आजकल गार्डनिंग करना लगभग हर कोई पसंद करता है। जब भी किसी को थोड़ा बहुत समय मिलता है वो गार्डन में प्लांट्स की देखभाल में लगाते हैं। खासकर वीकेंड में गार्डनिंग करना कई लोग पसंद करते हैं। मानसून का एक ऐसा समय होता है जब पौधों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। इस मौसम में छोटे-छोटे कीड़े पौधों में लगने लगते हैं जिकसी वजह से पौधे खराब होने लगते हैं। इसके अलावा अधिक पानी होने से भी पौधे खराब होने लगते हैं। ऐसे में अगर आप भी मानसून के समय पौधों में लगने वाले मिली बग्स कीड़ों और ओवरवाटरिंग से कुछ अधिक ही परेशान रहते हैं, तो हम आपको कुछ बेहतरीन घरेलू टिप्स बताने जा रहे, जिन्हें इस्तेमाल करके अपने गार्डन को और भी ज्यादा खूबसूरत बना सकते हैं।
बरसात के समय पौधों को प्राकृतिक रूप से मिलने वाले पानी तथा आर्द्रता के कारण चारों ओर हरियाली छा जाती है, क्योंकि इस मौसम में वातावरण में नमी होने से पौधों की ग्रोथ तेजी से होती है। लेकिन रेनी सीजन गार्डन में आउटडोर या इनडोर लगे पेड़ पौधों की अतिरिक्त केयर करने की जरूरत होती है, ताकि वे स्वस्थ और प्राकृतिक रूप से बढ़ सकें। मानसून के समय लगातार हो रही तेज बारिश से आउटडोर लगे पौधों में ओवरवाटरिंग का खतरा होता है, वहीं मिट्टी में अधिक नमी होने से इनडोर प्लांट्स में कई प्रकार के कीट लग सकते हैं जिससे पौधों को काफी नुकसान होता है, इसीलिए मानसून में गार्डनिंग करते समय हमें पौधों की अधिक देखभाल करने की जरूरत होती है। इस लेख में आप, मानसून गार्डनिंग करते समय किन बातों का ध्यान रखें, रेनी सीजन गार्डनिंग प्लांट केयर टिप्स व बरसात में पौधों को कैसे बचाएं, के बारे में जानेंगे।
बरसात के मौसम में पौधों की देखभाल कैसे करें
बारिश के मौसम में पौधों को अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है, मानसून के दौरान पौधों की देखभाल करने के लिए आप निम्न टिप्स व तरीके अपनाकर लगातार हो रही तेज बारिश (Heavy rain) से पौधों को बचा सकते हैं, जैसे:
* बारिश में पौधों को कीट व रोगग्रस्त होने से बचाएं।
* बरसात के समय पौधों के लिए पानी की आवश्यकताएं पहचाने।
* मानसून के समय प्रूनिंग से करें पौधों का रख-रखाव।
* पौधों को नियमित रूप से खाद व उर्वरक दें।
* बरसात में पौधों की मिट्टी में खरपतवार को उगने से रोकें।
* मिट्टी के कटाव व संकुचन को रोकने के तरीके अपनाएं।
* नन्हे पौधों या कमजोर पौधों को सहारा प्रदान करें।
* पौधों के आस-पास जलभराव को रोकें।
* मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करें।
* गमले या गार्डन की मिट्टी से शैवालों को दूर कर वर्मीकम्पोस्ट मिलाएं।
रैनी सीजन गार्डन केयर टिप्स
बारिश के मौसम में गार्डनिंग करते समय अपने पौधों को स्वस्थ ग्रोथ देने व पौधों को हरा-भरा रखने के लिए ध्यान रखने योग्य आवश्यक बातें निम्न हैं, जैसे:
* भारी बारिश में पौधों को कवर करें।
* बारिश में पौधों पर कीटों की जाँच करें।
* पौधों को रोग संक्रमित होने से बचाएं।
* गार्डन में उचित जल निकासी प्रबंध करें।
* समय पर निराई-गुड़ाई जरूर करें।
* बरसात में पौधे की डेडहेडिंग और प्रूनिंग करते रहें।
* मानसून में पौधों के पोषण के लिए खाद व उसर्वरक समय पर दें।
* छोटे पौधे तथा क्रीपर प्लांट्स को सहारा दें।
