मूर्ख दिवस यानि अप्रैल फूल्स डे दुनियाभर में जोश के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग स्कूल, कॉलेज, घर और ऑफिस में एक दूसरे को बेवकूफ़ बनाने के तरह- तरह के पैतरें आज़माते हैं और मूर्ख (फूल) बनने पर एक- दूसरे की खिल्ली उड़ाते हैं। यह दिन इसी तरह हसी- मज़ाक करते हुए मनाया जाता है।
वैसे तो भारतीय कलेंडर का हर दिन तीज-त्योहारों से भरा है, लेकिन इसमें से कुछ विशेष दिन अपने आप में खास हो जाते हैं. इन्हीं में से एक स्पेशल दिन होता है ‘अप्रैल फूल डे’. यह दिन लोगों द्वारा अपने दोस्तों के साथ मस्ती-मज़ाक करके मनाया जाता है. इस दिन लोग दोस्तों, करीबियों और पारिवारिक सदस्यों को बेवकूफ बनाते हैं. मजाक और प्रैंक करने के बाद लोग अप्रैल फूल डे बोलकर चिल्लाते भी हैं. अप्रैल फूल डे को “ऑल फूल्स डे” भी कहा जाता है| यह एक ऐसा दिन है जब लोग एक दूसरे के साथ मजाक करते हैं, उन्हें बेवकूफ बनाते हैं और फिर उनपर हँसते हैं| पश्चिमी देशों से उत्पन्न हुआ यह दिन अब विश्व भर के देशों में मनाया जाने लगा है| आइये जानते हैं अप्रैल फूल डे कब शुरू हुआ और कुछ अप्रैल फूल्स डे स्टेटस:
अप्रैल फूल डे कब मनाया जाता है
अप्रैल फूल दिवस हर साल 1 अप्रैल को मनाया जाता है| यह दिन चुटकुले और हंसी से भरा होता है| इस दिन लोग एक दूसरे से व्यावहारिक मजाक करते हैं और खुशियां मनाते हैं|
अप्रैल फूल डे कब शुरू हुआ
हालाँकि यह दिन सदियों से मनाया जा रहा है, लेकिन इसकी वास्तविक उत्पत्ति अभी भी अज्ञात है| कुछ इतिहासकारों का अनुमान है कि अप्रैल फूल दिवस 1582 में शुरू हुआ था, जब जूलियन कैलेंडर को ग्रेगोरियन कैलेंडर में बदल गया| इतिहासकारों के अनुसार, पोप ग्रेगरी XIII द्वारा ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत के बाद अप्रैल फूल दिवस दिन मनाया जाने लगा| दरअसल इससे पहले, मार्च के अंत में नया साल मनाया जाता था, लेकिन ग्रेगोरियन कैलेंडर के लागू होने के बाद 1 जनवरी से नया साल मनाना शुरू हुआ| कथित तौर पर, कई लोगों ने इस परिवर्तन को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और जूलियन कैलेंडर का पालन करना जारी रखा| इसलिए दूसरे लोगों द्वारा इस दिन उन्हें फूल (मुर्ख) कहकर मजाक किया जाने लगा| नए कैलेंडर को स्वीकार करने और लागू करने वाला फ्रांस पहला देश था|
अप्रैल फूल कि कहानी दूसरे मूर्ख दिवस की कहानी के अनुसार चौसर की कैंटरबरी टेल्स (1392) एक कहानियों का संग्रह थी। उसमें एक कहानी ‘नन की प्रीस्ट की कहानी’ मार्च के 30 दिन और 2 दिन में सेट थी। जिसे प्रिटिंग की गलती समझा जाता है और विद्वानों के हिसाब से, चौसर ने असल में मार्च खत्म होने के बाद के 32 दिन लिखे।
