सफलता और खुशी जीवन के दो पूरक हैं और अगर इन दोनों में से कोई एक भी न रहे तो निश्चित ही दूसरे का मिलना भी मुमकिन नहीं। पर यह भी संभव नहीं कि हर कदम पर आपको सफलता ही हाथ लगे या हर वक्त आप खुश रहें। ऐसी मुश्किल परिस्थितियों में भी जीवन में संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है, ताकि नई कामयाबी की तरफ बढ़ा जा सके। एक साधारण छात्र या पेशेवर होने के बावजूद हम क्या-क्या असामान्य या असाधारण काम कर सकते हैं, हमारी क्षमताएं और ताकत, यह सब हम जीवन कौशल यानी लाइफ स्किल्स को अपना कर ही जान सकते हैं। अब आपके दिमाग में सवाल उठ रहा होगा कि बतौर छात्र या नौकरी करते हुए हमें जीवन कौशल सीखने की शुरुआत कहां से करनी चाहिए? किस तरह एक छात्र और एक पेशेवर अपनी जिंदगी में यह संतुलन कायम कर सकते हैं, आइए जानते हैं।
खुद को जानो
जैसे शतरंज की चाल में जीतने के लिए हर मोहरे की चाल और उसकी प्रकृति को जानना बेहद जरूरी है, उसी तरह जीवन में सफल होने के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आप कैसे हैं, आप में क्या-क्या खूबियां हैं, आपको क्या पसंद और क्या नापसंद है। अपने बारे में जानने की कोशिश करें। और आप जैसे भी हैं, खुद को वैसे स्वीकार करें। हर कोई एक जैसा नहीं हो सकता, इसीलिए आप जैसे भी हैं, खुद को पसंद करें और ऐसे प्यार करें ऐसे जैसे आप एक मास्टर पीस है खुद के बारे में अपनी राय को बदलिए अपने आपको कभी भी ऑर्डिनरी महसूस ना करें। जिस तरह से पांचों उंगलियां बराबर नहीं होतीं, वैसे ही हर कोई एक जैसा नहीं हो सकता। आप खुद को अपनी कमियों और खूबियों के साथ स्वीकार करें।
बातचीत की कला
कम उम्र में ही खुल कर बातचीत करने की कला सीखने से जीवन के अगले पड़ावों में बहुत आसानी होने लगती है। खासतौर पर ऐसे वक्त में जब छात्र-जीवन से ही साक्षात्कार और समूह चर्चा आपकी कामयाबी का एक अहम हिस्सा बन रहे हों। आप इसकी शुरुआत अपने विचारों को अपने माता-पिता और दोस्तों के सामने रखने से कर सकते हैं। आपको अपनी बात सामने रखने में डरना या हिचकिचाना नहीं चाहिए कि सामने वाला क्या सोचेगा। अगर आपकी बात या आपके विचार सही हैं तो वे भी इसे स्वीकार करेंगे।
समय प्रबंधन
एक छात्र या पेशेवर के जीवन में समय हमेशा कम ही रहता है। उन्हें पढ़ाई या कोई प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए दिन के 24 घंटे भी कम ही लगते हैं, इसीलिए समय रहते समय प्रबंधन की कला सीख लेना बेहद जरूरी है। समय प्रबंधन से हमारा मतलब समय को बांटने से नहीं, बल्कि काम या पढ़ाई के विषयों के लिए सही समय निर्धारित करने से है। अगर कोई छात्र गणित में कमजोर है तो निश्चय ही उसे बाकी विषयों के मुकाबले गणित को अधिक समय देना चाहिए। समय प्रबंधन की कला सीखने के साथ ही व्यक्ति जरूरी कामों के अलावा अपने निजी कार्यों के लिए भी समय बचाना सीख जाता है।
संतुलन बनाए रखें
हर किसी के लिए अपने जीवन में संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है। स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्रों और नौकरी-पेशेवरों के लिए भी यह उतना ही अहम है कि वे अपनी निजी और कामकाजी जिंदगी के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करें। घर की बातें जब पढ़ाई या काम पर हावी होती हैं तो उसका नतीजा अंकों और आपकी तरक्की पर दिखाई देता है, जबकि कॉलेज या ऑफिस की बातें घर में दखल देती हैं तो आपके अपने ही आप से नाराज होने लगते हैं। जरूरी है कि आप दोनों को एक साथ चलाते हुए भी उन्हें एक-दूसरे से अलग रखें।
सकारात्मक सोचें
छात्रों को अपने जीवन में अपनी भावनाओं पर नियंत्रण बनाए रखना बेहद जरूरी है। कभी-कभी छोटी-मोटी नाकामयाबी उन्हें तोड़ कर रख देती है। ऐसे में जरूरी है कि वे अपनी भावनाओं में न बह कर अपनी गलतियों से सीखें और अगली चुनौती के लिए तैयारी शुरू कर दें। पिछली बात को भूल कर या उसमें सकारात्मक पहलू को खोज कर आगे बढ़ने में ही फायदा है।
स्वीकार करें
बतौर छात्र या कर्मी अपनी गलतियों को स्वीकार करना भी सीखें। छात्रकाल में ही कई बच्चे अपनी गलतियों को दूसरों पर डालने लगते हैं, जिसकी वजह से आगे चल कर उन्हें अपनी गलतियों को स्वीकार करने में मुश्किल होने लगती है। गलतियों को स्वीकार कर लेने के साथ ही हम उनसे सीख भी पाते हैं, लेकिन जो अपनी गलती ही नहीं मानता, वह उससे सीख भी नहीं सकता।
क्रोध प्रबंधन
आए दिन अखबारों में युवाओं की किसी से झगड़े या मार-पीट की खबरें सुर्खियों में बनी रहती हैं। इन सब खबरों में एक चीज सामान्य है और वह है गुस्सा या क्रोध। युवाओं को अपने गुस्से पर काबू कर उस गुस्से को रचनात्मक कार्यो के लिए उपयोग करना चाहिए।
अहम है जरूरी, पर..
हम सभी ने सुना है कि बिना रीढ़ का आदमी नहीं होता। यानी अहम होना जरूरी है, लेकिन अहम के भाव में दूसरों से खुद को ऊपर या बेहतर समझना गलत है। साथ ही कई बार यह अहम ही हमारी असफलता का कारण भी बनता है। एक छात्र को अपनी पढ़ाई को लेकर और एक पेशेवर को अपने कौशल को लेकर अति संतुष्ट भी नहीं होना चाहिए। परिस्थितियां कब, क्या सवाल सामने ला खड़ा करें, हममें से यह कोई नहीं जानता।
मौज-मस्ती भी है जरूरी
आप छात्र हैं तो सिर्फ पढ़ाई ही आपका काम है और अगर आप नौकरी करते हैं तो ऑफिस के अलावा आप कुछ और सोच ही नहीं सकते, ऐसा कतई नहीं है। आपको अपनी निजी जिंदगी और अपने काम, दोनों में मन लगाना चाहिए और उसमें खुशी देखनी चाहिए। लेकिन कई बार छात्र कॉलेज में आते ही मान लेते हैं कि कॉलेज का मतलब सिर्फ मौज-मस्ती है तो ऐसा भी नहीं है।कॉलेज जीवन ही आपके करियर की दिशा तय करता है, इसलिए मौज-मस्ती के साथ पढ़ाई और अन्य कामों पर भी ध्यान दें।