गर्मी के मौसम में अगर ठंडा ठंडा शिकंजी हाथ में मिल जाए, तो क्या कहनें. इसे पीते ही शरीर की गर्मी कहीं गायब हो जाती है और लू लगने का डर भी कम हो जाता है. इसके अलावा, शिकंजी ना केवल शरीर को तुरंत हाइड्रेट करता है, शरीर को एनर्जी देने और पाचन को अच्छा रखने में भी मदद करता है. ऐसे में अगर आप शिकंजी बनाने के अलग अलग तरीके को सीखना चाहते हैं तो हम आपकी मदद कर सकते हैं. आइए जानते हैं कि गर्मियों में शिकंजी कितने तरह से आप बनाकर पी सकते हैं।
गर्मियों के मौसम में डिहाइड्रेशन बड़ी समस्या है. तेज धूप और गर्मी से बचने के लिए हम ठंडी चीजों की तरफ जाते हैं. ऐसा होने पर नींबू पानी यानी शिकंजी पीना अच्छा रहता है. शिकंजी में नींबू का रस, काला नमक, काली मिर्च, भुना जीरा जैसे मसाले डाले जाते हैं, जो गर्मी में राहत देते ही हैं, शरीर के लिए भी फायदेमंद है। शिकंजी पीने से पाचन शक्ति भी ठीक रहती है. शिकंजी में पड़ने वाले नींबू के सेवन से शरीर को भरपूर मात्रा में विटामिन-सी मिलता है, जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. त्वचा में भी निखार आता है. गर्मियों के मौसम में शरीर को तरो-ताजा और हेल्दी रखने के लिए ये एक अच्छा ड्रिंक है।
डीहाइड्रेशन से बचाव : गर्मियों में पसीना बहुत आता है और पसीने की वजह से शरीर से कई तत्व बाहर निकल जाते हैं. इस प्रक्रिया में जरूरी इलेक्ट्रॉलाइट्स भी बाहर निकल जाते हैं. ऐसे में अगर धूप के बाद घर वापिस आएं तो रोज एक ग्लास शिकंजी का सेवन जरूर करें. यह शरीर से बाहर हुए जरूरी तत्वों को दुबारा लौटा देता है. इस तरह इसके सेवन से डीहाइड्रेशन से भी बचा जा सकता है।
ब्लड प्रेशर के लिए अच्छा : शिकंजी में मौजूद पोटेशियम हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है. ऐसे में अगर आपको कभी भी हाई ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम महसूस हो तो तुरंत एक ग्लास शिकंजी का सेवन करें।
तनाव करता है कम : कई बार गर्मी और पसीने की वजह से शरीर से पानी के साथ कई जरूरी तत्व बाहर निकल जाते हैं जिसकी वजह से शरीर में स्ट्रेस बढने लगता है. कई शोधों में भी यह बात सामने आई है कि बॉडी हाइड्रेड रहने पर शरीर के तनाव को कम करने में मदद मिलती है. ऐसे में शिकंजी में नींबू, चीनी और नमक आदि आपके शरीर को रिलेक्स रखने के साथ साथ तनाव भी कम करने में कारगर होता है।
डाइजेशन रखता है दुरुस्त : शिकंजी पीने से डाइजेशन भी ठीक रहता है. गर्मी और धूप से कई बार पेट गर्म होने और इनडाइजेशन की शिकायत हो जाती है. ऐसे में शिकंजी में मौजूद नींबू और नमक पेट को गर्म नहीं होने देता. यही नहीं, शिकंजी के सेवन से दांतों और मसूड़ों की समस्या में भी आराम मिलता है।
इम्युनिटी रखता है स्ट्रॉन्ग : शिकंजी पीने से शरीर का इम्युन सिस्टम दुरुस्त रहता है. अगर इसमें नींबू और चीनी की जगह नींबू और गुड का प्रयोग किया जाए तो यह और भी सेहतमंद हो जाता है।
अलग अलग तरीके से बनाएं शिकंजी
सोडा शिकंजी : आप एक गिलास में सोडा डालें और इसमें एक चम्मच शिकंजी पाउडर मिलाएं. अब आप इसमें पुदीना, धनिया पत्ता और अदरक को कूटकर डाल लें. स्लाइस नींबू और बर्फ डालें और सर्व करें. ये काफी रिफ्रेशिंग है और आप इसे मेहमानों को भी सर्व कर सकते हैं।
पुदीना शिकंजी : पुदीना शिकंजी स्वाद में काफी रिफ्रेशिंग होता है. पुदीने का इस्तेमाल औषधीय इस्तेमाल में भी किया जाता है. पेट से जुड़ी समस्या को ठीक करने में ये काफी असरदार है और पेट की गर्मी को ये तुरंत ठीक करता है. इसे बनाने के लिए आप एक गिलास में पुदीना के पत्ते को कूटकर डालें और इसमें स्वादानुसार चीनी, नींबू का रस और ठंडा पानी डालकर सर्व करें।
नींबू शिकंजी : नींबू शिकंजी सबसे अधिक पॉपुलर शिकंजी माना जाता है. इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो इम्यूनिटी को बूस्ट करने और गैस की समस्या को दूर करने का काम करता है. इसे बनाने के लिए आप 1 गिलास पानी लें और इसमें 1/2 चम्मच काला नमक और 1 नींबू का रस मिलाएं. आप स्वादानुसार चीनी या शहद मिलाएं और बर्फ डालकर सर्व करें।
मसाला शिकंजी : मसाला शिकंजी भी पाचन का अच्छा करने और इम्यूनिटी को बूस्ट करने में असरदार है. यह शरीर को तेजी से हाइड्रेट करता है और गर्मी या लू से बचाने का काम करता है. इसे बनाने के लिए पहले आप 1/2 चम्मच जीरा और सॉंफ भून लें और पीस लें. अब गिलास में काला नमक, 1/2 चम्मच सौंफ जीरा पाउडर और 1 नींबू का रस डालकर ठंडा पानी डालें. आप इसमें पुदीना के पत्तों को भी डाल सकते हैं।
सत्तू शिकंजी : सत्तू शिकंजी आपको दिनभर एनर्जी देता है और यह प्रोटीन का बहुत अच्छा सोर्स है. यह आपके पेट को भी भरा रखता है. इसे बनाने के लिए आप एक गिलास में 2 चम्मच सत्तू लें और इसमें स्वाद के अनुसार चीनी या काला नमक डालें. अब इसमें पुदीना के पत्ते कूटकर डाल लें और पियें।
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)