चैत्र माह की शुक्ल पूर्णिमा को महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार, भगवान हनुमान की जयंती मनाई जाती है। भक्त भगवान हनुमान को हिंदू धर्म में सबसे प्रिय देवताओं में से एक मानते हैं। वे उन्हें भगवान शिव का अवतार और भगवान राम का सबसे बड़ा शिष्य मानते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, केसरी और अंजनी ने उन्हें जन्म दिया था। उपासक भगवान हनुमान को उनकी निस्वार्थ सेवा, विनम्रता, भक्ति और भगवान राम के प्रति निडरता के लिए जानते हैं। यह निश्चित रूप से उन्हें एक आदर्श कर्मयोगी बनाता है। भक्त हनुमान को शक्ति और ऊर्जा के प्रतीक के रूप में भी मानते हैं।
हनुमानजी को कलयुग का जीवंत देवता कहा जाता है यानी वो देवता जो आज भी जीवित हैं। हनुमानजी से जुड़ी और भी कथाएं और मान्यताएं हमारे समाज में प्रचलित हैं। हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा पर हनुमानजी का जन्मोत्सव बड़ी ही श्रद्धा और धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी हनुमान मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं। भक्तों की लंबी कतारें हनुमान मंदिरों में इस दिन देखी जाती है। संकटमोचन हनुमान जी के भक्तों में हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर खासा उत्साह देखने को मिलता है और देशभर में इस दिन को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। श्री विष्णु को राम अवतार के वक्त सहयोग करने के लिए रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म हुआ था। पवनपुत्र हनुमानजी ने रावण का वध, सीता की खोज और लंका पर विजय पाने में श्रीराम की पूरी सहायता की थी। हनुमान जी के जन्म का उद्देश्य ही राम भक्ति था। हनुमान जयंती को साल में दो बार मनाने की परंपरा है। पहला चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाती हैं जिसे हनुमानजी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता हैं। दूसरा तिथि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इसे विजय अभिनंदन महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। आइए जानते हैं हनुमान जन्मोत्सव के बारे में संपूर्ण जानकारी।
द ग्रेट हनुमान
हनुमानजी के चरित्र का वर्णन शब्दों में करना संभव नहीं है फिर भी चलिए एक कोशिश करते है। उनमें भक्ति के भी गुण हैं, क्रोध भी हैं, मन में एक धैर्य, शांति तथा स्थिरता भी हैं। त्याग और सद्भावना का गुण भी उनके अंदर है। शक्तिशाली होकर भी अपने पराक्रम और शौर्य पर घमण्ड न करना ऐसा गुण केवल हनुमानजी के भीतर ही समहित है। दुश्मन को कब और किस तरीके से उत्तर देना है? बल से या बुद्धि से इसका उत्तर द ग्रेट हनुमानजी ही बखूबी जानते हैं। ऐसा कोई सुपर हीरो नहीं हो सकता जो बह्मचर्य को एक तप की तरह धारण कर सके। संजीवनी बूटी के लिए पूरे पर्वत को उठा लाना किसी भी सुपर हीरो की बात नहीं हैं। सूर्य को निगलने का दमखम न स्पाइडर मैन में हैं और बैटमैन में भी नहीं हैं। सोने की लंका को अकेले जलाने का दमखम सिर्फ और सिर्फ हनुमानजी के पास हैं। बाली जैसै योद्धा जिसके पास यह शक्ति विद्यमान थी कि कोई भी व्यक्ति उसके साथ अगर युद्ध करेंगा तो लड़ने वाले व्यक्ति की सारी शक्ति बाली के भीतर आ जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार युद्ध के समय हनुमानजी की अपनी शक्ति का 10 प्रतिशत हिस्सा ही लेकर गए थे। यह हिस्सा भी बाली सहन नहीं कर पाया जिससे बाली का शरीर जलने लगा। मॉडर्न भाषा में अगर कहें तो दुनिया के पहले सुपर हीरो है हनुमानजी, क्योंकि उनके भीतर जो शक्तियां हैं वो दुनिया के किसी भी सुपर मैन में नहीं हैं। उनका मुकाबला कोई भीऔर हीरो नहीं कर सकता हैं। आज इसी ग्रेट सुपरहीरो हनुमानजी की जंयती मनाई जा रही हैं। पौराणिक मान्यता हैं कि इस दिन राम भक्त हनुमानजी का जन्म हुआ था। देश के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग- अलग नामों से जाना जाता हैं। हनुमान जंयती हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाई जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बजरंगबली भगवान शिव के 11वें अवतार हैं और इन्हें कलयुग के देवता के रुप में भी जाना जाता हैं। इन्हें एक जीवित देवता के रुप में भी जाना जाता हैं। धरती पर जितने भी देवताओं ने जन्म लिया उनकी मृत्यु अवश्य ही हुई हैं लेकिन हनुमानजी ऐसा देवता हैं जिनको अमरता का वरदान प्राप्त हैं।