* बरसात के समय पौधों में पानी की आपूर्ति का रखें ध्यान।
बरसात में पौधों को सोच-समझ कर दें पानी
मानसून के समय वैकल्पिक रूप से पौधों को पानी देना चाहिए, क्योंकि इस मौसम में पौधों को प्राकृतिक तरीके से पानी की आपूर्ति हो जाती है तथा वातावरण भी आर्द्र होता है, जिसके कारण पौधों को अतिरिक्त पानी की आवश्यकता नहीं होती। बारिश के दौरान अत्यधिक पानी देने से पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं और अंततः पौधे नष्ट हो सकते हैं। इसीलिए बरसात के समय पौधों को पानी तब देना चाहिए जब मिट्टी की ऊपरी परत सूखी दिखाई देती है।
भारी बारिश में पौधों को कवर करें
बरसात के मौसम में तेज बारिश के दौरान पौधों की मिट्टी में जलभराव से पौधे की जड़ें सड़ सकती हैं और वह खराब हो सकता है। इसके आलावा इस समय लगाये गए बीज तथा सीडलिंग (छोटे कोमल पौधों) को भी काफी नुकसान पहुँच सकता है, इसीलिए हैवी रेन अर्थात तेज बारिश होने की सम्भावना होने पर पौधों को रेन कवर से ढक देना चाहिए, ताकि गार्डन या गमले की मिट्टी में लगे पौधों को कोई नुकसान न हो। पौधों को प्लास्टिक रेन कवर की जगह छिद्रित रेन कवर से ढकना बेस्ट होता है, क्योंकि छिद्रित रेन कवर से बारिश के पानी की फुहार पौधों को मिलती रहती हैं और वे स्वस्थ रहते हैं।
बरसात में पौधों पर करें कीटों की जांच
मानसून गार्डन में गमले की मिट्टी और पौधों में अत्यधिक आर्द्र परिस्थितियां (humid conditions) होने के कारण पौधों में कई तरह के हानिकारक कीट लग सकते हैं, जिन्हें हटाया नहीं गया तो ये आपके पौधे को पूरी तरह से नष्ट कर सकते हैं। अतः नियमित रूप से पौधों को चेक करें, और कीट पाये जाने पर उचित कीटनाशकों (pesticides) का छिड़काव करें। आप जैविक कीटनाशक के रूप में नीम तेल, सरसों का तेल, कीटनाशक साबुन या अन्य होममेड पेस्टीसाइड का उपयोग कर सकते हैं। मानसून के मौसम में अत्याधिक नमी वाला वातावरण पौधों पर स्लग, चींटियां और घोंघे (snails) जैसे कीट तथा कवक और फफूंदी रोगों के संक्रमण का जिम्मेदार हो सकता है, ये हानिकारक कीट सीडलिंग और पौधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसीलिए बरसात के समय पौधों को कीट और बीमारियों से बचाने के लिए सप्ताह में एक बार कीटनाशक और कवकनाशी का प्रयोग करना चाहिए। कीट नियंत्रण के लिए पौधों पर नीम के तेल या 3 जी पेस्टीसाइड जैसे जैविक कीटनाशक का सम्पूर्ण पौधों पर छिड़काव तथा कवक से बचने के लिए हल्दी पाउडर को मिट्टी की ऊपरी परत पर छिड़का जा सकता है।
नोट – बारिश के समय पाए जाने वाले केंचुए मिट्टी के वातन को सुधार कर नाइट्रेट मिलाते हैं, जिसके कारण मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है, इसीलिए मिट्टी से केंचुए अलग नहीं करना चाहिए।
बरसात में पौधों को संक्रमण से बचाएं
बरसात के समय आउटडोर गार्डन में या इनडोर लगे हुए पौधों में अत्यधिक नमी के कारण कई प्रकार के कवक रोग (fungal disease) तथा भारी बारिश में ओवर वाटरिंग के कारण जड़ सड़न (root rot) रोग होने की सम्भावना होती है, जिनसे पौधों को काफी नुकसान होता है और जल्दी ही उचित उपचार न मिलने पर पौधा मर भी सकता है। अतः पौधों में फंगल इन्फेक्शन रोकने के लिए नियमित रूप से पौधों की जाँच करें तथा रोग ग्रस्त पौधे को बीमारियों से बचाने के लिए उचित फंगीसाइड जैसे नीम तेल या कवकनाशी का पौधे पर छिड़काव करें।