इसी कहानी में, एक घमंडी मुर्गे को एक चालक लोमड़ी ने बेवकूफ बनाया था और उन्हे मूर्ख कहकर संबोधित किया गया था, जिस वजह से यह शब्द लोगों में प्रचलन होने लगी और लोग एक-दूसरे को 1 अप्रैल के दिन अप्रैल फूल बनाने जैसी रिवाज की शुरुआत की और यह अब तक चलता आ रहा है।
अप्रैल फूल्स डे से जुड़ी एक और कहानी प्रचलित है। ऐसी मान्यता है की को मानाने की शुरुआत 1381 से हुई। बात उस समय की है जब इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी ऐनी द्वारा सगाई का ऐलान किया गया। सगाई की तारीख़ 32 मार्च तय की गई। जनता ने इसका जश्न मनाना शुरू कर दिया। जब मौहाल थोड़ा शांत हुआ, तब लोगों ने इस बात की ओर ध्यान दिया कि 32 मार्च जैसी कोई तारीख़ ही नहीं होती। उन्हें आभास हुआ की उन्हें मूर्ख बना दिया गया है। इसके बाद से मूर्ख दिवस – अप्रैल फूल्स डे मनाने का प्रचलन शुरू हुआ।
1 अप्रैल की कहानी पांचवी कहानी की बात करें तो 100 से अधिक वर्ष पहले 1915 में जर्मनी के लिले हवाई अड्डा पर एक ब्रिटिश पायलट ने विशाल बम फेंका। इसको देखकर लोग इधर-उधर भागने लगे, देर तक लोग छुपे रहे। लेकिन बहुत ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी जब कोई धमाका नहीं हुआ तो लोगों ने वापस लौटकर इसे देखा। जहां एक बड़ी फुटबॉल थी, जिस पर अप्रैल फूल लिखा हुआ था और लोग उस फूटबॉल पर लिखी बातों को पढ़कर खुद को कोसने लगे और वहाँ पर छुपे ब्रिटिश पायलट ने निकलकर उन्हे मूर्ख से संबोधित किया और उनका बहुत सारा मज़ाक बनाया। जिसके बाद इस कहानी के अनुसार मूर्ख दिवस की शुरुआत हुई थी।
कुछ लोग इसे हिलारिया त्यौहार से भी जोड़ कर देखते हैं। हिलारिया एक त्यौहार है जो प्राचीन काल में रोम में मनाया जाता था। इस त्यौहार में देवता अत्तिस की पूजा होती थी हिलारिया त्यौहार में उत्सव का भी आयोजन किया जाता था। इस उत्सव के दौरान लोग अजीब-अजीब कपड़े पहनते थे। साथ ही मास्क लगाकर तरह-तरह के मजाक करते थे। उत्सव में होने वाली इस गतिविधि के कारण ही इतिहासकारों ने इसे अप्रैल फूल डे से जोड़ दिया और यह प्रचलन आज तक इस कहानी के अनुसार चलती आ रही है।
तो आपने देखा मूर्ख दिवस की कई सारी कहानियाँ है, जो सब कहानी अपने-अपने स्तर पर अप्रैल फूल का इतिहास बताता है, लेकिन किसी भी कहानी ने पूरी हद तक यह सिद्ध नही कर पाई है कि मूर्ख दिवस के पीछे का वास्तविक कहानी क्या है, हो सकता है यह सब काल्पनिक भी कहानी हो।
भारत में कब हुई थी शुरुआत?