जानें हनुमान जन्मोत्सव की सही तारीख
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि 05 अप्रैल की सुबह 09:19 से 06 अप्रैल की सुबह 10:04 तक रहेगी। चूंकि पूर्णिमा तिथि का सूर्योदय 6 अप्रैल को होगा, इसलिए हनुमान जयंती का पर्व इसी दिन मनाया जाएगा। इस दिन ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से कई शुभ योग भी बनेंगे। इस दिन शनि अपनी स्वराशि कुंभ में गुरु अपनी स्वराशि मीन में रहेगा।
हनुमान जयंती का महत्व
ब्रह्मचारियों और पहलवानों लोगों के लिए हनुमान जयंती का अत्यधिक महत्व है। वे हनुमान को उनके अपार शारीरिक कौशल के कारण शारीरिक शक्ति और अनुशासन के लिए एक आदर्श मानते हैं। विशेष प्रार्थना, भक्ति गीत, और हनुमान चालीसा का जाप, भगवान हनुमान को समर्पित एक भजन, हनुमान जयंती के त्योहार को चिह्नित करता है। भक्त इस दिन भगवान को मिठाई, फल और फूल चढ़ाते हैं। कुछ अपनी भक्ति व्यक्त करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए उपवास भी करते हैं। भगवान शिव के 11वें रुद्र अवतार के रूप में, हनुमान ने अपना जीवन भगवान राम और सीता को समर्पित कर दिया। उनके प्रति उनकी भक्ति और निस्वार्थता दुनिया भर के लाखों हिंदुओं को प्रेरित करती है।इसके अलावा, लोग भगवान हनुमान से उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रार्थना करते हैं और व्यापक रूप से उन्हें आशा और आशावाद के प्रतीक के रूप में मानते हैं। हनुमान की शिक्षाएं और निस्वार्थता और भक्ति का उदाहरण लोगों को उनके आध्यात्मिक और व्यक्तिगत जीवन में प्रेरित और मार्गदर्शन करता रहता है। यह उन्हें हिंदू धर्म में एक श्रद्धेय और प्रिय व्यक्ति भी बनाता है।
हनुमान जन्मोत्सव पर पूजा मुहूर्त
हनुमान जन्मोत्सव पर नीचे दिए गए शुभ मुहूर्त में पूजा करना शुभ रहेगा। आइए जानते हैं पूजा मुहूर्त के बारे मे।
प्रातः 06:06 से 07:40 पूर्वाह्न तक
10:49 पूर्वाह्न से 12:23 अपराह्न तक
दोपहर 12:23 से 01:58 अपराह्न तक
01:58 अपराह्न से 03:32 अपराह्न तक
शाम 05:07 से शाम 06:41 बजे तक
06:41 अपराह्न से 08:07 अपराह्न तक
हनुमानजी की शुभ जयंती पर जाप करने के लिए हनुमान मंत्र
भक्त संकटमोचन को प्रसन्न करने और उनके साथ गहरा संबंध बनाने के लिए हनुमान मंत्रों का जाप कर सकते हैं। उनमें से कुछ यहां हैं:
हनुमान मूल मंत्र : जीवन में बाधाओं और समस्याओं को दूर करने के लिए लोगों को हनुमान मूल मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र भी एक शक्तिशाली सफलता मंत्र है। इसलिए शारीरिक शक्ति, सहनशक्ति और शक्ति के लिए इसका जाप करना चाहिए।
मंत्र: ॐ हनुमते नमः, ॐ हनुमते नमः
हनुमान बीज मंत्र : भक्त हनुमान बीज मंत्र का नियमित रूप से जाप करने को भगवान हनुमान को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका मानते हैं।
मंत्र: ॐ ऐं भ्रम हनुमते श्री राम दूताय नमः , ॐ ऐं भीम हनुमते श्री राम दूताय नमः
हनुमान गायत्री मंत्र
भक्त हनुमान गायत्री मंत्र का जाप करते हैं क्योंकि यह शक्ति, साहस, ज्ञान प्रदान करता है और सभी खतरों से बचाता है।
मंत्र: ॐ आंजनेयाय विदमिहे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो: हनुमान: प्रचोदयात
ॐ अंजनीसुताय विद्मीहे महाबलय धीमहि तन्नो: मारुति: प्रचोदयात
ॐ रामदूताय विदमिहे कपिराजाय धीमहि तन्नो: मारुति: प्रचोदयात
ॐ रामदूताय विद्मीहे कपिराजय धीमहि तन्नो: मारुति: प्रचोदयात
ॐ अन्जनिसुताय विदमिहे महाबलाय धीमहि तन्नो: मारुति: प्रचोदयात
ॐ आंजनेय विद्मीहे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो: हनुमान: प्रचोदयात
हनुमान जयंती पर पूजा कैसे करें?