मानसून गार्डन में जल निकासी का उचित प्रबंध करें
गार्डनिंग करते समय सबसे महत्वपूर्ण होता है, अपने गार्डन या गमलों में अच्छी जल निकासी की व्यवस्था करना। अगर आपके गार्डन में पौधों के आस-पास जलभराव होता है, तो पौधे कई तरह के रोग व कीटों से संक्रमित हो सकते हैं और फलस्वरूप आपके पौधे नष्ट भी हो सकते हैं। गार्डन में जल निकासी व्यवस्था के लिए आप एक नाली की खुदाई कर सकते हैं, जिससे बारिश का अतिरिक्त पानी गार्डन के बाहर निकल सके। गार्डन में उचित जल निकासी व्यवस्था बनाने के लिए निम्न टिप्स फॉलो करें, जो निम्न हैं।
* गार्डन में जिस स्थान पर सबसे ज्यादा पानी ठहरता है, वह स्थान चुनें।
* खुदाई के लिए गार्डनिंग हैंड ट्रॉवेल या कुदाल का इस्तेमाल करें।
* जलभराव वाली जगह चुनकर ढ़लान वाली जगह (पानी के बहाव की दिशा) से खुदाई शुरू करें।
* और एक पतली नली के रूप में गार्डन के बाहरी छोर (जहाँ से पानी बाहर निकलेगा) तक खुदाई करें।
* आपका गार्डन ड्रेनेज सिस्टम बनकर तैयार हो जाएगा, जहाँ से बारिश का अतिरिक्त पानी बाहर निकलेगा।
* आप चाहे तो गार्डन में एक गड्ढा बनाकर बारिश का अतिरिक्त पानी एकत्रित कर सकते हैं, ताकि बारिश न होने पर पौधों की सिंचाई की जा सके, यह एक अच्छा विकल्प है।
* बारिश के तेज पानी से गमले में जलभराव न हो इसके लिए आपको देखना चाहिए कि, गमले में अतिरिक्त जल निकास के लिए ड्रेनेज होल हैं या नहीं। ड्रेनेज होल न होने पर गमले में किसी टूल्स की मदद से छिद्र करें, अगर किसी कारणवश जल निकासी छिद्र बंद हो गये हैं, तो आप किसी पेंचकश की मदद से गमले के छिद्र साफ़ कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त गमले में ओवरवाटरिंग रोकने के लिए अच्छी जलनिकासी वाली मिट्टी का उपयोग करें।
मानसून के समय प्रूनिंग से करें पौधों की केयर
प्रूनिंग (Pruning) पौधे में नई वृद्धि और स्वस्थ ग्रोथ को बढ़ावा देने में मदद करती है तथा यह पौधे को किसी भी प्रकार के कीट व रोग संक्रमण को रोकने में भी सहायक होती है। बरसात के मौसम में पौधों की उचित देखभाल के साथ आप अपने होम गार्डन के गमलों में लगे हुए पौधों को आकार देने, नई ग्रोथ को बढ़ाने तथा किसी संक्रमित भाग को हटाने के लिए पौधे की छंटाई कर सकते हैं। प्रूनिंग करते समय ध्यान दें कि प्रूनिंग टूल्स साफ होने चाहिए और किसी भी संक्रमित भाग को हटाने के बाद फिर से प्रूनर्स को अच्छी तरह साफ़ करना चाहिए।
बरसात में समय पर करें निराई
बारिश के मौसम में गमले या गार्डन की मिट्टी में लगे पेड़-पौधों की ग्रोथ के साथ जंगली घास व खरपतवार भी तेजी से बढ़ते हैं, जो हानिकारक कीटों को रहने के लिए स्थान प्रदान करते हैं तथा पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व भी मिट्टी से ले लेते हैं, जिससे पौधों की ग्रोथ प्रभावित होती है। इसीलिए मानसून में खरपतवार नियंत्रण तथा मिट्टी में बेहतर ऑक्सीजन प्राप्ति के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए।
बारिश में पौधे की डेड हेडिंग और प्रूनिंग करें
