एक हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए सबसे जरूरी जो सलाह दी जाती है वो है बार-बार पानी पीना. शरीर के लिए पानी बहुत जरूरी है. पानी शरीर से सारी गंदगी को बाहर करने का भी काम करता है। ‘पानी एक डिटर्जेंट की तरह है जो हमारे शरीर में सफाई का काम करता है. शरीर की हर कोशिकाएं सही ढंग से काम कर सकें इसके लिए पानी की बहुत जरूरत पड़ती है.’ आइए जानते हैं कि डिहाइड्रेशन यानी पानी की कमी से हमारे शरीर को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
मस्तिष्क पर असर
जब शरीर में पानी की कमी होती है तब कोशिकाएं मस्तिष्क को इस बात का संकेत भेजती हैं कि आपको प्यास लगी है. हालांकि डिहाइड्रेशन का असर दिमाग पर और भी तरीकों से पड़ता है. डिहाइड्रेशन का सीधा असर मूड और परफॉर्मेंस से भी जुड़ा होता है. सिर्फ 2 फीसदी डिहाइड्रेशन भी ध्यान से करने वाले किसी काम को बिगाड़ सकता है. डिहाइड्रेशन का असर यादाश्त पर भी पड़ता है.
इलेक्ट्रोलाइट पर असर
डिहाइड्रेशन की वजह से इलेक्ट्रोलाइट का स्तर बहुत कम हो जाता है जो दिमाग में कई तरह की दिक्कतें पैदा कर सकता है. इलेक्ट्रोलाइट पोटेशियम और सोडियम जैसे मिनरल्स हैं जो कोशिकाओं के बीच सिग्नल भेजने का काम करती है. मेयो क्लिनिक के अनुसार, अगर आपके इलेक्ट्रोलाइट्स बहुत कम हैं, तो वो कोशिकाओं को संकेत भेजने का काम नहीं कर सकेंगे और इसकी वजह से मांसपेशियों में खिंचाव से लेकर दौरे पड़ने तक की समस्या आ सकती है.
किडनी पर असर
जब शरीर में पानी की कमी होती है तो कोशिकाएं हाइपोथैलेमस को एक संकेत भेजती हैं, जो वैसोप्रेसिन नाम का हार्मोन निकालती हैं. इसे एंटीडायरेक्टिक हार्मोन (एडीएच) के नाम से भी जाना जाता है. यह हार्मोन किडनी को खून से कम पानी निकालने का संकेत देता है, जिससे पेशाब कम, गाढ़ा और गहरे रंग का निकलता है. किडनी खून के प्रमुख फिल्टर हैं और पर्याप्त तरल पदार्थ के बिना वो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर नहीं निकाल पाते हैं। ‘आश्चर्यजनक रूप से, आपकी किडनी एक दिन में 55 गैलन तक तरल पदार्थ ले जाने में सक्षम है. ज्यादा समय तक प्यासे रहने पर किडनी को बहुत मेहनत करनी पड़ती है. नेशनल किडनी फाउंडेशन के अनुसार, इस तरीके से किडनी को चोट आ सकती है और आपको किडनी की बीमारी भी हो सकती है. शरीर में पानी की कमी से पथरी की भी समस्या होने लगती है. मेयो क्लिनिक के मुताबिक, जो लोग गर्म, शुष्क मौसम में रहते हैं और जिन लोगों को दूसरों की तुलना में बहुत अधिक पसीना आता है, उन लोगों में ये खतरा ज्यादा पाया जाता है।
रक्त संचार पर असर
शरीर को खून बनाने के लिए तरल पदार्थ की जरूरत होती है. जब शरीर में तरल पदार्थ की कमी हो जाती है तो खून का स्तर भी कम हो जाता है. प्रसिद्ध डाइटीशियन स्टेफन्स्की कहती हैं, ‘शरीर में उचित ब्लड प्रेशर को बनाए रखने के लिए पर्याप्त तरल पदार्थ की जरूरत होती है.’ शरीर में पानी की कमी की वजह से हाइपोटेंशन या लो ब्लड प्रेशर की शिकायत हो सकती है और इसकी वजह से व्यक्ति बेहोश भी हो सकता है। डिहाइड्रेशन की गंभीर स्थिति की वजह से हाइपोवॉल्मिक शॉक जैसी इमरजेंसी हालत भी आ सकती है. जहां खून में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है और खून की कमी की वजह से ये पूरे शरीर में नहीं फैल पाता है जिससे कई अंग काम करना बंद कर सकते हैं. डॉक्टर बुश का कहना है कि इसकी वजह से सिर दर्द, चक्कर, आखों पर दबाव, सेक्स ड्राइव में कमी या फिर नींद ना आने जैसी समस्या हो सकती ह
पाचन तंत्र पर असर
पाचन तंत्र को सही से काम करने के लिए पर्याप्त पानी की जरूरत पड़ती है. पानी के जरिए ही शरीर से अपशिष्ट पदार्थ बाहर आते हैं और पाचन तंत्र दुरूस्त रहता है। ‘शरीर में तरल पदार्थ की कमी का असर शौच क्रिया पर पड़ता है।
स्किन पर असर
पानी की कमी का सीधा असर स्किन पर भी पड़ता है. पानी की कमी की वजह से स्किन रूखी होने लगती है और होंठ फटने लगते हैं. अच्छी और सेहतमंद स्किन के लिए अच्छा हाइड्रेशन होना जरूरी है।