हनुमान पूजा भगवान हनुमान से जुड़ने और सफलता, अच्छे स्वास्थ्य और खुशी के लिए उनका आशीर्वाद लेने का एक शक्तिशाली तरीका है। भक्त इसे भगवान हनुमान का आशीर्वाद और उनके प्रति आभार जताने के लिए सबसे पवित्र अनुष्ठानों में से एक मानते हैं। यहां हनुमान पूजा करने के लिए विस्तृत चरण दिए गए हैं:
जल्दी उठकर स्नान कर लें : पूजा शुरू करने से पहले अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए जल्दी उठना और स्नान करना आवश्यक है।
ध्यान करें और ईमानदारी से पूजा करने का संकल्प लें : पूजा शुरू करने से पहले मौन में बैठें और अपने मन को शांत करने के लिए कुछ मिनट ध्यान करें। भक्ति और ईमानदारी से पूजा करने का संकल्प लें।
भगवान हनुमान की मूर्ति या चित्र लगाएं : भगवान हनुमान की मूर्ति या छवि को पूर्व की ओर एक ताजे पीले कपड़े से ढकी लकड़ी की चौकी पर रखें। अगर आपके पास मूर्ति नहीं है तो आप भगवान हनुमान की तस्वीर का भी उपयोग कर सकते हैं।
तेल या घी का दीपक जलाएं : एक तेल या घी का दीपक जलाएं और इसे भगवान हनुमान की मूर्ति के पास रखें। बाधा रहित पूजा के लिए भगवान गणेश से आशीर्वाद लें।
भगवान हनुमान की मूर्ति या चित्र पर जल छिड़कें : इसे शुद्ध करने के लिए भगवान हनुमान की छवि पर थोड़ा जल छिड़कें। साथ ही यदि मूर्ति धातु की हो तो अभिषेक के लिए जल, कच्चा दूध, शहद, दही, घी आदि का प्रयोग करें।
हनुमान जी को वस्तुएं अर्पित करें : पीले या लाल कपड़े का ताजा टुकड़ा या कलावा अर्पित करें। साथ ही भगवान को पवित्र जनेऊ और अक्षत अर्पित करें। इसके अलावा, चंदन का लेप या प्राकृतिक इत्र, फूल, अगरबत्ती, धूप और एक तेल का दीपक दें।
हनुमान मंत्रों और हनुमान चालीसा का जाप करें : हनुमान जी की कृपा पाने के लिए हनुमान मंत्रों का जाप करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें। आप अन्य हनुमान स्तोत्र का भी जाप कर सकते हैं।
भगवान को भोग लगाएं : भगवान को फल या कोई भी सात्विक व्यंजन जो आपने भोग के रूप में तैयार किया है, अर्पित करें। आप तांबूलम भी अर्पित कर सकते हैं, जिसमें पान, सुपारी, एक भूरा नारियल, दक्षिणा, केला और/या कुछ फल होते हैं।
परिक्रमा और आरती करें : खड़े होकर अपनी भक्ति दिखाने के लिए भगवान हनुमान की मूर्ति या छवि के चारों ओर अपने दाहिनी ओर मुड़ें (एक परिक्रमा करें)। परिक्रमा करने के बाद, कपूर को जलाकर और भगवान हनुमान की मूर्ति या छवि के सामने घुमाकर आरती करें। तदनुसार हनुमान आरती गाएं।
फूल चढ़ाएं और प्रणाम करें : भगवान हनुमान की मूर्ति या छवि को फूल चढ़ाएं और उनका आशीर्वाद लेने के लिए प्रणाम करें। पूजा के दौरान आपके द्वारा की गई किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा मांगें।
इस वर्ष भगवान हनुमान के जन्म का जश्न कैसे मनाएं?
