मानसून में बारिश बच्चों व युवाओं के चेहरे पर खुशी ही नहीं, वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण की आशंकाएं भी साथ लाती है। इस तरह मानसून हमारे शरीर के सबसे संवेदनशील हिस्से ‘आंखों’ में कुछ हानिकारक समस्याएं भी पैदा करता है। बारिश के मौसम में आंखों की देखभाल बहुत महत्वपूर्ण है। बारिश के मौसम में हमें आंखों की कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि कंजंक्टिवाइटिस, आई स्टाई, सूखी आंखें और कॉर्नियल अल्सर आदि। यहां हम इन आंखों की समस्याओं के बारे में चर्चा करेंगे और सुरक्षित मानसून कैसे मनाएं।
मानसून की बारिश हमेशा सभी के अंदर मस्ती ला देती है। उन बारिश की बूंदों को सुनना कानों के लिए एक सुखद संगीत है। इस मौज-मस्ती में हम अपनी आंखों की देखभाल को नजरअंदाज कर देते हैं। हम अपने हाथों और पैरों का ख्याल तो रखते हैं लेकिन अपनी आंखों का ध्यान नहीं रखते।आंखे बहुत ही आकर्षक होती हैं। इनके साथ कुछ सी भी परेशानी हो तो तुरंत दिखने वाले लक्षण सामने आते हैं। आँखों का आना या गुलाबी आँखों से जुड़ी ऐसी ही एक सामान्य समस्या है, कंजक्टिवाइटिस। कई लोगों में कंजक्टिवाइटिस के कारण गंभीर लक्षण सामने आते हैं, जिसका तुरंत इलाज करना जरूरी होता है। वैसे तो ये समस्या कभी भी किसी को हो सकती है, लेकिन गर्म और नम वातावरण में इसका खतरा ज्यादा होता है। इसके संक्रमण आंखों के लाल होने का खतरा मंडराने लगता है. आंखों में चुभन, पानी निकलना, आंख लाल होना और आंखों में जलन और खुजली हो तो समझ लें कि आपको आई कंजक्टिवाइटिस की बीमारी हो गई है। आइए जानें, आंखों की इस बीमारी के कारण, लक्षण, निदान, उपचार के बारे में विस्तार से यहां…
यह बीमारी फैलने वाली है
कंजक्टिवाइटिस एक संक्रामक बीमारी है. यानी यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो सकती है. इसलिए किसी व्यक्ति को यदि कंजक्टिवाइटिस बीमारी हो गई है तो उसकी आंखों में न देखें और न ही उसका रुमाल, तौलिया, टॉयलेट की टोंटी, दरवाजे का हैंडल, टेलीफोन के रिसीवर का इस्तेमाल करें।
जानिये, इसका कारण
कंजक्टिवाइटिस 5 कारणों से होता है. जीवाणु संक्रमण, शुक्राणु संक्रमण, एलर्जी, आंख में किसी रसायन का जाना या आंख में किसी बाहरी कण का जाना।
कंजक्टिवाइटिस (नेत्रश्लेष्माला शोथ या आँख आना) क्या है
हमारी आंखों में एक रेशा-आंखों वाला हिस्सा, कंजकटिवा होता है जो हमारी आंखों की पुतली के सफेद भाग को कवर करता है, इसमें सूजन आना या कमजोरी होना को कंजक्टिवाइटिस या आंख आना कहा जाता है। जब कंजक्टिवा में छोटी-छोटी रक्त नालिकाएं होती हैं, तब ये अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं और आंखों का सफेद हिस्सा लाल या गुलाबी रंग का दिखता है। इसलिए इसे पिंक आई भी कहा जाता है।।कंजक्टिवाइटिस की समस्या आंखों में बैक्टीरिया या वायरस का संक्रमण या एलर्जिक कोलाइटिस का कारण हो सकता है। छोटे बच्चों में टियर डॉक्टर (अश्रु नलिका) के पूरी तरह खुल जाने से भी अक्सर सिंक आई की समस्या हो जाती है।यह एक अत्यंत संक्रामक स्थिति है, इसलिए इसका तत्काल उपचार आवश्यक है।
क्या हैं कारण?
