नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली इसे रूप चौदस, भूत चतुर्दशी और नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. यह कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती हैं. इस दिन यम का दीपक जलाया जाता है. इस दिन यमराज के अलावा भगवान कृष्ण, हनुमान जी और मां की भी पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध कर 16,000 गोपियों को उसकी कैद से बचाया था।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को छोटी दिवाली मनाई जाती है। इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस साल 30 अक्तूबर 2024 को नरक चतुर्दशी मनाई जा रही है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था और करीब 16,000 महिलाओं को उसकी कैद से मुक्त कराया था। इसलिए इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा का विधान है। भारत में छोटी दिवाली के पर्व को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हर साल की तरह इस बार भी छोटी दिवाली का पर्व सभी के लिए बेहद खास होने वाला है। इस दिन वैधृति योग का निर्माण हो रहा है। संयोग में कुछ खास उपाय करने से परिवार में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। ऐसे में आइए इन उपायों के बारे में जानते हैं।
नरक चतुर्दशी तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के चतुर्दशी तिथि की शुरुआत बुधवार, 30 अक्टूबर 2024 को 1 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी. वहीं चतुर्दशी तिथि का समापन गुरुवार, 31 अक्टूबर 3 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में इस साल नरक चतुर्दशी 30 अक्टूबर 2024 को मनायी जाएगी.
नरक चतुर्दशी पूजा मुहूर्त
नरक चतुर्दशी के दिन सूर्यास्त के बाद यम दीपक जलाया जाता है. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 5 बजकर 36 मिनट से लेकर 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगा.
यम पूजन विधि
नरक चतुर्दशी के दिन यम के दीपक घर के सबसे बड़े सदस्य को जलाना चाहिए. जिसके लिए एक बड़ा चौमुखी दीपक लें और उसमें बाती लाकर तेल डालें. फिर दीपक को जलाकर घर में चारों ओर घुमाएं. उसके बाद इस दीपक को घर के बाहर कुछ दूर रख आएं. इस दौरान अन्य सदस्य घर के अंदर ही रहें.
नरक चतुर्दशी का महत्व
मान्यता है कि नरक चतुर्दशी की रात को यम का दीपक जालने और मां महाकाली की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं. इस दिन प्रातः काल ब्रह्म बेला में गंगाजल और अपामार्ग युक्त पानी से स्नान करने पर साधक को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा नरक चतुर्दशी को यमदेव का दीपक जलाने से नरक के द्वार बंद कर देते हैं और अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है।
छोटी दिवाली पर करें ये पांच उपाय
* धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छोटी दिवाली के दिन यमराज की पूजा जरूर करनी चाहिए। इस दौरान उनके नाम का दीपक भी जलाएं। मान्यता है कि इससे यम देव की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त होता है।
* छोटी दिवाली के दिन भगवान कृष्ण और मां कालिका की आराधना करनी चाहिए। इससे परिवार से सभी नकारात्मकता दूर होती हैं।
* छोटी दिवाली के दिन तेल से मालिश करें। फिर आप स्नान कर लें। मान्यता है कि चतुर्दशी को तेल में लक्ष्मी जी और सभी जलों में मां गंगा निवास करती हैं। इसलिए तेल मालिश करने से जीवन में सकारात्मकता का संचार होने लगता है।
* धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन हनुमान जी की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। इससे साधक के बल में वृद्धि और जीवन में खुशियों का वास होता है।
* छोटी दिवाली के दिन 14 दीपक जलाने की पंरपरा सदियों से चली आ रही है। इस दौरान आप पहला दीया रात में घर से बाहर दक्षिण की ओर मुख कर कूड़े के ढेर के पास रखें। दूसरा आप सुनसान देवालय में रख दें। ध्यान रहें इसे घी से जलाएं। वहीं तीसरे दीये को आप मां लक्ष्मी और चौधा दीया माता तुलसी के समक्ष जलाते हैं। पांचवां दीया घर के दरवाजे के बाहर जलाता है और छठा पीपल के पेड़ के नीचे। इस दौरान आप सातवां दीया किसी मंदिर में जलाए। वहीं आठवां दीया घर में जहां कूड़ा रखा जाता है। नौवां दीया घर के बाथरूम में जलाएं और दसवां दीया घर की छत की मुंडेर पर। ग्यारहवां दीया घर की छत और बारहवां दीया खिड़की के पास जलाएं। तेरहवें दिये को बरामदे में जलाकर रख दें। चौदहवां दीया रसोई में जलाएं।
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