हनुमान जयन्ती पर रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड पाठ अत्यंत शुभ माना जाता हैं। सभी मन्दिरो में इस दिन तुलसीदास कृत रामचरितमानस एवं हनुमान चालीसा का पाठ होता है। भक्तजन पुण्य अर्जित करने हेतु गरीबों के लिए भण्डारे आयोजित किए जाते है। मंदिरों में हनुमानजी को विशेष भोग जैसे सिंदूर, लाल चोला, चमेली का तेल, बूंदी चढाया जाता है। भक्त उपवास करके भगवान हनुमान की पूजा करते हैं। इस दिन धर्मिक मान्यता हैं कि हनुमान चालीसा की पाठ करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और भय से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा भूत प्रेत की समस्या से भी छुटकारा मिलता हैं।
* हनुमान जयंती प्रतिबिंब और आत्मनिरीक्षण का समय है। कई भक्तों की तरह, आप हनुमान जयंती का उपयोग भगवान हनुमान के गुणों को प्रतिबिंबित करने और उन्हें अपने जीवन में विकसित करने के अवसर के रूप में कर सकते हैं।
* भगवान हनुमान अपनी निस्वार्थ सेवा, शक्ति, भक्ति और साहस के लिए जाने जाते हैं। इसलिए भक्त इन गुणों को अपने में आत्मसात करने का प्रयास करते हैं और निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा करते हैं।
* कई धर्मार्थ संगठन और ट्रस्ट भी इस दिन हनुमान की भावना को मनाने के लिए भोजन वितरण अभियान, चिकित्सा शिविर और अन्य सामाजिक सेवा गतिविधियों का आयोजन करते हैं।
भगवान हनुमान और रुद्राक्ष के बीच संबंध
हिंदू धर्म रुद्राक्ष की माला को हिंदू धर्म में पवित्र मानता है और उन्हें दैवीय शक्तियों का अधिकारी मानता है। रुद्राक्ष के पेड़ के बीज भगवान शिव के आंसू हैं, जो उन्होंने मानव जाति के कल्याण के लिए तपस्या करते हुए बहाए थे। हनुमान जयंती के दौरान रुद्राक्ष की माला का उपयोग करने से भक्तों को शांति, सद्भाव और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त, चूंकि हनुमान भगवान शिव के अवतार हैं, इसलिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग हनुमान पूजा की शक्ति और प्रभावशीलता को बढ़ाने में मदद करता है। बहुत से लोग हनुमान पूजा करते समय रुद्राक्ष की माला को हार या कंगन के रूप में पहनते हैं। जबकि कुछ इनका उपयोग हनुमान मंत्रों का जाप करने के लिए माला बनाने के लिए भी करते हैं। कुल मिलाकर, हनुमान जयंती के दौरान रुद्राक्ष की माला का उपयोग भक्तों के लिए दिव्य ऊर्जा से जुड़ने और भगवान हनुमान का आशीर्वाद लेने का एक तरीका है।
हनुमान जयंती व्रत का महत्व
उपवास भक्तों के बीच हनुमान जयंती से जुड़ी एक महत्वपूर्ण परंपरा है। मान्यता यह है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति अपने मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध कर सकता है और भगवान हनुमान से आशीर्वाद ले सकता है। भक्त उपवास को देवता के प्रति अपनी कृतज्ञता और भक्ति व्यक्त करने के तरीके के रूप में देखते हैं। जबकि कुछ लोग पूर्ण उपवास रखते हैं, अन्य केवल फल या साधारण सात्विक भोजन का सेवन करते हैं। उपवास अतिरिक्त रूप से आत्म-अनुशासन विकसित करने और इंद्रियों को नियंत्रित करने में मदद करता है। हनुमान जयंती व्रत करने से बल, साहस और ज्ञान की प्राप्ति होती है। ये वे गुण हैं जिन्हें भक्त भगवान हनुमान से जोड़ते हैं। संक्षेप में, हनुमान जयंती पर उपवास करना देवता के साथ आध्यात्मिक संबंध को मजबूत करने और उनका दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका है।
