अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर साल 18 जून को ऑटिस्टिक प्राइड डे मनाया जाता है। यह दिन ऑटिस्टिक लोगों को समाज में स्वीकार किए जाने और सम्मानित महसूस करने का अवसर प्रदान करता है। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) से पीड़ित लोगों को अक्सर मानवाधिकारों के उल्लंघन, भेदभाव और कलंक का सामना करना पड़ता है। ऐसे में ऑटिस्टिक प्राइड दिवस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस दिवस (Autistic Pride Day) को मनाने की शुरुआत कैसे और कहाँ से हुई, इसे जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार लगभग हर 100 में से 1 बच्चे को ऑटिज्म है। ऐसे में दुनिया में ऑटिज्म के बारे मने जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 18 जून को (Autistic Pride Day) मनाया जाता है। यह दिवस समाज में ऑटिस्टिक लोगों को गौरवान्वित महसूस कराने के लिए मनाया जाता है। ऑटिस्म ग्रस्त लोगों का सम्मान करने और उनके लिए बेहतर माहौल बनाने के लिए यह दिन मनाया जाता है। ऑटिस्टिक प्राइड डे के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि ऑटिस्टिक लोग रोगी नहीं होते बस नार्मल लोगों से थोड़ा अलग होते हैं। इस दिन के द्वारा यह स्वीकारा जाता है की ऑटिस्टिक लोग स्पेशल हैं। उनके पास अपनी अलग ख़ूबी है। इस दिन ऑटिस्टिक लोग सामने आते हैं और अपनी कहानी बयां करते हैं।
ऑटिस्म क्या होता है?
ऑटिज़्म मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार और संपर्क को प्रभावित करता है। यह सामान्य तौर पर बच्चे के तीन साल के होने से पहले ही शुरू होने लगता है। हर बच्चे में इसके लक्षण अलग हो सकते हैं। इससे प्रभावित बच्चा सीमित व्यव्हार कर सकता है या बार-बार एक ही काम को दोहराता है। ऑटिज्म से पीड़ित लगभग चालीस प्रतिशत बच्चे बोल भी नहीं पाते हैं।बता दें कि जन्म के दो साल तक अगर बच्चे किसी तरह का इशारा नहीं करते तो वह ऑटिज्म का लक्षण हो सकता है। ऐसे में किसी थेरेपिस्ट के पास जाना चाहिए। अगर सही समय पर ऑटिज़्म की पहचान कर ली जाए तो सही ट्रीटमेंट दिया जा सकता है। ऑटिज़्म ट्रीटमेंट में बिहेवियर थेरेपी के साथ अन्य तरह की थेरेपी देकर इलाज किया जाता है।
ऑटिस्टिक प्राइड डे 2025 की थीम
ऑटिस्टिक प्राइड डे हर वर्ष 18 जून को मनाया जाता है। वर्ष 2025 के लिए इस दिन की थीम है: “Unapologetically Autistic” — यानी “बिना किसी खेद के ऑटिस्टिक”। यह थीम ऑटिस्टिक व्यक्तियों को अपनी पहचान पर गर्व करने और समाज की अपेक्षाओं के बिना अपने तरीके से जीने का संदेश देती है ।
ऑटिज्म के लक्षण
ऑटिज्म के लक्षण निम्नलिखित है :
जन्म के दो साल तक बच्चों को नहीं बोलना।
भाषा के विकास में विलंब होना।
लैंग्वेज स्किल्स की कमी।
बिहेवियरल स्किल्स की कमी।
समूह में खेलना पसंद नहीं करना।
सोशल स्किल्स की कमी
मानसिक अवसाद।
गले मिलने से अस्वीकार करना।
नाम बुलाने पर उत्तर नहीं देना।
एक चीज को बार-बार दोहराना।
ऑटिस्टिक प्राइड डे का इतिहास
ऑटिस्टिक प्राइड डे की शुरुआत 2005 में हुई थी, जब ऑटिस्टिक नेतृत्व वाले समूह Aspies For Freedom (AFF) ने इसे मनाया। इस दिन को 18 जून को मनाने का कारण उस समय समूह के सबसे युवा सदस्य का जन्मदिन था। यह दिवस ऑटिस्टिक समुदाय द्वारा अपनी पहचान, विविधता और अधिकारों का उत्सव मनाने के रूप में स्थापित हुआ ।
ऑटिस्टिक प्राइड डे का प्रतीक और रंग
इस दिन का प्रतीक है रंगीन अनंतता चिह्न (Rainbow Infinity Symbol), जो ऑटिस्टिक व्यक्तियों की अनंत विविधता और संभावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रतीक में लाल, पीला, हरा, बैंगनी और सोने जैसे रंग शामिल हैं, जो न केवल विविधता को दर्शाते हैं, बल्कि ऑटिस्टिक समुदाय की ताकत और मूल्य को भी उजागर करते हैं ।
ऑटिस्टिक प्राइड डे का महत्व और उद्देश्य
ऑटिस्टिक प्राइड डे का उद्देश्य है:
स्वीकृति और समावेशन: समाज में ऑटिस्टिक व्यक्तियों की स्वीकृति बढ़ाना और उन्हें समान अवसर प्रदान करना।
सशक्तिकरण: ऑटिस्टिक व्यक्तियों को अपनी पहचान पर गर्व करने और अपनी आवाज़ उठाने के लिए प्रेरित करना।
सामाजिक जागरूकता: ऑटिस्टिक व्यक्तियों के प्रति समाज की समझ और दृष्टिकोण में सुधार लाना।
यह दिवस यह संदेश देता है कि ऑटिस्टिक होना कोई दोष नहीं, बल्कि मानव विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है ।
ऑटिस्टिक प्राइड डे के बारे मे तथ्य और जानकारी
नेतृत्व: ऑटिस्टिक प्राइड डे का आयोजन मुख्य रूप से ऑटिस्टिक व्यक्तियों द्वारा किया जाता है, जो इसे अपनी पहचान और अधिकारों का उत्सव मानते हैं ।
कार्यक्रम: इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जैसे पैनल चर्चाएँ, कला प्रदर्शन, डिजिटल स्टोरीटेलिंग और सामुदायिक मिलन।
विकसित देशों में स्वीकृति: ऑटिस्टिक प्राइड डे को विकसित देशों में व्यापक स्वीकृति मिली है, और यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक आंदोलन बन चुका है।
ऑटिस्टिक प्राइड डे न केवल ऑटिस्टिक व्यक्तियों के लिए, बल्कि समग्र समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह हमें यह समझने में मदद करता है कि विविधता में ही सुंदरता है और हर व्यक्ति की अपनी एक अनूठी पहचान है। आइए, हम सभी मिलकर इस दिन को मनाएं और ऑटिस्टिक व्यक्तियों के अधिकारों और पहचान का सम्मान करें।