दुनियाभर में 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे मनाने के अलग-अलग तरीके हैं. अगर बात करें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और अफ्रीकी देशों की, तो वहां अप्रैल फूल डे सिर्फ 12 बजे तक ही मनाया जाता है. वहीं, कनाडा, अमेरिका, रूस और बाकी यूरोपीय देशों में 1 अप्रैल को दिनभर अप्रैल फूल डे मनाया जाता है. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में इस दिन की शुरुआत 19वीं सदी में अंग्रेजों ने की थी. आज के समय में भारत में भी लोग इस दिन लोग मस्ती-मजाक करते हैं।
अप्रैल फूल डे पर क्या करते हैं
अलग-अलग देशों में अप्रैल फूल्स डे बनाने के अलग-अलग तरीके हैं| जैसे फ्रांस, इटली, बेल्जियम जैसे देशों में लोगों की पीठ पर कागज की मछली (अप्रैल फिश) चिपकाने का रिवाज है| इस प्रकार अलग-अलग तरीके से लोग मजाक करते हैं| लेकिन एक बात सभी जगह कॉमन है- वह है लोगों को बेवकूफ बनाकर उनपर हंसना| इस प्रकार अप्रैल फूल दिवस पर लोग एक-दूसरे के साथ प्रैंक करते हैं और भेद खोलने पर “अप्रैल फूल” चिल्लाते हैं|
मूर्ख दिवस अप्रैल फूल बनाने के तरीके
अलग- अलग देशों में मूर्ख दिवस – अप्रैल फूल्स डे अलग- अलग तरीकों से मनाया जाता है।
* डेनमार्क में 1 मई को यह मूर्ख दिवस मनाया जाता है और इसे मज-कट कहते हैं। * फ्रांस, इटली, बेल्जियम में कागज की मछली बनाकर लोगों के पीछे चिपका दी जाती है और मजाक बनाया जाता है।
* स्पेनिश बोलने वाले देशों में 28 दिसंबर को अप्रैल फूल डे मनाया जाता है, जिसे डे ऑफ होली इनोसेंट्स के नाम से जाना जाता है।
* ईरानी फारसी नववर्ष के 13वें दिन एक-दूसरे पर तंज कसते हैं। यह 1 या 2 अप्रैल का दिन होता है।
अप्रैल फूल का प्रसिद्ध मज़ाक
इतिहास में ऐसे बहुत सारे 1 अप्रैल को मज़ाक किया गया है जिसका दुनिया को विश्वास भी हो गया था, लेकिन यह सब सिर्फ दुनिया को अप्रैल फूल संबोधित करने के लिए किया गया था। कुछ प्रसिद्ध मज़ाकिया हम आपके साथ साझा कर रहें है।
बिल गेट्स की हत्या : 2003 में कई चीनी और दक्षिण कोरियाई वेबसाइटों ने यह दावा किया था कि सीएनएन ने माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स की ह्त्या की रिपोर्ट दी थी, जिसके बाद दक्षिण कोरियाई स्टॉक मार्केट में 1.5% की गिरावट दर्ज की गयी थी, लेकिन यह सिर्फ अफवाह और दुनिया को अप्रैल फूल बनाना था।
लीजेंड ऑफ ज़ेल्दा : मूवी ट्रेलर एक वीडियो गेम वेबसाइट आईजीएन ने 2007 के अप्रैल फूल्स डे को एक असल-जैसा दिखने वाला लीजेंड ऑफ ज़ेल्दा मूवी का ट्रेलर रिलीज किया। कई लोगों ने काफी उत्साहित होकर धीरे-धीरे यह विश्वास कर लिया कि एक असली ज़ेल्दा मूवी आने वाली है, लेकिन आईजीएन ने खुलासा कर दिया कि यह एक धोखा था। बाद में अफवाहें उड़ाई गयीं कि एक असल लीजेंड ऑफ ज़ेल्दा फिल्म बनायी जा रही है।
मूर्ख दिवस के कुछ रोचक किस्से
विश्व भर में लोगों में एक अप्रैल को एक-दूसरे को मूर्ख बनाने की होड़-सी लगी रहती है लेकिन बड़े पैमाने पर लोगों को एक साथ मूर्ख बनाने के लिए कभी-कभार कैसे-कैसे अनोखे तरीके अपनाए जाते हैं, आप कल्पना भी नहीं कर सकते। मूर्ख दिवस के संबंध में विभिन्न देशों के कई ऐसे रोचक किस्से प्रचलित हैं, जब सामूहिक रूप से लोगों को मूर्ख बनाने का प्रयास किया गया और वे बड़ी आसानी से ‘मूर्ख’ बन भी गए। ऐसे ही कुछ रोचक किस्से यहां प्रस्तुत किए जा रहे हैं :-