नवजात में (अश्रु नालिका) बंद होने के कारण कंजक्टिवाइटिस की समस्या हो सकती है। अन्य लोगों में इंफेक्शन, एलर्जी, इन्फेक्शन का एक्सपोज़र इसका कारण बन सकता है।
वायरल कंजक्टिवाइटिस : इसके अधिकतर मामले एडेनोवायरस के कारण होते हैं। इसके अलावा हर्पीस सिम्प्लेक्स, वैरिसेला जोस्टर वायरस और अन्य वायरस जिसमें कोरोना वायरस भी शामिल है, इसका कारण बन सकता है।वायरल कंजक्टिवाइटिस अक्सर एक आंख में होता है, कुछ दिनों में दूसरी आंख भी गिरती है।
अत्याधिक कंजक्टिवाइटिस : कुछ बैण्ड के संक्रमण के कारण भी कंजक्टिवाइटिस हो जाता है। वायरस और बैचलर दोनों से ही होता है कंजक्टिवाइटिस संक्रामक। किसी व्यक्ति की आंखों से खोजे जाने वाले डिस्क के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क में यह पाया जा सकता है। संक्रमण एक या दो आँखों में हो सकता है।
एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस: एलर्जी करने वाले जैसे एलर्जी संबंधी आदि के संपर्क में आने पर एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस हो सकता है।
इफ़ेक्ट का एक्सपोज़र: देखिए जब भी किसी रसायन के संपर्क में आते हैं या उनमें कोई बाहरी चीज चली जाती है तब भी कंजक्टिवाइटिस के लक्षण सामने आते हैं। लेकिन आमतौर पर ये लक्षण एक दिन में ही आपको ठीक हो जाते हैं।
नेत्रश्लेष्मलाशोथ: नेत्रश्लेष्मलाशोथ (पिंक आई) कंजंक्टिवा की सूजन है (कंजंक्टिवा एक पारदर्शी झिल्ली है जो आपकी पलकों के अंदर के साथ-साथ आपकी आंख की बाहरी सतह को भी ढकती है)। यह वायरस और बैक्टीरिया या कुछ अन्य परेशान करने वाले पदार्थों के कारण होता है। यह एक संक्रामक रोग है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। बारिश के दौरान हवा में नमी बढ़ने से संक्रमण फैलता है। नेत्रश्लेष्मलाशोथ के सामान्य लक्षण आंखों का लाल होना, सूजन, आंखों से पीला चिपचिपा स्राव, आंखों में खुजली, दर्द के साथ होना है। यह आसानी से इलाज योग्य आंखों की समस्या है। बस निकटतम नेत्र विशेषज्ञ से मिलना ही आवश्यक है। स्वयं दवा न लें और हमेशा किसी पेशेवर नेत्र सर्जन की सलाह लें।
बिलनी: बिलनी एक जीवाणु संक्रमण है जिसमें आपकी पलकों के आधार के पास एक या अधिक छोटी ग्रंथियां शामिल होती हैं। आई स्टाई पलक पर एक गांठ के रूप में होती है। मानसून के दौरान बैक्टीरियल संक्रमण के कारण आंखों में जलन होना बहुत आम है। ग्रंथियां अवरुद्ध हो जाती हैं जिसके कारण उस छोटी सी जगह में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं जहां जाने के लिए कोई जगह नहीं होती। बारिश के कारण; आंखों में धूल के कण और अन्य पदार्थ इन ग्रंथियों में फंस सकते हैं जो इसे बैक्टीरिया के लिए बहुत अच्छा निडस बनाते हैं। स्टाई के मूल लक्षण हैं मवाद निकलना, आंखों की पलकों पर लालिमा, असहनीय दर्द और आंख में गांठ।
सूखी आंखें: आंसू वसायुक्त तेल, जल प्रोटीन और इलेक्ट्रोलाइट्स का एक जटिल मिश्रण हैं। आँखों की सतह सामान्यतः आँसुओं से पोषित, संरक्षित और चिकनाईयुक्त होती है। सूखी आंखों में आपकी आंखें खराब गुणवत्ता या अपर्याप्त आंसुओं के कारण पर्याप्त नमी प्रदान करने में सक्षम नहीं होती हैं। वे धूल और प्रदूषकों के संपर्क में आने के कारण होते हैं, जो मानसून के दौरान फिर से आम हो जाते हैं। इसलिए यदि आप यात्रा कर रहे हैं तो एक सुरक्षात्मक आई गियर पहनना सुनिश्चित करें। एक नेत्र विशेषज्ञ कुछ आई ड्रॉप्स लिखेगा जो आपकी आँखों को चिकनाई देने और उन्हें सुरक्षित रखने में मदद करेंगे।
कॉर्नियल अल्सर: कॉर्नियल अल्सर कॉर्निया की सतह पर एक घाव है जो आपकी आंख की सामने की सतह पर मौजूद पारदर्शी संरचना होती है। कॉर्नियल अल्सर आमतौर पर बैक्टीरिया, वायरस, कवक या परजीवी के संक्रमण के कारण होता है। विशेष रूप से मानसून के दौरान हवा में नमी की मात्रा वायरस के बढ़ने और बढ़ने के लिए अनुकूल स्थिति बनाती है। कॉर्नियल अल्सर एक दर्दनाक, लाल आंख के रूप में होता है, जिसमें आंखों से हल्का से गंभीर स्राव होता है और दृष्टि कम हो जाती है। जटिलताओं से बचने के लिए इनका समय पर इलाज किया जाना आवश्यक है। अल्सर की सीमा के आधार पर; उपचार रेखा या तो केवल दवाओं और आई ड्रॉप तक ही सीमित होगी या आंख के ऑपरेशन की आवश्यकता हो सकती है।
