिए अब तक 124 संविधान संशाेधन विधेयक पारित हुए हैं। संविधान का पहला संशोधन 18 जून 1951 को किया गया था।
* भारतीय संविधान की प्रस्तावना ‘हम भारत के लोग‘ वाक्य से शुरू होती है, तथा यह घोषणा करती है कि सविधान को सभी शक्तियां जनता से प्राप्त होती हैं।
डा. भीमराव आंबेडकर के बारें में
* डॉ. अंबेडकर एक अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, और समाज सुधारक थे, स्वतंत्र भारत के पहले विधि एवं न्याय मंत्री थे, भारतीय संविधान के जनक और भारतीय गणराज्य के निर्माता के रूप में जाने जाते हैं।
* डॉ. भीमराव अंबेडकर को कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र के डायरेक्टरेट की उपाधि प्राप्त थी, साथ ही उन्होंने अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, और विधि में भी शोध कार्य किए।
* उन्होंने अपने जीवन में वकालत भी की तथा अपने व्यवसायिक जीवन के शुरूआती दिनों में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर भी रहे।
* डॉ. अंबेडकर ने दलितों से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया, उनका मानना था कि छुआछूत गुलामी से भी बदतर है।
* भीम राव अंबेडकर की छवि एक बुद्धिमान संविधान विशेषज्ञ के रूप में तब बनी जब उन्होंने लगभग 60 देशों के संविधान का अध्ययन कर भारत के संविधान में अपना अविस्मरणीय सहयोग दिया।
* बाबा साहेब अंबेडकर को भारत के संविधान के जनक (Father) के रूप में मान्यता प्राप्त है। मरणोपरांत उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया, आज भी 24 अप्रैल को उनके जन्मदिन को अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है।
संविधान दिवस ना सिर्फ हमें अपने देश के स्वतंत्रता संघर्ष की याद दिलाता है बल्कि की हमे हमारे देश के उन गुमनाम नायकों की भी याद दिलाता है, जिनका इस संविधान निर्माण में अतुलनीय योगदान रहा है। हमारे देश के संविधान निर्माण में उनके द्वारा किये गये इस कठिन परिश्रम को अनदेखा नही किया जा सकता है, इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि हम उनके इन महान कार्यों के लिए हम उन्हें इस विशेष दिन श्रद्धांजलि अर्पित करें।