लोग हवा में उछलेंगे : कई वर्ष पहले बीबीसी ने अपने एक नियमित कार्यक्रम के दौरान ब्रिटेन के लोगों को एक विशेष सूचना दी कि अमुक तारीख को प्लूटो ग्रह बृहस्पति ग्रह के ठीक पीछे से गुजरते हुए ऐसा गुरुत्वाकर्षण पैदा करेगा कि लोग हवा में उछलने लगेंगे। यह बीबीसी की एक्सक्लूसिव खबर थी इसलिए लोग उसे कोरी अफवाह भी नहीं मान सकते थे, अत: इस घटना के लिए बीबीसी द्वारा जो दिन बताया गया था लोगों ने उस दिन उसी निश्चित समय पर स्वयं ही उछलना शुरू कर दिया। इस दौरान किसी-किसी को तो वास्तव में ऐसा महसूस हुआ कि जैसे सचमुच वह उछल रहा है लेकिन किसी को लगा कि वह तो खुद ही जबरदस्ती उछल रहा है। तभी अचानक कुछ लोगों को ध्यान आया कि आज तो 1 अप्रैल का दिन है और बीबीसी द्वारा उन्हें ‘अप्रैल फूल’ बना दिया गया है।
गधे को स्नान : लंदन में कुछ वर्ष पूर्व हजारों लोगों को एक साथ ‘अप्रैल फूल’ बनाने की एक दिलचस्प घटना हुई थी। हुआ यूं था कि लंदन में हजारों लोगों के पास एक ही दिन एक निमंत्रण पत्र पहुंचा जिसमें लिखा था, ‘‘एक अप्रैल की शाम को आप ‘टावर ऑफ लंदन’ पहुंचें, जहां सफेद रंग के एक गधे को सार्वजनिक स्नान कराया जाएगा लेकिन यहां आते समय अपने साथ यह निमंत्रण पत्र लाना न भूलें।’’ बस फिर क्या था देखते ही देखते एक अप्रैल की शाम को टावर ऑफ लंदन में हजारों लोगों की भीड़ जमा हो गई लेकिन जब उन्हें इंतजार करते-करते काफी समय बीत गया और वहां न कोई गधा नजर आया और न ही किसी तरह का कोई आयोजन। लोगों के सब्र का बांध टूटने लगा लेकिन कुछ समय बाद जब उन्हें पता चला कि उन्हें ‘अप्रैल फूल’ बनाया गया है तो वहां बड़ा हास्यास्पद माहौल बन गया और लोग हंसते-हंसते अपने-अपने घर लौट गए।
पत्र लिखने वाले का नाम : अप्रैल फूल बनाने की एक रोचक घटना अमेरिका के एक महान प्रचारक हैनरी वार्ड बीचर से भी जुड़ी है। एक बार पहली अप्रैल के दिन वह एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। उसी समय उन्हें एक लिफाफा प्राप्त हुआ। हैनरी ने मंच पर ही लिफाफा खोला। लिफाफे के अंदर एक खाली कागज रखा था जिस पर बीचों-बीच सिर्फ एक ही शब्द लिखा था, ‘फूल’ अर्थात मूर्ख। हैनरी तुरन्त समझ गए कि किसी ने उन्हें अप्रैल फूल बनाने की कोशिश की है। समारोह में उपस्थित लोगों में जब इस लिफाफे के बारे में जानने की उत्सुकता हुई तो हैनरी ने चतुराई दिखाते हुए झट से पासा पलटा और उनका अप्रैल फूल बनाने की कोशिश करने वाले व्यक्ति को ही ‘फूल’ बना डाला। दरअसल हैनरी ने उसी समय मंच से पत्र के बारे में खुलासा करते हुए बताया, ‘‘मुझे प्रतिदिन ढेर सारे पत्र प्राप्त होते हैं, जिनमें से कुछ लोग अपने पत्रों पर अपना नाम या पता लिखना ही भूल जाते हैं लेकिन अभी-अभी मुझे एक ऐसा पत्र मिला है, जिस पर पत्र लिखने वाले ने अपना नाम तो लिखा है लेकिन पत्र लिखना वह भूल गया है।’’
हर साल दुनियाभर में लोगों द्वारा अप्रैल फूल डे मनाया जाता है। लोग इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं, ताकि आपने चाहने वालों को फूल बनाकर थोड़े मजे कर सकें। दोस्तों को फूल बनाने का मजा ही कुछ और होता है। तो देर किस बात की, इस अप्रैल फूल्स डे पर आप भी अपने करीबियों के साथ फनी ट्रिक्स इस्तेमाल कर उन्हें फूल बनाइए और मजे लिजिए।