लक्षण
* कंजक्टिवाइटिस बड़ा सामान्य हो सकता है, लेकिन बहुत ही दुर्लभ मामलों में इससे दृष्टि प्रभावित होती है।
* यह काफी संक्रामक होता है, और अन्य लोगों में भी बहुत तेजी से फैलता है। इसलिए ये लक्षण दिखें तो भूल जाओ.:
* एक या दो आँखों का रंग लाल या गुलाबी दिखाई देता है ।
* एक या दोनों आँखों में जलन या खुजली होना।
* सामान्य रूप से अधिक फूल वाला पौधा।
* आँखों से पानी या एलोवेरान पुतले की तरह।
* आँखों में किरकिरी का एहसास होना।
* आंखों में सूजन आ जाना आम तौर पर एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस के कारण के लक्षण दिखाई देते हैं।
जोखिम कारक (जोखिम कारक)
* किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आना जिसे वायरल या निरपेक्ष कंजक्टिवाइटिस है।
* किसी ऐसी चीज के संपर्क में आने से आपको एलर्जी (एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस) हो सकती है।
* फ़ोकस का एक्सपोज़र; जैसे कि बटलर पूल के पानी में मौजूद स्टोइन्ट्स के संपर्क में आना।
* कंजेक्टेक्टोल का प्रयोग करना; विशेषकर लगातार उन्हें लंबे समय तक पद पर बनाए रखना।
बरसात के मौसम में आंखों की देखभाल के सर्वोत्तम उपाय:-
* अपनी आंखों को गंदे हाथों से न छुएं।
* अपना रूमाल या तौलिया किसी के साथ साझा न करें।
* अपनी आंखों को बार-बार न रगड़ें।
* अपनी आंखों की दवाएं या कॉन्टैक्ट लेंस किसी के साथ साझा न करें।
* आंखों में संक्रमण होने पर आंखों का मेकअप करने से बचें।
* कोशिश करें कि वॉटर प्रूफ मेकअप किट हमेशा अपने पास रखें और इसे कभी भी दूसरों के साथ शेयर न करें।
* हवा, धूल के संपर्क में आने पर आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मे का प्रयोग करें।
* तैराकी करते समय आंखों के लिए सुरक्षात्मक मास्क का प्रयोग करें।
* बरसात के मौसम में स्विमिंग पूल का उपयोग करने से बचें, क्योंकि पूल का पानी आपकी आंखों पर वायरल हमले को बढ़ा देता है।
संक्रमण को कैसे रोकें?
कंजक्टिवाइटिस पर रोक के लिए साफ-सफाई की जानकारी सबसे जरूरी है, इसके अलावा इन बातों का ध्यान रखें:
* अपनी आँख को अपने हाथ से न छुएं।
* जब भी जरूरी हो अपने हाथों को संभालें।
* अपनी निजी वस्तुएं जैसे नीलाम, तकिया, आई स्काट्स (आंखों के मेकअप) आदि को किसी से साझा न करें।
* अपने रूमाल, तकिये के कवर, तौलिए आदि नीबों को रोज़ाना नियुक्त करें।
किस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करें?
* आंखों में तेज दर्द होना।
* आँखों में तेज़पन महसूस होना।
* दृश्य धुंधला हो जाना।
* प्रकाश के प्रति पुजारी।
* ओवेज़ वेवे लाल हो जाना।
ऍम
कंजक्टिवाइटिस के कई लक्षण होते हैं, जिनका उपचार करना भी वर्जित है। ज्यादातर मामलों में 1-2 दिन में फोक्सो के एक्सपोज़र से होने वाला कंजक्टिवाइटिस आपका ठीक हो जाता है। अन्य लक्षणों से होने वाले कंजक्टिवाइटिस के उपचार के लिए विशेष विकल्प उपलब्ध हैं।
वायरल कंजक्टिवाइटिस: वायरल कंजक्टिवाइटिस के लिए कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। 7-8 दिनों में इसकी रहस्योद्घाटन में आपका सुधार होता है। वैसे वार्म काम्प्रेस (कपड़े को वांटेड गर्म पानी में डबकर आंखों पर रखना) से मिश्रण में आराम मिलता है।
एडल्ट कंजक्टिवाइटिस: बैक्टीरिया के किसी भी संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक्स सबसे सामान्य उपचार है। अत्याधिक कंजक्टिवाइटिस में एंटीबायोटिक्स आई ड्रॉप्स और ऑइंटमेंट (मरहम/जेल) के इस्तेमाल से कुछ ही दिनों में सामान्य और स्वस्थ होने लगते हैं।
एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस: एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस में बाकी दवाओं के साथ आंखों में भी सूजन आ जाती है। इसलिए इसके उपचार में एंटी हिस्टामिन आई ड्रॉप्स के साथ एंटी इंफ्लेमेटरी आई ड्रॉप्स भी दिए जाते हैं।
डिस्क्लेमर- यह टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर द्वारा चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं है। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में योग्य चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।