मानसून के दौरान कई प्रकार के फल-फूल, सब्जी व जड़ी-बूटी वाले पौधे उगाए जाते हैं, जिनकी स्वस्थ ग्रोथ के लिए छंटाई करना जरूरी होता है। मानसून का मौसम आने के ठीक पहले का समय पौधों की प्रूनिंग करने के लिए अच्छा होता है। रेनी सीजन गार्डनिंग में पौधों की उचित देखभाल के साथ अपने पॉटेड हाउसप्लांट्स को आकार देने, नई ग्रोथ को बढ़ावा देने तथा पौधे के किसी संक्रमित भाग को हटाने के लिए पौधों की छंटाई अर्थात् प्रूनिंग की जाती है। इसके अलावा फ्लावर प्लांट्स में नये फूलों की उपज लाने के लिए डेड हेडिंग की जाती है, जिसमें हम पौधे के सूख चुके या मुरझा चुके फूलों को प्रूनर की मदद से हटा देते हैं।
मानसून में पौधों को खाद व उर्वरक दें
बारिश के समय पौधों की तेजी से ग्रोथ होने एवं स्वस्थ फलने-फूलने के लिए उन्हें नियमित रूप से पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, इसीलिए रेनी गार्डनिंग में पौधों को खाद व उर्वरक देने का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बरसात के सीजन में पौधों को लिक्विड फर्टिलाइजर न देकर दानेदार उर्वरक देना चाहिए, क्योंकि तेज बारिश के दौरान मिट्टी में घुलनशील उर्वरक पानी के साथ बह जाते है, जिससे पौधों को पर्याप्त पोषण प्राप्त नहीं हो पाता। पौधे लगे गमले की मिट्टी में दानेदार उर्वरक देने के लिए मिट्टी की निराई-गुड़ाई कर इसमें दानेदार उर्वरक मिलाएं और फिर स्प्रे पंप की मदद से पानी दें, ताकि पौधों को पोषक तत्व प्राप्त हो सकें। पौधों को उच्च फास्फोरस युक्त खाद देने के लिए आप दानेदार उर्वरक के रूप में बॉन मील (bone meal) का उपयोग कर सकते हैं तथा बारिश न होने पर पौधों को जल्दी पोषक तत्व देने के लिए आप लिक्विड फोलियर स्प्रे फर्टिलाइजर का उपयोग कर सकते हैं।
छोटे तथा बेल वाले पौधों को दें सहारा
मानसून के समय छोटे पौधों को तेज हवाओं, भारी बारिश तथा जलभराव आदि से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए, उन्हें पर्याप्त देखरेख व सहारे की जरूरत होती है। कोमल तथा युवा पौधों को तेज हवाओं से बचाने के लिए कुछ बाहरी सहारे की आवश्यकता होती है, ताकि उन्हें गिरने या टूटने से बचाया जा सके। छोटे पौधों को किसी मजबूत लकड़ी से तथा क्रीपर प्लांट्स अर्थात् लताओं वाले पौधों को जालीदार तार या क्रीपर नेट से सहारा देना चाहिए।
बरसात में पौधों को पानी देने का रखें ध्यान
बारिश के समय आपको पौधों में पानी देने का विशेष ध्यान रखना है। रेनी सीजन गार्डनिंग करते समय कुछ लोग पौधों को पानी देने की चिंता से मुक्त हो जाते हैं और वे पूरे मानसून पौधों को पानी नहीं देते तथा कुछ अपनी आदत से मजबूर, पानी की अधिकता से होने वाले नुकसान को न जानते हुए पौधों को रोज पानी देते हैं जिससे पौधे मर जाते हैं। इसीलिए बरसात में पौधों को सावधानीपूर्वक पानी देना चाहिए। जब पौधों के आस-पास की मिट्टी नम हो, तब पौधों को पानी नहीं देने की बजाय, जब मिट्टी की ऊपरी परत सूखी दिखाई दे, तब प्लांट्स को पानी देना चाहिए।
उम्मीद है आपने रेनी सीजन गार्डनिंग टिप्स तथा बरसात के समय मानसून गार्डनिंग करते हुए किन बातों का विशेष ध्यान रखना है इसके बारे में जान लिया होगा। अगर आप गार्डनिंग के शौकीन हैं तथा रैनी सीजन में अपने गार्डन में पेड़-पौधे लगाते हैं, तो आपको देखना होगा कि, आपका होम गार्डन मानसून गार्डनिंग के लिए तैयार है या नहीं। बरसात के समय पौधों को अतिरिक्त केयर की आवश्यकता होती है ताकि वे बारिश में उत्पन्न समस्याओं से निपट कर स्वस्थ व तेजी से ग्रोथ कर सकें।