हनुमान जयंती का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र में हनुमान जयंती एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि इससे ग्रहों की स्थिति और ब्रह्मांड के ऊर्जा स्तरों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ना चाहिए। ज्योतिषी हनुमान जयंती के दौरान हनुमान चालीसा के पाठ को ज्योतिषीय दृष्टिकोण से बहुत शक्तिशाली मानते हैं। भजन मंगल ग्रह (मंगल) को प्रसन्न कर सकता है, जो शक्ति, साहस और जीत से जुड़ा है। हनुमान चालीसा का जाप करने से किसी की कुंडली में मंगल के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। बहुत से लोग हनुमान जयंती पर पूजा और अनुष्ठान करते हैं, जिसका ज्योतिषीय लाभ होता है। पूजा भगवान हनुमान की दिव्य ऊर्जा से जुड़ने और उनका आशीर्वाद लेने में मदद करती है। यह जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है, जैसे प्रयासों में सफलता, अच्छा स्वास्थ्य और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा।
हनुमानजी के जन्म की कथा
शिवपुराण के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो उसमें से भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर निकले। अमृत कलश को पाने के लिए देवताओं और असुरों में युद्ध होने लगा। उस समय भगवान विष्णु मोहिनी अवतार लेकर आए और उन्होंने छल से देवताओं को अमृत पिलाकर अमर कर दिया और असुरों को कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ। उस समय भगवान विष्णु के मोहिनी रूप को देखकर शिवजी ने कामातुर होकर अपना वीर्यपात कर दिया। सप्त ऋषियों ने उस वीर्य को संग्रहित कर समय आने पर वानरराज केसरी की पत्नी अंजनी के कान के माध्यम से गर्भ में स्थापित कर दिया। समय आने पर अंजनी ने अत्यंत तेजस्वी एवं प्रबल पराक्रमी श्रीहनुमानजी को जन्म दिया।
हनुमानजंयती से संबधित कुछ अन्य कहानियां प्रचालित हैं जिनका आधार पौराणिक मान्यतांए हैं।
स्कंद पुराण के अनुसार, अंजना देवी एक देवलोक अप्सरा थीं जिन्हें पुंजिकस्थला के नाम से जाना जाता था। अप्सरा के रूप में अपने पिछले जन्म में उन्हें एक ऋषि द्वारा पृथ्वी पर एक मादा बंदर के रूप में जन्म लेने का श्राप मिला था। श्राप तभी समाप्त हो सकता था जब उसने पृथ्वी पर भगवान शिव के एक अवतार को जन्म दिया। इस प्रकार पुंजिकस्थल का जन्म कुंजर राजा जो पृथ्वी पर वानरों के राजा था। उनकी पुत्री अंजना देवी के रूप में हुआ और सुमेरु पर्वत के कपिराज केसरी से उनका विवाह हुआ। अंजना देवी ने अपने पिछले जन्म के श्राप के बारे में जानकर भगवान शिव से प्रार्थना की। भगवान शिव उनकी प्रार्थना से प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान दिया कि वह उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे। इस प्रकार हनुमान का जन्म अंजना देवी से हुआ था और उन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है। हनुमानजी को वायु पुत्र भी कहा जाता हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इससे संबधित एक और कहानी प्रचलित हैं। मान्यता हैं कि अंजना और उनके पति केसरी ने एक बच्चे के लिए जब भगवान शिव से प्रार्थना की और उनके निर्देशन में, वायु ने अपनी पुरुष ऊर्जा को अंजना के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया और यही कारण है कि हनुमान को वायु के पुत्र के रूप में जाना जाता है।
अष्ट चिरंजीवियों में से एक हैं हनुमानजी
धर्म ग्रंथों में 8 ऐसे पौराणिक पात्रों के बारे में बताया गया है, जिन्हें अमर माना जाता है। हनुमानजी भी इनमें से एक है। इस संबंध में एक श्लोक भी मिलता है। उसके अनुसार…
अश्वत्थामा बलिव्यासो हनूमांश्च विभीषण:।
कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
अर्थ- अश्वथामा, दैत्यराज बलि, महर्षि वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि, ये 8 अमर हैं। रोज सुबह इनका स्मरण करने से निरोगी शरीर और लंबी आयु मिलती है।
