चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला एक प्रमुख पर्व है। यह त्योहार माँ दुर्गा के नौ रूपों की उपासना के लिए मनाया जाता है। इस दौरान भक्तजन उपवास रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और माँ दुर्गा की आराधना में लीन रहते हैं। चैत्र नवरात्रि का संबंध हिंदू नववर्ष से भी है, क्योंकि यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होती है।
चैत्र नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में बेहद खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिपूर्वक पूजा की जाती है और भक्त पूरे 9 दिनों तक व्रत रखते हैं। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना (कलश स्थापना) की जाती है, जिसे बेहद शुभ माना जाता है और इसका समापन राम नवमी के दिन होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान सच्चे भाव और विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करने से माता रानी की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल चैत्र नवरात्रि कब से शुरू हो रही है, कलश स्थापना का मुहूर्त क्या है साथ ही, जानिए नवरात्रि का पूरा कैलेंडर।
चैत्र नवरात्रि 2025 प्रारंभ तिथि एवं शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि 2025 का शुभारंभ 30 मार्च 2025 (रविवार) को होगा और इसका समापन 7 अप्रैल 2025 (सोमवार) को राम नवमी के साथ होगा। घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त निम्नलिखित रहेगा:
घटस्थापना मुहूर्त: 30 मार्च 2025 को प्रातः 06:14 से 10:23 तक
अभिजीत मुहूर्त: 11:56 से 12:47 तक
राहुकाल: 08:00 से 09:30 तक (इस दौरान पूजा से बचना चाहिए)
चौघड़िया मुहूर्त
चौघड़िया मुहूर्त का प्रयोग यात्रा, पूजा, या शुभ कार्यों के लिए किया जाता है। घटस्थापना के दिन निम्नलिखित शुभ चौघड़िया रहेंगे:
शुभ चौघड़िया: प्रातः 06:14 से 07:45
लाभ चौघड़िया: प्रातः 10:30 से 12:00
अमृत चौघड़िया: दोपहर 01:30 से 03:00
चैत्र नवरात्रि का इतिहास
चैत्र नवरात्रि की उत्पत्ति और महत्व को विभिन्न पुराणों में वर्णित किया गया है। माना जाता है कि जब भगवान राम लंका पर आक्रमण करने जा रहे थे, तब उन्होंने माँ दुर्गा की आराधना की थी। उनके उपासना से प्रसन्न होकर माँ दुर्गा ने उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया, जिससे वे रावण पर विजय प्राप्त कर सके। इसी कारण इस नवरात्रि को रामनवमी से जोड़ा जाता है।
चैत्र नवरात्रि का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
चैत्र नवरात्र का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्व है। नवरात्र देवी भगवती की उपासना के माध्यम से आत्मिक शक्ति, मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने का एक अलभ्य अवसर होता है। इस कालखंड में आहार-विहार का संयम व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और आंतरिक शक्तियों को जाग्रत करने का कार्य करता है।
चैत्र नवरात्रि 9 दिन का कैलेंडर 2025
पहला दिन – 30 मार्च 2025 रविवार को मां शैलपुत्री की पूजा
दूसरा दिन – 31 मार्च सोमवार को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
तीसरा दिन – 01 अप्रैल 2025 मंगलवार को मां चंद्रघंटा की पूजा
चौथा दिन – 02 अप्रैल 2025 बुधवार को मां कूष्मांडा की पूजा
पांचवें दिन – 03 अप्रैल 2025 गुरुवार को मां स्कंदमाता की पूजा
छठवां दिन – 04 अप्रैल 2025 शुक्रवार को मां कात्यायनी की पूजा
सातवां दिन – 05 अप्रैल 2025 शनिवार को मां कालरात्रि की पूजा
आठवां दिन – 06 अप्रैल 2025 रविवार को मां गौरी की पूजा
नौवां दिन – 07 अप्रैल 2025 सोमवार को मां सिद्धिदात्री की पूजा
हिंदू नववर्ष का प्रारंभ
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन ही हिंदू नववर्ष यानि विक्रम संवत 2082 का आगाज होने वाला है. इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी. इस दिन से चैत्र नवरात्रि शुरू होती है. हिंदू धर्म के अलावा मराठी समुदाय के लिए भी ये दिन बहुत खास है, इस दिन गुड़ी पड़वा मनाया जाता है और मराठी नववर्ष की शुरुआत होती है। इस साल हिंदू नववर्ष 30 मार्च 2025 से शुरू हो रहा है, इसका नाम सिद्धांत संवत् 2082 होगा. हर नया साल कुछ खास उम्मीदें और खुशियां लेकर आता है।
शक्ति उपासना और आध्यात्मिक शुद्धि
इन नौ दिनों में साधक माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना कर अपनी आत्मशुद्धि का प्रयास करता है।
व्रत और उपवास का महत्व
व्रत रखने से शरीर और मन की शुद्धि होती है। सात्विक भोजन और नियम संयम का पालन कर भक्तजन अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।
नवरात्रि में विशेष अनुष्ठान और परंपराएँ
कलश स्थापना – नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है, जिसमें माँ दुर्गा का आह्वान किया जाता है।
जप और हवन – विशेष मंत्रों का जाप और यज्ञ-हवन का आयोजन किया जाता है।
कन्या पूजन – अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं को भोजन कराया जाता है और उन्हें उपहार दिए जाते हैं।
राम नवमी – नवरात्रि के नौवें दिन भगवान राम का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।
चैत्र नवरात्रि केवल धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि यह शक्ति
, भक्ति, और आत्मशुद्धि का उत्सव है। यह पर्व हमें संयम, धैर्य और सत्य की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। 2025 में यह पर्व 30 मार्च से 7 अप्रैल तक मनाया जाएगा, और इस दौरान श्रद्धालु पूरे भक्तिभाव से माँ दुर्गा की आराधना करेंगे।