सूर्य को निगलने की कहानी : हनुमान बहुत नटखट बालक थे। जब हनुमान का जन्म हुआ, तो उन्होंने सूर्य को पका हुआ आम समझा और उसे खाने के लिए कूद पड़े। उस समय राहु भी सूर्य को ग्रहण करने की कोशिश कर रहा था। हनुमान और राहु आपस में भिड़ गए और फिर हनुमान ने सूर्य को अपने मुंह में लेने के लिए राहु की पिटाई की। बालक पर क्रोधित होकर राहु ने देवों के देव इंद्र से शिकायत की कि बालक के कारण सूर्य पर ग्रहण कैसे नहीं लग सकता। इंद्र ने अपना वज्रयुदा, एक हथियार हनुमान पर फेंका। शस्त्र हनुमान के जबड़े में लगा और वे मूर्छित होकर पृथ्वी पर गिर पड़े। अपने पुत्र की चोट के बारे में जानकर हनुमान के पिता वायु क्रोधित हो गए और उन्होंने पृथ्वी पर वायु वापस ले ली। सभी देवताओं का दम घुटने लगा। इंद्र ने अपने हथियार का प्रभाव वापस ले लिया और अन्य सभी देवताओं ने वायु को खुश करने के लिए उन्हें कई वरदान दिए। इसके अलावा भगवान शिव, बह्मा वायु से भी वरदान प्राप्त हुए। कहा जाता हैं कि इस दिन को हनुमान जंयती के रुप में मनाया जाता हैं।
अलग- अलग राज्यों में हनुमान जंयती इस प्रकार मनाई जाती हैं।
देश के अलग-अलग राज्यों मे हनुमान जयंती मनाने की अलग- अलग परंपरा है। तमिल कैलेंडर के अनुसार भगवान हनुमान का जन्म अमावस्या तिथि पर हुआ था । तमिलनाडू में हनुमान जयंती को हनुमथ जयन्थी के रूप में मनाए जाने की मान्यताएं हैं। तमिल मान्यताओं के अनुसार भगवान हनुमान का जन्म मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि पर मूल नक्षत्र में हुआ था। आमतौर पर मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि और मूल नक्षत्र दोनों एक ही दिन पड़ते हैं, लेकिन जिन वर्षो में ये दोनों एक साथ नहीं आते हैं तो पौष अमावस्या तिथि पर तमिलनाडू में हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है।
* उत्तर भारत में हनुमान जयंती चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है। मान्यता है कि राम भक्त और अंजनी पुत्र का जन्म चैत्र माह की पूर्णिम तिथि को हुआ था जिसके अवसर पर उत्तर भारत के कई राज्यों में हनुमान जयंती को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। वहीं आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में हनुमान जयंती का पर्व कई दिनों तक मनाने की परंपरा होती है। यहां पर हनुमान जयंती 41 दिनों तक मनाई जाती है। जिसमें चैत्र पूर्णिमा से शुरूआत होती है और वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष के दसवें दिन पर समाप्त होती है। कर्नाटक में हनुमान जयंती मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भी मनाई जाती है। यहां पर इस दिन को हनुमान व्रतम के नाम से जाना जाता है।
हनुमानजी को लेकर रोचक बातें
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज हनुमान जंयती के अवसर पर जानते हैं कि हनुमानजी को लेकर रोचक बातें कौन- सी हैं जिन्हें शायद आप नहीं जानते होंगे।
* ऐसा माना जाता है कि हनुमानजी अभी भी जीवित हैं और वे कलियुग के अंत तक इस धरती पर रहेंगे।
* राजस्थान के तहसील सिकराय में हनुमानजी का मेहंदीपुर बालाजी मंदिर हैं जहां मान्यता हैं कि भूतप्रेत से पीड़ित कोई भी व्यक्ति जाता हैं वह इस परेशानी से मुक्त हो जाता हैं।
* हनुमान जी को ब्रह्मचारी के रूप में तो सभी जानते हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका एक पुत्र भी था जिसका नाम मकरध्वज था।
* ऐसी मान्यता हैं कि वाल्मीकि से पहले ही हनुमानजी रामायण लिख चुके थे, जिसे बाद में उन्होंने समुद्र में फेंक दिया था।
* हनुमान जी और भीम भाई थे। पवनदेव के आशीर्वाद से कुंती को भीम की प्राप्ति हुई। इस कारण से दोनों भाई हुए।
* अंजन गांव का एकमात्र मंदिर है। जहां भगवान हनुमान अपनी मां अंजना की गोद में विराजमान हैं।
* मान्यताओं के अनुसार हनुमानजी का जन्म स्थान झारखंड के अंजन गांव स्थित एक गुफा में माना जाता है।
हनुमानजी जैसा प्रकांड ज्ञानी और योद्धा कोई नहीं हो सकता हैं। देश के अलग- अलग राज्यों में इनको आज भी हनुमान जंयती हर्ष और उल्लास के साथ मनाई जाती हैं। भारतीय संस्कृति के अलग- अलग राज्यों में राम-नाम, सीता-राम, जय श्री राम की भक्तिमय गूंज हनुमान जंयती के दिन दूर-दूर तक भक्तजनों को सुनाई देती हैं।